धिक्कार...
रांची की मीडिया को जिन्होंने रांची की बेटियों की आवाज सुनने से इनकार कर दिया...
धिक्कार उस सरकार को जिसे पता ही नहीं कि उनकी बेटियों के संग उन्हीं के नाक के नीचे क्या हो रहा है...
रांची स्थित सूचना भवन में चल रहे मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिलाकर्मियों ने राज्य महिला आयोग को पत्र लिखा है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत वरीय अधिकारियों एवं नियोक्ता के द्वारा उनके साथ बराबर दुर्व्यवहार किया जाता है, अपमानित किया जाता है... इन महिलाकर्मियों ने उक्त पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली, प्रधानमंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री झारखण्ड, राज्यपाल झारखण्ड, मुख्य न्यायाधीश झारखण्ड, मंत्री महिला एवं बाल विकास, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सचिव को भी भेजा है... इन महिलाकर्मियों ने अपने पत्र में लिखा है कि...
क. मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के वरीय अधिकारियों और नियोक्ता का व्यवहार अपने महिला संवादकर्मियों के प्रति बेहद आपत्तिजनक और अशोभनीय होता है।
ख. यहां कार्यरत वरीय अधिकारियों के करतूतों से अखबार के पन्ने रंगे हुए है, पर इन वरीय अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, उदाहरणस्वरुप रांची के सुखदेवनगर थाने में इसी मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत एक महिलाकर्मी द्वारा दर्ज करायी गयी वह प्राथमिकी है, जिसकी सुनवाई भी नहीं हुई और मामले को रफा-दफा करते हुए जिस लड़की ने एफआईआर दर्ज कराया था, उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
ग. जब भी कोई महिलाकर्मी बाथ रुम जाती है, तो उसका पीछा किया जाता है, उनके साथ ऐसी हरकतें की जाती है, जिसका उल्लेख वो इस पत्र में नहीं कर सकती।
घ. यहां के नियोक्ता द्वारा बराबर सामूहिक स्तर पर महिला संवादकर्मियों को अपमानित व प्रताड़ित किया जाता है।
ड. एक ही कार्य के लिए नियुक्त कई महिला संवाद कर्मियों को चेहरे देखकर वेतन का भुगतान किया जाता है, जिसमें किसी को पांच तो किसी को दस हजार वेतन भुगतान किया जाता है।
च. दो वर्ष हो गये पर किसी को भी नियुक्ति पत्र नहीं दी गयी।
छ. हाल ही में एक सप्ताह पूर्व बिना किसी सूचना के संवादकर्मियों का परीक्षा लिया गया, क्या बतायेंगे कि नियोक्ता ने यह परीक्षा किसके कहने पर और क्यों ली?
ज. भारत सरकार का आदेश है, जहां बड़ी संख्या में लड़कियों या महिलाओं का समूह कार्य करता है, वहां आंतरिक शिकायत समिति का होना जरुरी है, जिसका अध्यक्ष वहां कार्यरत वरीय महिलाकर्मी को बनाये जाने का प्रावधान है, पर आज तक सूचना भवन में मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में जहां बड़ी संख्या में लड़कियां कार्य करती है, वहां आंतरिक शिकायत समिति का गठन क्यों नहीं हुआ? ऐसे में लड़कियां किससे शिकायत करेंगी?
और अब सवाल सीधे मुख्यमंत्री रघुवर दास से...
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, क्या आपको याद है कि जब ३ मई २०१६ को रांची के सूचना भवन में जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की पहली वर्षगांठ मनायी जा रही थी, तब जिन लड़कियों ने आपको मिठाई खिलाई थी, जिन्हें आपने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया था, वह मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में आपके इस सम्मान देने के बाद एक महीने भी क्यों नहीं टिक पाई?
