झारखंड के सर्वाधिक लोकप्रिय और ग्राह्य नेता है बाबू लाल मरांडी..........
पन्द्रह साल झारखंड बने हो गये...
राज्य की जनता ने इसी बीच एक से एक नेता देखें, जिन्होंने झारखंड का नेतृत्व किया...पर किसी नेता में हिम्मत नहीं हुई कि बाबू लाल मरांडी द्वारा खींची गयी विकास की लकीर से बड़ी लकीर खींच कर दिखा दें...।
कितने नाम गिनाऊं...
अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन और अब रघुवर दास...। दावे तो सबके थे और हैं, पर जरा पूछिये कि वो कौन ऐसी चीजें है, जिसको लेकर राज्य की जनता इन पर गर्व कर सकें और ये कहें कि ये इनकी देन है – इन झारखंडी नेताओं का...झारखंड की जनता के लिए...।
सच्चाई यह है कि इन सारे नेताओं ने अपनी कोठी ठीक की, अपना दबदबा कायम किया पर जनता के हित में कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिस पर जनता इन्हें अपना मान सकें...हां इतना जरुर हुआ कि इनके यशोगान गानेवाले मीडिया में रह रहे लोग व इनके चारणों की आर्थिक स्थिति इन नेताओं के समान जरुर हो गयी...।
गर इन नेताओं के कार्यकाल को देखिये और विभिन्न अखबारों में इनके शासनकाल के दौरान विकास को पैमाना बनाकर छपे विज्ञापनों को देखे तो इनकी पोल खुलकर रह जायेगी...। ये सारे नेता बाबू लाल मरांडी के इर्द-गिर्द भी नहीं ठहरते...।
हमें याद है कि जब बाबू लाल मरांडी ने सत्ता संभाली तो बिहार के घटिया स्तर नेताओं की मार झेल रहा झारखंड को उपर उठाना कोई सामान्य कार्य नहीं था, पर बाबू लाल मरांडी ने योग्य लोगों की मदद से जो खाका तैयार किया और उस पर जो चलने की कोशिश की...उसका फायदा सबने उठाया और आज भी वह फायदा देखने को मिल रहा है...
हालांकि बाबू लाल के विकासात्मक सोच को कुंद करने और झारखंड के विकास की पटरी को धराशायी करने का प्रयास उस वक्त के नीतीश भक्त नेताओं व विधायकों ने कम नहीं किया...। जिसका खामियाजा लाल चंद महतो, जलेश्वर महतो, बच्चा सिंह, गौतम सागर राणा आज भी उठा रहे है, जबकि मधु सिंह और रमेश सिंह मुंडा तो स्वर्ग ही सिधार गये...। इसलिए इन पर बोलना अब ठीक नहीं...पर सच्चाई यहीं है...
आखिर क्या किया बाबू लाल ने...आज इस पर चर्चा होना ही चाहिए, क्योंकि झारखंड अपने स्थापना के 15 साल पूरे कर लिए और आज 16 वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है...।
बाबू लाल का झारखंड को देन......
1. झारखंड के बच्चों को बिहार से पिंड छुड़ाया और सीधे सीबीएसई पैटर्न लागू करते हुए, झारखंड के बच्चों को एनसीईआरटी की पुस्तकें निःशुल्क थमा दी...पढ़ों और खुद को गढ़ो का सिद्धांत बाबू लाल ने झारखंड के बच्चों को दिया... और किसी से भेदभाव नहीं की....
2. झारखंड की आदिवासी बालिकाएँ कल्याण विभाग को जान सकी और वे साइकिल से अपने घरों से निकलती हुई, स्कूल पहुंचने लगी...ऐसा पहली बार सुंदर सा दृश्य झारखंड में देखने को मिला, जहां बेटियां आगे निकल रही थी...वह सरकार द्वारा दिये गये साइकिल से अपने स्कूल जा रही थी।
3. बाबू लाल जानते थे कि बिना आधारभूत सरंचना के झारखंड का विकास नहीं हो सकता...इसलिए उन्होंने जर्जर झारखंड को ठोस झारखंड बनाना शुरु किया...बड़े पैमाने पर पुल-पुलिया बनाये गये...सड़कों की दशा सुधारी गयी...उस वक्त लोग बोला करते थे कि गर बसे हिचकोले खाना बंद कर दें तो समझ लो, झारखंड आ गया...
