अरविंद और नरेन्द्र मोदी में बेशर्म कौन ?
हमारे देश में बेशर्मों की कमी नहीं,
उन्हीं बेशर्मों में से एक है –अरविंद केजरीवाल। ईमानदारी का ढोल पीटकर,
दिल्ली की 70 सीटों में से 67 सीटों पर कब्जा कर लिया और अपने 67 विधायकों
का वेतन 400 फीसदी बढ़ा लिया। क्या अरविंद केजरीवाल बता सकता है? कि उसने
अपने राज्य के कर्मचारियों और कामगारों को 400 फीसदी वेतन बढ़ायी, जैसा कि
खुद के लिए कर लिया...उत्तर होगा नहीं। क्या दिल्ली में आम आदमी की हैसियत
बढ़ी? अगर नहीं बढ़ी तो फिर अरविंद केजरीवाल किस हैसियत से अपना और अपने
मातहतों विधायकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए स्वयं के वेतन में
अप्रत्याशित वृद्धि कर ली।
यह है 100 प्रतिशत सत्ता का चरित्र...सत्ता
खुद को ईमानदार घोषित करने से मिलती है और जब सत्ता मिल जाये तो अपने
परिवारों और अपने शुभचिंतकों का ख्याल रखों, जनता जाये भाड़ में....और मजाक
उड़ाओ, उनका जो कभी तुम्हारा मजाक उड़ाया करते थे, ये कहकर कि रह गये न...
ये है हमारे देश के नये – नये नेता अरविंद केजरीवाल, कभी बोलता था कि उसकी
पार्टी आम आदमी की पार्टी है, इसलिए पार्टी का नाम रखा – आम आदमी पार्टी।
जरा पूछो अरविंद केजरीवाल से कि क्या आम आदमी की सैलरी उतनी है?, जितनी
उसकी है...क्योंकि वो तो आम आदमी का नेता है...
जब कथनी और करनी में
अंतर होता है, तभी भ्रष्टाचार का जन्म होता है। भ्रष्टाचार केवल धन लोलुपता
ही नहीं, भ्रष्टाचार आचरण की मर्यादा को तोड़ना भी है, पर हम ऐसे
घटियास्तर के नेताओं से उसकी आचरण की मर्यादा के बारे में भी बात नहीं कर
सकते, क्योंकि ज्यादा दिनों की बात नहीं है, वो हाल ही में भ्रष्टाचार
शिरोमणि सजायाफ्ता लालू प्रसाद के भी गले मिल चुका है, शायद वो दिखलाना
चाहता हो कि लालू तुम क्या जानते हो? भ्रष्टाचार में हम तुम्हारे भी बाप
सिद्ध होंगे। सत्ता का स्वाद भी चखेंगे, खूब पैसे भी कमायेंगे, जनता को
लूटेंगे भी, फिर आनन्द से उपर भी जायेंगे और बाद में दिल्ली या देश की
सड़कों पर अपनी मूर्ति बनवाकर सदा के लिए खुद को पूजवायेंगे भी...
लेकिन इस के विपरीत सत्ता में ही रहकर सत्ता का सुख लेने से वंचित त्रिपुरा
के मुख्यमंत्री माणिक सरकार को देखिये, इन सबसे अलग उन्हें क्या करना है?,
वे करते जा रहे है?
ठीक उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को
देखिये, उनके उपर लगातार छीटाकशीं व हमले जारी हैं, पर इनसे बेफिक्र, वे
देश सेवा में लगे है, हालांकि नरेन्द्र मोदी की सत्ता जल्द समाप्त हो, इसके
लिए तो कांग्रेस के कई नेता पाकिस्तान जाकर नवाज शरीफ के तलवे तक चाट चूके
है, ऐसे –ऐसे बयान दिये है, जिसे पढ़ व सुनकर शर्म महसूस होती है कि ऐसे
नेता इस भारत में ही क्यों पैदा होते है?, अन्य जगहों पर क्यों नहीं? कुछ
दिनों पूर्व, एक कांग्रेसी ने नेपाल संकट पर जो बयान दिया, उस बयान से एक
बात फिर पुष्ट हो गयी कि कांग्रेस सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है, पर
फिलहाल उसका वश नहीं चल रहा...
दूसरी ओर जरा अरविंद केजरीवाल का
बड़बोलापन देखिये, अपने प्रधानमंत्री का किस प्रकार मजाक उड़ाते
है...विधानसभा में अपने मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में 400 फीसदी का
इजाफा करनेवाले अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर उनकी
सैलरी को लेकर उनका मजाक उड़ाया था। कहा था कि ओबामा यदि मोदी से उनकी
सैलरी पूछेंगे, तो क्या बतायेंगे कि उन्हें 1.60 लाख रुपये मिलते है। मोदी
जी को अपनी सैलरी बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक कर लेनी चाहिए...पर शायद अरविंद
केजरीवाल और उनके पिछलग्गूओं को पता नहीं कि...
देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्तित्व कहीं नहीं...
अरविंद जान लो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में और उनके वेतन के बारे में...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ज्यादातर सैलरी दान कर देते है।
गुजरात के सीएम थे, तब भी ऐसा ही करते थे।
गुजरात से दिल्ली चले, तो 21 लाख रुपये गुजरात की बेटियों के नाम कर दिया, ताकि वह पढ़े और आगे बढ़े।
इस महीने की तनख्वाह चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए देंगे।
मई में अपने हिस्से की सैलरी नेपाल पीड़ितों के नाम की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टेक होम सैलरी भूतपूर्व प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह से भी कम है। मनमोहन सिंह की टेक होम सैलरी करीब 48,000 रुपये
होती थी।
अब निर्णय जनता करें...
कि बेशर्म और बदतमीज कौन है?
अरविंद केजरीवाल या नरेन्द्र मोदी?