कभी - कभी भारतीय राजनीतिज्ञों को दिव्य ज्ञान हो जाता हैं और वो इस दिव्य ज्ञान के सहारे एक से एक बयान दे देते हैं। इन बयान देनेवालों की सर्वाधिक संख्या गर किसी पार्टी में हैं तो वो हैं - कांग्रेस पार्टी। झारखंड के राज्यपाल सैय्यद अहमद को तो दुनिया के सारे सद्गुण सोनिया गांधी में ही दिखाई पड़ते हैं। दिखाई पड़े भी क्यों नहीं, क्योंकि सोनिया की कृपा से ही तो वे झारखंड में राष्ट्रपति शासन का मजा ले रहे हैं। इसलिए अपने भाषण में गाहे-बगाहे, सोनिया जी की जय-जयकार करते रहते हैं। इधर झारखंड में सर्वाधिक समय देनेवाले और दिलचस्पी रखनेवाले जयराम रमेश ने कुछ ऐसा बयान दे दिया कि यहां के सारे के सारे ब्यूरोक्रेट ही अचंभित हैं। वो भी इसलिए कि इन ब्यूरोक्रेट्स से क्या गलती हो गयी कि जयराम रमेश ने ऐसा बयान दे डाला। झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स तो हरदम, केन्द्र सरकार में शामिल नेताओं व मंत्रियों के आगे नतमस्तक रहते हैं, जो वे काम कहते हैं चाहे उससे झारखंड का कबाडा़ ही क्यों न निकल जाये। वो काम करने में विश्वास रखते हैं। जरा देखिये, जयराम रमेश ने क्या बयान दिया हैं। इन्होंने शनिवार को रांची में एक निजी अस्पताल के कार्यक्रम में अधिकारियों की तुलना खतरनाक जानवर से कर दी। इसके पहले भी जयराम ऐसे-ऐसे बयान दिये हैं, जिससे कांग्रेस के लोग कभी अचंभित हो गये थे। जब उन्होंने यह कह दिया था कि देश में मंदिरों से ज्यादा महत्वपूर्ण शौचालय हैं।
सवाल उठता हैं जयराम रमेश जी के इस बयान पर हम आश्चर्य करे या उनकी मूर्खता पर हम सवाल उठाये। जयराम रमेश ने जो आज उदारतापूर्वक ये बयान दिया। क्या उन्हें ये नहीं पता कि जिन अधिकारियों की तुलना वे खतरनाक जानवर से कर रहे हैं। उन्हें खतरनाक जानवर, इन्हीं के पार्टी के महानुभावों के कुकृत्यों ने बनाया हैं। जब देश की सेवा का दंभ भरनेवाले, घोटालों का कीर्तिमान बनाने का प्रयत्न करेंगे तो ये बेचारे अधिकारी क्या करेंगे, ये भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर, समय की रफ्तार को देखते हुए काम करेंगे। नहीं तो होगा वहीं, मंत्री-नेता मालामाल और ये बेचारे फिसड्डी हो जायेंगे। इसलिए ये अधिकारी मौके का नजाकत समझते हुए, नेताओं के साथ, उनके विचारों के साथ तालमेल बिठाते हुए बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। मैं तो रांची में रहकर कई नेताओं और अधिकारियों को देखा हुं जो सचमुच खतरनाक जानवरों जैसा कुकृत्य कर रहे है। कानून की धज्जियां उड़ाते हुए, इतना धन इकट्टा कर लिया हैं कि अब इन्हें कोई चुनौती देने की ताकत भी नहीं रख सकता। यहीं नहीं राजधानी बनने के बाद रांची में गर सर्वाधिक अपार्टमेंट्स बने हैं या उन अपार्टमेंट्स में सर्वाधिक फ्लैट्स पर कब्जा किसी का जमा हैं तो ये चाहे तो नेता हैं, या मंत्री हैं, या अधिकारी हैं, या पत्रकार। आम जनता यहां कहां हैं। आम जनता तो आज भी राजभवन के समक्ष प्रदर्शन करती हैं कि उनका पैसा कई लोगों ने सब्जबाग दिखाकर लूट लिये हैं, पर होता क्या हैं। सच्चाई तो ये हैं कि नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की टीम ने मिलकर ऐसी लूट मचा रखी हैं कि पूछिये मत। एक उदाहरण देखिये। रांची में संजीवनी बिल्डकॉन ने गोरखधंधा चलाया। पुलिस और ब्यूरोक्रेट्स, नेताओं और मंत्रियों साथ ही साथ राजधानी के वरिष्ठ पत्रकारों के साथ मिलकर गोरखधंधा चलाया। आम जनता की गाढ़ी कमाई को लूटकर वो चलता बना, आखिर वो किसके बल पर किया। कौन लोग उससे उपकृत होते थे. क्या किसी को पता नहीं। हद तो तब हो गयी, जब इस संस्था के मालिक को झारखंड रत्न भी प्रदान कर दिया गया। जहां ऐसे ऐसे घटिया सोच वाले, खतरनाक जानवर सम्मिलित होकर झारखंड को लूट रहे हो, वहां केवल ब्यूरोक्रेट्स को खतरनाक कहना तो सरासर गलत हैं। जयराम रमेश को उदारतापूर्वक ये बयान देना चाहिए था कि झारखंड में ब्यूरोक्रेट्स, नेता, मंत्री, पुलिस और पत्रकार सभी खतरनाक जानवर हैं और इसे बचाने के लिए जयराम रमेश अथवा कांग्रेसियों को जरा भी दुख करने की जरुरत नहीं हैं, क्योंकि उनके इस नकली दुख व्यक्त करने की कला, जनता जानती हैं, बस समय का इंतजार करिये, जनता उठेगी और सब को उचित समय पर जवाब देगी.......................................
Dhan pashu aur janwar to jharkhand aur Bihar mein itne hain ki unki ginti karne se achcha hoga ki ham insaanon ki ginati kar len... Unki ginti to angulion par hi ho sakti hai...Krishna bhai...!
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