4. भारतीय रेल की मदद ली...झारखंड में अच्छी ट्रेनें इन्हीं के शासनकाल में देखने को मिली, जो रांची में इक्के – दुक्के ट्रेन देखने को मिलते थे, जहां दिल्ली जाने के लिए कोई बेहतर ट्रेन नहीं थी, इनके शासन काल में भारत सरकार के सहयोग से रांची देश के सभी महत्वपूर्ण महानगरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ना शुरु हुआ...यहीं नहीं कई रेलवे प्रोजेक्ट भी उन्होंने शुरु करवाएं...ज्यादा जानकारी के लिए तत्कालीन रेलमंत्री और अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई भी दरवाजा खटखटा सकता है...
5. बाबू लाल ने भ्रष्टाचार पर भी सीधा चोट किया... मात्र एक साल में बाबू लाल मरांडी के शासन काल में सौ से भी ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी निगरानी की भेंट चढ़ चुके थे।
6. झारखंड के दलितों व आदिवासियों के आर्थिक उत्थान के लिए बाबू लाल मरांडी ने उन्हें बस, टेम्पू भी उपलब्ध करायी थी...
7. किसानों को कम कीमत पर पानी पटाने के लिए डीजल चालित मशीन उपलब्ध करायी गयी, यहीं नहीं जैसे ही सुखा पड़ने की आशंका होती, वे बैठक बुलाते और एक्शन लेते, ये अलग बात थी कि जैसे ही एक्शन की बात होती, प्रकृति इतनी बारिश कर देती कि राज्य से सूखे पड़ने की आशंका ही खत्म हो जाती...
8. बाबू लाल मरांडी के शासनकाल में ही विधानसभा में सरपल्स बजट पेश होता था...
9. बाबू लाल मरांडी ने ही झारखंड के मूलवासियों को उनका हक मिले, इसके लिए डोमिसाइल नीति की घोषणा की, इस नीति में कहीं भी कुछ गड़बड़ नहीं था, पर उनके विरोधियों ने उनके खिलाफ कुचक्र रचा, जिसके वे शिकार हुए...आखिर झारखंड जिनके लिए बना, उन्हें वह हक क्यों नहीं मिलना चाहिए...आखिर जो अन्य राज्यों में भी वहां का डोमिसाइल बनाकर लाभ ले रहे है, वे यहां भी उसका लाभ ले, यानी एक व्यक्ति का परिवार दो – दो जगहों का लाभ लें और यहां के आदिवासी – मूलवासी झारखंड में भी दोयम दर्जें का नागरिक बन कर रहें, क्या ये गलत नहीं?
10. आज जो विधानसभा भवन और उच्च न्यायालय भवन निर्माण की बात हो रही है, उसके लिए ग्रेटर रांची बनाने का स्वप्न किसका था, ये तो सबको मालूम होना चाहिए...
11. ये किसी को नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड के मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ही थे, जो विकास के आधार पर देश के सभी राज्यों में से सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के रुप में उस वक्त तीसरे स्थान पर पहुंच गये थे...जो आज तक कोई नहीं पहुंच सका....
12. जब उनका शासन था तो झारखंड का सम्मान था...जरा पूछिये मधु कोड़ा से और उनका समर्थन करनेवाले झामुमो, कांग्रेस और राजद के नेताओं व विधायकों से आज वो झारखंड को सम्मान क्यों नहीं मिलता...आखिर झारखंड के सम्मान के साथ खिलवाड़ किसने की...
13. भाजपा को शिखर पर ले जाने में भी बाबू लाल मरांडी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता...हमें याद है कि झारखंड बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई...। उस वक्त राजनाथ सिंह, अर्जुन मुंडा और बाबू लाल मरांडी ने संयुक्त रुप से प्रेस कांफ्रेस किया था...। हमारा सवाल था – बाबू लाल मरांडी से कि गर भाजपा सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री कौन होगा...बाबू लाल मरांडी ने बिना देर किये बताया – अर्जुन मुंडा। तुरंत यहीं सवाल अर्जुन मुंडा से मेरा था, अर्जुन मुंडा ने जवाब दिया कि पार्टी जो कहेगी, वो करेंगे, हालांकि वे भी दरियादिली दिखा सकते थे, पर उन्होंने नहीं दिखायी। ये वो समय था जब लाल कृष्ण आडवाणी के होठों पर अटल बिहारी वाजपेयी और अटल बिहारी वाजपेयी के होठो पर आडवाणी हुआ करते थे, पर झारखंड में बाबू लाल मरांडी के होठों पर अर्जुन मुंडा तो थे, पर अर्जुन मुंडा के होठों पर बाबू लाल मरांडी नहीं थे। एक बात और...झारखंड के राजनीति के धुरंधरों को ये जान लेना चाहिए कि अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले जाने में बाबू लाल मरांडी की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी... न कि किसी और नेता की...पर काल के पहिये ने... बाबू लाल मरांडी को भाजपा से इतना दूर कर दिया कि....वे भाजपा को आज की तारीख में पसंद ही नहीं करते...और न भाजपा के नेताओं को....
