जी हां, निदेशक, आइपीआरडी, झारखण्ड का कमाल देखिये...
इन्होंने पिछले तीन महीनों से एक भी होर्डिंग डिजाइन्स विभागीय वेबसाइट पर नहीं डलवाये है, जिसके कारण राज्य के विभिन्न जिलों में एक भी विभागीय होर्डिग्स जो राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे विकासात्मक कार्य की जानकारी जनता को देते है, राज्य के किसी भी जिले में नहीं दिखाई पड़ रहे है...
एक जिला जनसम्पर्क अधिकारी ने निदेशक को याद दिलाया है, वे इस ओर ध्यान दें, आश्चर्य है कि निदेशक ने स्वीकार किया है कि यह सत्य है, वे इस ओर ध्यान देते है, पर आज तक इस ओर उनका ध्यान नहीं गया है।
आश्चर्य इस बात की है कि उक्त जिला जनसम्पर्क अधिकारी ने निदेशक को उनके काम याद दिलाये है, पर निदेशक का अभी ज्यादा ध्यान इस ओर न होकर, उन्हें खुश करनेवाले अधिकारियों और संस्थानों पर है, वे इधर आइपीआरडी के एक बदनाम अधिकारी पर इतने खुश है कि सारा काम आइपीआरडी के उस बदनाम अधिकारी को ही सौंप रहे है, नतीजा पूरा विभाग बदनामी की ओर अग्रसर है।
स्थिति ऐसी है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चलानेवाले संस्थान पर, जिस पर गंभीर आरोप वहीं पर कार्यरत महिलासंवादकर्मियों ने लगाया, उसे फिर से देने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। अब केवल टेंडर की औपचारिकता मात्र बाकी है। आपको आश्चर्य होगा कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र उक्त संस्थान को सौपने के लिए निदेशक ने जो आनन-फानन में टेंडर निकलवाये थे, उसे देखकर भी आइपीआरडी में चल रहे गोरखधंधे का पता लग जाता है। जरा ध्यान से देखिये 31 मई 2017 को प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या 21 पर निकाले गये, नीचे कोने में पड़े आईपीआरडी के विज्ञापन को जो जनसंवाद से संबंधित है। जिसमें टेंडर की सारी तिथियां ही समाप्त हो चुकी है और उसे अखबार में प्रकाशित कराया गया। बाद में जब इस पर हंगामा मचा तो जाकर इस संबंध में एक नया विज्ञापन निकाला गया।
अब आप इसी से समझिये कि कनफूंकवों ने कैसे, मुख्यमंत्री रघुवर दास के इमेज को बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरु कर दी है? पर पता नहीं क्यूं मुख्यमंत्री को कनफूंकवों की प्लानिंग ही सर्वाधिक रास आ रही है, नतीजा सामने है...
जरा मुख्यमंत्री जी आपही बताइये...
• जब आपके द्वारा चलाये जा रहे विकासात्मक कार्यों को आपका ही निदेशक आम जनता तक पहुंचाने में रोड़ा अटका दें, तो फिर आपकी इमेज जनता के बीच कैसे बनेगी, वह भी तब जबकि सरकार के इमेज बनाने के लिए ही, सरकार और जनता के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए ही इस विभाग का गठन हुआ और यह विभाग भी आपके ही जिम्मे है, पर वो कौन है कनफूंकवां? जो आपकी इमेज बनाने में पिछले तीन महीने से रोड़ा अटका दिया, आखिर पूछिये आप निदेशक से, वह किसके इशारे पर ऐसा किया और कर रहा है, और अगर वह नहीं बताता है, तो मैं बताने के लिए तैयार हूं।
• पूछिये आप इस निदेशक से कि आखिर किससे इशारे पर 31 मई को गलत विज्ञापन विभिन्न अखबारों में निकाला गया।
• आखिर क्या वजह है कि जो लोग आपको इमेज को बनाने में लगे है, उन्हें साइड कर, ऐसे लोगों से काम लिये जा रहे है, जो आप से पैसे भी ले रहे है और आपकी इमेज का बंटाधार कर रहे है।
भाई सरकार आपका, अधिकारी आपके, जवाब मांगिये...
पर कनफूंकवे, आपको सच बतायेंगे...
