ये हाथी कभी नहीं उड़ेगा, चाहे धौनी जितना भी उड़ाने का प्रचार क्यों न कर
लें... धौनी चाहे जिस भी मिट्टी के बने हो, पर हमारा हिन्दुस्तान और
हिन्दुस्तान की महक के रुप में जाना जानेवाला झारखण्ड अंधविश्वास को बढ़ावा
देना नहीं जानता और न ही ऐसे सपने देखता है, जो सपने कभी पूरे ही न हो...
झारखण्ड बढ़ेगा, अवश्य बढ़ेगा पर पंखों वाला हाथी से नहीं, बल्कि झारखण्ड के करोड़ों मेहनतकश-मजदूरों और उनके मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों से... न कि परछाइयों के शहरों में रहनेवालों से...
धौनी कल क्रिकेट खेलते थे, बाद में विज्ञापनों से खेलने लगे, एक मोटरसाइकिल का प्रचार करते थे, कहते थे मैं तो दूध पीता हूं, ये तो कुछ भी नहीं पीता, फिर भी दौड़ता रहता है... बाद में हमारे धौनी दारु का भी प्रचार करने लगे, उस दारु का, जिसका प्रचार आज तक क्रिकेट के भगवान माने जानेवाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने नहीं किया...
ऐसे धौनी को राज्य सरकार ने मोमेंटम झारखण्ड का ब्रांड एंबेसडर बनाया है, इसका फायदा राज्य सरकार को कितना मिलेगा, ये तो वक्त बतायेगा, पर राज्य को नुकसान होना तय है... हम तो एक ही बात जानते है, कि गांधी ने ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना की थी... बार-बार गांधी की बात करनेवाली सरकार, उनके 150 वीं जयंती पर स्वच्छता अभियान की बात करनेवाली सरकार, उनके मूल वक्तव्य ग्राम स्वराज्य से भटक रही है और जिन विदेशियों को गांधी ने देश से बाहर किया, उन विदेशियों को पुनः भारत में लाने का हर प्रकार का नौटंकी कर रही है... जिसमें केन्द्र से लेकर राज्य सरकार भी शामिल है... संघ जिसकी राजनीतिक इकाई भाजपा है, वह भी इस हथकंडे से तौबा करती है, और ग्राम स्वराज्य-स्वदेशी की परिकल्पना को साकार करने की बात करती है, पर इन सबसे दूर, राज्य और केन्द्र सरकार ने पूंजी निवेश के नये तरीके ईजाद कर स्थिति ऐसी कर दी है जैसे लगता है कि बिना पूंजी निवेश के राज्य व देश आगे बढ़ ही नहीं सकता...
क्या ऐसे हालात में आप धौनी के इस अपील को स्वीकार करेंगे कि - " ये हाथी उड़ेगा, और झारखण्ड इंडिया का नंबर वन इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनेगा। अब सवाल ये है क्या आप हमारे साथ होंगे?" मैं तो भाई, साफ-साफ कह देता हूं कि धौनी के इस बयान के साथ मैं तो नहीं हूं, क्योंकि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि हाथी उड़ता नहीं है...
झारखण्ड बढ़ेगा, अवश्य बढ़ेगा पर पंखों वाला हाथी से नहीं, बल्कि झारखण्ड के करोड़ों मेहनतकश-मजदूरों और उनके मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों से... न कि परछाइयों के शहरों में रहनेवालों से...
धौनी कल क्रिकेट खेलते थे, बाद में विज्ञापनों से खेलने लगे, एक मोटरसाइकिल का प्रचार करते थे, कहते थे मैं तो दूध पीता हूं, ये तो कुछ भी नहीं पीता, फिर भी दौड़ता रहता है... बाद में हमारे धौनी दारु का भी प्रचार करने लगे, उस दारु का, जिसका प्रचार आज तक क्रिकेट के भगवान माने जानेवाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने नहीं किया...
ऐसे धौनी को राज्य सरकार ने मोमेंटम झारखण्ड का ब्रांड एंबेसडर बनाया है, इसका फायदा राज्य सरकार को कितना मिलेगा, ये तो वक्त बतायेगा, पर राज्य को नुकसान होना तय है... हम तो एक ही बात जानते है, कि गांधी ने ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना की थी... बार-बार गांधी की बात करनेवाली सरकार, उनके 150 वीं जयंती पर स्वच्छता अभियान की बात करनेवाली सरकार, उनके मूल वक्तव्य ग्राम स्वराज्य से भटक रही है और जिन विदेशियों को गांधी ने देश से बाहर किया, उन विदेशियों को पुनः भारत में लाने का हर प्रकार का नौटंकी कर रही है... जिसमें केन्द्र से लेकर राज्य सरकार भी शामिल है... संघ जिसकी राजनीतिक इकाई भाजपा है, वह भी इस हथकंडे से तौबा करती है, और ग्राम स्वराज्य-स्वदेशी की परिकल्पना को साकार करने की बात करती है, पर इन सबसे दूर, राज्य और केन्द्र सरकार ने पूंजी निवेश के नये तरीके ईजाद कर स्थिति ऐसी कर दी है जैसे लगता है कि बिना पूंजी निवेश के राज्य व देश आगे बढ़ ही नहीं सकता...
क्या ऐसे हालात में आप धौनी के इस अपील को स्वीकार करेंगे कि - " ये हाथी उड़ेगा, और झारखण्ड इंडिया का नंबर वन इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनेगा। अब सवाल ये है क्या आप हमारे साथ होंगे?" मैं तो भाई, साफ-साफ कह देता हूं कि धौनी के इस बयान के साथ मैं तो नहीं हूं, क्योंकि मैं अच्छी तरह जानता हूं कि हाथी उड़ता नहीं है...
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