विद्रोही,
याद करिये – मनोज कुमार की फिल्म – यादगार उसमें एक गाना हैं –
दो किस्म के नेता होते हैं एक देता हैं, एक पाता हैं
एक देश को लूट के खाता हैं एक देश पे जान गंवाता हैं
एक जिंदा रहकर मरता हैं एक मरकर जीवन पाता हैं
एक मरा तो नामों निशां ही नहीं एक यादगार बन जाता हैं
भगवान करें,
मेरे देश के सब नेता ही बन जाये ऐसे,थोड़े से लाल बहादुर हो,थोड़े से हो नेहरु जैसे
राम न करें, मेरे देश को कोई भी ऐसा नेता मिले जो आप भी डूबे, देश भी डूबे, जनता को भी ले डूबे.......
वोट लिया और खिसक गया, जब कुर्सी से चिपक गया, तो फिर उसके बाद !
एकतारा बोले तुन तुन तुन तुन ---------------------------------------
"ये गाना झारखंड के राजनीतिज्ञों पर फिट बैठती हैं। कुछ महीने पहले संसद में गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने ठीक ही कहा था कि झारखंडी राजनीतिज्ञों को राज चलाना सीखना चाहिए, क्योंकि इन राजनीतिज्ञों ने जो आज झारखंड के हालात कर दिये हैं, वो शर्मनाक ही नहीं बल्कि असहनीय हैं। ये कैसा चरित्र हैं कि राज्य में भाजपा के साथ और केन्द्र में कांग्रेस के आगे नतमस्तक होना, क्या इससे पता नहीं चलता कि झारखंड में राजनीतिज्ञों की कौन सी पौध शासन कर रही हैं, जिसके पास चरित्र नाम की कोई चीज ही नहीं। क्या पुत्र मोह, राज्य की जन सेवा से भी बड़ी चीज हैं, कि एक मुख्यमंत्री जिसे झारखंड की जनता गुरु जी का विशेषण देती हैं, वह गुरु गुरु न बन कर सामान्य पिता की श्रेणी में आ खड़ा हुआ हैं, ऐसे में मैने कभी इन्हें गुरुजी कहकर पुकारा नहीं, इन्हें शिबू जी कहने में ही मुझे आनन्द आता हैं, क्योंकि शिबू से उपर ये उठ भी नहीं पायेंगे । जरा इनका चरित्र देखिये ----विधानसभा चुनाव के पहले, ये आम सभा में कहा करते थे, कि प्रदेश़ में सूखा नहीं, अकाल पड़ा हैं, वो गर सत्ता में आये, तो वे पूरे प्रदेश को अकालग्रस्त क्षेत्र घोषित करायेंगे, पर इन्होंने सत्ता मिलने के बाद क्या किया, सारी जनता के सामने हैं, अकाल तो दूर सूखाग्रस्त क्षेत्र भी घोषित नहीं करा पाये। यहीं नहीं, सदन के बाहर, ये कहते हैं कि नक्सली हमारे भाई – बंधु हैं, पर सदन के अंदर कहते हैं कि नक्सली राष्ट्रद्रोही हैं, कमाल हैं ये विधानसभा चुनाव जीतने की हिम्मत नहीं जूटा पाते, एक खास जगह-इलाके में ही जीत का दावा करते हैं, पर पूरे प्रदेश की जनता पर पकड़ रखने की बात करते हैं, पुत्र मोह में इतने व्याकुल हो जाते हैं कि हेमंत उनका बेटा, उनके ही सामने उनकी ही बनायी पार्टी को हाईजैक कर लेता हैं, और वे कुछ नहीं कर पाते, क्या ऐसा शख्त झारखंड का मुख्यमंत्री बनने या भाग्य विधाता बनने के लायक हैं। विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद, ऐसा लगा कि समय ने जिस प्रकार से शिबू को मुख्यमंत्री पद पर लाकर खड़ा किया, ये कुछ करेंगे, पर इन चार महीनों में क्या किया, यहां की जनता के साथ साथ, शिबू को भी मालूम होना चाहिए । अब भाजपा ने इन्हें सत्ता से बाहर खड़ा कर दिया हैं, हो सकता हैं कि कांग्रेस इन्हें फिर सत्ता में ले आये, क्योंकि कांग्रेस का वर्तमान चरित्र व नरसिंहाराव सरकार बचाने में, शिबू और उनके सहयोगियों का चरित्र किसी से छूपा