भगवान बचाए ऐसे टीवी वाले बाबाओं से------- विद्रोही
मै पिछले तीन दिनों से सो नहीं पाया हूँ, इतना बेचैन हूँ की पूछिए मत. आखिर बेचैन क्यों हूँ, आप जानना चाहते होंगे. दरअसल बात ये है की दिल्ली से प्रसारित एक राष्ट्रिय चेंनेल ने १३ मार्च की सुबह एक बाबा को अपने स्टूडियों में बुलाया. बाबा स्वयं को सामान्य मनुष्य बता रहे थे, पर स्टूडियों में बैठा एंकर, उन्हें असामान्य बताने पर तुला था और नीचे चल रही पट्टी बाबा को महा मंडलेश्वर बता रही थी, जो अपने आप में विरोधाभास था. बाबा का दावा था की उन्होंने जो भी अब तक कुछ कहा है, इश्वर की कृपा से सच साबित हुई है, ये बाबा ज्यादातर इसी राष्ट्रिय चेंनेल पर आते है और स्वयम को महिमामंडित करने के लिए ऐसी हाव भाव प्रकट करते है, की प्रथमदृष्टया एक सामान्य व्यक्ति सम्मोहन वश इनकी बातो में आकर वो सब करने लगेगा जो ये, बाबा कहते है.
जरा देखिये, ये बाबा १३ मार्च को क्या कह दिया, १३ मार्च की सुबह -------- बाबा बता रहे थे की मार्गी मंगल अब चलेगा, जो मंगल को खुश कर दिया, शनि उससे खुश हो गए. इसी दरम्यान इस बाबा ने एक राशिफल में बताया की कर्क राशिवालों को ८ किलो उड़द की दाल पानी में बहा देना चाहिए. इससे ये राशिवाले आनंदित हो जायेंगे. पता नहीं ऐसा करनेवाले खुश होंगे या नहीं. पर गर ऐसा लोगों ने करना शुरू किया तो आप सोचिये क्या स्थिति होगी, देश की. ऐसे ही इस बार दलहन का उत्पादन देश में प्रभावित हुआ है जिससे दालों के दाम आकाश को छूने लगे. देश की सरकार इस महंगाई को देख दुसरे देशों से दाल का आयात करने लगी फिर भी दाल का दाम घटने का नाम नहीं ले रहा. आज भी लोगों के थालियों से दाल गायब है, ऐसे में देश के ये राष्ट्रिय चेंनेल ऐसे ऐसे बाबाओं के माध्यम से देश का मान बढ़ा रहे है, या भूखमरी को बढ़ावा देने का काम कर रहे है. क्या ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी करवाई नहीं करनी चाहिए जो अनाजों को भुखमरी और कुपोषण के शिकार लोगो को न देकर ये पानी में बहाने का सन्देश दे रहे है.
मै भी ब्रह्मण घर में जन्म लिया हूँ, ज्योतिषी का ज्ञान मुझे भी है. किस पुस्तक में लिखा है की, अकाल और सूखे से प्रभावित तथा गरीबी से जूझ रहे देश के लोगो को खाने-पिने की अनाजो को पानी में बहा देना चाहिए. क्या देश के किसानों के श्रम से पैदा किया गया अनाज पानी में बहाने के लिए है.
क्या इन बाबाओं और पत्रकारों को मालूम नहीं की अपने देश में एक मन्त्र है जो अनाजों के सम्मान को दर्शाता है ---- अन्नेति परम ब्रह्म. क्या इन बाबाओं और पत्रकारों को वो कहानी मालूम नहीं जब कृष्ण ने द्रौपदी को शाक के माध्यम से अन्न के महत्व को समझाया था. लानत है ऐसी सोच पर जो ८ किलो दाल को पानी में बहा देने की बात करते हो. ऐसे ही बाबाओं - पत्रकारों और चैंनलों ने लगता है की इन्होने देश का सत्यानाश करने के लिए ठेका ले रखा है. इनकी जितनी आलोचना की जाये कम है.
आजकल धर्म के मूल स्वरुप को ये चेंनेल बताने का प्रयास नहीं करते, ये वही बात करते है, जिनमे इनका फायदा दिखाई देता हो. इसके लिए देश में तबाही ही क्यों न हो जाये.
