हमारे देश में एक से एक
नमूने नेता है, जो अपने पप्पू टाइप सलाहकारों के इशारों पर नाचते और बयान
देते है। इस नाचने और बयान देने में कभी – कभी सफलता हाथ लग जाती है तो ये
नेता बौरा जाते है और कह डालते है कि अरे वाह क्या तूने हमें सलाह दिया
है... हमारी तो बल्ले – बल्ले हो गयी। ये नमूने नेता ये भी नहीं सोचते कि
उनका ये बयान दोयम दर्जें से भी नीचे का है। बयान देने में ये नमूने नेता
ये भी नहीं देखते कि इससे सामाजिक ढांचा बिखरेगा, वे ऐसी – ऐसी हरकते करते है कि क्या कहा जाय? हम इसके लिए कोई एक दल को दोषी नहीं ठहरा सकते, इसमें सभी दोषी है।
जरा देखिये एक उदाहरण। झामुमो के नेता व वर्तमान में विरोधी दल के नेता हेमन्त सोरेन ने क्या कह दिया? हेमन्त सोरेन का विधानसभा में बयान है कि एटीएम से पैसे निकालने के दौरान मरनेवालों को सरकार शहीद का दर्जा दे। विधानसभा में इस बयान को स्पष्ट रूप से रखने के बाद, तो हमें लगता है कि हेमन्त को एक और बयान देना चाहिए कि भारत में जितने भी घूसखोर नेता है, जिन्होंने देशहित में घूस खाकर केन्द्र की सरकार बचाई, उसे भारत रत्न मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने स्वयं को घूस की दांव पर बिठाकर नरसिम्हाराव की सरकार बचाई। ऐसे नेताओं को भी भारत रत्न मिलना चाहिए जो अपने बेटे, बेटियों, पत्नियों और बहूओं को सांसद, विधायक बनाने के लिए मरे रहते है।
पता नहीं, हमारे देश के नेताओं को क्या हो गया है? वे चिरकूट टाइप का बयान क्यों दे देते है?, क्या उन्हें थोड़ा सा भी दिमाग नहीं? क्या एटीएम की लाइन में लगना और सीमा पर लाइन लगाकर देश की रक्षा करना दोनों एक ही बात हो सकती है, आखिर ये नेता दोनों अलग – अलग बातों को एक ही तराजू पर क्यों तौल रहे है? नेता विरोधी दल हेमन्त के बयान ने साफ कर दिया कि झारखण्ड के नेताओं की सोच किस स्तर का है? जब नेताओं की सोच दोयम दर्जें की होगी तो ये अपने राज्य को किस दिशा में ले जायेंगे?, ये भी जगजाहिर है, यानी मान लीजिये कि हर साख पर उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?
जरा देखिये एक उदाहरण। झामुमो के नेता व वर्तमान में विरोधी दल के नेता हेमन्त सोरेन ने क्या कह दिया? हेमन्त सोरेन का विधानसभा में बयान है कि एटीएम से पैसे निकालने के दौरान मरनेवालों को सरकार शहीद का दर्जा दे। विधानसभा में इस बयान को स्पष्ट रूप से रखने के बाद, तो हमें लगता है कि हेमन्त को एक और बयान देना चाहिए कि भारत में जितने भी घूसखोर नेता है, जिन्होंने देशहित में घूस खाकर केन्द्र की सरकार बचाई, उसे भारत रत्न मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने स्वयं को घूस की दांव पर बिठाकर नरसिम्हाराव की सरकार बचाई। ऐसे नेताओं को भी भारत रत्न मिलना चाहिए जो अपने बेटे, बेटियों, पत्नियों और बहूओं को सांसद, विधायक बनाने के लिए मरे रहते है।
पता नहीं, हमारे देश के नेताओं को क्या हो गया है? वे चिरकूट टाइप का बयान क्यों दे देते है?, क्या उन्हें थोड़ा सा भी दिमाग नहीं? क्या एटीएम की लाइन में लगना और सीमा पर लाइन लगाकर देश की रक्षा करना दोनों एक ही बात हो सकती है, आखिर ये नेता दोनों अलग – अलग बातों को एक ही तराजू पर क्यों तौल रहे है? नेता विरोधी दल हेमन्त के बयान ने साफ कर दिया कि झारखण्ड के नेताओं की सोच किस स्तर का है? जब नेताओं की सोच दोयम दर्जें की होगी तो ये अपने राज्य को किस दिशा में ले जायेंगे?, ये भी जगजाहिर है, यानी मान लीजिये कि हर साख पर उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?
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