Thursday, October 15, 2015

क्या बिहार में महागठबंधन से चुनाव लड़ रहे एनडीटीवी के रवीश कुमार के भाई चुनाव जीत पायेंगे...........

रांची से एक अखबार प्रकाशित होता है – खबर मंत्र। उसने 14 अक्टूबर को अपनी अभिव्यक्ति पृष्ठ पर एनडीटीवी के एक पत्रकार रवीश कुमार का उसके ब्लॉग से साभार आलेख छापा है। ये वहीं रवीश कुमार है, जो टीवी पर बहुत ही सुंदर अभिनय करने के कारण, इलेक्ट्रानिक मीडिया में जगह बनानेवाले नये – नये पत्रकारों का चहेता बना हुआ है। वह बहुत ही अच्छी – अच्छी बातें करता है, भाजपा को खूब गरियाता है, पर नीतीश का नाम जुबां पर आते ही नीतीश भक्ति में स्वयं को अनुप्राणित कर लेता है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उसने बिहार का दौरा किया था, और उसी वक्त एक उसका आलेख प्रभात खबर में पढ़ने को मिला था, उस आलेख को पढ़ने पर मुझे साफ लगा था कि यह व्यक्ति नीतीश भक्ति में बहुत ही कन्फ्यूज्ड है, उसे जनता का नब्ज पहचानने नहीं आता। उसने उस वक्त आलेख में लिखा था कि बिहार में लोकसभा चुनाव का जो परिणाम आयेगा वह अप्रत्याशित होगा, जो भाजपा के खिलाफ रहेगा, पर हुआ ठीक इसके उलटा। भाजपा के लहर में बिहार से उसके भगवान नीतीश का ही सफाया हो गया।
फिलहाल नीतीश, लालू और राहुल की तिकड़ी से बने महालंठबंधन को जीताने के लिए अंदर ही अंदर वह सक्रिय है। खबर मंत्र में कल के छपे आलेख से फिर इसकी कलाकारी दीख रही है। बहुत कम ही लोगों को पता है कि रवीश कुमार का भाई ब्रजेश पांडे गोविंदगंज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। सूत्र बताते है कि जहां से रवीश का भाई चुनाव लड़ रहा है, वहां ब्रजेश पांडे आज तक कभी गया ही नहीं, फिर भी वह जीतने के लिए हर हथकंडे अपना रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि रवीश के नीतीश भक्ति का ही कमाल है कि गोविंदगंज से मीना द्विवेदी, जो जदयू के टिकट पर लगातार दो बार चुनाव जीतती आयी थी, उस मीना द्विवेदी को नीतीश ने इस बार नहीं उतारा और ये सीट अपने भक्त रवीश को खुश करने लिए रवीश के भाई ब्रजेश को दिलवा दिया और आज ब्रजेश कांग्रेस के टिकट पर अपना किस्मत आजमा रहा है। यानी पत्रकारिता में भी, भाई – भतीजावाद शुरु और पत्रकारिता के आड़ में अब नेतागिरी भी, हालांकि हम आपको बता दें कि रवीश के भाई ब्रजेश की जीतने की उम्मीद न के बराबर है। रवीश अकेले नहीं, बहुत ऐसे पत्रकार है, जिन्हें नीतीश में भगवान नजर आता है, आनन्द नजर आता है, इसलिए नीतीश की गलतियां उसे दिखाई नहीं देती, पर जो रवीश करते है, वैसा कोई नहीं करता, यानी हाथी के दांत दिखाने को कुछ और खाने को कुछ...। हम आपको बता दें कि इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया को अपने चरणों में नतमस्तक कराने के लिए अनेक कार्य किये है, जैसे प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश को राज्यसभा भेजा। बिल्डर और कशिश चैनल के मालिक सुनील चौधरी को बेनीपुर से विधानसभा का टिकट देकर उसे बिहार विधानसभा में भेजने के लिए लगा है। यहीं नहीं ऐसे कई उदाहरण है, जो बताने के लिए काफी है कि नीतीश ने मीडिया को अपने चरण छूने को कैसे विवश किया है, पर मीडिया के लोग है, जो लालच में आकर, वह सब कर रहे जो आज का नेता करता है........यानी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबने की ललक......क्योंकि उसे भी वह सब कुछ चाहिए, जो नेता के पास होता है......ये नीतीश भक्ति का ही कमाल है कि महागठबंधन के एक नेता लालू प्रसाद की अतरी में मंगलवार को सभा थी, और उस सभा से भीड़ ही गायब थी, पर गया से ही प्रकाशित प्रभात खबर में लालू प्रसाद से संबंधित यह समाचार पूर्णतः गायब है....साथ ही कई चैनलों ने इसे दिखाया ही नहीं, आखिर ये नीतीश भक्ति नहीं तो और क्या है.........

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