पाकिस्तान में बनी फिल्म बेदारी से लेकर आज के जमाने में बनी फिल्म खुदा के लिए तक में भारत और भारत में रहनेवाले हिंदुओं के प्रति इतनी ऩफरत क्यों भरी रहती हैं। हमें आज तक समझ में नहीं आया, जबकि जन्म से लेकर आज तक मैंने कोई ऐसी भारतीय फिल्में नहीं देखी या ऐसी भारत में कोई पुस्तकें नहीं देखी या पढ़ी जो पाकिस्तान से नफरत का पाठ पढ़ाती हो। पता नहीं क्यों पाकिस्तानी फिल्मों में भारत और हिंदुओं के प्रति नफरत क्यों भर दी जाती हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत और हिंदुओं का विरोध, वहां फिल्में हिट होने का आधार होती हैं, गर ऐसा हैं तो हम ये कह सकते हैं कि ये ऩफरत पाकिस्तान को और नर्क बना देगा। जरुरत हैं ऩफरत की जगह प्यार का पाठ याद करने और इसे सींचने की। हम अच्छी तरह जानते हैं कि भारत में भी ऐसे लोगों की संख्या हैं जो पाकिस्तान से शत्रुता रखते हैं और पाकिस्तान में भी ऐसे लोग हैं जो भारत से शत्रुता रखते हैं, पर क्या इन दोनों देशों में एक दूसरे से शत्रुता रखनेवालों की संख्या इतनी अधिक हैं, जो प्रेम शब्द को ही मिटा दें। गर प्रेम शब्द ही मिटा दोगे तो काहे का हिंदु और काहे का मुसलमान। तब तो, तुम दोनों से अच्छे तो वो जाहिल हैं, जो मंदिर और मस्जिद दोनों के दरवाजे पर बैठकर, भीख मांगकर, अपनी दुनिया चला रहे होते हो, एक तरह से सीख भी देते हैं कि जिंदगी क्या हैं.........................।
ऩफरत कैसे भरी जा रही हैं -- पाकिस्तान में उसकी बानगी देखिये।
1954 में भारत में एक फिल्म बनी जागृति। जिसके गीत लिखे थे - पं. प्रदीप ने। उनके ये गीत आज भी अमर हैं और भारतीय स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस, सभी में ये खूब गाये और गंवाये जाते हैं। शायद ही कोई भारतीय हो, जो इस दिन इनके गाने न सुन पाये हो। मैं इनके ज्यादातर गीतों को यहां उदाहरण बनाना नहीं चाहता, पर एक गीत का उदाहरण जरुर देना चाहुँगा। एक गाना था जागृति में जिसके अंतरा थे -- आराम के तुम भूल भूलैंया में न भूलों, सपनो के हिंडोंले में मगन होके ना झूलो, अब वक्त आ गया मेंरे हंसते हुए फूलों, उठो छलांग मार के आकाश को छूलो, आकाश को छूलो, तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। इस फिल्म में जिस बालकलाकार ने काम किया था, उसका नाम था रतन कुमार, जो मुस्लिम बाल कलाकार था। बाद में ये पाकिस्तान का रुख किया और इसनें 1957 में बेदारी बनायी, वहां जाकर उसने गीत का क्या पोस्टमार्टम कराया जरा सुनिये -- लेना हैं ये कश्मीर तुम ये बात न भूलो, ये बात न भूलों, कश्मीर में लहराना हैं झंडा उछाल के, इस मुल्क को रखना मेरे बच्चों संभाल के। यहीं नहीं -- दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल के तर्ज पर मो. अली जिन्ना के शान में इसनें गाना गाया -- यू दी हमें आजादी की दूनिया हुई हैरान, ऐ कायदे आजम तेरा अहसान हैं अहसान। इस गीत के माध्यम से गांधी को जिन्ना के सामने बौना और बेवकूफ दिखाने की कोशिश की गयी थी। कहां गांधी और कहां जिन्ना। गांधी आज विश्वव्यापी हो चुके और जिन्ना क्या हैं वो पाकिस्तान के लोग ही बेहतर बता सकते हैं। आज गांधी के जन्मदिवस पर पूरा विश्व 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाता हैं, क्यों मनाता हैं, हमें लगता हैं बताने की जरुरत नहीं। आकाश की ओर हम थूंकेंगे तो वह थूक मेरे उपर ही आकर गिरेगा। ये जान लेना चाहिए। ये उदाहरण इसलिए मैं दे रहा हूं कि एक पं. प्रदीप हैं जो अपने गीतों के माध्यम से अपने बच्चों में संस्कार डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि भारत को कहां ले जाना हैं और पाकिस्तान की सोच देखिये वो सिर्फ कश्मीर पर ही आकर अटक जाता हैं, अरे कश्मीर तक अटकोगे तो कैसे अपने देश को आगे बढ़ाओंगे। पूरी दुनिया में अपना नाम और चरित्र दिखाओ ताकि तुम्हें लोग कहें कि हां एक पाकिस्तान की सोच कुछ विशेष प्रकार का हैं।
