Wednesday, May 17, 2017

“रघुकुल रीति सदा चलि आई” पर दाग मत लगाइये............

रघुवर जी, स्वयं को बदलिये...
आज जिस भाषा का आप प्रयोग कर रहे है, वो कतई ठीक नहीं, जनता को चिढ़ाइये नहीं, प्यार करिये।
माननीय मुख्यमंत्री जी, श्रीरामचरितमानस की सुंदर चौपाई “रघुकुल रीति सदा चलि आई” पर दाग मत लगाइये, इसे विवादित मत बनाइये। आप न तो रघुकुल में जन्म लिये है और न राम है। सत्ता संभालने के तुरंत बाद, जमशेदपुर के एक कार्यक्रम में अपने नाम का आपने सुंदर भाव प्रकट किया था। आपने कहा था रघुवर दास यानी रघुवर का दास अर्थात् हनुमान, पर शायद आपको मालूम नहीं कि हनुमान को हनुमान बनानेवाले जाम्बवन्त थे, पर आपके आसपास कोई जाम्बवन्त ही नहीं, जो आपको हनुमान बना सकें।
सच पूछिये, तो आप जाम्बवन्त की जगह कनफूंकवों से घिरे है, ऐसे में आप झारखण्ड का क्या हाल कर रहे है? वो किसी से छुपा नहीं। स्थिति ऐसी है कि आप जनता के बीच इतने अलोकप्रिय है कि कोई जनता आपको अब एक मिनट भी झेलने को तैयार नहीं, आज स्थिति यह है कि भाजपा नेताओं में अर्जुन मुंडा लोकप्रियता में शीर्ष पर है।
सीएनटी-एसपीटी पर आपका बयान, जनता के दिलों को चीर रहा है, आज तक भारत में कोई ऐसा नेता नहीं हुआ, जो जनता की बातों को तवज्जों न दें। आप शायद भूल रहे है कि इस देश में राजतंत्र नहीं लोकतंत्र है। आपको जनता ने आधारभूत संरचना को ठीक करने के लिए, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क आदि की बेहतरी के लिए चुना था, पर आप तो राजा बन बैठे और जनता के उपर मूंग दलने लगे।
आज नीतीश कुमार की सभा में आयी भीड़ नीतीश की लोकप्रियता के कारण नहीं आयी थी, कुछ महीने पहले अरविन्द केजरीवाल भी रांची आये थे, वहां भी भीड़ जुटी थी, वो अरविन्द केजरीवाल की लोकप्रियता के कारण नहीं जुटी थी, बल्कि आपकी अदूरदर्शिता और कनफूंकवों की मदद से चला रहे शासन, साथ ही आपकी अलोकप्रियता के कारण उनकी सभाओं में भीड़ जुटी थी।
इन दिनों आपके फोटो के साथ, जो एड फैक्टर ने विज्ञापन बनाया है, जो चौक-चौराहों पर लगे है, वो जनता को चिढ़ा रहा है, जनता इस विज्ञापन रुपी होर्डिंग को देख कर भड़क रही है, पर कनफूंकवे आपको बता रहे है कि जनता खुश है, ऐसा नहीं है।
अभी भी वक्त है, संभलिये, स्वयं को बदलिये, बहुत अच्छा लगा था, उस वक्त जब जनता के बीच आप जा रहे थे, उस वक्त माकपा की वृंदा करात, कांग्रेस के सुखदेव भगत और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने भी आपकी प्रशंसा की थी, पर इधर आप इस प्रकार स्वयं को जनता के समक्ष पेश कर रहे है, जैसे लगता है कि जनता आपकी दया पर निर्भर है, पता नहीं, कैसे-कैसे लोगों को आप अपने पास बैठाकर गलत निर्णय ले रहे है, जिससे जनता स्वयं को ठगी महसूस कर रही है।

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