14. बाबू लाल मरांडी मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने विरोधियों को भी उतना ही सम्मान देते थे, जितना आज तक किसी ने नहीं दिया...याद करिये...भाकपा माले विधायक दल के नेता महेन्द्र प्रसाद सिंह के प्रति विधानसभा में दिया गया उनका बयान बहुत कुछ कह देता है...जरा आज के नेताओं का बयान देख लीजिये....हालांकि बाबू लाल मरांडी आज भी अपने विरोधियों को उतना ही सम्मान देते है...चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट और ये पूछना...क्या जी, कैसे है, सब ठीक...
15. सिंगल विंडो सिस्टम हो या ग्रेटर रांची, सब पर बाबू लाल मरांडी का विजन क्लियर था...नक्सलवाद का सफाया हो...या बेहतर झारखंड निर्माण की ललक...सचमुच बाबू लाल मरांडी आज भी झारखंड की जनता के बीच उतने ही लोकप्रिय है, जितने कल थे...ये अलग बात है कि चुनाव के समय उनके सहयोग से लोग जीत तो जाते है, पर झारखंड के दलबदलू कल्चर से अनुप्राणित होकर, ये जीते विधायक बाबू लाल मरांडी को ही ठेंगा दिखा देते है...हमें लगता है कि ऐसे लोगों को भी जनता देख रही है...
एक बार फिर बाबू लाल मरांडी को हृदय से आभार...
क्योंकि उनकी सोच, आज भी झारखंड को मजबूत करती है...
पन्द्रह साल झारखंड बने हो गये...
राज्य की जनता ने इसी बीच एक से एक नेता देखें, जिन्होंने झारखंड का नेतृत्व किया...पर किसी नेता में हिम्मत नहीं हुई कि बाबू लाल मरांडी द्वारा खींची गयी विकास की लकीर से बड़ी लकीर खींच कर दिखा दें...।
कितने नाम गिनाऊं...
अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, हेमंत सोरेन और अब रघुवर दास...। दावे तो सबके थे और हैं, पर जरा पूछिये कि वो कौन ऐसी चीजें है, जिसको लेकर राज्य की जनता इन पर गर्व कर सकें और ये कहें कि ये इनकी देन है – इन झारखंडी नेताओं का...झारखंड की जनता के लिए...।
सच्चाई यह है कि इन सारे नेताओं ने अपनी कोठी ठीक की, अपना दबदबा कायम किया पर जनता के हित में कोई ऐसा कार्य नहीं किया, जिस पर जनता इन्हें अपना मान सकें...हां इतना जरुर हुआ कि इनके यशोगान गानेवाले मीडिया में रह रहे लोग व इनके चारणों की आर्थिक स्थिति इन नेताओं के समान जरुर हो गयी...।
गर इन नेताओं के कार्यकाल को देखिये और विभिन्न अखबारों में इनके शासनकाल के दौरान विकास को पैमाना बनाकर छपे विज्ञापनों को देखे तो इनकी पोल खुलकर रह जायेगी...। ये सारे नेता बाबू लाल मरांडी के इर्द-गिर्द भी नहीं ठहरते...।
हमें याद है कि जब बाबू लाल मरांडी ने सत्ता संभाली तो बिहार के घटिया स्तर नेताओं की मार झेल रहा झारखंड को उपर उठाना कोई सामान्य कार्य नहीं था, पर बाबू लाल मरांडी ने योग्य लोगों की मदद से जो खाका तैयार किया और उस पर जो चलने की कोशिश की...उसका फायदा सबने उठाया और आज भी वह फायदा देखने को मिल रहा है...
