दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी,
बीफ खाने व खिलाने को आमदा राजद नेता लालू प्रसाद यादव और उनके गो भक्षण
को व्याकुल राजपूत कुलभूषण रघुवंश प्रसाद सिंह को मिलकर गोकशी दल बना लेना
चाहिए।
इसके अनेक फायदे हैं.........
1. आरएसएस व भाजपा, साथ ही भारत की उन बहुसंख्यक आबादी को बार-बार चिढ़ाने का मौका मिलेगा, जो गोमांस से परहेज करते है।
2. बहुसंख्यक जमात के दिलों को भले ही ठेस लगे, वो बोल नहीं सके, पर खुद को अल्पसंख्यक कहलाने में गौरव महसूस करनेवाले मुस्लिमों व ईसाईयों का वोट सदा के लिए उन्हीं का होकर रह जायेगा।
3. किसी को बुरा लगे तो लगे, जैसे बकरे कटते हैं, मुर्गियां कटती हैं, ठीक उसी प्रकार हर मुहल्ले में गोकशी केन्द्र बनना चाहिए ताकि लोग आराम से गो मांस खाकर स्वयं को सुबाहु व मारीच समझ सके, इससे देश में लाल-क्रांति हो जायेगी। गो की जनसंख्या का नियंत्रण भी हो जायेगा और वैज्ञानिक हल भी।
4. अंग्रेजों के फूट डालो शासन करो की नीति का फायदा, आजादी के बाद भी गोहत्या के द्वारा ही सिर्फ उठाया जा सकता है, ये देश के सभी राजनीतिक दलों को बता देना चाहिए, ताकि गोकशी दलों में आपसी भाईचारा बनी रहे।
5. गो हत्या के संबंध में सुबाहु-मारीच ने जो कहा था, ऐसे विद्वानों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए, ताकि महर्षि कण्व, कणाद की यह भूमि सुबाहु व मारीच जैसे लोगो के कारण जानी जाये, इससे फायदा यह होगा कि ब्राह्मणवाद भी खत्म होगा और सुबाहुवाद-मारीचवाद की नयी परंपरा जागृत होगी, इससे देश में सही रुप से समाजवाद आयेगा।
6. रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे राजद नेताओं को जयचंद व मानसिंह जैसे महान शख्सियतों के पद चिह्नों पर चलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने विदेशी आक्रांताओं व लूटेरों के साथ एक बेहतर संबंध बनाए। महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान तो मूर्ख थे, इसलिए हमारा रघुवंश प्रसाद सिंह को सुझाव होगा, कि गांव – गांव में जयचंद व मानसिंह स्मारक समिति बनाकर हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द उत्सव मनाते हुए जनजागृति चलाए और इस आयोजन में गोमांस अवश्य खिलवाएं, ताकि सुबाहू – मारीच के सपने पूरे हो सके, ताकि महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की आत्माएं सिसककर रोती रहे और मानसिंह व जयचंद की आत्माएं गौरवान्वित महसूस करें। लक्ष्य एक ही रखे - देश भाड़ में जाय, संस्कृति भाड़ में जाये, पर सुबाहु व मारीच के सपनों का भारत हम जरुर बनायेंगे और आनेवाले पीढ़ी को बताएंगे कि तुम राम और कृष्ण के वंशज नहीं, बल्कि तुम सुबाहु व मारीच की संतान हो, तुम्हें अकबर और मुहम्मद गोरी जैसे लोगों के लिए जीना है, जैसे ही देश में कोई ब्राह्मण जाति का टीका लगाये हुए व्यक्ति या गाय मिले, उसका सर कलम कर दो, क्योंकि उसे जीने का अधिकार ही नहीं, जीने का अधिकार सिर्फ रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे कुलभुषणों का हैं...........
7. हर सप्ताह एक बैनर लगाकर, जैसा कि आजकल फैशन चल गया है, गोकशी दलों में शामिल लोगों को गोमांस खाओ आंदोलन चलाना चाहिए, ताकि देश से सारी गाये ही समाप्त हो जाय, क्योंकि बच्चों को दूध-मक्खन-घी नहीं बल्कि मांस यत्र-तत्र-सर्वत्र उपलब्ध होना ही चाहिए।
8. गोकशी दलों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि गर किसी मां के छाती से दूध न निकले तो डाक्टरों द्वारा प्रचारित व प्रसारित कि बच्चों को गाय का दूध पिलाये, ऐसे डाक्टरों को दंडित कर दिया जाय। ये सुनिश्चित किया जाय कि भारत में जो भी बच्चे पैदा होंगे, वे सुबाहु व मारीच की तरह गाय का दूध के बदले गाय का रक्त और फिर बड़ा होते ही गोमांस खायेंगे। इससे देश बहुत ही तरक्की करेगा............