यहीं नहीं एक फिल्म देखी तेरे प्यार में, जिसमें पाकिस्तानी अभिनेता एक भारतीय सैनिक के केवल हाथ नहीं मिलाने पर पूरे भारत के हिदुओं पर ही गंदी टिप्पणी करते हुए कहता हैं कि पता नहीं कैसे यहां मुसलमान रहते होंगे, इस दोजख में। क्या एक भारतीय सैनिक किसी पाकिस्तानी नागरिक से हाथ नहीं मिलायेगा तो क्या पूरे देश के सौ करोड़ हिंदु गलत हो गये। इसी तरह इस फिल्म में तिरंगे का अपमान करते हुए दिखाया जाता हैं। और अब बात हाल ही में बनी फिल्म खुदा के लिए में, जिसमें इसी अभिनेता से एक विदेशी अभिनेत्री पूछ रही होती हैं कि पाकिस्तान कहां हैं। ये अभिनेता पाकिस्तान की चौहद्दी बताकर बता रहा होता हैं कि पाकिस्तान कहां हैं, पर जैसे ही वह भारत का नाम लेता हैं। वो विदेशी अभिनेत्री कहती हैं कि ओह इंडिया नेवर, आई लाईक इंडिया, हेयर इज ताजमहल। अभिनेता बोलता हैं कि यू नो, हू मेड ताजमहल। विदेशी अभिनेत्री पूछती हैं - हू। पाकिस्तानी अभिनेता बोलता हैं कि शाहजहां, जस्ट लाईक मी। ही वाज मुस्लिम। देन पाकिस्तान ऐंड इंडिया आर वन। शर्म आती हैं ऐसी सोच पर। शर्म आनी चाहिए, ऐसे संवाद लिखनेवाले लेखक, और फिल्म निर्माताओं पर। क्या एक मुस्लिम होने से सब कुछ ठीक हो जाता हैं और हिंदु हो जाने से सब कुछ गलत हो जाता हैं। ये कुछ उदाहरण हैं जो पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट़ीज में काम करनेवाले लोगों की सोच को दर्शाता हैं और जब ऐसी सोचवाली फिल्में वहां बनेंगी तो वहां का समाज कैसा बनेगा। आप सोच सकते हैं. यहां के बुद्धिजीवियों की कैसी सोच हैं।
ये तो रही फिल्मों की बात, आये दिन पाकिस्तानी समाचार पत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में, तथा विदेशी समाचार जगत में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस प्रकार का अत्याचार होता हैं। पटी रहती हैं। पाकिस्तान में हाल ही में बाढ़ आया और उस बाढ़ में हिंदु बाढ़पीड़ितों को गोमांस परोस दिया गया, जब हिंदु भड़के तो सरकार और सरकार के नुमांइदों ने अपनी गलती स्वीकारी। यहीं नहीं पाकिस्तानी हिंदुओं की बेटियों का अपहरण करना, और उन्हें जबरन मुस्लिम बनाकर, उनसे शादी करना तो वहां आम बात हैं और अगर आपने उसका विरोध किया तो बस हो जाईये, उपर जाने के लिए तैयार। क्योंकि वहां की अदालत भी, आपको ठोकर ही मारेगी। पाकिस्तान में मंदिरों की क्या स्थिति हैं, वहां के अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति हैं, ये जानना हैं तो हाल ही में पर्यटन के नाम पर पाकिस्तान से लौटे सैकड़ों हिदु परिवार जो अब पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते, उनके बयान सुन और पढ़ लीजिये पता लग जायेगा कि आखिर वे अपने वतन क्यों नहीं लौटना चाहते। पाकिस्तान बताये कि उसके देश में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति हैं, अब तक कितने लोग राष्ट्रपति अथवा पाकिस्तान के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे हैं और हम बताते है कि जिन मुसलमानों की वो बात करते हैं और उनके दुख दर्द पर बेवजह चिल्लाते हैं, हम बताते हैं कि भारत में मुसलमानों की क्या स्थिति हैं। हमें तो बताने की जरुरत भी नहीं, पूरा विश्व जानता हैं कि भारत में अल्पसंख्यक किस प्रकार रह रहे हैं। यहां के अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में वृद्धि हो रही हैं, पर पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या में लगातार गिरावट क्यों। कमाल हैं चलनी दूसे, सूप के, जिन्हें बहतर छेद।