क्या आपको याद है कि आपके सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने यहीं पर कार्यरत प्रियंका पल्लवी के बारे में उस दिन आपके समक्ष क्या कहा था? मैं बता देता हूं, उन्होंने कहा था कि ये लड़की बहुत अच्छा काम कर रही है, फिर भी ऐसा क्या हुआ कि उस प्रियंका पल्लवी को एक महीने के अंदर ही बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया गया। हमारे पास एक से एक प्रमाण है, जो बताने के लिए काफी है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, पर आपके अधिकारी इन सारी हरकतों से आंखें मूंदे है, मैं पूछता हूं, आखिर क्यों?
मेरे पास कई प्रमाण है, आइये दिखाता हूं मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की हरकतें। आप कहते कि ७० प्रतिशत शिकायतों का निष्पादन हो गया, यह सफेद झूठ के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं... आकड़ें बिठाकर, दिखाने में आप जो आगे निकलने की कोशिश कर रहे है, वो सहीं नहीं है, सच्चाई कुछ और ही है, ये आंकड़े कैसे बैठाये जा रहे है, वो हम जानते है... अगर ये लड़कियां कह रही है कि आंतरिक शिकायत समिति का गठन अब तक क्यों नहीं की गयी तो गलत क्या है? फिर भी आप कहेंगे कि आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया है, तो मैं आपसे पूछता हूं कि उस महिला का नाम बताइये जो इसका अध्यक्ष बनी और अगर अध्यक्ष बनी है तो कब बनाई गयी?
यहीं नहीं आप जो श्रम कानूनों के सरलीकरण का ढिंढोरा पीटते है कि यहां श्रम सुधारों में झारखण्ड विश्व बैंक के मानकों के आधार पर प्रथम स्थान पर है तो आप ही बताइये कि आप ही के देखरेख में चलनेवाले मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिला संवादकर्मियों को अब तक नियुक्ति पत्र क्यों नहीं मिला?
एक तरह से देखा जाये तो इसके लिए आप भी दोषी है... ये अलग बात है कि आपके खिलाफ कोई नहीं बोलता और वह भी सिर्फ इसलिए कि जो लोग गलत कर रहे है, वे आपसे अनुप्राणित है, अनुप्राणित होनेवाले वे सारे लोग है जो किसी न किसी रुप से आपसे कुछ न कुछ प्राप्त कर रहे है, चाहे प्रत्यक्ष रुप से या अप्रत्यक्ष रुप से। जरा देखिये, यहां के मीडिया को चाहे वह प्रिट हो या इलेक्ट्रानिक मीड़िया, सभी इस समाचार को खा-पका गये, क्योंकि मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा है, क्योंकि मामला विज्ञापन से जुड़ा है, क्योंकि मामला मुख्यमंत्री से पत्रकारों के मधुर संबंधों का है... और ये हरकतें राज्य के लिए शर्मनाक है... अरे जब बेटियां मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में अपमानित महसूस कर रही है तो अन्य जगहों पर इन बेटियों का क्या होता होगा, समझने की जरुरत है, अरे जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिलाओं-बेटियों को सम्मान नहीं, तो हम ये कैसे समझ लें कि बुटी में जिस लड़की की दुष्कर्म के बाद नृशंस हत्या हुई, उसके अपराधियों को पकड़ने में रांची पुलिस सफल हो जायेगी। अरे ये तो सीबीआई को जैसे ही मामला दिया गया, उसी दिन पता चल गया कि यहां की सरकार कैसे और किस प्रकार शासन कर रही है? फिर भी, इतना होने के बावजूद, उन दो लड़कियों को सलाम, जिसने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में हो रहे गड़बड़ियों पर समाज का ध्यान आकृष्ट कराया और अपनी बातें हर जगह पहुंचाने की कोशिश की... ये अलग बात है कि रांची से प्रकाशित करीब सारे अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों ने इनकी आवाज अनसुनी कर दी... इन लड़कियों की आवाज को वे जगह देंगे भी कैसे, जो स्वयं भ्रष्टाचार की गंगोत्री में स्नान कर रहे है, वे क्या किसी की मदद करेंगे?
