माननीय प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी जी, इन निर्लज्जों के आगे मत झूकिये, नोटबंदी जारी रखिये,
भारत काला धन नामक कैंसर से स्वयं को मुक्त करना चाहता है और जब तक इस पर
कड़े निर्णय नहीं लिये जायेंगे, देश इस भयानक रोग से मुक्त नहीं हो सकता।
कमाल है, कल तक जो नेता भ्रष्टाचार और काला धन के खिलाफ आंदोलन करते थे, आज
आप के द्वारा काला धन के खिलाफ लिये गये निर्णय को ही कटघरे में रख रहे है
और काला धन को संरक्षित करने के लिए आंदोलन पर उतारु है। एक नेता जो स्वयं
को समाजवादी कहता है, उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री है, काला धन को आर्थिक
मंदी से लड़नेवाला हथियार बता रहा है। राहुल गांधी की तो बात ही निराली है,
वो क्या बोलता है?, क्या सोचता है?, उसे खुद मालूम नहीं। कल तक बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपके द्वारा लिये गये निर्णय को साहसिक बता रहे
थे, आज उनके दल आपके खिलाफ विपक्षी दलों के सुर में सुर मिला रहे है।
वामपंथी पार्टियों का तो चरित्र ही रहा है कि भाजपा के खिलाफ हर बात पर
आंदोलन कर देना, चाहे उसके लिए उसकी पार्टी की हवा ही क्यों न निकल जाये?
इधर एक चीज और देखने को मिल रही है। कुछ चैनल और कुछ अखबार इस मुद्दे पर दो
भागों में विभक्त हो गये। जीटीवी, एबीपी, इंडिया टीवी को आपके द्वारा
चलाया जा रहा यह अभियान देश हित में लग रहा है, पर आजतक और एनडीटीवी जो
शुरू से ही आपके विरोधी रहे है, इस अभियान के खिलाफ आग उगलने शुरु कर दिये
है।
पर आम जनता की क्या राय है, वो भी देखिये आज तक का सईद अंसारी नोटबंदी पर सोमवार की रात लाइभ समाचार दिखा रहा था, समाचार में वो दिखा रहा था कि जनता को नोटबंदी के बाद से कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है, और इसी खरखाई में वह जनता की ओर माइक लगा कर जनता से पूछ डाला, आप इस परेशानी पर क्या कहेंगे?, जनता ने कह डाला – हम मोदी के साथ है, जनता मोदी-मोदी कहकर चिल्लाने लगी, फिर क्या था?, सईद अँसारी और आजतक के होश ही उड़ गये। इसमें कोई दो मत नहीं कि आम जनता को इस नोटबंदी अभियान से परेशानी हुई है, पर जनता इतनी मूर्ख भी नहीं कि इसके अंदर की बात को नहीं जानती और न समझती हो। जनता नरेन्द्र मोदी के साथ है, क्योंकि जनता जानती है कि काला धन ने देश को कितना नुकसान पहुंचाया है? कैसे ये आतंकवादियों और नक्सलियों को मदद पहुंचा रहा है?, कैसे आंतकी कश्मीर के पत्थरबाजों तक ये काला धन पहुंचाते थे?, नकली नोटों के माध्यम से। कैसे जमाखोंरों और भ्रष्ट अधिकारियों का दल काला धन के माध्यम से देश और विदेश में अपना कारोबार फैला रखा था? हमारा मानना है कि देश को आत्मनिर्भर और सम्मान के साथ जीना है तो इस पर अंकुश लगाना ही होगा।
जरा बेशर्म नेताओं को देखिये...एक नेता कहता है कि काला धन पर अंकुश लगना चाहिए, पर समय गलत चूना गया। मैं पूछता हूं कि काला धन पर अंकुश कब लगे?, इसके लिए किसी पंडित के पास जाकर सुदिन देखना था क्या? क्या इससे काला धन रखनेवाले लोग सतर्क नहीं हो जाते? देश में जब भी काला धन पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया जाता, समस्याएं आती, और समस्याओं से लड़ने के लिए हमें कुछ त्याग करना होगा, देश हित में। सिर्फ खाने-पीने, सुतने और बेवजह की तिरंगे लहराने को देशभक्ति नहीं कहते।