पाकिस्तान के लोगों को जान लेना चाहिए कि नफरत से नफरत बढ़ती हैं, प्यार की सीख, सर्वाधिक जरुरी हैं। इसलिए प्यार करना सीखे और सीखाएँ, और भारत से ज्यादा प्यार करें, क्योंकि हम आपके सर्वाधिक निकट हैं, हमारे पुरखे और आपके पुरखे एक ही हैं, वेवजह खून की नदियां बहाने का ख्वाब पालकर कोई आप तीस मारखां या हम तीसमारखां नहीं बन जायेंगे।
और अगर आप ये सोचते हैं कि पूरे पाकिस्तान से हिंदुओं को मिटाकर या अल्पसंख्यकों का नामोनिसां मिटाकर आप महान बन जायेंगे तो ये आपकी सोच, आपको मुबारक। नफरत की आंधी में जन्म लेकर, आपने क्या पाया। आपने कभी सोचा। हमने क्या गंवाया और हमें क्या मिला, आपने सोचा, नहीं सोचा और आप सोचना भी नहीं चाहते, क्योंकि बस आपको तो हिंदुओं से नफरत हैं। हिंदुओं को गला काटने, उन्हें जबरत धर्मांतरण कराने, उनके बहु-बेटियों को बलात, अपहरण करने और उन्हें बलात्कार करने में बड़ा मजा आता हैं। वे भी बेचारे हिंदु क्या करेंगे, अदालत जायेंगे, कोई मुल्ला मौलवी आयेगा, बोल देगा कि वो तो अल्पसंख्यक थी, हिंदू थी। वो मुसलमान बना दी गयी, अदालत भी चुप। क्या बनाया हैं आपने पाकिस्तान को। ये मै इसलिए नहीं कह रहा हूं कि किसी ने हमें बोल दिया। अरे जनाब, दुनिया इंटरनेट की जगह पर बहुत छोटी हो गयी हैं। आप ही के यहां का आजाद चैनल और जियो चैनल में जो बहस होती हैं, और वो बहस कोई शख्स यू टूयब पर डाल देता हैं, मैं देख कर प्रतिक्रिया दे रहा हूं। आपके जिन्ना और अल्लामा इकबाल ने पाकिस्तान बनाया था, वो भी धर्मनिरपेक्ष और आपने उनकी मौत के बाद, वहां का राष्ट्रीय धर्म ही बना डाला - इस्लाम। और इस्लाम के नाम पर खुदा के नाम पर, आपने जो किया या कर रहे हैं, वो तो जियो के निर्माताओं ने फिल्म खुदा के लिए में दिखा ही दिया, कि आप किस पाकिस्तान में जी रहे हैं और अपने पाकिस्तान को कहां ले जाना चाहते हैं। पर मैं अपने हिंदुस्तान को वो हिंदुस्तान बनाना चाहता हूं, जहां सारे मजहब के लोग मिलकर रहे, खुश रहे, किसी को किसी से वैर न रहे। हमारे यहां भी कुछ सिरफिरे हैं, पर उनके लिए कानून अपना काम कर रहा हैं, उन्हें सजा भी मिलती हैं। सजा मिल भी रही हैं। ऐसा नहीं कि कोई पंडित या मुल्ला कह देगा तो कानून अपना काम करना बंद कर देगा। जो सपने हमारे पूर्वजों और देशभक्त नेताओं ने देखे हैं हमें खुशी हैं कि चाहे हमारे यहां किसी की सरकार आये, हिम्मत नहीं कि धर्मनिरपेक्षता की दीवार को दरकाने की कोशिश करे।
और अब आप हमसे 14 अगस्त 1947 को अलग हो गये, हमसे अलग होकर आपको क्या मिला और हमें क्या मिला, जरा गौर फरमाये ----------------
क. आपके यहां लोकतंत्र हमेशा मरता हैं और कभी - कभी ही दिखाई पड़ता हैं। इस लोकतंत्र को और कोई नहीं कभी पाक सेना का सेनाध्यक्ष जिया उल हक तो कभी परवेज मुशर्रफ गला घोंट देता हैं, जबकि हमारे यहां 15 अगस्त 1947 से लोकतंत्र जीवित हैं और प्रत्येक आमचुनाव में और मजबूत होकर निकलता हैं, गर आपको नहीं विश्वास हो तो याद करिये, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार, जो एक वोट से गिर गयी, फिर लोग जनता के बीच गये, और जनता ने एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी को जनादेश दिया। सारा विश्व देख रहा हैं कि भारत में लोकतंत्र कैसे दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा हैं। यहीं नहीं आपका राष्ट्राध्यक्ष, राष्ट्राध्यक्ष पद से हटने के बाद इतना पाकिस्तान से डरता हैं कि वो विदेश में शरण ले लेता हैं, जबकि अपने देश में आज तक ऐसा देखने को नहीं मिला। आज भी देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति पद पर शोभायमान बड़े बड़े शख्स भारत में ही रहकर, अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं।
