ये माननीय नहीं हो सकते...
जो स्पीकर पर कुर्सियां फेकें...
जो स्पीकर पर जूते फेकें...
जो स्पीकर पर फॉगिंग स्प्रे करें...
जो रिपोर्टिंग टेबल पर आ धमकें...
जो मार्शल के साथ धक्का-मुक्की करें...
जो संसदीय कार्य मंत्री से कार्य सूची लूट कर फाड़ डालें...
जो झारखण्ड की भोली-भाली जनता के सम्मान की धज्जियां उड़ाएं...
वे माननीय नहीं हो सकते...
वे सिर्फ और सिर्फ गुंडे होते है...
कल झारखण्ड विधानसभा में जो कुछ हुआ, वह झारखण्ड की सवा तीन करोड़ जनता का अपमान है...
यह भारतीय लोकतंत्र का अपमान है...
इन जनप्रतिनिधियों को ये नहीं भूलना चाहिए कि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दिया। विपक्ष में बैठने का ये मतलब नहीं कि आप सत्तापक्ष को अपने गुंडागर्दी से या अन्य प्रकार से भय दिखाकर कोई काम करने से रोक दें। आप विपक्षी दल है, राज्य सरकार अगर गलत कर रही है, तो उसके खिलाफ आक्रोश व्यक्त करने अथवा जनता को गोलबंद करने के और भी उपाय है, न कि आप गुंडागर्दी करें और किसी पर वह भी सदन में, जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहते है, वहां आप किसी पर जानलेवा हमला करें।
कल इन्हीं बातों को लेकर, जब आपकी सदन में जाने के पूर्व जांच की जाने लगे और कल ये कह दिया जाये कि आप सदन में जूते खोल कर जाये, तो आप कहेंगे कि आपका अपमान किया जा रहा है, पर आपने स्वयं को अपमान कराने की तो सारी तैयारी कर ली, हमारे विचार से तो सारे जनप्रतिनिधियों को सदन में जाने के पूर्व हर प्रकार से जांच की जानी चाहिए ताकि उनके पास कोई ऐसी चीज न हो, जिससे वे हिंसक वारदातों को अंजाम दें...
शर्मनाक, गुंडई की हद है...
इन घटनाओं के लिए हम किसी एक दल को दोषी नहीं ठहरा सकते, ऐसा ही नजारा, उस वक्त देखने को मिला था, जब बाबू लाल मरांडी मुख्यमंत्री थे, तब तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी पर भाजपा के रवीन्द्र राय ने इस प्रकार की हरकत की थी, जो अशोभनीय थी। क्या सदन इसी के लिए बना है?, ये राजनीतिक दल विचार करें, क्या वे आनेवाले पीढ़ी को यहीं आचरण करने के लिए बतायेंगे? क्योंकि ये जैसा आज बोएंगे, वैसा ही काटेंगे-कटवायेंगे?
हम चाहेंगे कि विधानसभाध्यक्ष, कल सदन में जनप्रतिनिधियों के द्वारा की गई गुंडागर्दीवाली विजूयल को जनता के समक्ष सार्वजनिक करें, ताकि लोग देख सकें कि उनके जनप्रतिनिधि जिन्हें जनता ने वोट देकर सदन में पहुंचाया, वे किस प्रकार की हरकतें कर रहे हैं? इन जनप्रतिनिधियों की संतानें और उनकी गृहिणियां भी देखें कि जिन पर उन्हें नाज है, वे कैसी हरकतें, वह भी सदन में करते हुए दिखाई देते है?
हम चाहेंगे कि विधानसभाध्यक्ष ऐसे जनप्रतिनिधियों पर ऐसी कार्रवाई करें ताकि आनेवाले समय में फिर कोई जनप्रतिनिधि इस प्रकार की गुंडई न कर सकें। जब ये जनप्रतिनिधि लोकतंत्र के मंदिर में इस प्रकार की हरकतें कर सकते है, तो वे सामान्य स्थलों पर इनकी हरकतें कैसी होती होंगी?, ये अब समझने या समझाने की जरुरत नहीं है।
जो स्पीकर पर कुर्सियां फेकें...
