15 मई को पटना में लालू की परिवर्तन रैली बहुत कुछ कह रही हैं। ये लालू के लिए भी सबक हैं और नीतीश के लिए भी। नीतीश के लिए ये कि उनके पास खोने के सिवा कुछ नहीं और लालू के लिए ये कि उन्होंने जनता द्वारा मिली सत्ता का जिस प्रकार दुरुपयोग किया, जनता आज तक वो भूली नहीं, यानी कहीं न कहीं वो दर्द जनता के बीच आज भी विद्यमान हैं। ये अच्छी बात हैं कि लालू ने इस परिवर्तन रैली के दौरान कोई ऐसी बात नहीं की, जो जनभावनाओं को ठेस पहुंचाये। ये अलग बात हैं कि वे अपने विरोधियों की तुलना कुत्तों से करने से नहीं चुके। लालू प्रसाद को मालूम होना चाहिए कि अपने विरोधियों को भी सम्मान करना, बिहार की संस्कृति रही हैं। गर आप इस प्रकार की संस्कृति को तिलांजलि दे, जब ये कहते हैं कि आप बिहार के सम्मान को बरकरार रखेंगे तो आम जनता को शक होने लगता हैं।
जब कोई राजनीतिक दल सत्ता से दूर रहे, तो उसे आत्ममंथन करना चाहिए। वो आत्ममंथन तब तक करना चाहिए, जब तक वो समस्याओं को न जान लें, कि किन कारणों से उसे सत्ता से वंचित रहना पड़ा हैं और जब समस्या मालूम हो जाये तो उसका समाधान करना चाहिए। हमें लगता है कि लालू जी ने अभी भी, इस ओर ध्यान नहीं दिया, गर ये ही हाल रहा तो नीतीश भले ही अपनी कुछ सीटे गवां दे, पर बहुमत उन्हें ही मिलेगी। ये लालू जी को मालूम होना चाहिए, जबकि सच्चाई ये हैं कि नीतीश विकास - विकास का हौवा खड़ाकर, इतने अहं में डूब गये हैं कि उन्हें अपने सामने सभी लोग जीरो दिखाई दे रहे हैं। जिसका फायदा लालू को उठाना चाहिए, पर लालू इसका फायदा उठा पायेंगे, इस पर हमें संदेह हैं। वह भी तब जबकि लालू को आज भी बिहार का एक बड़ा वर्ग अपना नेता मानता हैं। ऐसे में लालू जी को चाहिए कि वे स्वयं को पहचाने।
कुछ सवाल आज भी लालू से हैं कि जब आप रेलमंत्री बनते हैं और रेल मंत्रालय को नई दिशा दे देते है, तब आपने 15 सालों में बिहार का कबाड़ा क्यूं बनाया, और इसके लिए आप बिहार की जनता से क्यूं क्षमा नहीं मांगते। क्षमा तो अच्छे - अच्छे पालिटिशयनों ने मांगा हैं, अपनी गलतियों का पश्चाताप करते हुए, जनता से माफी मांगना कोई बुराई नहीं, क्योंकि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि हैं। फिर जनता को विश्वास दिलाना कि वे उनकी विकास को लेकर चिंतित हैं, ये भी जनता को दिखाना होगा, पर आप कर क्या रहे हैं, अपने बेटे और बेटियों को लांच कराने में लगे है, यानी पत्नी और ससुराल से शुरु करते हुए अब बेटे और बेटियों तक पहुंच गये। लालू जी, आप ये जान लीजिये, जिसमें नेतृत्व करने की क्षमता होती हैं, वहीं नेता होता हैं, आप लाख अपने बेटे - बेटियों को लांच कर ले, गर उनमें क्षमता होगी तो खुद ब खुद टाप के राजनीतिज्ञ हो जायेंगे। आपने तो एक बेटे को क्रिकेटर बनाने की सोची, क्या वो धौनी बन गया। ये छोटी सी बात आपको क्यों नहीं समझ आती। अरे लालूजी आपको ईश्वर ने बिहार की जनता की सेवा करने को बनाया हैं, आपके परिवार की सेवा के लिए आपको नहीं बनाया। आप परिवार को छोड़िये, जनता के बीच जाइये। सारी जनता को अपना परिवार समझिये। उनके दर्द को समझिये, फिर देखिये। नीतीश क्या, सारे के सारे लोग आपके पीछे रहेंगे, पर ऐसा कर पायेंगे। हमें संदेह हैं.......................................