ख. भारत 15 अगस्त 1947 को जिस स्थिति में था, उसी स्थिति में हैं, लेकिन आपको कश्मीर से इतर नहीं सोचने की सनक ने आपके एक बहुत बड़े क्षेत्रफल को ही लील लिया। नहीं याद हैं तो मैं आपको बता देता हूं, पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश हैं।
ग. भारत की संप्रभुता को कोई चुनौती नहीं दे सकता, पर आपकी संप्रभुता को कौन कौन देश चुनौती दे रहा हैं, वो शायद आपको भी मालूम हैं, पर नहीं मालूम होने का बहुत अच्छा नौटंकी कर लेते हैं। अमरीकन सेना ने आपके घर में घुसकर ऐबटाबाद में क्या किया। पूरा विश्व देखा, पर शर्म नहीं आती। आज आपके यहां से कोई विदेश जाता हैं तो उसे भारतीय कहना पड़ रहा हैं, क्योंकि वो जानता हैं कि विदेश में रहने पर पाकिस्तानी बोलने पर सम्मान नहीं मिलेगा।
घ. आज भारतीय हर क्षेत्र में अपनी लोहा मनवा रहे हैं, पर आपको शेखी बघारने, भारत के खिलाफ विषवमन करने में ज्यादा आनन्द आता हैं। आप खुद देखिये भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की पूरी दुनिया में क्या बिसात हैं और आप के यहां की क्या बिसात हैं। एक उदाहरण दे देना चाहता हूं आप खुद देखिये संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के वोट से आप कैसे अस्थायी सदस्य के रुप में नियुक्त हो गये, पर उसके बदले में आप क्या दे रहे हैं भारत को।
ड़. हमारे राजनीतिज्ञ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान के साथ विकसित भारत बनाने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं, पर आप अभी तक वहीं अटके हैं, जहां से चले थे, हमे लगता हैं कि आप इससे उपर जाना भी नहीं चाहते, ऐसे में आपको क्या मिला। आपने मंदिर भी तोड़े और खुद उस मस्जिद में भी सेना भेजकर, वहां गोले बरसाये, जहां आपने कभी नमाज पढ़ी थी, उसका कारण क्या हैं, ये विचार करने की जरुरत हैं। धर्मांध बनने से काम नहीं चलेगा। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इस्लाम कभी किसी दूसरे की हत्या करने, उन्हें बर्बाद करने, दूसरे धर्म के लोगों को इज्जत लूटने की सीख नहीं देता, पर क्या किया जाये, जो आप सीखेंगे, वो खुद पर भी आजमायेंगे ही। पूरा विश्व आपको किस नजर से देख रहा हैं, इसकी भी चर्चा, आपके इलेट्रानिक मीडिया के लोग बखूबी कर रहे हैं, उसे भी देखिये।
च. आपकी खासियत हैं कि आपके यहां जो जाता हैं, आप उसका खातिरदारी खूब करते हैं, आप इसकी शान भी दिखाते हैं, खासकर फिल्मों में। हमारे यहां से भी जो लोग जाते हैं, आपके यहां. वे बताते हैं कि जब उन्होंने कहा कि वे हिंदुस्तान से आये हैं तो कई होटलवालों ने खाने - पीने के पैसे नहीं लिये। उसका प्रमाण मेरे यहां भी हैं, जब प्रभात खबर के हरिवंश जी और रांची एक्सप्रेस के बलबीर दत्त आपके यहां गये तो वहां से लौटने के बाद, इन दोनों हस्तियों ने आपकी खुब प्रशंसा की। बलबीर दत्त जी ने तो आपके यहां का मिला मानचित्र ही हु ब हु छाप दिया था, बाद में रांची एक्सप्रेस ने गलती सुधारकर छापना शुरु कर दिया। ऐसे हैं आप। पर हम भी, आप से कम नहीं - खातिरदारी में। आप एक मौका तो दें, पर क्या करें, जब भी आप आयेंगे, कश्मीर का राग अलापेंगे, हिंदुओं को काफिर और पता नहीं क्या क्या कहकर संबोधित करेंगे, ऐसे में, हम आपकी खातिरदारी कैसे करें। कुछ तो आपके यहां से इस प्रकार आते हैं कि एक जनाब मुबंई के जेलों में बंद हैं, वो नाम आपने सुना ही होगा -- कसाब का।
