14 जुलाई को
प्रभात खबर के प्रथम पृष्ठ पर "हटाये जायेंगे रांची के अवर निबंधक" नाम से
खबर छपी है। इस खबर को लेकर प्रभात खबर ने पिछले दिनों 8 जुलाई को इसी से
संबंधित खबर "हाल रांची रजिस्ट्री कार्यालय का.....हर दिन तीन लाख की
अवैध कमाई" नामक खबर का एक दृष्टांत भी दिया है। इस दृष्टांत के माध्यम से
उक्त अखबार ने अपनी पीठ भी थपथपायी हैं कि देखिये हमारे खबर का असर, कैसे
प्रभात खबर के एक खबर के इशारे पर भूकंप हो जाता हैं, और सरकार में बैठे
अधिकारी, अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए भ्रष्ट अधिकारियों को पल भर में
स्थानांतरण कर देते है।
भाई प्रभात खबर, मेरी ओर से भी तुम्हें बधाई,
क्योंकि सचमुच तुम जो लिखते हो, तो गजब हो जाता हैं। भ्रष्ट अधिकारी के
खिलाफ लिखते हो, तो उक्त भ्रष्ट अधिकारी की शामत आ जाती हैं। तुम्हारी तो
इतनी चलती हैं कि तुम्हारे अखबार में छपी खबरों पर न्यायालय संज्ञान भी
लेता हैं और संज्ञान ही नहीं, उस खबर पर संबंधित विभाग और सरकार के
अधिकारियों पर न्यायालय तल्ख टिप्पणी भी कर देता है। भला ऐसी औकात यहां पर
किस की हैं, जिसकी इतनी चलती हो।
मेरा तो सरकार से अनुरोध हैं कि जब इस
अखबार की इतनी चलती हो, और ये भ्रष्टाचार पर इतना लिखता हैं तो क्या जरुरत
हैं राज्य में एंटी करप्शन ब्यूरो बनाने की। क्यों नहीं, इस अखबार के
संपादक को या उसके मातहत कार्य करनेवाले किसी पत्रकार को इस विभाग की
जिम्मेवारी सौप दी जाये। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम भी कस जायेगा, और सरकार
की किरकिरी भी नहीं होगी। राज्य में राम-राज्य आ जायेगा। ऐसे में न्यायालय
को किसी बात को लेकर संज्ञान लेने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। क्यों कैसी
रहीं............
और अब सवाल हमारा रघुवर सरकार, उसमें शामिल मंत्रियों और राज्य के अधिकारियों से...........
1. क्या राज्य में अखबार तय करेंगे कि कौन सा अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्ट हैं या कौन सा अधिकारी सत्यवादी और कर्तव्यनिष्ठ?
2. क्या जो अखबार ने आज अथवा 8 जूलाई को खबर छापी हैं, उसके पास कोई
प्रमाण हैं?, क्या किसी ने आरोप लगाया? या उक्त अखबार के पास कोई ऐसा
प्रमाण जिससे पता लगता हो कि उक्त कार्यालय के सभी अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्ट
है? (क्योंकि उक्त अखबार ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाये हैं ये कहकर कि
वसूली में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक है शामिल, सभी काम के लिए तय है
रेट, उसने किसी को नहीं छोड़ा है।)
3. गर भ्रष्टाचार में, अधिकारी से
लेकर कर्मचारी तक शामिल हैं, जैसा कि प्रभात खबर ने लिखा है तो फिर सिर्फ
एक अधिकारी को स्थानांतरण की बलि क्यों चढ़ाई जा रही हैं?, पूरे आफिस का ही
कायापलट क्यों नहीं किया जा रहा?
4. इसकी भी क्या गारंटी कि जिस रांची
के अवर निबंधक का स्थानांतरण, राजमहल निबंधन कार्यालय में और राजमहल
निबंधन कार्यालय के अवर निबंधक का स्थानांतरण रांची निबंधन कार्यालय में
किया जाने का प्रस्ताव हैं, ऐसा हो जाने पर रांची निबंधन कार्यालय और
राजमहल निबंधन कार्यालय में यानी दोनों जगह रामराज्य स्थापित हो जायेगा।
5. क्या किसी भी अधिकारी व कर्मचारी का स्थानांतरण कर दिये जाने से वह
व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त रहना छोड़ देता है? गर ऐसा नहीं हैं तो फिर
उसका स्थानांतरण के बजाय, वो जहां हैं, उसे वहीं ठीक करने की जरुरत सरकार
और उसके अधिकारी क्यों नहीं समझते या उसकी किये गलती कि राज्य सरकार के
नियमों व उपनियमों के तहत वहीं दंड क्यों नहीं दिया जाता.....
