Sunday, March 17, 2013

ये भीख मांगने का नया तरीका हैं, बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश का..................................

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने, देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भीख मांगने की नयी तरकीब दिखायी हैं, पर देश के अन्य अविकसित राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली में इस प्रकार की अधिकार रैली कर, भीख मांगना शुरु करेंगे, ऐसा हमें संदेह हैं। भाजपा की वैशाखी पर बिहार का सत्तासुख भोग रहे नीतीश को, भाजपा के ही कई नेता अच्छे नहीं लगते हैं। वे समय - समय पर अपनी गीदड़-भभकी से भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को उनकी औकात बताते रहते हैं, पर वे जानते हैं कि बिना भाजपा की वैशाखी पर टिके वे बिहार में एक दिन भी सत्ता में नहीं रह सकते, इसलिए समय - समय पर भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के आगे झूकने का नौटंकी खूब किया करते हैं। 
हम आपको बता दें कि किसी भी रैली में भीड़ कैसे जुटती हैं या जुटायी जाती हैं, सब को पता हैं। कोई भी काम करनेवाला व्यक्ति जो काम करता हैं, वो अपने काम को नष्ट कर, किसी नेता का भाषण सुनने नहीं जायेगा, क्योंकि वो जानता हैं कि आज का नेता लाल बहादुर शास्त्री या महात्मा गांधी नहीं हैं। बिहार में इस तरह की रैली करने में माहिर लालू यादव, बहुत अच्छी तरह बता सकते हैं कि दिल्ली में हुई नीतीश की रैली में कौन - कौन से हथकंडे अपनाये गये हैं, गर लालू को मौका मिले तो वे नीतीश की अधिकार रैली से भी बड़ी रैली, दिल्ली में कर सबको आश्चर्यचकित कर सकते हैं, क्योंकि लालू ने सत्ता रहते, पटना में कभी रैली की ही नहीं, वे तो रैला किया करते थे।
बिहार की शान और बिहारियों के सम्मान करने की बात करनेवाले नीतीश ये भूल जाते हैं कि अधिकार रैली कर, केन्द्र पर दबाव बनाना, बार - बार पिछड़ों की रट लगाकर भाजपा को आंख दिखाना भी भीख मांगने की शैली हैं। नीतीश को ये भी जान लेना चाहिए कि बिहार से ज्यादा तरक्की सिक्किम और गोवा जैसे प्रांत कर रहे हैं, उन प्रांतों ने कभी भी केन्द्र को आंख नहीं दिखाया और न ही अधिकार रैली करके भीख मांगने में विश्वास किया।
रही बात बिहारियों के सम्मान की या अपमान की तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि अब आतंकी गतिविधियों में लिप्त बिहारी भी खूब दिखाई पड़ रहे हैं। दिल्ली में जो महिला के साथ रेप की घटना हुई तो उसमें एक बिहारी भी था। जब ऐसी - ऐसी घटनाओं में बिहारियों की संलिप्तता होगी तो फिर बिहार को सम्मान कहां से मिलेगा। आज भी गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली या अन्य विकसित अथवा अविकसित प्रांतों में जो बिहारी मिल रहे हैं, जो वहां रहकर अपने बिहार में रह रहे परिवारों को भरण पोषण कर रहे हैं, वो बताता हैं कि बिहारी कितने गैरत वाले हैं। कभी - कभी बिहारियों के खिलाफ विभिन्न प्रांतों में जो गुस्सा दिखता हैं, उसका मूल कारण हैं कि वहां के लोगों को लगता हैं कि ये बिहारी, उनका हक छीन रहे हैं। जब बिहार के राजनीतिज्ञ व सत्ता में शामिल लोग, अपने ही प्रांत के लोगों के साथ कभी दलित तो कभी महादलित, पिछड़ा तो कभी अंत्यत पिछड़ा के नाम पर भेदभाव बरतते हो तो वो प्रांत क्या खाक तरक्की करेगा।
जदयू में तो एक नेता हैं - नरेन्द्र सिंह, उसे तो बात करने की तमीज ही नहीं मालूम। विभिन्न चैनलों में उसके जो भाषण व बाइट दिखाई पड़ते हैं, उससे साफ पता लग जाता हैं कि बिहार में नेताओं की क्या सोच हैं। जदयू के ही  नेता हैं - अनंत सिंह, सुनील पांडे, शिवानंद तिवारी। जिनकी हरकतों से पूरे राज्य की तस्वीर साफ हो जाती हैं। ऐसे - ऐसे नेताओं व मंत्रियों से ये बिहार की सम्मान बढ़ने और बढ़ाने की बात करते हैं। ये वहीं मुख्यमंत्री नीतीश हैं जो लड़कियों के सीने से काले दुपट्टे तक उतरवा लिये, जो महिला शिक्षकों के साथ बदतमीजी में सबसे आगे रहे और बिहार के सम्मान की बात करते हैं।
जिन्होंने दलितों में भी एक और महादलित बना डाला, यानी नरकों में ठेला ठेली की बात करनेवाले को बिहार के विकास की चिंता हैं। जिसने पत्रकारों को अपने पैसों से, विज्ञापन से खरीदकर, नचनियां बना डाला। वे बिहार और बिहारियों की बात करते हैं, इन्हें शर्म भी नहीं आती। जो फूट डालों शासन करो की आधारशिला रखकर, पूरे बिहार के लोगों को बेवकूफ बना डाला। वे बिहार की चिंता करते हैं। जरा पूछिये नीतीश से जब वे रेलमंत्री थे, केन्द्र में बड़े मंत्री थे, गुजरात दंगा, उसी समय हुआ था। उस वक्त वे नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विषवमन क्यों नहीं करते थे, उस वक्त उन्हें मुस्लिम प्रेम क्यूं नहीं जगा था। उन्होंने राम विलास पासवान की तरह केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र क्यो नहीं दिया और आज मुस्लिम प्रेम का ढोंग  इस प्रकार रचते हैं कि पूछिये मत। सचमुच इसने जो बिहार का अपमान किया, आज तक किसी ने नहीं की। अरे इसने तो हद कर दी, महाराष्ट्र जाकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे के इशारों पर ताता थैया  किया, पर शर्म नहीं आती। शर्म आयेगा कैसे, जमीर हो, तब न.............................

1 comment:

  1. Nitish is playing a different type of politics but he does not know that the end of this type of politics is just beginning in this country!

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