मै पूछता हु की ये बाबा और चेंनेल बता सकते है की इस देश में स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष हुए, जिन्होंने भारतीय धर्म का पताका विदेशो में फहराया. श्री स्वामी प्रभुपाद जिन्होंने हरे कृष्ण आन्दोलन से अपने देश के अध्यातम का लोहा मनवाया. इन्होने कितने किलो अनाज नदी में प्रवाहित करने का सन्देश दिया. गर ये सन्देश ऐसे दिए होते तो इस देश का मान विदेशों में बढ़ा होता. ये छोटी सी बात इन चैन्नेलों और पत्रकारों को क्यों समझ में नहीं आती.
ऐसी ही एक घोर आश्चर्य एक दक्षिण के चैनलों में प्रसारित कार्यक्रम में मैंने देखी. एक जयपुर की महिला ने एक बाबा से पूछा की उसकी बेटी आस्ट्रलिया में है, बड़ी संकट में है, बाबा कुछ उपाय बताये, बाबा ने क्या उत्तर दिया जरा सुनिए --- आप अपनी बेटी को कहे की शुद्ध घी के चार लड्डू बना आस्ट्रलिया के एक हथिनी को खिला दे. अब जरा बाबा को कौन बताये की आस्ट्रलिया में हाथी नहीं कंगारू ज्यादा मिलते है, वो भी न तो हाथी और न कंगारू, दोनों में किसी को लड्डू पसंद नहीं है. अरे जिन्हें लड्डू पसंद है उन्हें तुम लड्डू नहीं देते और जिन्हें पसंद नहीं उन्हें लड्डू जबरदस्ती खिलाते हो, ऐसे में तुम किसी जिन्दगी में ख़ुशी नहीं प्राप्त कर सकते, क्योकि असली इश्वर तो तुम्हारे अंदर बैठा है, उसे क्यों नहीं जानने की कोशिश करते. क्यों घटिया स्तर के बाबाओं और चैनलों के चक्कर में पड़कर अपनी जिन्दगी तबाह करने में लगे हो, अभी भी वक्त है संभल जाओ.
मै पिछले तीन दिनों से सो नहीं पाया हूँ, इतना बेचैन हूँ की पूछिए मत. आखिर बेचैन क्यों हूँ, आप जानना चाहते होंगे. दरअसल बात ये है की दिल्ली से प्रसारित एक राष्ट्रिय चेंनेल ने १३ मार्च की सुबह एक बाबा को अपने स्टूडियों में बुलाया. बाबा स्वयं को सामान्य मनुष्य बता रहे थे, पर स्टूडियों में बैठा एंकर, उन्हें असामान्य बताने पर तुला था और नीचे चल रही पट्टी बाबा को महा मंडलेश्वर बता रही थी, जो अपने आप में विरोधाभास था. बाबा का दावा था की उन्होंने जो भी अब तक कुछ कहा है, इश्वर की कृपा से सच साबित हुई है, ये बाबा ज्यादातर इसी राष्ट्रिय चेंनेल पर आते है और स्वयम को महिमामंडित करने के लिए ऐसी हाव भाव प्रकट करते है, की प्रथमदृष्टया एक सामान्य व्यक्ति सम्मोहन वश इनकी बातो में आकर वो सब करने लगेगा जो ये, बाबा कहते है.
जरा देखिये, ये बाबा १३ मार्च को क्या कह दिया, १३ मार्च की सुबह -------- बाबा बता रहे थे की मार्गी मंगल अब चलेगा, जो मंगल को खुश कर दिया, शनि उससे खुश हो गए. इसी दरम्यान इस बाबा ने एक राशिफल में बताया की कर्क राशिवालों को ८ किलो उड़द की दाल पानी में बहा देना चाहिए. इससे ये राशिवाले आनंदित हो जायेंगे. पता नहीं ऐसा करनेवाले खुश होंगे या नहीं. पर गर ऐसा लोगों ने करना शुरू किया तो आप सोचिये क्या स्थिति होगी, देश की. ऐसे ही इस बार दलहन का उत्पादन देश में प्रभावित हुआ है जिससे दालों के दाम आकाश को छूने लगे. देश की सरकार इस महंगाई को देख दुसरे देशों से दाल का आयात करने लगी फिर भी दाल का दाम घटने का नाम नहीं ले रहा. आज भी लोगों के थालियों से दाल गायब है, ऐसे में देश के ये राष्ट्रिय चेंनेल ऐसे ऐसे बाबाओं के माध्यम से देश का मान बढ़ा रहे है, या भूखमरी को बढ़ावा देने का काम कर रहे है. क्या ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी करवाई नहीं करनी चाहिए जो अनाजों को भुखमरी और कुपोषण के शिकार लोगो को न देकर ये पानी में बहाने का सन्देश दे रहे है.