चलिए, बहुत कुछ हुआ, थोड़ा आप गिले शिकवे दूर करें, थोड़ा हम गिले शिकवे दूर करें, चलिये भाईयों की तरह नहीं तो कम से कम एक अच्छे पड़ोसी की तरह तो रहे, ताकि दुनिया कह सकें कि ये पाकिस्तान हैं और ये भारत, दोनों में कितना प्यार हैं, पर क्या करें, वो दिन आ पायेगा भी नहीं, इसका हमें बेसब्री से इंतजार रहेगा।
ऩफरत कैसे भरी जा रही हैं -- पाकिस्तान में उसकी बानगी देखिये।
1954 में भारत में एक फिल्म बनी जागृति। जिसके गीत लिखे थे - पं. प्रदीप ने। उनके ये गीत आज भी अमर हैं और भारतीय स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस, सभी में ये खूब गाये और गंवाये जाते हैं। शायद ही कोई भारतीय हो, जो इस दिन इनके गाने न सुन पाये हो। मैं इनके ज्यादातर गीतों को यहां उदाहरण बनाना नहीं चाहता, पर एक गीत का उदाहरण जरुर देना चाहुँगा। एक गाना था जागृति में जिसके अंतरा थे -- आराम के तुम भूल भूलैंया में न भूलों, सपनो के हिंडोंले में मगन होके ना झूलो, अब वक्त आ गया मेंरे हंसते हुए फूलों, उठो छलांग मार के आकाश को छूलो, आकाश को छूलो, तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। इस फिल्म में जिस बालकलाकार ने काम किया था, उसका नाम था रतन कुमार, जो मुस्लिम बाल कलाकार था। बाद में ये पाकिस्तान का रुख किया और इसनें 1957 में बेदारी बनायी, वहां जाकर उसने गीत का क्या पोस्टमार्टम कराया जरा सुनिये -- लेना हैं ये कश्मीर तुम ये बात न भूलो, ये बात न भूलों, कश्मीर में लहराना हैं झंडा उछाल के, इस मुल्क को रखना मेरे बच्चों संभाल के। यहीं नहीं -- दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल के तर्ज पर मो. अली जिन्ना के शान में इसनें गाना गाया -- यू दी हमें आजादी की दूनिया हुई हैरान, ऐ कायदे आजम तेरा अहसान हैं अहसान। इस गीत के माध्यम से गांधी को जिन्ना के सामने बौना और बेवकूफ दिखाने की कोशिश की गयी थी। कहां गांधी और कहां जिन्ना। गांधी आज विश्वव्यापी हो चुके और जिन्ना क्या हैं वो पाकिस्तान के लोग ही बेहतर बता सकते हैं। आज गांधी के जन्मदिवस पर पूरा विश्व 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाता हैं, क्यों मनाता हैं, हमें लगता हैं बताने की जरुरत नहीं। आकाश की ओर हम थूंकेंगे तो वह थूक मेरे उपर ही आकर गिरेगा। ये जान लेना चाहिए। ये उदाहरण इसलिए मैं दे रहा हूं कि एक पं. प्रदीप हैं जो अपने गीतों के माध्यम से अपने बच्चों में संस्कार डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि भारत को कहां ले जाना हैं और पाकिस्तान की सोच देखिये वो सिर्फ कश्मीर पर ही आकर अटक जाता हैं, अरे कश्मीर तक अटकोगे तो कैसे अपने देश को आगे बढ़ाओंगे। पूरी दुनिया में अपना नाम और चरित्र दिखाओ ताकि तुम्हें लोग कहें कि हां एक पाकिस्तान की सोच कुछ विशेष प्रकार का हैं।
