झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का आम जनता के बीच अलोकप्रिय होने के प्रमुख कारण...
1. राज्य में कनफूंकवों के शासन की शुरुआत।
2. रघुवर शासन में लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार का बढ़ना, स्वयं जहां मुख्यमंत्री जन संवाद केन्द्र चलता है, वहां की लड़कियों ने राज्य महिला आयोग को पत्र लिखा कि यहां कार्यरत महिला संवादकर्मियों के साथ बराबर दुर्व्यवहार होता है। इन संवादकर्मियों को न्याय दिलाने के बजाय, इस पूरे मामले को ही मुख्यमंत्री जन संवाद केन्द्र चलानेवाले लोगों ने, मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मिलकर उन लड़कियों का आवाज सदा के लिए दबा दिया। यहां तक कि राज्य महिला आयोग ने उन लड़कियों के द्वारा भेजे गये पत्र का संज्ञान तक नहीं लिया। यहीं नहीं ये लड़कियां सीएमओ तक गयी, सब ने कहां न्याय मिलेगा, पर न्याय तो दूर, उन लड़कियों की आवाज ही सदा के लिए दबा दी गयी।
3. एक पीड़ित पिता जब मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिला तब मुख्यमंत्री ने उसे भरी सभा में बेईज्जत कर दिया, इसका फूटेज आज भी बहुत लोगों के पास है, जिसे जब चाहे देखा जा सकता है।
4. अयोग्यों और बेवकूफों को सम्मान और योग्य तथा विद्वानों को अपमान करने की परंपरा की शुरुआत।
5. आम जनता की बात को दरकिनार कर जबर्दस्ती सीएनटी-एसपीटी कानून को जमीन पर उतारने की कोशिश।
6. निकम्मे अफसरों पर नकेल नहीं कसना और छोटे-छोटे कर्मचारियों पर गाज गिराने की शुरुआत।
7. झारखण्ड लोक सेवा आयोग में भ्रष्टाचार चरम पर।
8. स्पष्ट नीति का अभाव, कई नीतियां बनी पर जमीन पर उतराने में नाकाम।
9. नक्सलियों को महिमामंडन करने की परंपरा की शुरुआत।
10. डोभा निर्माण और वन लगाओं अभियान में बड़े पैमाने पर लूट।
11. ठेकेदारों, अभियंताओं को लूट की छूट और आम जनता को अपमानित करने का काम प्रारंभ।
12. आम जनता के प्रति मुख्यमंत्री रघुवर दास का नजरिया ठीक नहीं होना। जब सामान्य जनता इनसे मिलने की कोशिश करती है तो ये उससे इस प्रकार बाते करते है, ऐसा इनका बॉडी लेग्वेंज होता है कि उनसे बात करनेवाला सामान्य नागरिक खुद को अपमानित महसूस करता है।
13. भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री रघुवर दास का रवैया ठीक नहीं होना। स्थिति ऐसी है कि कोई भी भाजपा कार्यकर्ता आज की स्थिति में रघुवर दास को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।
14. संघ के स्वयंसेवकों से बढ़ती दूरियां। संघ के बड़े अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की अक्षमता और स्वयंसेवकों के प्रति इनके द्वारा उठाये जा रहे कठोर रवैये की सूचना नागपुर और दिल्ली तक पहुंचाई।
15. अपने विरोधियों के साथ दमनात्मक रवैया, तथा विपक्षी दलों के प्रमुख और शीर्षस्थ नेताओं को अपमानित करना।
16. परिवारवाद को बढ़ावा देना।
17. आत्मप्रशंसा के लिए अयोग्य कंपनियों पर करोड़ों लूटाना, उन कंपनियों पर जो राज्य के एक मंत्री अमर कुमार बाउरी को अमर कुमारी बना देता है, जो राज्य के नक्शे के साथ खिलवाड़ कर देता है और उस पर एक्शन तक नहीं लिया जाता, बल्कि उसे और बढ़ावा दिया जाता है।
18. राज्य में आधारभूत संरचना का बुरा हाल। पूरे राज्य में अभूतपूर्व बिजली संकट, पेयजल संकट और सड़कों का बुरा हाल।
19. झूठ बोलने की कला में माहिर। बोकारो के एक दो पंचायत को कैशलेस बनाने की घोषणा कर देना और बाद में पता चलता है कि वह पंचायत तो कैशलेस हुआ ही नहीं है।
20. स्वच्छता अभियान की हवा निकल जाना।
21. मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर करोड़ों का खेल करना और उसका फायदा झारखण्ड को न के बराबर मिलना।
22. दीपावली के दिन चीनी सामानों का विरोध और बाद में चीन तथा अन्य देशों के व्यापारियों को झारखण्ड बुलाकर उनकी आरती उतारने की शुरुआत।
23. आत्ममुग्धता में बहने के कारण अच्छे और सही लोगों की बात नहीं सुनना और कनफूंकवों मे रमे रहना।
24. आरती उतारनेवाले पत्रकारों की जय-जय और राह दिखानेवाले पत्रकारों पर प्राथमिकी और उसे अपमानित करने का कार्य प्रारंभ।
