Thursday, December 8, 2016

प्रधानमंत्री के निर्णयों का बेवजह विरोध सहीं नहीं.........

हाहाहाहाहाहा...
सावन का महीना था...
बादल बरस रहे थे...
तभी बिजली गिरी और एक का घर ढह गया, एक व्यक्ति मर गया...तभी किसी ने चिल्लाया कि हमारा प्रकृति या भगवान से अनुरोध है कि पानी बरसाना बंद करें, क्योंकि जब भी बारिश होती है, बिजली कड़कती है, किसी का मकान ढह जाता है, कोई व्यक्ति मर जाता है, इसलिए पानी बरसना बंद हो जाना चाहिए...
हाहाहाहाहाहा...
गंगा बहती रहती है, उसमें कई लोग डूब कर मर जाते है, तभी एक ने चिल्लाया, ये गंगा क्यों बहती है?, लोग इसमें डूब कर मर जाते है, सरकार को चाहिए कि गंगा को बहने पर रोक लगा दें...
हाहाहाहाहाहाहा...
एक बार, एक पेड़ एक इंसान पर गिर गया, इंसान मर गया...तभी एक ने चिल्लाया ये पेड़ पूरी तरह से काट देने चाहिए क्योंकि बड़े - बड़े पेड़ कहीं भी गिर जाते है, जिससे जन-धन की हानि होती है...
ठीक उसी प्रकार से, जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया है, तभी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस अभियान की हवा निकालने के लिए देश के मूर्धन्य नेताओं और उनके समर्थकों की फौज बेसिरपैर की बातें करने लगे है। भारत में तो देखता हूं कि एक संप्रदाय ऐसा है कि उसे नरेन्द्र मोदी की हर बात में ही गड़बड़ी लगती है, चाहे वो देशहित में ही क्यों न हो? वो नरेन्द्र मोदी की हर बात की काट निकालने को तैयार रहता है, जबकि लोकतंत्र में हर बात को कसौटी पर खड़ा रखकर बाते करनी चाहिए, पर क्या करें? हमें नरेन्द्र मोदी को गाली देनी है तो गाली देंगे। फेसबुक पर ऐसे लोगों की एक बड़ी जमात है, जो नोटबंदी की हवा निकालने के लिए बेसिरपैर की बात करते है, जबकि वहीं लोगों को देखता हूं कि भाजपा नेताओं के आगे गणेश परिक्रमा भी करते नजर आते है। उनके इस चरित्र को देख हम भी आश्चर्य करते है कि ऐसा संभव कैसे है?, पर क्या करें?, ऐसा मैं देख रहा हूं।
ठीक इसी प्रकार जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी का समर्थन किया पर उन्हीं के पार्टी के कुछ लोगों, खासकर काला धन रखनेवालों की टीम नरेन्द्र मोदी के इस अभियान की हवा निकालने में लगी है, यहीं नहीं उन पत्रकारों की भी नींद हराम हो गयी है, जो निरंतर पेड न्यूज में दिलचस्पी रखते हुए ब्लैक मनी इकट्ठा करते थे, इनकी भी नींद उड़ गयी है, वे भी अनाप-शनाप बोलकर नरेन्द्र मोदी को गरिया रहे है। इन सारे लोगों के लिए ममता बनर्जी और अरविंद केजरीबाल भगवान हो गये है, और आज के हालात में नीतीश कुमार की आलोचना करने से भी नहीं चूक रहे...
आजकल ये भी देख रहा हूं कि जो लोग नरेन्द्र मोदी की बातों का समर्थन करते है, उन्हें ये मोदी विरोधी भक्त कहकर गरियाते है, पर जब इन मोदी विरोधियों को जब कोई सटीक जवाब देता है, तो उनकी घिग्घी बंद हो जाती है।
मैं तो देख रहा हूं कि स्थिति ठीक उसी प्रकार की है, जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कम्प्यूटर क्रांति का श्रीगणेश किया था, तब उनका भी विरोध इसी प्रकार हुआ था।
मैं कहता हूं कि डिजिटल होने में जाता क्या है? हम पैसे कहां से लाते है, और कहां खर्च करते है?, इसकी जानकारी सरकार को क्यों नहीं होनी चाहिए?, हम जितना कमाते है, उतनी ही ईमानदारी से टैक्स क्यूं नहीं चुकाना चाहिए? केवल आयकर के डर से, ये सारी नौटंकियां और मोदी का विरोध कभी सहीं नहीं ठहराया जा सकता। देश को ईमानदार बनाना है, तो ऐसे एक्शन बहुत पहले लिये जाने चाहिए थे, पर देर से ही सही, किसी ने उठाया तो उसका समर्थन भी करना चाहिए।
ऐसे भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 50 दिन मांगा, 50 दिन देने में जाता क्या है? इतना सहा, थोड़ा और सहें, गलत होंगे तो उनका भी विरोध किया जायेगा, ऐसा थोड़े ही है कि यहां राजतंत्र है, गलत करेंगे, सत्ता से हटायेंगे और फिर एक नया जनादेश देंगे, पर थोड़ा देखे तो कि इस नोटबंदी का क्या असर होने जा रहा है, बेवजह का विरोध किसी भी प्रकार से सहीं नहीं ठहराया जा सकता...

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