6. गर
जिस भ्रष्ट व्यक्ति का स्थानांतरण हो रहा हैं और वह व्यक्ति जहां जा रहा
हैं, क्या वहां वह भ्रष्टाचार नहीं फैलायेगा, इसकी क्या गारंटी है?
और इसकी भी क्या गारंटी कि जिस व्यक्ति को उसके स्थान पर लाया जा रहा हैं, वो शत् प्रतिशत दूध का धूला हैं.............
माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दास जी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों......क्या
आपको पता नहीं कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक
जनसभा के दौरान क्या भाषण दिया था, गर आपको नहीं मालूम तो मैं आपको सुना
देता हूं.......उस वक्त के प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार और गुजरात के
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाषण में कहा था कि गुजरात में उनके पास एक
भ्रष्ट अधिकारी के स्थानांतरण की बात आयी, तो उन्होंने कहा कि इसकी क्या
गारंटी कि ये भ्रष्ट अधिकारी जहां इसका स्थानांतरण होगा, वहां जाकर शरीफ हो
जायेगा....अरे गर ये गलत हैं तो दूसरी जगह के लोगों ने कौन सा पाप किया
हैं कि वहां भेजकर ऐसे भ्रष्ट लोगों को बैठा दूं...हम ऐसा क्यों नहीं करते
कि इस भ्रष्ट व्यक्ति को ही, जहां हैं, वहीं ऐसा टाइट कर दें कि वो
भ्रष्टाचार से तौबा कर लें। गुजरात में यहीं तर्ज पर काम शुरु हुआ, उन्हें
खुशी हैं कि सभी अधिकारियों ने गुजरात को बेहतर बनाने में मदद की और
गुजरात, आज गुजरात हैं..............
क्या ये भाषण नरेन्द्र मोदी ने
केवल जनता को सुनाने के लिए कहीं थी, गर ऐसा नहीं तो फिर यहीं बातें रघुवर
दास और उनके मंत्रियों के कानों में क्यों नहीं जाती, गर नहीं जाती तो ये
दुर्भाग्य हैं.............
अरे भाई, कौन ऐसा विभाग हैं, जहां
भ्रष्टाचार नहीं हैं, अरे भ्रष्टाचार तो आजकल सदाचार का ताबीज बन चुका है,
गर हम सबको स्थानांतरण करना शुरु कर देंगे, तो फिर अलग से एक स्थानांतरण
विभाग खोलना पड़ जायेगा..........
मेरा मानना हैं, भ्रष्टाचार से कोई
समझौता नहीं होना चाहिए, प्रमाण मिल जाये, छोड़िये मत, कड़ी से कड़ी सजा
दीजिये, ऐसी सजा दीजिये कि उसे नानी याद आ जाये, पर किसी अखबार के कहने,
लिखने पर नहीं...........
गर आपने ऐसा शुरु किया, तो एक नई परंपरा की
शुरुआत होगी, एक पत्रकार जायेगा और किसी अधिकारी को धमकी देगा कि हम आपके
खिलाफ अनाप-शनाप छापेंगे और आपको यहां से तबादला करा देंगे, फिर क्या होगा,
गर वो ईमानदार अधिकारी भी होगा तो वह ब्लैकमेलिंग का शिकार होगा, क्योंकि
फिर उसे रांची का एटमोस्फेयर, बच्चों की पढ़ाई वगैरह की चिंता होगी और
लीजिये एक नया भ्रष्टाचार का जन्म.....
क्या यहां के नेता और मंत्री
नहीं जानते, कि यहां किस तरह की पत्रकारिता हो रही हैं, पत्रकारिता के नाम
पर किस प्रकार की दलाली हो रही हैं.....गर सब जानते हैं, तो इस प्रकार की
दलाली को भी बंद करने के लिए सरकार पहल करें, क्योंकि ये भी भ्रष्टाचार
हैं...............