उत्तर होगा – नहीं, कभी नहीं।
इन्होंने पिछले तीन महीनों से एक भी होर्डिंग डिजाइन्स विभागीय वेबसाइट पर नहीं डलवाये है, जिसके कारण राज्य के विभिन्न जिलों में एक भी विभागीय होर्डिग्स जो राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे विकासात्मक कार्य की जानकारी जनता को देते है, राज्य के किसी भी जिले में नहीं दिखाई पड़ रहे है...
एक जिला जनसम्पर्क अधिकारी ने निदेशक को याद दिलाया है, वे इस ओर ध्यान दें, आश्चर्य है कि निदेशक ने स्वीकार किया है कि यह सत्य है, वे इस ओर ध्यान देते है, पर आज तक इस ओर उनका ध्यान नहीं गया है।
आश्चर्य इस बात की है कि उक्त जिला जनसम्पर्क अधिकारी ने निदेशक को उनके काम याद दिलाये है, पर निदेशक का अभी ज्यादा ध्यान इस ओर न होकर, उन्हें खुश करनेवाले अधिकारियों और संस्थानों पर है, वे इधर आइपीआरडी के एक बदनाम अधिकारी पर इतने खुश है कि सारा काम आइपीआरडी के उस बदनाम अधिकारी को ही सौंप रहे है, नतीजा पूरा विभाग बदनामी की ओर अग्रसर है।
स्थिति ऐसी है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चलानेवाले संस्थान पर, जिस पर गंभीर आरोप वहीं पर कार्यरत महिलासंवादकर्मियों ने लगाया, उसे फिर से देने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। अब केवल टेंडर की औपचारिकता मात्र बाकी है। आपको आश्चर्य होगा कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र उक्त संस्थान को सौपने के लिए निदेशक ने जो आनन-फानन में टेंडर निकलवाये थे, उसे देखकर भी आइपीआरडी में चल रहे गोरखधंधे का पता लग जाता है। जरा ध्यान से देखिये 31 मई 2017 को प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या 21 पर निकाले गये, नीचे कोने में पड़े आईपीआरडी के विज्ञापन को जो जनसंवाद से संबंधित है। जिसमें टेंडर की सारी तिथियां ही समाप्त हो चुकी है और उसे अखबार में प्रकाशित कराया गया। बाद में जब इस पर हंगामा मचा तो जाकर इस संबंध में एक नया विज्ञापन निकाला गया।
अब आप इसी से समझिये कि कनफूंकवों ने कैसे, मुख्यमंत्री रघुवर दास के इमेज को बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरु कर दी है? पर पता नहीं क्यूं मुख्यमंत्री को कनफूंकवों की प्लानिंग ही सर्वाधिक रास आ रही है, नतीजा सामने है...
जरा मुख्यमंत्री जी आपही बताइये...
• जब आपके द्वारा चलाये जा रहे विकासात्मक कार्यों को आपका ही निदेशक आम जनता तक पहुंचाने में रोड़ा अटका दें, तो फिर आपकी इमेज जनता के बीच कैसे बनेगी, वह भी तब जबकि सरकार के इमेज बनाने के लिए ही, सरकार और जनता के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए ही इस विभाग का गठन हुआ और यह विभाग भी आपके ही जिम्मे है, पर वो कौन है कनफूंकवां? जो आपकी इमेज बनाने में पिछले तीन महीने से रोड़ा अटका दिया, आखिर पूछिये आप निदेशक से, वह किसके इशारे पर ऐसा किया और कर रहा है, और अगर वह नहीं बताता है, तो मैं बताने के लिए तैयार हूं।
• पूछिये आप इस निदेशक से कि आखिर किससे इशारे पर 31 मई को गलत विज्ञापन विभिन्न अखबारों में निकाला गया।
• आखिर क्या वजह है कि जो लोग आपको इमेज को बनाने में लगे है, उन्हें साइड कर, ऐसे लोगों से काम लिये जा रहे है, जो आप से पैसे भी ले रहे है और आपकी इमेज का बंटाधार कर रहे है।
भाई सरकार आपका, अधिकारी आपके, जवाब मांगिये...
पर कनफूंकवे, आपको सच बतायेंगे...
उत्तर होगा – नहीं, कभी नहीं।
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