यहीं नहीं एक फिल्म देखी तेरे प्यार में, जिसमें पाकिस्तानी अभिनेता एक भारतीय सैनिक के केवल हाथ नहीं मिलाने पर पूरे भारत के हिदुओं पर ही गंदी टिप्पणी करते हुए कहता हैं कि पता नहीं कैसे यहां मुसलमान रहते होंगे, इस दोजख में। क्या एक भारतीय सैनिक किसी पाकिस्तानी नागरिक से हाथ नहीं मिलायेगा तो क्या पूरे देश के सौ करोड़ हिंदु गलत हो गये। इसी तरह इस फिल्म में तिरंगे का अपमान करते हुए दिखाया जाता हैं। और अब बात हाल ही में बनी फिल्म खुदा के लिए में, जिसमें इसी अभिनेता से एक विदेशी अभिनेत्री पूछ रही होती हैं कि पाकिस्तान कहां हैं। ये अभिनेता पाकिस्तान की चौहद्दी बताकर बता रहा होता हैं कि पाकिस्तान कहां हैं, पर जैसे ही वह भारत का नाम लेता हैं। वो विदेशी अभिनेत्री कहती हैं कि ओह इंडिया नेवर, आई लाईक इंडिया, हेयर इज ताजमहल। अभिनेता बोलता हैं कि यू नो, हू मेड ताजमहल। विदेशी अभिनेत्री पूछती हैं - हू। पाकिस्तानी अभिनेता बोलता हैं कि शाहजहां, जस्ट लाईक मी। ही वाज मुस्लिम। देन पाकिस्तान ऐंड इंडिया आर वन। शर्म आती हैं ऐसी सोच पर। शर्म आनी चाहिए, ऐसे संवाद लिखनेवाले लेखक, और फिल्म निर्माताओं पर। क्या एक मुस्लिम होने से सब कुछ ठीक हो जाता हैं और हिंदु हो जाने से सब कुछ गलत हो जाता हैं। ये कुछ उदाहरण हैं जो पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट़ीज में काम करनेवाले लोगों की सोच को दर्शाता हैं और जब ऐसी सोचवाली फिल्में वहां बनेंगी तो वहां का समाज कैसा बनेगा। आप सोच सकते हैं. यहां के बुद्धिजीवियों की कैसी सोच हैं।
ये तो रही फिल्मों की बात, आये दिन पाकिस्तानी समाचार पत्रों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में, तथा विदेशी समाचार जगत में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस प्रकार का अत्याचार होता हैं। पटी रहती हैं। पाकिस्तान में हाल ही में बाढ़ आया और उस बाढ़ में हिंदु बाढ़पीड़ितों को गोमांस परोस दिया गया, जब हिंदु भड़के तो सरकार और सरकार के नुमांइदों ने अपनी गलती स्वीकारी। यहीं नहीं पाकिस्तानी हिंदुओं की बेटियों का अपहरण करना, और उन्हें जबरन मुस्लिम बनाकर, उनसे शादी करना तो वहां आम बात हैं और अगर आपने उसका विरोध किया तो बस हो जाईये, उपर जाने के लिए तैयार। क्योंकि वहां की अदालत भी, आपको ठोकर ही मारेगी। पाकिस्तान में मंदिरों की क्या स्थिति हैं, वहां के अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति हैं, ये जानना हैं तो हाल ही में पर्यटन के नाम पर पाकिस्तान से लौटे सैकड़ों हिदु परिवार जो अब पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते, उनके बयान सुन और पढ़ लीजिये पता लग जायेगा कि आखिर वे अपने वतन क्यों नहीं लौटना चाहते। पाकिस्तान बताये कि उसके देश में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति हैं, अब तक कितने लोग राष्ट्रपति अथवा पाकिस्तान के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे हैं और हम बताते है कि जिन मुसलमानों की वो बात करते हैं और उनके दुख दर्द पर बेवजह चिल्लाते हैं, हम बताते हैं कि भारत में मुसलमानों की क्या स्थिति हैं। हमें तो बताने की जरुरत भी नहीं, पूरा विश्व जानता हैं कि भारत में अल्पसंख्यक किस प्रकार रह रहे हैं। यहां के अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में वृद्धि हो रही हैं, पर पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या में लगातार गिरावट क्यों। कमाल हैं चलनी दूसे, सूप के, जिन्हें बहतर छेद।
पाकिस्तान के लोगों को जान लेना चाहिए कि नफरत से नफरत बढ़ती हैं, प्यार की सीख, सर्वाधिक जरुरी हैं। इसलिए प्यार करना सीखे और सीखाएँ, और भारत से ज्यादा प्यार करें, क्योंकि हम आपके सर्वाधिक निकट हैं, हमारे पुरखे और आपके पुरखे एक ही हैं, वेवजह खून की नदियां बहाने का ख्वाब पालकर कोई आप तीस मारखां या हम तीसमारखां नहीं बन जायेंगे।
