हमें हंसी आती है, जब चोर और डाकू ये कहें कि चोरी करना बहुत बुरी बात है, डकैती करने से देश और समाज का नुकसान होता है...
हमें हंसी आती है, जब चरित्रहीन लोग, सभी से आह्वान करते है कि सभी को चरित्रवान होना चाहिए...
ये मैं इसलिए लिख रहा हूं कि आजकल पत्रकारिता की आड़ में, स्वयं को समाज में गलत ढंग से प्रतिष्ठित करनेवाले और जनता की पैसों से ऐश करनेवाले आज देश को आह्वान कर रहे है कि सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाये राजनीतिक दलों को...
मैं कहता हूं कि ऐसा आह्वान करनेवाले पहले स्वयं चरित्रवान बनकर, स्वयं को प्रतिष्ठित करें और उसके बाद ऐसा आह्वान करें तो उसका असर भी दिखेगा, नहीं तो वे जनता को जो मूर्ख समझने की कोशिश कर रहे है, वे भूल कर रहे है... हां इस प्रकार के आयोजन कर खुद को तसल्ली देने और बड़ा बनने का ऐहसास कराने का ढोंग करना हो तो चल सकता है...
आजकल मैं देख रहा हूं कि कुछ लोग एनजीओ खोलकर, अपनी चालाकी को महिमामंडित करने की कोशिश कर रहे है...
यानी सेमिनार-संगोष्ठियों के नाम पर होटल बुक करो-कराओ, एनजीओ के नाम पर फंडिग करो, अखबार और चैनल में न्यूज छपवाओ और प्रसारित करवाओ और जिनको कोई काम नहीं है, उनको ऐसे कामों से जोड़कर बतकुचन और झलकुटन कराओ...
और लो काम हो गया...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की कृपा पाकर कौन व्यक्ति सूचना आयुक्त बना...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की कृपा पाकर आज कौन व्यक्ति सूचना आयुक्त बना है...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के शासन काल में कौन उनका सलाहकार सूचना आयुक्त बनने जा रहा था, जिसकी बैंड प्रभात खबर के तत्कालीन प्रधान संपादक एवं वर्तमान मे जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद हरिवंश ने बहुत अच्छी तरह बजा दी थी, हालांकि सांसद हरिवंश महोदय ने भी अखबारों में खुब चरित्र की बातें कर, बाद में नीतीश भक्ति में ऐसे लीन हुए कि नीतीश भक्ति में लीन होने के कारण, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें प्रसाद के रूप में राज्यसभा का सीट प्रदान किया...
कमाल है, खूब दिये जा रहे है, राजनीतिक दलों पर अंगूलियां उठा रहे है...
अरे सबसे पहले स्वयं सुधरो तब दूसरे को सुधारो...
वो फिल्म “रोटी” के गाने का वो अंतरा नहीं सुना क्या...
“पहले अपना मन साफ करो रे, फिर औरों का इंसाफ करो”
“लेकिन जो पापी न हो वो, पहला पत्थर मारे”
हमें हंसी आती है, जब चरित्रहीन लोग, सभी से आह्वान करते है कि सभी को चरित्रवान होना चाहिए...
ये मैं इसलिए लिख रहा हूं कि आजकल पत्रकारिता की आड़ में, स्वयं को समाज में गलत ढंग से प्रतिष्ठित करनेवाले और जनता की पैसों से ऐश करनेवाले आज देश को आह्वान कर रहे है कि सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाये राजनीतिक दलों को...
मैं कहता हूं कि ऐसा आह्वान करनेवाले पहले स्वयं चरित्रवान बनकर, स्वयं को प्रतिष्ठित करें और उसके बाद ऐसा आह्वान करें तो उसका असर भी दिखेगा, नहीं तो वे जनता को जो मूर्ख समझने की कोशिश कर रहे है, वे भूल कर रहे है... हां इस प्रकार के आयोजन कर खुद को तसल्ली देने और बड़ा बनने का ऐहसास कराने का ढोंग करना हो तो चल सकता है...
आजकल मैं देख रहा हूं कि कुछ लोग एनजीओ खोलकर, अपनी चालाकी को महिमामंडित करने की कोशिश कर रहे है...
यानी सेमिनार-संगोष्ठियों के नाम पर होटल बुक करो-कराओ, एनजीओ के नाम पर फंडिग करो, अखबार और चैनल में न्यूज छपवाओ और प्रसारित करवाओ और जिनको कोई काम नहीं है, उनको ऐसे कामों से जोड़कर बतकुचन और झलकुटन कराओ...
और लो काम हो गया...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की कृपा पाकर कौन व्यक्ति सूचना आयुक्त बना...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की कृपा पाकर आज कौन व्यक्ति सूचना आयुक्त बना है...
अरे कौन नहीं जानता कि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के शासन काल में कौन उनका सलाहकार सूचना आयुक्त बनने जा रहा था, जिसकी बैंड प्रभात खबर के तत्कालीन प्रधान संपादक एवं वर्तमान मे जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद हरिवंश ने बहुत अच्छी तरह बजा दी थी, हालांकि सांसद हरिवंश महोदय ने भी अखबारों में खुब चरित्र की बातें कर, बाद में नीतीश भक्ति में ऐसे लीन हुए कि नीतीश भक्ति में लीन होने के कारण, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें प्रसाद के रूप में राज्यसभा का सीट प्रदान किया...
कमाल है, खूब दिये जा रहे है, राजनीतिक दलों पर अंगूलियां उठा रहे है...
अरे सबसे पहले स्वयं सुधरो तब दूसरे को सुधारो...
वो फिल्म “रोटी” के गाने का वो अंतरा नहीं सुना क्या...
“पहले अपना मन साफ करो रे, फिर औरों का इंसाफ करो”
“लेकिन जो पापी न हो वो, पहला पत्थर मारे”
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