Tuesday, October 13, 2015

सिक्का उछाल बाबा और उनका राजनीतिक चुनावी सर्वे.............

बिहार में विधानसभा चुनाव क्या हो रहे है, राजनीतिक सर्वे करनेवाले विभिन्न संस्थाओं, समाचार पत्रों व चैनलों की जैसे मानो लॉटरी निकल गयी है। ये सारे के सारे विभिन्न राजनीतिक दलों से आर्थिक लाभ उठाकर उनके पक्ष में राजनीतिक सर्वे दिखा रहे है और राज्य के मतदाताओं को दिग्भ्रमित कर रहे है, पर शायद उन्हें पता नहीं कि बिहार के मतदाताओं का मस्तिष्क अन्य राज्य के मतदाताओं के ठीक उलट होता है। वह राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि राजनीतिक सर्वे प्रस्तुत करनेवाले आंकाओं का भी दिमाग ठिकाने लगाने जानता है।
कमाल हैं कुछ सर्वे महागठबंधन जिसे लोग महालंठबंधन भी कहते है, उन्हें पहले स्थान पर दिखा रही है, तो कुछ भाजपा गठबंधन को....और ये सारे के सारे सर्वे गोलमट्ठे की तरह, ऐसी-ऐसी चीजे जनता के समक्ष रख दे रहे है, जैसे लगता हैं कि बिहार की जनता महामूर्ख है। सर्वे ही नहीं, कुछ पत्रकारों की भी इस बिहार विधानसभा चुनाव ने सिट्ठी-पिट्ठी गुम कर दी है। स्वयं को ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ बतानेवाले चैनल एनडीटीवी का एक बिहार का ही पत्रकार पिछली लोकसभा चुनाव के दौरान जब वह बिहार में चुनाव की रिपोर्टिंग कर रहा था तो उसका एक लिखित आलेख प्रभात खबर ने प्रथम पृष्ठ पर छापा था। जिसमें वह पूरी तरह कन्फ्यूज था। उस वक्त उसके अनुसार भाजपा की स्थिति बिहार में ठीक नहीं थी। मैंने सोचा कि इस बार भी उसका आलेख प्रभात खबर में दीखेगा, पर अभी तक तो दिखाई नहीं पड़ा है। शायद उसे लग रहा हैं कि कहीं ऐसा नहीं कि पिछले आलेख की तरह इस बार के आलेख का भी कही बंटाधार न हो जाय। खैर, स्वयंभू लालू भक्तों व नीतीश भक्तों की टोली उनके महालंठबंधन गठबंधन को शिखर पर दिखाने के लिए आमदा है, जबकि दूसरी टोली भाजपा को शिखर पर पहुंचा कर ही दम ले रहा है, पर सच्चाई क्या है?, जो बिहार की राजनीति जानते है.....वे जान चुके है, कि बिहार से नीतीश की इस बार विदाई तय है, लालू की विदाई तो बिहार की जनता दस साल पहले ही कर चुकी है, इसलिए उनके विदाई का सवाल तो है ही नहीं। हां, अब सवाल यह हैं कि अब किसके माथे बिहार का मौर चढ़ेगा?
इधर महालंठबंधन और भाजपा गठबंधन को शिखर पर पहुंचानेवाले राजनीतिक सर्वे को देखिये........
इन सर्वे को देख, हमें लगता है कि हमारे यहां भी एक सिक्का उछाल बाबा है, जो विशुद्ध राजनीतिक सर्वे करते है, वे जो राजनीतिक सर्वे करते है, उनका कहीं सानी नहीं। उनका राजनीतिक सर्वे कभी – कभी सटीक भी हो जाता है, कैसे? आपको बताता हूं.........
सिक्का उछाल बाबा कहते है कि अरे राजनीतिक सर्वे क्या होता है, असली राजनीतिक सर्वे तो हम करते है, मैंने पूछा – कैसे?
और जब उन्होंने जवाब दिया तो मैं भौचक्का रह गया।
उन्होंने कहा कि वे किसी भी राज्य का या देश का चुनाव परिणाम का सर्वे करना होता है तो एक सिक्का हाथ में लेते है और उसी से सर्वेक्षण कर लेते है। मैंने पूछा – यह संभव कैसे है?
उन्होंने बताया – कि वे एक सिक्के लेकर उछालते है, जितना बार सिक्का उछला यानी उतनी बार उन्होंने उस राज्य की जनता से संपर्क किया, जैसे गर चार हजार बार सिक्का उछाला तो चार हजार जनता से संपर्क हो गया।
इसी प्रकार मकान के पूर्व की कोठरी में सिक्का उछाला तो राज्य के पूर्व की जनता का विचार मिल गया। दालान में उछाला तो राज्य के मध्य भाग में रहनेवाले जनता का विचार मिल गया। इसी प्रकार उत्तर की कोठरी और दक्षिण की कोठरी, पश्चिम की कोठरी में सिक्का उछाला तो उस – उस दिशा की जनता का विचार मिल गया।
सुबह में सिक्का उछाला तो 18 वर्ष से लेकर 35 वर्ष तक के युवाओं का विचार मिल गया।
दोपहर में सिक्का उछाला तो 36 से 45 वर्ष तक के युवाओं का विचार मिल गया।
शाम में सिक्का उछाला तो 46 से उपर के आयु के युवाओं का विचार मिल गया।
रात में सिक्का उछाला तो महिला वर्ग के विचारों का पता चल गया।
सोते हुए सिक्का उछाला तो उद्योगपतियों का विचार मिल गया।
दौड़ते हुए सिक्का उछाला तो किसान – मजदूरों का विचार मिल गया
टहलते हुए सिक्का उछाला तो सामान्य वर्ग का विचार मिल गया।
दूध दूहते सिक्का उछाला तो यादव बंधुओं का विचार मिल गया।
बैठकर सिक्का उछाला तो मुस्लिम बंधुओं का विचार मिल गया।
किताब लेकर सिक्का उछाला तो सवर्णों का विचार मिल गया।
हाथ में पोछा लेकर सिक्का उछाला तो दलितों का विचार मिल गया।
मैंने तुरंत उन्हें रोका और पूछा, सिक्का उछाले तो विचार कैसे मिल गया। उन्होंने तुरंत पलट कर कहा कि आपको पत्रकार कौन बना दिया?, आपको इतना भी ज्ञान नहीं। अरे बिहार में महालंठबंधन और भाजपा गठबंधन के बीच ही न मुकाबला है तो हो गया फैसला। चित्त – महालंठबंधन और पट भाजपा गठबंधन.......मतलब समझे।
हमें हंसी आ गयी........
सिक्का उछाल बाबा ने, हमारे सामने राजनीतिक सर्वे करनेवालों की पोल खोलकर रख दी थी।

No comments:

Post a Comment