जो स्पीकर पर जूते फेकें...
जो स्पीकर पर फॉगिंग स्प्रे करें...
जो रिपोर्टिंग टेबल पर आ धमकें...
जो मार्शल के साथ धक्का-मुक्की करें...
जो संसदीय कार्य मंत्री से कार्य सूची लूट कर फाड़ डालें...
जो झारखण्ड की भोली-भाली जनता के सम्मान की धज्जियां उड़ाएं...
वे माननीय नहीं हो सकते...
वे सिर्फ और सिर्फ गुंडे होते है...
कल झारखण्ड विधानसभा में जो कुछ हुआ, वह झारखण्ड की सवा तीन करोड़ जनता का अपमान है...
यह भारतीय लोकतंत्र का अपमान है...
इन जनप्रतिनिधियों को ये नहीं भूलना चाहिए कि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दिया। विपक्ष में बैठने का ये मतलब नहीं कि आप सत्तापक्ष को अपने गुंडागर्दी से या अन्य प्रकार से भय दिखाकर कोई काम करने से रोक दें। आप विपक्षी दल है, राज्य सरकार अगर गलत कर रही है, तो उसके खिलाफ आक्रोश व्यक्त करने अथवा जनता को गोलबंद करने के और भी उपाय है, न कि आप गुंडागर्दी करें और किसी पर वह भी सदन में, जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहते है, वहां आप किसी पर जानलेवा हमला करें।
कल इन्हीं बातों को लेकर, जब आपकी सदन में जाने के पूर्व जांच की जाने लगे और कल ये कह दिया जाये कि आप सदन में जूते खोल कर जाये, तो आप कहेंगे कि आपका अपमान किया जा रहा है, पर आपने स्वयं को अपमान कराने की तो सारी तैयारी कर ली, हमारे विचार से तो सारे जनप्रतिनिधियों को सदन में जाने के पूर्व हर प्रकार से जांच की जानी चाहिए ताकि उनके पास कोई ऐसी चीज न हो, जिससे वे हिंसक वारदातों को अंजाम दें...
शर्मनाक, गुंडई की हद है...
इन घटनाओं के लिए हम किसी एक दल को दोषी नहीं ठहरा सकते, ऐसा ही नजारा, उस वक्त देखने को मिला था, जब बाबू लाल मरांडी मुख्यमंत्री थे, तब तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी पर भाजपा के रवीन्द्र राय ने इस प्रकार की हरकत की थी, जो अशोभनीय थी। क्या सदन इसी के लिए बना है?, ये राजनीतिक दल विचार करें, क्या वे आनेवाले पीढ़ी को यहीं आचरण करने के लिए बतायेंगे? क्योंकि ये जैसा आज बोएंगे, वैसा ही काटेंगे-कटवायेंगे?
हम चाहेंगे कि विधानसभाध्यक्ष, कल सदन में जनप्रतिनिधियों के द्वारा की गई गुंडागर्दीवाली विजूयल को जनता के समक्ष सार्वजनिक करें, ताकि लोग देख सकें कि उनके जनप्रतिनिधि जिन्हें जनता ने वोट देकर सदन में पहुंचाया, वे किस प्रकार की हरकतें कर रहे हैं? इन जनप्रतिनिधियों की संतानें और उनकी गृहिणियां भी देखें कि जिन पर उन्हें नाज है, वे कैसी हरकतें, वह भी सदन में करते हुए दिखाई देते है?
हम चाहेंगे कि विधानसभाध्यक्ष ऐसे जनप्रतिनिधियों पर ऐसी कार्रवाई करें ताकि आनेवाले समय में फिर कोई जनप्रतिनिधि इस प्रकार की गुंडई न कर सकें। जब ये जनप्रतिनिधि लोकतंत्र के मंदिर में इस प्रकार की हरकतें कर सकते है, तो वे सामान्य स्थलों पर इनकी हरकतें कैसी होती होंगी?, ये अब समझने या समझाने की जरुरत नहीं है।
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