रांची की मीडिया को जिन्होंने रांची की बेटियों की आवाज सुनने से इनकार कर दिया...
धिक्कार उस सरकार को जिसे पता ही नहीं कि उनकी बेटियों के संग उन्हीं के नाक के नीचे क्या हो रहा है...
रांची स्थित सूचना भवन में चल रहे मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिलाकर्मियों ने राज्य महिला आयोग को पत्र लिखा है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत वरीय अधिकारियों एवं नियोक्ता के द्वारा उनके साथ बराबर दुर्व्यवहार किया जाता है, अपमानित किया जाता है... इन महिलाकर्मियों ने उक्त पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली, प्रधानमंत्री भारत सरकार, मुख्यमंत्री झारखण्ड, राज्यपाल झारखण्ड, मुख्य न्यायाधीश झारखण्ड, मंत्री महिला एवं बाल विकास, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सचिव को भी भेजा है... इन महिलाकर्मियों ने अपने पत्र में लिखा है कि...
क. मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के वरीय अधिकारियों और नियोक्ता का व्यवहार अपने महिला संवादकर्मियों के प्रति बेहद आपत्तिजनक और अशोभनीय होता है।
ख. यहां कार्यरत वरीय अधिकारियों के करतूतों से अखबार के पन्ने रंगे हुए है, पर इन वरीय अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, उदाहरणस्वरुप रांची के सुखदेवनगर थाने में इसी मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत एक महिलाकर्मी द्वारा दर्ज करायी गयी वह प्राथमिकी है, जिसकी सुनवाई भी नहीं हुई और मामले को रफा-दफा करते हुए जिस लड़की ने एफआईआर दर्ज कराया था, उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
ग. जब भी कोई महिलाकर्मी बाथ रुम जाती है, तो उसका पीछा किया जाता है, उनके साथ ऐसी हरकतें की जाती है, जिसका उल्लेख वो इस पत्र में नहीं कर सकती।
घ. यहां के नियोक्ता द्वारा बराबर सामूहिक स्तर पर महिला संवादकर्मियों को अपमानित व प्रताड़ित किया जाता है।
ड. एक ही कार्य के लिए नियुक्त कई महिला संवाद कर्मियों को चेहरे देखकर वेतन का भुगतान किया जाता है, जिसमें किसी को पांच तो किसी को दस हजार वेतन भुगतान किया जाता है।
च. दो वर्ष हो गये पर किसी को भी नियुक्ति पत्र नहीं दी गयी।
छ. हाल ही में एक सप्ताह पूर्व बिना किसी सूचना के संवादकर्मियों का परीक्षा लिया गया, क्या बतायेंगे कि नियोक्ता ने यह परीक्षा किसके कहने पर और क्यों ली?
ज. भारत सरकार का आदेश है, जहां बड़ी संख्या में लड़कियों या महिलाओं का समूह कार्य करता है, वहां आंतरिक शिकायत समिति का होना जरुरी है, जिसका अध्यक्ष वहां कार्यरत वरीय महिलाकर्मी को बनाये जाने का प्रावधान है, पर आज तक सूचना भवन में मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में जहां बड़ी संख्या में लड़कियां कार्य करती है, वहां आंतरिक शिकायत समिति का गठन क्यों नहीं हुआ? ऐसे में लड़कियां किससे शिकायत करेंगी?
और अब सवाल सीधे मुख्यमंत्री रघुवर दास से...
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, क्या आपको याद है कि जब ३ मई २०१६ को रांची के सूचना भवन में जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की पहली वर्षगांठ मनायी जा रही थी, तब जिन लड़कियों ने आपको मिठाई खिलाई थी, जिन्हें आपने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया था, वह मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में आपके इस सम्मान देने के बाद एक महीने भी क्यों नहीं टिक पाई?