नहीं हैं सभी ने झारखंड का सत्यानाश करने का जैसे संकल्प ले लिया हैं, इसी ओर इनका काम चल रहा हैं, ऐसे में झारखंड की जनता के सपनों का चीरहरण कर रहे, इन राजनीतिज्ञों को कब शर्म आयेगी, समझ में नहीं आ रहा। भगवान से अब प्रार्थना हैं कि झारखंड में जन्मे इन राजनीतिज्ञों को थोड़ी सदबुद्धि दे ताकि ये जनसेवा का भाव लेकर, कुछ झारखंड का भला करें, नहीं तो भूख और गरीबी से जूझ रहे, इस प्रदेश की जनता बर्बाद हो जायेगी, क्योंकि अतीत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य बनता हैं, फिलहाल वर्तमान कैसा है, सबको मालूम हैं, और झाऱखंड बनने के बाद का अतीत भी हमारे सामने हैं, कोई ज्यादा समय नहीं बीता हैं । कुछ सवाल कांग्रेसियों और झाविमो के नेताओं व विधायकों से, भाजपा ने शिबू से समर्थन वापस ले लिया हैं, इस पर आप जरुर खुश होंगे, संभव हैं, आपके हाथों तक सत्ता का हस्तांतरण भी हो जाये, पर क्या आप ऐसी स्थिति में झारखंड को दिशा दें पायेंगे, गर नहीं तो फिर बेमेल समझौते, चरित्रहीन राजनीति को और आगे बढ़ाने पर आमदा क्यों हैं, प्लीज थोड़ा सा शर्म करिये, राजनीतिक परिपक्वता दिखाये, जनहित में, झारखंड हित में कुछ फैसला लीजिये। अच्छा करिये, अपने परिवार, पत्नी और बेटे तक मत सिमटिये, सबके लिये सोचिये, पर आप ऐसा करेंगे, हमें फिलहाल दिखाई नहीं देता, क्योंकि आपके चेहरे भी काफी दागदार हैं।
याद करिये – मनोज कुमार की फिल्म – यादगार उसमें एक गाना हैं –
दो किस्म के नेता होते हैं एक देता हैं, एक पाता हैं
एक देश को लूट के खाता हैं एक देश पे जान गंवाता हैं
एक जिंदा रहकर मरता हैं एक मरकर जीवन पाता हैं
एक मरा तो नामों निशां ही नहीं एक यादगार बन जाता हैं
भगवान करें,
मेरे देश के सब नेता ही बन जाये ऐसे,थोड़े से लाल बहादुर हो,थोड़े से हो नेहरु जैसे
राम न करें, मेरे देश को कोई भी ऐसा नेता मिले जो आप भी डूबे, देश भी डूबे, जनता को भी ले डूबे.......
वोट लिया और खिसक गया, जब कुर्सी से चिपक गया, तो फिर उसके बाद !
एकतारा बोले तुन तुन तुन तुन ---------------------------------------
"ये गाना झारखंड के राजनीतिज्ञों पर फिट बैठती हैं। कुछ महीने पहले संसद में गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने ठीक ही कहा था कि झारखंडी राजनीतिज्ञों को राज चलाना सीखना चाहिए, क्योंकि इन राजनीतिज्ञों ने जो आज झारखंड के हालात कर दिये हैं, वो शर्मनाक ही नहीं बल्कि असहनीय हैं। ये कैसा चरित्र हैं कि राज्य में भाजपा के साथ और केन्द्र में कांग्रेस के आगे नतमस्तक होना, क्या इससे पता नहीं चलता कि झारखंड में राजनीतिज्ञों की कौन सी पौध शासन कर रही हैं, जिसके पास चरित्र नाम की कोई चीज ही नहीं। क्या पुत्र मोह, राज्य की जन सेवा से भी बड़ी चीज हैं, कि एक मुख्यमंत्री जिसे झारखंड की जनता गुरु जी का विशेषण देती हैं, वह गुरु गुरु न बन कर सामान्य पिता की श्रेणी में आ खड़ा हुआ हैं, ऐसे में मैने कभी इन्हें गुरुजी कहकर पुकारा नहीं, इन्हें शिबू जी कहने में ही मुझे आनन्द आता हैं, क्योंकि शिबू से उपर ये उठ भी नहीं पायेंगे । जरा इनका चरित्र देखिये ----विधानसभा चुनाव के पहले, ये आम सभा में कहा करते थे, कि प्रदेश़ में सूखा