1. राज्य में कनफूंकवों के शासन की शुरुआत।
2. रघुवर शासन में लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार का बढ़ना, स्वयं जहां मुख्यमंत्री जन संवाद केन्द्र चलता है, वहां की लड़कियों ने राज्य महिला आयोग को पत्र लिखा कि यहां कार्यरत महिला संवादकर्मियों के साथ बराबर दुर्व्यवहार होता है। इन संवादकर्मियों को न्याय दिलाने के बजाय, इस पूरे मामले को ही मुख्यमंत्री जन संवाद केन्द्र चलानेवाले लोगों ने, मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मिलकर उन लड़कियों का आवाज सदा के लिए दबा दिया। यहां तक कि राज्य महिला आयोग ने उन लड़कियों के द्वारा भेजे गये पत्र का संज्ञान तक नहीं लिया। यहीं नहीं ये लड़कियां सीएमओ तक गयी, सब ने कहां न्याय मिलेगा, पर न्याय तो दूर, उन लड़कियों की आवाज ही सदा के लिए दबा दी गयी।
3. एक पीड़ित पिता जब मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिला तब मुख्यमंत्री ने उसे भरी सभा में बेईज्जत कर दिया, इसका फूटेज आज भी बहुत लोगों के पास है, जिसे जब चाहे देखा जा सकता है।
4. अयोग्यों और बेवकूफों को सम्मान और योग्य तथा विद्वानों को अपमान करने की परंपरा की शुरुआत।
5. आम जनता की बात को दरकिनार कर जबर्दस्ती सीएनटी-एसपीटी कानून को जमीन पर उतारने की कोशिश।
6. निकम्मे अफसरों पर नकेल नहीं कसना और छोटे-छोटे कर्मचारियों पर गाज गिराने की शुरुआत।
7. झारखण्ड लोक सेवा आयोग में भ्रष्टाचार चरम पर।
8. स्पष्ट नीति का अभाव, कई नीतियां बनी पर जमीन पर उतराने में नाकाम।
9. नक्सलियों को महिमामंडन करने की परंपरा की शुरुआत।
10. डोभा निर्माण और वन लगाओं अभियान में बड़े पैमाने पर लूट।
11. ठेकेदारों, अभियंताओं को लूट की छूट और आम जनता को अपमानित करने का काम प्रारंभ।
12. आम जनता के प्रति मुख्यमंत्री रघुवर दास का नजरिया ठीक नहीं होना। जब सामान्य जनता इनसे मिलने की कोशिश करती है तो ये उससे इस प्रकार बाते करते है, ऐसा इनका बॉडी लेग्वेंज होता है कि उनसे बात करनेवाला सामान्य नागरिक खुद को अपमानित महसूस करता है।
13. भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री रघुवर दास का रवैया ठीक नहीं होना। स्थिति ऐसी है कि कोई भी भाजपा कार्यकर्ता आज की स्थिति में रघुवर दास को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।
14. संघ के स्वयंसेवकों से बढ़ती दूरियां। संघ के बड़े अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की अक्षमता और स्वयंसेवकों के प्रति इनके द्वारा उठाये जा रहे कठोर रवैये की सूचना नागपुर और दिल्ली तक पहुंचाई।
15. अपने विरोधियों के साथ दमनात्मक रवैया, तथा विपक्षी दलों के प्रमुख और शीर्षस्थ नेताओं को अपमानित करना।
16. परिवारवाद को बढ़ावा देना।
17. आत्मप्रशंसा के लिए अयोग्य कंपनियों पर करोड़ों लूटाना, उन कंपनियों पर जो राज्य के एक मंत्री अमर कुमार बाउरी को अमर कुमारी बना देता है, जो राज्य के नक्शे के साथ खिलवाड़ कर देता है और उस पर एक्शन तक नहीं लिया जाता, बल्कि उसे और बढ़ावा दिया जाता है।
18. राज्य में आधारभूत संरचना का बुरा हाल। पूरे राज्य में अभूतपूर्व बिजली संकट, पेयजल संकट और सड़कों का बुरा हाल।
19. झूठ बोलने की कला में माहिर। बोकारो के एक दो पंचायत को कैशलेस बनाने की घोषणा कर देना और बाद में पता चलता है कि वह पंचायत तो कैशलेस हुआ ही नहीं है।
20. स्वच्छता अभियान की हवा निकल जाना।
21. मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर करोड़ों का खेल करना और उसका फायदा झारखण्ड को न के बराबर मिलना।
22. दीपावली के दिन चीनी सामानों का विरोध और बाद में चीन तथा अन्य देशों के व्यापारियों को झारखण्ड बुलाकर उनकी आरती उतारने की शुरुआत।
23. आत्ममुग्धता में बहने के कारण अच्छे और सही लोगों की बात नहीं सुनना और कनफूंकवों मे रमे रहना।
24. आरती उतारनेवाले पत्रकारों की जय-जय और राह दिखानेवाले पत्रकारों पर प्राथमिकी और उसे अपमानित करने का कार्य प्रारंभ।
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