मै भी ब्रह्मण घर में जन्म लिया हूँ, ज्योतिषी का ज्ञान मुझे भी है. किस पुस्तक में लिखा है की, अकाल और सूखे से प्रभावित तथा गरीबी से जूझ रहे देश के लोगो को खाने-पिने की अनाजो को पानी में बहा देना चाहिए. क्या देश के किसानों के श्रम से पैदा किया गया अनाज पानी में बहाने के लिए है.
क्या इन बाबाओं और पत्रकारों को मालूम नहीं की अपने देश में एक मन्त्र है जो अनाजों के सम्मान को दर्शाता है ---- अन्नेति परम ब्रह्म. क्या इन बाबाओं और पत्रकारों को वो कहानी मालूम नहीं जब कृष्ण ने द्रौपदी को शाक के माध्यम से अन्न के महत्व को समझाया था. लानत है ऐसी सोच पर जो ८ किलो दाल को पानी में बहा देने की बात करते हो. ऐसे ही बाबाओं - पत्रकारों और चैंनलों ने लगता है की इन्होने देश का सत्यानाश करने के लिए ठेका ले रखा है. इनकी जितनी आलोचना की जाये कम है.
आजकल धर्म के मूल स्वरुप को ये चेंनेल बताने का प्रयास नहीं करते, ये वही बात करते है, जिनमे इनका फायदा दिखाई देता हो. इसके लिए देश में तबाही ही क्यों न हो जाये.
मै पूछता हु की ये बाबा और चेंनेल बता सकते है की इस देश में स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष हुए, जिन्होंने भारतीय धर्म का पताका विदेशो में फहराया. श्री स्वामी प्रभुपाद जिन्होंने हरे कृष्ण आन्दोलन से अपने देश के अध्यातम का लोहा मनवाया. इन्होने कितने किलो अनाज नदी में प्रवाहित करने का सन्देश दिया. गर ये सन्देश ऐसे दिए होते तो इस देश का मान विदेशों में बढ़ा होता. ये छोटी सी बात इन चैन्नेलों और पत्रकारों को क्यों समझ में नहीं आती.
ऐसी ही एक घोर आश्चर्य एक दक्षिण के चैनलों में प्रसारित कार्यक्रम में मैंने देखी. एक जयपुर की महिला ने एक बाबा से पूछा की उसकी बेटी आस्ट्रलिया में है, बड़ी संकट में है, बाबा कुछ उपाय बताये, बाबा ने क्या उत्तर दिया जरा सुनिए --- आप अपनी बेटी को कहे की शुद्ध घी के चार लड्डू बना आस्ट्रलिया के एक हथिनी को खिला दे. अब जरा बाबा को कौन बताये की आस्ट्रलिया में हाथी नहीं कंगारू ज्यादा मिलते है, वो भी न तो हाथी और न कंगारू, दोनों में किसी को लड्डू पसंद नहीं है. अरे जिन्हें लड्डू पसंद है उन्हें तुम लड्डू नहीं देते और जिन्हें पसंद नहीं उन्हें लड्डू जबरदस्ती खिलाते हो, ऐसे में तुम किसी जिन्दगी में ख़ुशी नहीं प्राप्त कर सकते, क्योकि असली इश्वर तो तुम्हारे अंदर बैठा है, उसे क्यों नहीं जानने की कोशिश करते. क्यों घटिया स्तर के बाबाओं और चैनलों के चक्कर में पड़कर अपनी जिन्दगी तबाह करने में लगे हो, अभी भी वक्त है संभल जाओ.
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