Sunday, March 10, 2013

झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष के लिए भाजपा में घमासान......................................

देश के हर समस्याओं के समाधान का दावा करनेवाली भाजपा, एक प्रदेश अध्यक्ष चुनने में नाकामयाब हैं। झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर घमासान हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने की लाईन में रघुवर दास, रवीन्द्र राय, सुनील सिंह, यदुनाथ पांडेय आदि नेताओं की लंबी लाइन हैं, पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को सूझ ही नहीं रहा कि वे झारखंड की कमान किसके हाथों में सौंपे। इधर झारखंड में भाजपा के स्वंयभू नेता अर्जुन मुंडा परेशान हैं, वो चाहते हैं कि प्रदेश में ऐसा व्यक्ति अध्यक्ष बने, जो उनके इशारों पर नाचे, जैसा कि अभी दिनेशांनद गोस्वामी कर रहे हैं। इसलिए वे रवीन्द्र राय को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। उनको लगता हैं कि रवीन्द्र राय, जो उनके कहने पर प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे, वे आजन्म उनके प्रति वफादार रहेंगे, जैसा कि पूर्व में बाबू लाल मरांडी के प्रति अपनी वफादारी, उन्होंने दिखायी थी, पर स्थिति ऐसी हैं कि अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रवीन्द्र राय के नाम उछलवाने के बावजूद, अर्जुन मुंडा को सफलता नहीं मिल रही। ऐसी स्थिति में, अर्जुन मुंडा ने एक सुनियोजित साजिश के तहत भाजपा विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा देने की घोषणा करवा दी। ये जानते हुए कि ऐसी घोषणा के कोई मायने नहीं, क्योंकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हैं। ऐसे में आप किसी दल के विधायक दल के नेता रहे अथवा नहीं रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता। 
अर्जुन मुंडा भाजपा के तेज व चालाक नेता हैं। किसको कैसे पटाना हैं और कैसे किनारे लगाना हैं, वे इसमें माहिर हैं। जो लोग अर्जुन मुंडा को जानते हैं, वे ये भी जानते हैं कि ये वे ही अर्जुन मुंडा हैं, जो एक समय बाबू लाल मरांडी की गणेश परिक्रमा किया करते थे, और उन्हीं की कृपा से वे मुख्यमंत्री भी बने और जैसे ही ये मुख्यमंत्री बने, उन्होंने बाबू लाल मरांडी को ऐसा परेशान किया कि बाबू लाल ने सदा के लिए भाजपा ही छोड़ दी और ये खंड खंड हो रही भाजपा के अखंड नेता बनकर उभरे। इन्होंने कभी भी देश हित अथवा दल हित में इस्तीफा देने की पेशकश नहीं की, पर जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष की बात आयी और उनकी बातों को नजरंदाज करने की कोशिश की गयी। उन्होंने इस्तीफे का दांव खेला, ताकि लोगों को लगे कि ये व्यक्ति भाजपा का महान कार्यकर्ता हैं, पर चाल तो चाल होती हैं, सभी इस चाल को समझ गये हैं। यानी बात वहीं हैं वो बात हैं कि ये एक बूंद खून बहाकर, शहीद होने की श्रेणी में खड़ा होना चाहते हैं।
सच्चाई ये हैं कि इसी प्रकार की घटिया स्तर की राजनीति के कारण भाजपा पूरी तरह से नष्ट होती जा रही हैं। कोई भी भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बने या खुद अर्जुन मुंडा ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष क्यों न बन जाये, भाजपा पुनः राज्य में प्रतिष्ठित हो जायेगी, ऐसा अब नहीं लगता, क्योंकि पूरे प्रदेश में भाजपा में फिसड्डी नेताओं का आधिपत्य हो गया हैं, जो न चरित्रवान हैं और न ही दल के प्रति समर्पित। ये भी वहीं करते हैं, जैसा कि अन्य दलों के कार्यकर्ता और नेता। जब सभी वहीं करते हैं और भाजपा भी वहीं कर रही हैं तो ऐसे में लोग भाजपा के साथ क्यों चले। सवाल यहीं बार - बार झारखंड की जनता के मन में घर कर रहा हैं और गर यहीं चलता रहा तो भाजपा के लाश पर चढ़कर अन्य पार्टियां यहां शासन करने लगे तो इस बात को लेकर किसी को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।

3 comments:

  1. This is true... Hippocracy is the bench mark for being in politics in India. Be it Congress, BJP or Communist parties...
    Krishna ji, the value based politics is a rare thing of the past...

    ReplyDelete
  2. Hamare sabhi rajneta hamare hi bich se aaye hain, koi aasman se nhi tapke hain. Aaj ki rajneeti ka ghatiyapan ka karan jitna rajneta log hain, utna hi aam janta bhi hain. kyunki janta galat chizo k prati sirf chillana aur baten karna hi janti hai, usme sudhar lane ki kosis koi nhi krta.
    Isliye mera manna hai ki sbse pehle hume janta ki mansikta ko badal kr unhe jagruk krna hoga.
    Agar ek bar janta jagruk ho gai to, Jharkhand kya puri desh ki rajneeti sudhar jaegi..............

    ReplyDelete