नहीं, अकाल पड़ा हैं, वो गर सत्ता में आये, तो वे पूरे प्रदेश को अकालग्रस्त क्षेत्र घोषित करायेंगे, पर इन्होंने सत्ता मिलने के बाद क्या किया, सारी जनता के सामने हैं, अकाल तो दूर सूखाग्रस्त क्षेत्र भी घोषित नहीं करा पाये। यहीं नहीं, सदन के बाहर, ये कहते हैं कि नक्सली हमारे भाई – बंधु हैं, पर सदन के अंदर कहते हैं कि नक्सली राष्ट्रद्रोही हैं, कमाल हैं ये विधानसभा चुनाव जीतने की हिम्मत नहीं जूटा पाते, एक खास जगह-इलाके में ही जीत का दावा करते हैं, पर पूरे प्रदेश की जनता पर पकड़ रखने की बात करते हैं, पुत्र मोह में इतने व्याकुल हो जाते हैं कि हेमंत उनका बेटा, उनके ही सामने उनकी ही बनायी पार्टी को हाईजैक कर लेता हैं, और वे कुछ नहीं कर पाते, क्या ऐसा शख्त झारखंड का मुख्यमंत्री बनने या भाग्य विधाता बनने के लायक हैं। विधानसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद, ऐसा लगा कि समय ने जिस प्रकार से शिबू को मुख्यमंत्री पद पर लाकर खड़ा किया, ये कुछ करेंगे, पर इन चार महीनों में क्या किया, यहां की जनता के साथ साथ, शिबू को भी मालूम होना चाहिए । अब भाजपा ने इन्हें सत्ता से बाहर खड़ा कर दिया हैं, हो सकता हैं कि कांग्रेस इन्हें फिर सत्ता में ले आये, क्योंकि कांग्रेस का वर्तमान चरित्र व नरसिंहाराव सरकार बचाने में, शिबू और उनके सहयोगियों का चरित्र किसी से छूपा नहीं हैं सभी ने झारखंड का सत्यानाश करने का जैसे संकल्प ले लिया हैं, इसी ओर इनका काम चल रहा हैं, ऐसे में झारखंड की जनता के सपनों का चीरहरण कर रहे, इन राजनीतिज्ञों को कब शर्म आयेगी, समझ में नहीं आ रहा। भगवान से अब प्रार्थना हैं कि झारखंड में जन्मे इन राजनीतिज्ञों को थोड़ी सदबुद्धि दे ताकि ये जनसेवा का भाव लेकर, कुछ झारखंड का भला करें, नहीं तो भूख और गरीबी से जूझ रहे, इस प्रदेश की जनता बर्बाद हो जायेगी, क्योंकि अतीत से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य बनता हैं, फिलहाल वर्तमान कैसा है, सबको मालूम हैं, और झाऱखंड बनने के बाद का अतीत भी हमारे सामने हैं, कोई ज्यादा समय नहीं बीता हैं । कुछ सवाल कांग्रेसियों और झाविमो के नेताओं व विधायकों से, भाजपा ने शिबू से समर्थन वापस ले लिया हैं, इस पर आप जरुर खुश होंगे, संभव हैं, आपके हाथों तक सत्ता का हस्तांतरण भी हो जाये, पर क्या आप ऐसी स्थिति में झारखंड को दिशा दें पायेंगे, गर नहीं तो फिर बेमेल समझौते, चरित्रहीन राजनीति को और आगे बढ़ाने पर आमदा क्यों हैं, प्लीज थोड़ा सा शर्म करिये, राजनीतिक परिपक्वता दिखाये, जनहित में, झारखंड हित में कुछ फैसला लीजिये। अच्छा करिये, अपने परिवार, पत्नी और बेटे तक मत सिमटिये, सबके लिये सोचिये, पर आप ऐसा करेंगे, हमें फिलहाल दिखाई नहीं देता, क्योंकि आपके चेहरे भी काफी दागदार हैं।
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
ReplyDeleteराम त्यागी
http://meriawaaj-ramtyagi.blogspot.com/
बस जनाब बहुत अच्छी तरह नज़र रखे हैं अपने नेताओं पर। लगे रहिए। इसे कीचड को जितना कुरेदोगे उतना धंसते जाओगे। पर आप हिम्मत करें आखिर इस मंज़र की भी सूरत बदलनी चाहिए।
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित
रवीन्द्र