लालू यादव ब्राह्मणों को अच्छी गाली दे लेते है...........
बिना ब्राह्मणों को गाली दिये, लालू का भोजन पचता भी नहीं.......
लालू यादव दुनिया के पहले नेता नहीं जो ब्राह्मणों को गाली देता है, ऐसे
कई नेता है जो ब्राह्मणों को गाली देना शान समझते है, इससे उन्हें वोटों
में बढ़ोत्तरी होती है और उनके दल का प्रचार – प्रसार भी हो जाता है। कंस
की परंपरा को वर्तमान युग में भी ले चलने की उनकी सोच बहुत ही निराली है।
स्थिति ऐसी है कि एक समय उनके घोर विरोधी माने जानेवाले अखबार के प्रधान
संपादक भी, अपने अखबार में उनके दिव्य फोटो छापने से अब परहेज नहीं करते,
क्योंकि उनके प्रिय नेता नीतीश कुमार के बड़े भाई के नाम से आजकल लालू यादव
विख्यात हो रहे है.......अपने प्रिय नीतीश को वे भला निराश कैसे कर सकते
है...। कुछ लोग कहते है कि शिवानंद तिवारी और मनोज झा जैसे ब्राह्मण लालू
की पार्टी में है, तो भाई मेरे रावण को भी कुछ लोग ब्राह्मण कहा करते है,
तो ऐसे में क्या हम शिवानंद तिवारी और मनोज झा जैसे लोगों को इसलिए हम
ब्राह्मण मान लें कि उसने ब्राह्मण कुल में जन्म ले लिया। जो लालू यादव
जैसे ब्राह्मण द्रोही की शरण में बैठकर, उसके भ्रष्टवाणियों को सुने, जो
पशुओं के चारा खा जानेवाले भ्रष्ट नेताओं की आरती उतारे वह किसी जिंदगी में
ब्राह्मण नहीं हो सकता....। उसके हाथ से तो जल ग्रहण करना या अपने बच्चों
पर आशीर्वाद के रुप में पुष्प-अक्षत छिड़कवाना भी महापाप है....जो भी
ब्राह्मण लालू यादव अथवा उसकी पार्टी या उसके समर्थकों का गुणगान करता है,
वह महापातक है, उसे तो नर्क में भी जगह नहीं मिले....जो गोमांस का समर्थन
करे, वह गोपालक कैसे हो सकता है, वह गोसंहारक है..........
सही मायनों
में अभी लालू यादव को ब्राह्मण से भेंट ही नहीं हुआ है, जिस दिन भेंट हो
जायेगा, उन्हें पता चल जायेगा, कि ब्राह्मण क्या होता है?, वे मनोज झा और
शिवानंद तिवारी जैसे ब्राह्मण, जो उनकी चरणवंदना करते है, वे समझ लेते है
कि बस अब ब्राह्मणों की यहीं औकात है...अरे लालू जी, जिस दिन ब्राह्मण अपने
तेज को पहचान लिया तो फिर आप कहां रहोगे, आपको पता ही नहीं चलेगा...
हां एक बात और, आपको आपके किये का फल ब्याज समेत ईश्वर दे रहा है, फिर भी
आपको शर्म नहीं...शर्म आयेगी भी कैसे, शर्मवालों को न शर्म होता है...आप तो
विशुद्ध रुप से बेशर्म है....बोलने की तो आपको तमीज है नहीं और न ही आप
बोलने की तमीज सीखेंगे, क्योंकि आप नमूने जो ठहरें, हमें तो लगा था कि
बिहार की सत्ता से दस साल बेदखल होने के बाद आपको बुद्धि आ गयी होगी, पर आप
तो वहीं है, न सुधरे थे, न सुधरे है, न सुधरेंगे........
खुब गाली
दीजिये ब्राह्मणों को, हो सके तो सारे चैनलों पर संतों की तरह प्रातः का एक
बुलेटिन बुक करवा लीजिये, और जी भरकर ब्राह्मणों को गाली दीजिये, क्योंकि
जब तक आप ब्राह्मणों को गाली नहीं दीजियेगा, तब तक आपका और आपके दल का
उद्धार कैसे होगा.....वोट कैसे मिलेगा, आप धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील कैसे
कहलाइयेगा....हां आप ही के एक दल में एक नेता है, शायद उसका नाम रघुवंश
प्रसाद सिंह है। उससे ज्ञान भी अर्जन करिये, वो बतायेगा कि गोमांस कब और
कैसे खाया जाता है?, कौन- कौन ऋषि गोमांस खाकर भगवान को प्राप्त कर लेते
थे? इससे एक नये समाज का जन्म होगा। सुबाहुवाद और मारीचवाद बिहार के कण-कण
में फैलेगा, तब परिकल्पना कीजिये....अपना बिहार कितना सुंदर दीखेगा....जब
सब बिहारी भाईयों के हाथों में गोमांस होगा....और जोरदार नारा लगायेंगे,
नारा इस प्रकार होगा.....
गोमांस हम खायेंगे,
लालू के संग जायेंगे....
धन्य – धन्य बिहार प्रदेश,
जहां मिले गोमांस अनेक....
यादव-मुस्लिम भाई-भाई
गोमांस से करो कमाई....
भाईचारा तभी आयेगा,
जब गोमांस सब खायेगा....
शाकाहारी मुर्दाबाद,
मासांहारी जिन्दाबाद.....
शाक-सब्जी नहीं खायेंगे
केवल गोमांस घर लायेंगे.....
रोज सबेरे, एक ही काम
ब्राह्मणों का, कर दो काम तमाम....
और लालू जी आपके लिए एक और काम की बात....सारे बिहार के लोगों को बता
दीजिये कि कैसे कश्मीर से सारे कश्मीरी पंडितों को भगा दिया गया और आज वहां
केवल मुस्लिमों की आबादी शान से रह रही है....इसलिए बिहार में भी
ब्राह्मणों को हटाने के लिए नीतीश कुमार के साथ एक व्यापक आंदोलन चलाईये
ताकि बिहार से ब्राह्मणों का सदा के लिए सफाया हो जाय और आप माई समीकरण के
तहत जब तक जिंदा रहे राज करें.....फिर आपके बेटे-बेटियां राज
करें....कालांतराल के बाद जब मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ जाये तो फिर आप के
खानदान के लोग सदा के लिए उन्हें सत्ता सौंप दें....बाद में आपकी आनेवाली
पीढ़ी खुद भी यह कहकर धर्मांतरण कर लें कि उन्हें लोकतंत्र में गहरी आस्था
है..........
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