9. जो भी व्यक्ति या दल या संस्थान गोरक्षा अभियान चलाए, उसे तत्काल फांसी पर लटकाने का भी प्रबंध होना चाहिए, क्योंकि ये माना जाये कि गोरक्षा अभियान चलाने वाले देश के सबसे बड़े शत्रु है और ये खाने की स्वतंत्रता का हनन करते है।
10. गोकशी दलों को विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम से भी गोहत्या कराने को प्रेरित करना चाहिए, ताकि मीडिया में शामिल उनके भाई-बंधु-बहनें भी अनुप्राणित हो सके। मीडिया में शामिल सभी पत्रकारों और मीडिया के मालिकों को किसने कितनी गो हत्याएं की या करवायी, उस पर एक प्रतियोगिता भी रखनी चाहिए, ताकि लोग सारे काम – धाम छोड़कर गोहत्या प्रतियोगिता में शामिल होकर, देश का मान बढ़ा सके.......
11. गोकशी दलों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग गोमांस खा रहे है, वे अपने गर्दन में एक आईकार्ड जरुर रखे, जिसमें लिखा हो, हमें गर्व है कि हम गोमांस खाये हैं, ताकि दूसरे लोग समझ ले कि सामनेवाला व्यक्ति प्रगतिशील और वह निहायत मूर्ख है।
12. गोमांस खाने के बाद गर किसी को मनुष्य के मांस खाने की आदत हो जाये, तो इसकी भी विशेष व्यवस्था करने के लिए गोकशी दल को तैयार रहना चाहिए क्योंकि खाने की स्वतंत्रता तो हर हाल में एक सामान्य व्यक्ति को होना ही चाहिए।
क्यों कैसी रहीं............
जनहित में जारी.........
खासकर बिहार के दाढ़ीवाले बाबा रघुवंश को सादर समर्पित...........
इसके अनेक फायदे हैं.........
1. आरएसएस व भाजपा, साथ ही भारत की उन बहुसंख्यक आबादी को बार-बार चिढ़ाने का मौका मिलेगा, जो गोमांस से परहेज करते है।
2. बहुसंख्यक जमात के दिलों को भले ही ठेस लगे, वो बोल नहीं सके, पर खुद को अल्पसंख्यक कहलाने में गौरव महसूस करनेवाले मुस्लिमों व ईसाईयों का वोट सदा के लिए उन्हीं का होकर रह जायेगा।
3. किसी को बुरा लगे तो लगे, जैसे बकरे कटते हैं, मुर्गियां कटती हैं, ठीक उसी प्रकार हर मुहल्ले में गोकशी केन्द्र बनना चाहिए ताकि लोग आराम से गो मांस खाकर स्वयं को सुबाहु व मारीच समझ सके, इससे देश में लाल-क्रांति हो जायेगी। गो की जनसंख्या का नियंत्रण भी हो जायेगा और वैज्ञानिक हल भी।
4. अंग्रेजों के फूट डालो शासन करो की नीति का फायदा, आजादी के बाद भी गोहत्या के द्वारा ही सिर्फ उठाया जा सकता है, ये देश के सभी राजनीतिक दलों को बता देना चाहिए, ताकि गोकशी दलों में आपसी भाईचारा बनी रहे।
5. गो हत्या के संबंध में सुबाहु-मारीच ने जो कहा था, ऐसे विद्वानों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए, ताकि महर्षि कण्व, कणाद की यह भूमि सुबाहु व मारीच जैसे लोगो के कारण जानी जाये, इससे फायदा यह होगा कि ब्राह्मणवाद भी खत्म होगा और सुबाहुवाद-मारीचवाद की नयी परंपरा जागृत होगी, इससे देश में सही रुप से समाजवाद आयेगा।
6. रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे राजद नेताओं को जयचंद व मानसिंह जैसे महान शख्सियतों के पद चिह्नों पर चलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने विदेशी आक्रांताओं व लूटेरों के साथ एक बेहतर संबंध बनाए। महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान तो मूर्ख थे, इसलिए हमारा रघुवंश प्रसाद सिंह को सुझाव होगा, कि गांव – गांव में जयचंद व मानसिंह स्मारक समिति बनाकर हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द उत्सव मनाते हुए जनजागृति चलाए और इस आयोजन में गोमांस अवश्य खिलवाएं, ताकि सुबाहू – मारीच के सपने पूरे हो सके, ताकि महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान की आत्माएं सिसककर रोती रहे और मानसिंह व जयचंद की आत्माएं गौरवान्वित महसूस करें। लक्ष्य एक ही रखे - देश भाड़ में जाय, संस्कृति भाड़ में जाये, पर सुबाहु व मारीच के सपनों का भारत हम जरुर बनायेंगे और आनेवाले पीढ़ी को बताएंगे कि तुम राम और कृष्ण के वंशज नहीं, बल्कि तुम सुबाहु व मारीच की संतान हो, तुम्हें अकबर और मुहम्मद गोरी जैसे लोगों के लिए जीना है, जैसे ही देश में कोई ब्राह्मण जाति का टीका लगाये हुए व्यक्ति या गाय मिले, उसका सर कलम कर दो, क्योंकि उसे जीने का अधिकार ही नहीं, जीने का अधिकार सिर्फ रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे कुलभुषणों का हैं...........
7. हर सप्ताह एक बैनर लगाकर, जैसा कि आजकल फैशन चल गया है, गोकशी दलों में शामिल लोगों को गोमांस खाओ आंदोलन चलाना चाहिए, ताकि देश से सारी गाये ही समाप्त हो जाय, क्योंकि बच्चों को दूध-मक्खन-घी नहीं बल्कि मांस यत्र-तत्र-सर्वत्र उपलब्ध होना ही चाहिए।
8. गोकशी दलों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि गर किसी मां के छाती से दूध न निकले तो डाक्टरों द्वारा प्रचारित व प्रसारित कि बच्चों को गाय का दूध पिलाये, ऐसे डाक्टरों को दंडित कर दिया जाय। ये सुनिश्चित किया जाय कि भारत में जो भी बच्चे पैदा होंगे, वे सुबाहु व मारीच की तरह गाय का दूध के बदले गाय का रक्त और फिर बड़ा होते ही गोमांस खायेंगे। इससे देश बहुत ही तरक्की करेगा............
9. जो भी व्यक्ति या दल या संस्थान गोरक्षा अभियान चलाए, उसे तत्काल फांसी पर लटकाने का भी प्रबंध होना चाहिए, क्योंकि ये माना जाये कि गोरक्षा अभियान चलाने वाले देश के सबसे बड़े शत्रु है और ये खाने की स्वतंत्रता का हनन करते है।
10. गोकशी दलों को विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम से भी गोहत्या कराने को प्रेरित करना चाहिए, ताकि मीडिया में शामिल उनके भाई-बंधु-बहनें भी अनुप्राणित हो सके। मीडिया में शामिल सभी पत्रकारों और मीडिया के मालिकों को किसने कितनी गो हत्याएं की या करवायी, उस पर एक प्रतियोगिता भी रखनी चाहिए, ताकि लोग सारे काम – धाम छोड़कर गोहत्या प्रतियोगिता में शामिल होकर, देश का मान बढ़ा सके.......
11. गोकशी दलों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग गोमांस खा रहे है, वे अपने गर्दन में एक आईकार्ड जरुर रखे, जिसमें लिखा हो, हमें गर्व है कि हम गोमांस खाये हैं, ताकि दूसरे लोग समझ ले कि सामनेवाला व्यक्ति प्रगतिशील और वह निहायत मूर्ख है।
12. गोमांस खाने के बाद गर किसी को मनुष्य के मांस खाने की आदत हो जाये, तो इसकी भी विशेष व्यवस्था करने के लिए गोकशी दल को तैयार रहना चाहिए क्योंकि खाने की स्वतंत्रता तो हर हाल में एक सामान्य व्यक्ति को होना ही चाहिए।
क्यों कैसी रहीं............
जनहित में जारी.........
खासकर बिहार के दाढ़ीवाले बाबा रघुवंश को सादर समर्पित...........
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