मैं तो देख रहा हूं कि काला धन पर अंकुश लगाने के निर्णय से राजनीतिज्ञों, व्यापारियों, पत्रकारों, इंजीनियरों, डाक्टरों, आइएएस, आइपीएस, सरकारी बाबूओं और उन सारे दो नंबरियों के नींद उड़ चुके है, वे पैसों को ठिकाने लगाने के लिए नये – नये तरकीब ढूंढ रहे है। जो मजदूर कल तक सब्जी के बोरे ढोते थे, जो सामान ढोते थे, जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हुआ करती थी, जो तत्काल टिकट की बुकिंग करने के लिए रात से ही लाइन लगाने के लिए रेलवे टिकट बुकिंग काउंटर पर लगे रहते थे, उनसे रुपये बदलवाने का काम लिया जा रहा है, ये लोग बेवजह की एटीएम पर भीड़ लगा रहे है, जिनके कारण 30 प्रतिशत जरुरतमंदों को परेशानी उठानी पड़ रही है, हालांकि इन परेशानियों के बावजूद जनता मोदी की तारीफ करते नहीं थकती।
कल की ही बात है, रात में मैं एबीपी न्यूज देख रहा था, उस न्यूज में साफ दिखलाया जा रहा था कि जो लोग रात में ही एटीएम के पास पूरे परिवार के साथ खटिया और कंबल के साथ आ धमके है, वे सारे के सारे वहीं लोग है, जो काला धन को सफेद बनाने के लिए काला धन रखनेवालों की मदद कर रहे है। इनका एक ही मकसद है, काला धन रखनेवालों से मुंहमांगी रकम लो, और उनके काला धन को सफेद कर दो। हालांकि इन पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार ने स्याही लगाने का प्रबंध इनके हाथों में किया है। मैं चाहता हूं कि ऐसे लोगों को सीसीटीवी खंगाल कर, जेल में बंद भी करना चाहिए, ताकि काला धन रखनेवालों की मदद करनेवालों की नानी – दादी याद हो जाये।
हमारे देश में हर अच्छे काम करने पर उसका विरोध करना एक फैशन हो चला है। याद करिये, जब राजीव गांधी ने सरकारी कार्यालयों में कम्प्यूटर का प्रवेश कराया था, तो यहां की तत्कालीन वामपंथी और विपक्षी पार्टियों ने इसकी कितनी आलोचना की थी, इस निर्णय के खिलाफ कितना बड़ा आंदोलन चलाया था, पर आज सच्चाई क्या है?, सब के सामने है, इस कम्प्यूटर ने हमारी जिंदगी बहुत ही आसां कर दी है। ठीक इसी प्रकार नरेन्द्र मोदी द्वारा लिया गया, यह निर्णय देश को मजबूती देने के लिए है। बस हमें मजबूती प्रदान करनी है, इस निर्णय की।
सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर का नरेन्द्र मोदी द्वारा लिये गये निर्णय की प्रशंसा करते हुए यह कहना कि जब हमारे फौजी, देश के जवान, विपरीत परिस्थितियों में, अपनी जान पर खेलकर देश की हिफाजत कर रहे है तो क्या हम देश के लिए इतना भी नहीं कर सकते?, आखिर दो – चार घंटे लाइन में लग गये तो क्या हो गया?, कौन सा पहाड़ टूट गया?
इस एटीएम पर लगी लाइन पर जो लोग सवालिया निशान उठा रहे है, उनसे हमारा भी सवाल है, कि आखिर हाल ही में फोकट के जियो सिम लेने के लिए लोगों ने डेढ़ किलोमीटर की लंबी लाइऩ नहीं लगाई है क्या? फिल्मों के टिकट पाने के लिए लोग लंबी लाइन नहीं लगाते क्या? और लंबी लाइन लग भी गयी तो क्या हो गया? अरे देश तुम्हारा है, देश के लिए कुछ तो करो भाई...