और अगर आप ये सोचते हैं कि पूरे पाकिस्तान से हिंदुओं को मिटाकर या अल्पसंख्यकों का नामोनिसां मिटाकर आप महान बन जायेंगे तो ये आपकी सोच, आपको मुबारक। नफरत की आंधी में जन्म लेकर, आपने क्या पाया। आपने कभी सोचा। हमने क्या गंवाया और हमें क्या मिला, आपने सोचा, नहीं सोचा और आप सोचना भी नहीं चाहते, क्योंकि बस आपको तो हिंदुओं से नफरत हैं। हिंदुओं को गला काटने, उन्हें जबरत धर्मांतरण कराने, उनके बहु-बेटियों को बलात, अपहरण करने और उन्हें बलात्कार करने में बड़ा मजा आता हैं। वे भी बेचारे हिंदु क्या करेंगे, अदालत जायेंगे, कोई मुल्ला मौलवी आयेगा, बोल देगा कि वो तो अल्पसंख्यक थी, हिंदू थी। वो मुसलमान बना दी गयी, अदालत भी चुप। क्या बनाया हैं आपने पाकिस्तान को। ये मै इसलिए नहीं कह रहा हूं कि किसी ने हमें बोल दिया। अरे जनाब, दुनिया इंटरनेट की जगह पर बहुत छोटी हो गयी हैं। आप ही के यहां का आजाद चैनल और जियो चैनल में जो बहस होती हैं, और वो बहस कोई शख्स यू टूयब पर डाल देता हैं, मैं देख कर प्रतिक्रिया दे रहा हूं। आपके जिन्ना और अल्लामा इकबाल ने पाकिस्तान बनाया था, वो भी धर्मनिरपेक्ष और आपने उनकी मौत के बाद, वहां का राष्ट्रीय धर्म ही बना डाला - इस्लाम। और इस्लाम के नाम पर खुदा के नाम पर, आपने जो किया या कर रहे हैं, वो तो जियो के निर्माताओं ने फिल्म खुदा के लिए में दिखा ही दिया, कि आप किस पाकिस्तान में जी रहे हैं और अपने पाकिस्तान को कहां ले जाना चाहते हैं। पर मैं अपने हिंदुस्तान को वो हिंदुस्तान बनाना चाहता हूं, जहां सारे मजहब के लोग मिलकर रहे, खुश रहे, किसी को किसी से वैर न रहे। हमारे यहां भी कुछ सिरफिरे हैं, पर उनके लिए कानून अपना काम कर रहा हैं, उन्हें सजा भी मिलती हैं। सजा मिल भी रही हैं। ऐसा नहीं कि कोई पंडित या मुल्ला कह देगा तो कानून अपना काम करना बंद कर देगा। जो सपने हमारे पूर्वजों और देशभक्त नेताओं ने देखे हैं हमें खुशी हैं कि चाहे हमारे यहां किसी की सरकार आये, हिम्मत नहीं कि धर्मनिरपेक्षता की दीवार को दरकाने की कोशिश करे।
और अब आप हमसे 14 अगस्त 1947 को अलग हो गये, हमसे अलग होकर आपको क्या मिला और हमें क्या मिला, जरा गौर फरमाये ----------------
क. आपके यहां लोकतंत्र हमेशा मरता हैं और कभी - कभी ही दिखाई पड़ता हैं। इस लोकतंत्र को और कोई नहीं कभी पाक सेना का सेनाध्यक्ष जिया उल हक तो कभी परवेज मुशर्रफ गला घोंट देता हैं, जबकि हमारे यहां 15 अगस्त 1947 से लोकतंत्र जीवित हैं और प्रत्येक आमचुनाव में और मजबूत होकर निकलता हैं, गर आपको नहीं विश्वास हो तो याद करिये, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार, जो एक वोट से गिर गयी, फिर लोग जनता के बीच गये, और जनता ने एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी को जनादेश दिया। सारा विश्व देख रहा हैं कि भारत में लोकतंत्र कैसे दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा हैं। यहीं नहीं आपका राष्ट्राध्यक्ष, राष्ट्राध्यक्ष पद से हटने के बाद इतना पाकिस्तान से डरता हैं कि वो विदेश में शरण ले लेता हैं, जबकि अपने देश में आज तक ऐसा देखने को नहीं मिला। आज भी देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति पद पर शोभायमान बड़े बड़े शख्स भारत में ही रहकर, अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं।
ख. भारत 15 अगस्त 1947 को जिस स्थिति में था, उसी स्थिति में हैं, लेकिन आपको कश्मीर से इतर नहीं सोचने की सनक ने आपके एक बहुत बड़े क्षेत्रफल को ही लील लिया। नहीं याद हैं तो मैं आपको बता देता हूं, पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश हैं।
