झारखण्ड की महिलाओं के सपने पर वित्त विभाग ने लगाया ग्रहण...
मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा झारखण्ड की महिलाओं को दिखाया गया सपना दूर की कौड़ी...
अगर महिलाओं को दिखाये गये सपने नहीं पूरे हुए तो मुख्यमंत्री रघुवर दास को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है...
राज्य के महिलाओं में गहरा आक्रोश...
याद करिये, 3 मई 2017, झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी, कि अब राज्य में महिलाओं को मुफ्त रजिस्ट्री की सुविधा मिलेगी।
राज्य में महिलाओं के नाम जमीन जायदाद खरीदने पर रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं लिये जायेंगे। मात्र एक रुपये के टोकन स्टाम्प पर महिलाओं को फ्री रजिस्ट्रेशन किया जायेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस घोषणा को महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया गया था, राज्य के सभी दलों तथा महिला संगठनों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा कर दी थी, पर जब से इस पर वित्त विभाग ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी है, राज्य की महिलाओं को लग रहा है कि उनके सपनों पर कुठाराघात किया गया है...
हो सकता है कि इसका खामियाजा मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी पार्टी को आनेवाले चुनाव में भुगतना पड़ जाये। सूत्र बताते है कि स्थिति ऐसी है कि अगर ऐसा होता है तो महिलाओं का कोपभाजन रघुवर दास को बनना पड़ सकता है।
कुछ ये भी कहते है कि...
बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछताय।
काम बिगाड़े आपना, जग में होत हसांय।
कहीं ऐसा नहीं कि अविचार पूर्वक किये गये मुख्यमंत्री के इस घोषणा से मुख्यमंत्री रघुवर दास की किरकिरी हो जाये।
बताया जाता है कि जिस दिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस बात की घोषणा की थी, उसी वक्त से भू-राजस्व विभाग सक्रिय हो उठा था, तथा इस घोषणा को मूर्त्तरुप देने, तथा कैबिनेट से पास कराने के लिए तैयार किये गये प्रस्ताव को विधि विभाग को भेजा, जिसे विधि विभाग ने मंजूरी दे दी, इसके बाद यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया, जिस पर वित्त विभाग ने अपनी असहमति प्रकट कर दी, वित्त विभाग का कहना है कि ऐसा करना राज्यहित में नहीं है, अच्छा रहेगा कि महिलाओं की श्रेणी निर्धारित की जाय, नहीं तो आनेवाले समय में राजस्व की भारी क्षति होगी, और ये राज्य के विकास में घातक होगा।
हालांकि वित्त विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद इसे नये सिरे से लागू करने पर सरकार विचार कर रही है, पर जिस प्रकार से वित्त विभाग ने आपत्ति दर्ज करायी है और इसे लागू करने में देर हो रहा है, राज्य की महिलाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, साथ ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रति महिलाओं में नकारात्मक छवि बनती जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो अंततः भाजपा का राज्य में पुनः सत्ता में आना, एक तरह से असंभव हो जायेगा...
क्योंकि आधी आबादी को नाराज करना, राज्य सरकार के लिए घातक हो जायेगा, हालांकि सूत्र बताते है कि राज्य सरकार नहीं चाहेगी कि वह राज्य की आधी आबादी को नाराज करें, जल्द ही एक-दो सप्ताह में इस पर निर्णय ले लिये जायेंगे, क्योंकि इस प्रकरण से पूरे राज्य में जमीन की रजिस्ट्री प्रभावित हो चुकी है, इसलिए जल्द इसमें फैसले लिये जाने की संभावना है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा झारखण्ड की महिलाओं को दिखाया गया सपना दूर की कौड़ी...
अगर महिलाओं को दिखाये गये सपने नहीं पूरे हुए तो मुख्यमंत्री रघुवर दास को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है...
राज्य के महिलाओं में गहरा आक्रोश...
याद करिये, 3 मई 2017, झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी, कि अब राज्य में महिलाओं को मुफ्त रजिस्ट्री की सुविधा मिलेगी।
राज्य में महिलाओं के नाम जमीन जायदाद खरीदने पर रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन फीस नहीं लिये जायेंगे। मात्र एक रुपये के टोकन स्टाम्प पर महिलाओं को फ्री रजिस्ट्रेशन किया जायेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस घोषणा को महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया गया था, राज्य के सभी दलों तथा महिला संगठनों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा कर दी थी, पर जब से इस पर वित्त विभाग ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी है, राज्य की महिलाओं को लग रहा है कि उनके सपनों पर कुठाराघात किया गया है...
हो सकता है कि इसका खामियाजा मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी पार्टी को आनेवाले चुनाव में भुगतना पड़ जाये। सूत्र बताते है कि स्थिति ऐसी है कि अगर ऐसा होता है तो महिलाओं का कोपभाजन रघुवर दास को बनना पड़ सकता है।
कुछ ये भी कहते है कि...
बिना बिचारे जो करै, सो पाछे पछताय।
काम बिगाड़े आपना, जग में होत हसांय।
कहीं ऐसा नहीं कि अविचार पूर्वक किये गये मुख्यमंत्री के इस घोषणा से मुख्यमंत्री रघुवर दास की किरकिरी हो जाये।
बताया जाता है कि जिस दिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस बात की घोषणा की थी, उसी वक्त से भू-राजस्व विभाग सक्रिय हो उठा था, तथा इस घोषणा को मूर्त्तरुप देने, तथा कैबिनेट से पास कराने के लिए तैयार किये गये प्रस्ताव को विधि विभाग को भेजा, जिसे विधि विभाग ने मंजूरी दे दी, इसके बाद यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया, जिस पर वित्त विभाग ने अपनी असहमति प्रकट कर दी, वित्त विभाग का कहना है कि ऐसा करना राज्यहित में नहीं है, अच्छा रहेगा कि महिलाओं की श्रेणी निर्धारित की जाय, नहीं तो आनेवाले समय में राजस्व की भारी क्षति होगी, और ये राज्य के विकास में घातक होगा।
हालांकि वित्त विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद इसे नये सिरे से लागू करने पर सरकार विचार कर रही है, पर जिस प्रकार से वित्त विभाग ने आपत्ति दर्ज करायी है और इसे लागू करने में देर हो रहा है, राज्य की महिलाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, साथ ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रति महिलाओं में नकारात्मक छवि बनती जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो अंततः भाजपा का राज्य में पुनः सत्ता में आना, एक तरह से असंभव हो जायेगा...
क्योंकि आधी आबादी को नाराज करना, राज्य सरकार के लिए घातक हो जायेगा, हालांकि सूत्र बताते है कि राज्य सरकार नहीं चाहेगी कि वह राज्य की आधी आबादी को नाराज करें, जल्द ही एक-दो सप्ताह में इस पर निर्णय ले लिये जायेंगे, क्योंकि इस प्रकरण से पूरे राज्य में जमीन की रजिस्ट्री प्रभावित हो चुकी है, इसलिए जल्द इसमें फैसले लिये जाने की संभावना है।
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