प्रेम से बोलिए रघुवर दास की जय...
झारखंड के मुख्यमंत्री की जय...
भाजपा नेता की जय...
रांची के शांति रक्षक रघुवर दास की जय...
आज सारे अखबारों, इलेक्ट्रानिक चैनलों, फेसबुक, टिवटर में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की जय जयकार हो रही है। जय-जयकार करनेवाले ज्यादातर पत्रकार है...। ये पत्रकार इसलिए जय-जयकार कर रहे है, ताकि मुख्यमंत्री से उनका पीआर और मजबूत हो जाय...। मुख्यमंत्री की कृपा से मिलनेवाले विज्ञापनों की राशि में बढ़ोत्तरी हो जाय... जबकि सच्चाई ये है कि मुख्यमंत्री से ये पूछा जाना चाहिए...
• कि क्या मुख्यमंत्री को ये पता नहीं था कि राज्य में पर्वों का सीजन आ रहा हैं और इसे देखते हुए असामाजिक तत्व राज्य में अशांति फैला सकते हैं, इसके बावजूद अशांति फैली, तो इसके लिए सीधे राज्य का मुख्यमंत्री जिम्मेवार नहीं है?
• राज्य के विभिन्न इलाकों में प्रतिस्थापित मंदिरों में प्रतिबंधित मांस कैसे पहुंच गये?, किसने फेंका?, क्या ऐसे लोगों को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए और जनता के समक्ष ये मिसाल नहीं रखना चाहिए कि ये है शांति में खलल डालनेवाला शख्स, इस पर कारर्वाई हो रही है?
• राज्य का मुख्यमंत्री ये बताएं कि उनका खुफिया विभाग क्या कर रहा था?, जब मंदिरों में प्रतिबंधित मांस फेंके जा रहे थे...।
• खुद मुख्यमंत्री ये घोषणा कर चुके है, राज्य में गोहत्या निषेध कानून लागू है और इसे कड़ाई से अनुपालन करने की वे सौंगध खाते है, तो फिर बड़े पैमाने पर गोहत्या राज्य में कैसे और क्यों हो रही है? झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर सीख लेनी चाहिए...
• मुख्यमंत्री को ये नहीं भूलना चाहिए कि पन्द्रह दिनों बाद दुर्गापूजा, उसके बाद दीपावली और फिर छठ पर्व आने को है, और इसे देखते हुए, राज्य में फिर अशांति फैलानेवाले सक्रिय हो जायेंगे, ऐसे में मुख्यमंत्री की क्या तैयारी है? ये जनता जानना चाहती है, क्या फिर दंगा भड़कने के बाद मुख्यमंत्री जनता के बीच जाकर शांति की अपील करने का इरादा रखते हैं या राज्य में अमन-चैन रहे, इसके लिए ठोस प्रयास कर रहे है?
हद हो गयी भाई, जिन्हें सरकार को इस मुद्दे पर क्लास लगानी चाहिए, वे सरकार की आरती और भजन गा रहे है, पीआर बना रहे है, विज्ञापन की चिंता कर रहे है, ऐसे में तो जनता का भगवान ही मालिक है...
यहां तो राज्य ठीक उसी प्रकार चल रहा है, वो कहावत है न...अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा....
झारखंड के मुख्यमंत्री की जय...
भाजपा नेता की जय...
रांची के शांति रक्षक रघुवर दास की जय...
आज सारे अखबारों, इलेक्ट्रानिक चैनलों, फेसबुक, टिवटर में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की जय जयकार हो रही है। जय-जयकार करनेवाले ज्यादातर पत्रकार है...। ये पत्रकार इसलिए जय-जयकार कर रहे है, ताकि मुख्यमंत्री से उनका पीआर और मजबूत हो जाय...। मुख्यमंत्री की कृपा से मिलनेवाले विज्ञापनों की राशि में बढ़ोत्तरी हो जाय... जबकि सच्चाई ये है कि मुख्यमंत्री से ये पूछा जाना चाहिए...
• कि क्या मुख्यमंत्री को ये पता नहीं था कि राज्य में पर्वों का सीजन आ रहा हैं और इसे देखते हुए असामाजिक तत्व राज्य में अशांति फैला सकते हैं, इसके बावजूद अशांति फैली, तो इसके लिए सीधे राज्य का मुख्यमंत्री जिम्मेवार नहीं है?
• राज्य के विभिन्न इलाकों में प्रतिस्थापित मंदिरों में प्रतिबंधित मांस कैसे पहुंच गये?, किसने फेंका?, क्या ऐसे लोगों को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए और जनता के समक्ष ये मिसाल नहीं रखना चाहिए कि ये है शांति में खलल डालनेवाला शख्स, इस पर कारर्वाई हो रही है?
• राज्य का मुख्यमंत्री ये बताएं कि उनका खुफिया विभाग क्या कर रहा था?, जब मंदिरों में प्रतिबंधित मांस फेंके जा रहे थे...।
• खुद मुख्यमंत्री ये घोषणा कर चुके है, राज्य में गोहत्या निषेध कानून लागू है और इसे कड़ाई से अनुपालन करने की वे सौंगध खाते है, तो फिर बड़े पैमाने पर गोहत्या राज्य में कैसे और क्यों हो रही है? झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर सीख लेनी चाहिए...
• मुख्यमंत्री को ये नहीं भूलना चाहिए कि पन्द्रह दिनों बाद दुर्गापूजा, उसके बाद दीपावली और फिर छठ पर्व आने को है, और इसे देखते हुए, राज्य में फिर अशांति फैलानेवाले सक्रिय हो जायेंगे, ऐसे में मुख्यमंत्री की क्या तैयारी है? ये जनता जानना चाहती है, क्या फिर दंगा भड़कने के बाद मुख्यमंत्री जनता के बीच जाकर शांति की अपील करने का इरादा रखते हैं या राज्य में अमन-चैन रहे, इसके लिए ठोस प्रयास कर रहे है?
हद हो गयी भाई, जिन्हें सरकार को इस मुद्दे पर क्लास लगानी चाहिए, वे सरकार की आरती और भजन गा रहे है, पीआर बना रहे है, विज्ञापन की चिंता कर रहे है, ऐसे में तो जनता का भगवान ही मालिक है...
यहां तो राज्य ठीक उसी प्रकार चल रहा है, वो कहावत है न...अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा....
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