Tuesday, November 22, 2016

सचमुच देश बदल रहा है.................

सचमुच देश बदल रहा है...
जो अंधे है, वे देख रहे है...
जो बहरे है, वे सुन रहे है...
जो गूंगे है, वे बोल रहे है...
जो लंगड़े है, वे दौड़ रहे है...
जिनके पास कल तक पैसे नहीं थे...
वे नोटबंदी में नोट बदलने के लिए बैंकों की लाइन को कम नहीं होने दे रहे...
जिनके घर में कल तक शादी नहीं थी, वे शादी का कार्ड छपवा रहे है...
जो कल तक तत्काल टिकट के लिए लाइन में लगा करते थे, वे नोटबंदी में नोट बदलने के लिए दिमाग लगाकर पैसे बटोर रहे है...
जो कल तक खड़े नहीं हो रहे थे, वे घंटो बैंक की लाइन में, एटीएम की लाइन में खड़े होकर मुस्कुरा रहे है...
जो कल तक बीमार ही नहीॆं होते थे, आज वे बीमार भी पड़ रहे है...
भारत में इन दिनों चाहे मौत की वजह कुछ भी क्यों न हो, पर सब आजकल नोटबंदी से ही मर रहे है...
एनडीटीवी, आजतक के चैनलों के संवाददाताओं की फौज को उनके मनपसंद बाइट नहीं मिल रहे, उलटे जनता ही उन्हें निशाने पर ले रही है...
नीतीश नोटबंदी के साथ, तो लालू को मोदी की यह आइडिया फर्जिकल स्ट्राइक लग रही है...
बेइमान आईएएस और आईपीएस की टोलियों के चेहरे मुरझा रहे है...
कुछ तो एक-दो दिन की छुट्टियां लेकर, रूपयों को ठिकाने में लगे है...
दो हजारिये से नीचे बात नहीं करनेवाले डाक्टरों का दल, एक अखबार को बुलवाकर, अपना बयान छपवा रहे है...
कल तक लाल बहादुर शास्त्री के एक इशारे पर, एक बयान पर एक दिन का उपवास करनेवाली भारत की जनता में से आज कुछ देश के वर्तमान प्रधानमंत्री को एक दिन भी देने को तैयार नहीं है...
सीमा पर सैनिक मरें, पर हम देश के भीतर भी अच्छे कार्यों के लिए किसी को एक मौका देने को तैयार नहीं है...
कल तक एक दूसरे को आपस में ही देखनेवाले नेताओं का दल, वर्तमान में एक ही सुर में मोदी के खिलाफ झकझूमर गा रहे है...
सचमुच देश बदल रहा है...

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