हालांकि बाबू लाल के विकासात्मक सोच को कुंद करने और झारखंड के विकास की पटरी को धराशायी करने का प्रयास उस वक्त के नीतीश भक्त नेताओं व विधायकों ने कम नहीं किया...। जिसका खामियाजा लाल चंद महतो, जलेश्वर महतो, बच्चा सिंह, गौतम सागर राणा आज भी उठा रहे है, जबकि मधु सिंह और रमेश सिंह मुंडा तो स्वर्ग ही सिधार गये...। इसलिए इन पर बोलना अब ठीक नहीं...पर सच्चाई यहीं है...
आखिर क्या किया बाबू लाल ने...आज इस पर चर्चा होना ही चाहिए, क्योंकि झारखंड अपने स्थापना के 15 साल पूरे कर लिए और आज 16 वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है...।
बाबू लाल का झारखंड को देन......
1. झारखंड के बच्चों को बिहार से पिंड छुड़ाया और सीधे सीबीएसई पैटर्न लागू करते हुए, झारखंड के बच्चों को एनसीईआरटी की पुस्तकें निःशुल्क थमा दी...पढ़ों और खुद को गढ़ो का सिद्धांत बाबू लाल ने झारखंड के बच्चों को दिया... और किसी से भेदभाव नहीं की....
2. झारखंड की आदिवासी बालिकाएँ कल्याण विभाग को जान सकी और वे साइकिल से अपने घरों से निकलती हुई, स्कूल पहुंचने लगी...ऐसा पहली बार सुंदर सा दृश्य झारखंड में देखने को मिला, जहां बेटियां आगे निकल रही थी...वह सरकार द्वारा दिये गये साइकिल से अपने स्कूल जा रही थी।
3. बाबू लाल जानते थे कि बिना आधारभूत सरंचना के झारखंड का विकास नहीं हो सकता...इसलिए उन्होंने जर्जर झारखंड को ठोस झारखंड बनाना शुरु किया...बड़े पैमाने पर पुल-पुलिया बनाये गये...सड़कों की दशा सुधारी गयी...उस वक्त लोग बोला करते थे कि गर बसे हिचकोले खाना बंद कर दें तो समझ लो, झारखंड आ गया...
4. भारतीय रेल की मदद ली...झारखंड में अच्छी ट्रेनें इन्हीं के शासनकाल में देखने को मिली, जो रांची में इक्के – दुक्के ट्रेन देखने को मिलते थे, जहां दिल्ली जाने के लिए कोई बेहतर ट्रेन नहीं थी, इनके शासन काल में भारत सरकार के सहयोग से रांची देश के सभी महत्वपूर्ण महानगरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ना शुरु हुआ...यहीं नहीं कई रेलवे प्रोजेक्ट भी उन्होंने शुरु करवाएं...ज्यादा जानकारी के लिए तत्कालीन रेलमंत्री और अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई भी दरवाजा खटखटा सकता है...
5. बाबू लाल ने भ्रष्टाचार पर भी सीधा चोट किया... मात्र एक साल में बाबू लाल मरांडी के शासन काल में सौ से भी ज्यादा भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी निगरानी की भेंट चढ़ चुके थे।
6. झारखंड के दलितों व आदिवासियों के आर्थिक उत्थान के लिए बाबू लाल मरांडी ने उन्हें बस, टेम्पू भी उपलब्ध करायी थी...
7. किसानों को कम कीमत पर पानी पटाने के लिए डीजल चालित मशीन उपलब्ध करायी गयी, यहीं नहीं जैसे ही सुखा पड़ने की आशंका होती, वे बैठक बुलाते और एक्शन लेते, ये अलग बात थी कि जैसे ही एक्शन की बात होती, प्रकृति इतनी बारिश कर देती कि राज्य से सूखे पड़ने की आशंका ही खत्म हो जाती...
8. बाबू लाल मरांडी के शासनकाल में ही विधानसभा में सरपल्स बजट पेश होता था...
9. बाबू लाल मरांडी ने ही झारखंड के मूलवासियों को उनका हक मिले, इसके लिए डोमिसाइल नीति की घोषणा की, इस नीति में कहीं भी कुछ गड़बड़ नहीं था, पर उनके विरोधियों ने उनके खिलाफ कुचक्र रचा, जिसके वे शिकार हुए...आखिर झारखंड जिनके लिए बना, उन्हें वह हक क्यों नहीं मिलना चाहिए...आखिर जो अन्य राज्यों में भी वहां का डोमिसाइल बनाकर लाभ ले रहे है, वे यहां भी उसका लाभ ले, यानी एक व्यक्ति का परिवार दो – दो जगहों का लाभ लें और यहां के आदिवासी – मूलवासी झारखंड में भी दोयम दर्जें का नागरिक बन कर रहें, क्या ये गलत नहीं?