क्या आपको याद है कि आपके सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने यहीं पर कार्यरत प्रियंका पल्लवी के बारे में उस दिन आपके समक्ष क्या कहा था? मैं बता देता हूं, उन्होंने कहा था कि ये लड़की बहुत अच्छा काम कर रही है, फिर भी ऐसा क्या हुआ कि उस प्रियंका पल्लवी को एक महीने के अंदर ही बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया गया। हमारे पास एक से एक प्रमाण है, जो बताने के लिए काफी है कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, पर आपके अधिकारी इन सारी हरकतों से आंखें मूंदे है, मैं पूछता हूं, आखिर क्यों?
मेरे पास कई प्रमाण है, आइये दिखाता हूं मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की हरकतें। आप कहते कि ७० प्रतिशत शिकायतों का निष्पादन हो गया, यह सफेद झूठ के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं... आकड़ें बिठाकर, दिखाने में आप जो आगे निकलने की कोशिश कर रहे है, वो सहीं नहीं है, सच्चाई कुछ और ही है, ये आंकड़े कैसे बैठाये जा रहे है, वो हम जानते है... अगर ये लड़कियां कह रही है कि आंतरिक शिकायत समिति का गठन अब तक क्यों नहीं की गयी तो गलत क्या है? फिर भी आप कहेंगे कि आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया है, तो मैं आपसे पूछता हूं कि उस महिला का नाम बताइये जो इसका अध्यक्ष बनी और अगर अध्यक्ष बनी है तो कब बनाई गयी?
यहीं नहीं आप जो श्रम कानूनों के सरलीकरण का ढिंढोरा पीटते है कि यहां श्रम सुधारों में झारखण्ड विश्व बैंक के मानकों के आधार पर प्रथम स्थान पर है तो आप ही बताइये कि आप ही के देखरेख में चलनेवाले मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिला संवादकर्मियों को अब तक नियुक्ति पत्र क्यों नहीं मिला?
एक तरह से देखा जाये तो इसके लिए आप भी दोषी है... ये अलग बात है कि आपके खिलाफ कोई नहीं बोलता और वह भी सिर्फ इसलिए कि जो लोग गलत कर रहे है, वे आपसे अनुप्राणित है, अनुप्राणित होनेवाले वे सारे लोग है जो किसी न किसी रुप से आपसे कुछ न कुछ प्राप्त कर रहे है, चाहे प्रत्यक्ष रुप से या अप्रत्यक्ष रुप से। जरा देखिये, यहां के मीडिया को चाहे वह प्रिट हो या इलेक्ट्रानिक मीड़िया, सभी इस समाचार को खा-पका गये, क्योंकि मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा है, क्योंकि मामला विज्ञापन से जुड़ा है, क्योंकि मामला मुख्यमंत्री से पत्रकारों के मधुर संबंधों का है... और ये हरकतें राज्य के लिए शर्मनाक है... अरे जब बेटियां मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में अपमानित महसूस कर रही है तो अन्य जगहों पर इन बेटियों का क्या होता होगा, समझने की जरुरत है, अरे जब मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत महिलाओं-बेटियों को सम्मान नहीं, तो हम ये कैसे समझ लें कि बुटी में जिस लड़की की दुष्कर्म के बाद नृशंस हत्या हुई, उसके अपराधियों को पकड़ने में रांची पुलिस सफल हो जायेगी। अरे ये तो सीबीआई को जैसे ही मामला दिया गया, उसी दिन पता चल गया कि यहां की सरकार कैसे और किस प्रकार शासन कर रही है? फिर भी, इतना होने के बावजूद, उन दो लड़कियों को सलाम, जिसने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में हो रहे गड़बड़ियों पर समाज का ध्यान आकृष्ट कराया और अपनी बातें हर जगह पहुंचाने की कोशिश की... ये अलग बात है कि रांची से प्रकाशित करीब सारे अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों ने इनकी आवाज अनसुनी कर दी... इन लड़कियों की आवाज को वे जगह देंगे भी कैसे, जो स्वयं भ्रष्टाचार की गंगोत्री में स्नान कर रहे है, वे क्या किसी की मदद करेंगे?
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