पर आम जनता की क्या राय है, वो भी देखिये आज तक का सईद अंसारी नोटबंदी पर सोमवार की रात लाइभ समाचार दिखा रहा था, समाचार में वो दिखा रहा था कि जनता को नोटबंदी के बाद से कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है, और इसी खरखाई में वह जनता की ओर माइक लगा कर जनता से पूछ डाला, आप इस परेशानी पर क्या कहेंगे?, जनता ने कह डाला – हम मोदी के साथ है, जनता मोदी-मोदी कहकर चिल्लाने लगी, फिर क्या था?, सईद अँसारी और आजतक के होश ही उड़ गये। इसमें कोई दो मत नहीं कि आम जनता को इस नोटबंदी अभियान से परेशानी हुई है, पर जनता इतनी मूर्ख भी नहीं कि इसके अंदर की बात को नहीं जानती और न समझती हो। जनता नरेन्द्र मोदी के साथ है, क्योंकि जनता जानती है कि काला धन ने देश को कितना नुकसान पहुंचाया है? कैसे ये आतंकवादियों और नक्सलियों को मदद पहुंचा रहा है?, कैसे आंतकी कश्मीर के पत्थरबाजों तक ये काला धन पहुंचाते थे?, नकली नोटों के माध्यम से। कैसे जमाखोंरों और भ्रष्ट अधिकारियों का दल काला धन के माध्यम से देश और विदेश में अपना कारोबार फैला रखा था? हमारा मानना है कि देश को आत्मनिर्भर और सम्मान के साथ जीना है तो इस पर अंकुश लगाना ही होगा।
जरा बेशर्म नेताओं को देखिये...एक नेता कहता है कि काला धन पर अंकुश लगना चाहिए, पर समय गलत चूना गया। मैं पूछता हूं कि काला धन पर अंकुश कब लगे?, इसके लिए किसी पंडित के पास जाकर सुदिन देखना था क्या? क्या इससे काला धन रखनेवाले लोग सतर्क नहीं हो जाते? देश में जब भी काला धन पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया जाता, समस्याएं आती, और समस्याओं से लड़ने के लिए हमें कुछ त्याग करना होगा, देश हित में। सिर्फ खाने-पीने, सुतने और बेवजह की तिरंगे लहराने को देशभक्ति नहीं कहते।
मैं तो देख रहा हूं कि काला धन पर अंकुश लगाने के निर्णय से राजनीतिज्ञों, व्यापारियों, पत्रकारों, इंजीनियरों, डाक्टरों, आइएएस, आइपीएस, सरकारी बाबूओं और उन सारे दो नंबरियों के नींद उड़ चुके है, वे पैसों को ठिकाने लगाने के लिए नये – नये तरकीब ढूंढ रहे है। जो मजदूर कल तक सब्जी के बोरे ढोते थे, जो सामान ढोते थे, जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी तबाह हुआ करती थी, जो तत्काल टिकट की बुकिंग करने के लिए रात से ही लाइन लगाने के लिए रेलवे टिकट बुकिंग काउंटर पर लगे रहते थे, उनसे रुपये बदलवाने का काम लिया जा रहा है, ये लोग बेवजह की एटीएम पर भीड़ लगा रहे है, जिनके कारण 30 प्रतिशत जरुरतमंदों को परेशानी उठानी पड़ रही है, हालांकि इन परेशानियों के बावजूद जनता मोदी की तारीफ करते नहीं थकती।
कल की ही बात है, रात में मैं एबीपी न्यूज देख रहा था, उस न्यूज में साफ दिखलाया जा रहा था कि जो लोग रात में ही एटीएम के पास पूरे परिवार के साथ खटिया और कंबल के साथ आ धमके है, वे सारे के सारे वहीं लोग है, जो काला धन को सफेद बनाने के लिए काला धन रखनेवालों की मदद कर रहे है। इनका एक ही मकसद है, काला धन रखनेवालों से मुंहमांगी रकम लो, और उनके काला धन को सफेद कर दो। हालांकि इन पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार ने स्याही लगाने का प्रबंध इनके हाथों में किया है। मैं चाहता हूं कि ऐसे लोगों को सीसीटीवी खंगाल कर, जेल में बंद भी करना चाहिए, ताकि काला धन रखनेवालों की मदद करनेवालों की नानी – दादी याद हो जाये।
हमारे देश में हर अच्छे काम करने पर उसका विरोध करना एक फैशन हो चला है। याद करिये, जब राजीव गांधी ने सरकारी कार्यालयों में कम्प्यूटर का प्रवेश कराया था, तो यहां की तत्कालीन वामपंथी और विपक्षी पार्टियों ने इसकी कितनी आलोचना की थी, इस निर्णय के खिलाफ कितना बड़ा आंदोलन चलाया था, पर आज सच्चाई क्या है?, सब के सामने है, इस कम्प्यूटर ने हमारी जिंदगी बहुत ही आसां कर दी है। ठीक इसी प्रकार नरेन्द्र मोदी द्वारा लिया गया, यह निर्णय देश को मजबूती देने के लिए है। बस हमें मजबूती प्रदान करनी है, इस निर्णय की।
सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर का नरेन्द्र मोदी द्वारा लिये गये निर्णय की प्रशंसा करते हुए यह कहना कि जब हमारे फौजी, देश के जवान, विपरीत परिस्थितियों में, अपनी जान पर खेलकर देश की हिफाजत कर रहे है तो क्या हम देश के लिए इतना भी नहीं कर सकते?, आखिर दो – चार घंटे लाइन में लग गये तो क्या हो गया?, कौन सा पहाड़ टूट गया?
इस एटीएम पर लगी लाइन पर जो लोग सवालिया निशान उठा रहे है, उनसे हमारा भी सवाल है, कि आखिर हाल ही में फोकट के जियो सिम लेने के लिए लोगों ने डेढ़ किलोमीटर की लंबी लाइऩ नहीं लगाई है क्या? फिल्मों के टिकट पाने के लिए लोग लंबी लाइन नहीं लगाते क्या? और लंबी लाइन लग भी गयी तो क्या हो गया? अरे देश तुम्हारा है, देश के लिए कुछ तो करो भाई...
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