ग. भारत की संप्रभुता को कोई चुनौती नहीं दे सकता, पर आपकी संप्रभुता को कौन कौन देश चुनौती दे रहा हैं, वो शायद आपको भी मालूम हैं, पर नहीं मालूम होने का बहुत अच्छा नौटंकी कर लेते हैं। अमरीकन सेना ने आपके घर में घुसकर ऐबटाबाद में क्या किया। पूरा विश्व देखा, पर शर्म नहीं आती। आज आपके यहां से कोई विदेश जाता हैं तो उसे भारतीय कहना पड़ रहा हैं, क्योंकि वो जानता हैं कि विदेश में रहने पर पाकिस्तानी बोलने पर सम्मान नहीं मिलेगा।
घ. आज भारतीय हर क्षेत्र में अपनी लोहा मनवा रहे हैं, पर आपको शेखी बघारने, भारत के खिलाफ विषवमन करने में ज्यादा आनन्द आता हैं। आप खुद देखिये भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की पूरी दुनिया में क्या बिसात हैं और आप के यहां की क्या बिसात हैं। एक उदाहरण दे देना चाहता हूं आप खुद देखिये संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के वोट से आप कैसे अस्थायी सदस्य के रुप में नियुक्त हो गये, पर उसके बदले में आप क्या दे रहे हैं भारत को।
ड़. हमारे राजनीतिज्ञ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान के साथ विकसित भारत बनाने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं, पर आप अभी तक वहीं अटके हैं, जहां से चले थे, हमे लगता हैं कि आप इससे उपर जाना भी नहीं चाहते, ऐसे में आपको क्या मिला। आपने मंदिर भी तोड़े और खुद उस मस्जिद में भी सेना भेजकर, वहां गोले बरसाये, जहां आपने कभी नमाज पढ़ी थी, उसका कारण क्या हैं, ये विचार करने की जरुरत हैं। धर्मांध बनने से काम नहीं चलेगा। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इस्लाम कभी किसी दूसरे की हत्या करने, उन्हें बर्बाद करने, दूसरे धर्म के लोगों को इज्जत लूटने की सीख नहीं देता, पर क्या किया जाये, जो आप सीखेंगे, वो खुद पर भी आजमायेंगे ही। पूरा विश्व आपको किस नजर से देख रहा हैं, इसकी भी चर्चा, आपके इलेट्रानिक मीडिया के लोग बखूबी कर रहे हैं, उसे भी देखिये।
च. आपकी खासियत हैं कि आपके यहां जो जाता हैं, आप उसका खातिरदारी खूब करते हैं, आप इसकी शान भी दिखाते हैं, खासकर फिल्मों में। हमारे यहां से भी जो लोग जाते हैं, आपके यहां. वे बताते हैं कि जब उन्होंने कहा कि वे हिंदुस्तान से आये हैं तो कई होटलवालों ने खाने - पीने के पैसे नहीं लिये। उसका प्रमाण मेरे यहां भी हैं, जब प्रभात खबर के हरिवंश जी और रांची एक्सप्रेस के बलबीर दत्त आपके यहां गये तो वहां से लौटने के बाद, इन दोनों हस्तियों ने आपकी खुब प्रशंसा की। बलबीर दत्त जी ने तो आपके यहां का मिला मानचित्र ही हु ब हु छाप दिया था, बाद में रांची एक्सप्रेस ने गलती सुधारकर छापना शुरु कर दिया। ऐसे हैं आप। पर हम भी, आप से कम नहीं - खातिरदारी में। आप एक मौका तो दें, पर क्या करें, जब भी आप आयेंगे, कश्मीर का राग अलापेंगे, हिंदुओं को काफिर और पता नहीं क्या क्या कहकर संबोधित करेंगे, ऐसे में, हम आपकी खातिरदारी कैसे करें। कुछ तो आपके यहां से इस प्रकार आते हैं कि एक जनाब मुबंई के जेलों में बंद हैं, वो नाम आपने सुना ही होगा -- कसाब का।
चलिए, बहुत कुछ हुआ, थोड़ा आप गिले शिकवे दूर करें, थोड़ा हम गिले शिकवे दूर करें, चलिये भाईयों की तरह नहीं तो कम से कम एक अच्छे पड़ोसी की तरह तो रहे, ताकि दुनिया कह सकें कि ये पाकिस्तान हैं और ये भारत, दोनों में कितना प्यार हैं, पर क्या करें, वो दिन आ पायेगा भी नहीं, इसका हमें बेसब्री से इंतजार रहेगा।