10. आज जो विधानसभा भवन और उच्च न्यायालय भवन निर्माण की बात हो रही है, उसके लिए ग्रेटर रांची बनाने का स्वप्न किसका था, ये तो सबको मालूम होना चाहिए...
11. ये किसी को नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड के मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ही थे, जो विकास के आधार पर देश के सभी राज्यों में से सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के रुप में उस वक्त तीसरे स्थान पर पहुंच गये थे...जो आज तक कोई नहीं पहुंच सका....
12. जब उनका शासन था तो झारखंड का सम्मान था...जरा पूछिये मधु कोड़ा से और उनका समर्थन करनेवाले झामुमो, कांग्रेस और राजद के नेताओं व विधायकों से आज वो झारखंड को सम्मान क्यों नहीं मिलता...आखिर झारखंड के सम्मान के साथ खिलवाड़ किसने की...
13. भाजपा को शिखर पर ले जाने में भी बाबू लाल मरांडी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता...हमें याद है कि झारखंड बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई...। उस वक्त राजनाथ सिंह, अर्जुन मुंडा और बाबू लाल मरांडी ने संयुक्त रुप से प्रेस कांफ्रेस किया था...। हमारा सवाल था – बाबू लाल मरांडी से कि गर भाजपा सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री कौन होगा...बाबू लाल मरांडी ने बिना देर किये बताया – अर्जुन मुंडा। तुरंत यहीं सवाल अर्जुन मुंडा से मेरा था, अर्जुन मुंडा ने जवाब दिया कि पार्टी जो कहेगी, वो करेंगे, हालांकि वे भी दरियादिली दिखा सकते थे, पर उन्होंने नहीं दिखायी। ये वो समय था जब लाल कृष्ण आडवाणी के होठों पर अटल बिहारी वाजपेयी और अटल बिहारी वाजपेयी के होठो पर आडवाणी हुआ करते थे, पर झारखंड में बाबू लाल मरांडी के होठों पर अर्जुन मुंडा तो थे, पर अर्जुन मुंडा के होठों पर बाबू लाल मरांडी नहीं थे। एक बात और...झारखंड के राजनीति के धुरंधरों को ये जान लेना चाहिए कि अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले जाने में बाबू लाल मरांडी की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी... न कि किसी और नेता की...पर काल के पहिये ने... बाबू लाल मरांडी को भाजपा से इतना दूर कर दिया कि....वे भाजपा को आज की तारीख में पसंद ही नहीं करते...और न भाजपा के नेताओं को....
14. बाबू लाल मरांडी मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने विरोधियों को भी उतना ही सम्मान देते थे, जितना आज तक किसी ने नहीं दिया...याद करिये...भाकपा माले विधायक दल के नेता महेन्द्र प्रसाद सिंह के प्रति विधानसभा में दिया गया उनका बयान बहुत कुछ कह देता है...जरा आज के नेताओं का बयान देख लीजिये....हालांकि बाबू लाल मरांडी आज भी अपने विरोधियों को उतना ही सम्मान देते है...चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट और ये पूछना...क्या जी, कैसे है, सब ठीक...
15. सिंगल विंडो सिस्टम हो या ग्रेटर रांची, सब पर बाबू लाल मरांडी का विजन क्लियर था...नक्सलवाद का सफाया हो...या बेहतर झारखंड निर्माण की ललक...सचमुच बाबू लाल मरांडी आज भी झारखंड की जनता के बीच उतने ही लोकप्रिय है, जितने कल थे...ये अलग बात है कि चुनाव के समय उनके सहयोग से लोग जीत तो जाते है, पर झारखंड के दलबदलू कल्चर से अनुप्राणित होकर, ये जीते विधायक बाबू लाल मरांडी को ही ठेंगा दिखा देते है...हमें लगता है कि ऐसे लोगों को भी जनता देख रही है...
एक बार फिर बाबू लाल मरांडी को हृदय से आभार...
क्योंकि उनकी सोच, आज भी झारखंड को मजबूत करती है...
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