Friday, November 27, 2015

झारखंडवासियों से अपील...................

न प्रभात खबर अखबार पढ़े और न ही पढ़ाएं...
बच्चों से तो खासकर प्रभात खबर अखबार को दूर रखें, क्योंकि इससे उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है...
क्योंकि
ये अखबार भारत का मानचित्र ही गलत प्रकाशित करता है, कहीं आपका बच्चा इसके द्वारा प्रकाशित मानचित्र को ही सही मान लिया तो समझ लीजिये देश और बच्चा दोनों का नुकसान...
यहीं नहीं, आजकल ये अखबार महागठबंधन के प्रति समर्पित हो गया है...
इसे महागठबंधन की गलतियां नजर नहीं आती, इसे सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में ही गलतियां नजर आती है…
प्रधानमंत्री के खिलाफ विषवमन करनेवाले पत्रकारों की लंबी फौज को ये अपने अखबार में स्थान दे देता है...
क्योंकि इसका प्रधान संपादक हरिवंश जदयू से राज्यसभा का सांसद है, यानी पत्रकारिता के प्रति कम और नीतीश कुमार के प्रति ये ज्यादा वफादार खुद को साबित करने के लिए अनाप – शनाप छापे रहता है...साथ ही महागठबंधन के शीर्षस्थ नेताओं की गलतियों पर पर्दा डालता रहता है...
उदाहरण...
दिनांक 26 नवम्बर को रांची से प्रकाशित व प्रसारित सारे अखबारों को ले लीजिये...
जिसमें सारे अखबारों ने महागठबंधन के नेता राहुल गांधी से संबंधित समाचार को प्रमुखता से स्थान दिया है, जिसमें बेंगलुरु के माउंट कार्मेल कॉलेज में छात्र-छात्राओँ के साथ सवाल – जवाब के बीच राहुल गांधी साफ फंसते नजर आ रहे है, यही नहीं उनकी जमकर किरकिरी भी हुई है...पर प्रभात खबर ने अपने इस खबर को पृष्ठ संख्या 17 पर स्थान दिया, वह भी इस प्रकार दिया है कि जब ज्यादा जोर लगायेंगे तो उस पर आपकी नजर जायेंगी, राहुल गांधी को बचाने का प्रभात खबर ने कम प्रयास नहीं किया, बल्कि एड़ी चोटी लगा दी, पर राहुल गांधी का ऐसा ये समाचार था कि प्रभात खबर के किसी भी व्यक्ति में हिम्मत नहीं थी कि राहुल की वे इज्जत बचा लें...पर क्या करें हरिवंश जदयू के नेता जो ठहरे, महागठबंधन के नेता जो ठहरें...बेचारे ने ईमानदारी से राहुल के सम्मान को बचाने की कोशिश की...
आखिर क्या हुआ...बेंगलुरु में...
राहुल चले थे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्टाइल अपनाने, और यही स्टाइल अपनाना उनको महंगा पड़ गया...वो समझे कि जैसे बिहार के लोग है, उसी प्रकार बेंगलुरू के छात्र होंगे...
निठल्ले और महामूर्ख...
जो कहेंगे, वे हां में हां मिलाते रहेंगे और वे अपना उल्लू सीधा कर लेंगे, पर हुआ ठीक उल्टा...
राहुल ने पूछा – क्या स्वच्छ भारत पर काम हो रहा है?
स्टूडेंट्स – हां
राहुल ने पूछा – क्या मेक इन इँडिया से फायदा हुआ है?
स्टूडेंट्स – हां
राहुल ने पूछा – क्या वाकई ऐसा लगता है?
स्टूडेंट्स – हां
राहुल ने पूछा – क्या यंगस्टर्स को जॉब मिल रहा है?
स्टूडेंट्स – हां
प्रतिक्रियास्वरुप
और भी ऐसे कई सवाल हैं, जो छात्रों ने राहुल से पूछे, जिस पर राहुल की घिग्घी बंध गयी, पर प्रभात खबर में ये सारे के सारे सवाल खोजते रह जाओगे, नहीं मिलेगा। इसके लिए आपको अन्य अखबारों का सहारा लेना पड़ेगा...
ऐसे में हम प्रभात खबर क्यूं ले?, वह भी तब जबकि हमारे पास बहुत सारे विकल्प है, तो ऐसे में उन विकल्पों को क्यों न चुनें?, आखिर महागठबंधन के अखबार को लेने से हमें क्या फायदा?और झारखंड को क्या फायदा?
अखबार वहीं ले, जो मिट्टी से जूड़ा हो, ऐसे भी पटना जब जायेंगे तो प्रभात खबर का ध्येय वाक्य जो रांची में लिखा दिखता है – अखबार नहीं आंदोलन, इस ध्येय वाक्य की बिहार में हवा निकल जाती है और वहां बोलता है ये – बिहार जागे देश आगे, जब बिहार जागे तो देश आगे तो झारखंड जागे तो कौन आगे? इस सवाल का जवाब क्या प्रभात खबर के पास है?

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