झारखण्ड की जनता की नजर में मुख्यमंत्री रघुवर दास की कोई इज्जत नहीं। कल की ही बात है, मैं रांची मेन रोड स्थित सुप्रसिद्ध व्यवसायी एवं उद्योगपति एक जैन परिवार से मिला। पूरा परिवार भाजपा एवं संघ से जुड़ा हुआ और जब मैंने उनसे राज्य और सरकार के बारे में खुलकर बात की, तो मैं सुनकर हैरान रह गया। वे इस बात को लेकर दुखी थे कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को बात करने की तमीज तक नहीं। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को कहा क्या बोलना है? कैसे बोलना है? कैसे अपनी बात रखनी है? इसका ज्ञान ही नहीं। ऐसे में यह राज्य उनके नेतृत्व में प्रगति करेगा, उन्हें ऐसा नहीं लगता। ढाई साल बीतने को आये, ढाई साल शेष है, जब आपने ढाई साल में कुछ काम नहीं किया तो मैं ये कैसे मान लूं कि आनेवाला ढाई साल ये कुछ अच्छा कर लेने में कामयाब हो जायेंगे। वे तो इतने दुखी थे कि वे ये भी कहने लगे कि यार काम करो या न करो, आपको बात करने में क्या परेशानी है? बात में रुखापन क्यों? आप किसी को इज्जत क्यों नहीं देते?
ठीक यहीं बात चर्च रोड स्थित एक व्यवसायी और गोस्सनर कॉलेज में पढ़ाई कर रहे एक युवा छात्र ने कहीं कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के लक्षण कुछ ठीक नहीं दीख रहे, अगली बार जब भी कभी विधानसभा के चुनाव होंगे, इस सरकार के जाने की पूरी गारंटी है, पर पुनः आने की संभावना दूर – दूर तक नहीं दीखती।
चुटिया में भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम बताती है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में वे मोदी जी के लिए काम करेंगे पर विधानसभा चुनाव में वे इस राज्य सरकार को हटाने के लिए जोर लगायेंगे, क्योंकि जनता को जवाब मुख्यमंत्री को नहीं देना होता है, कार्यकर्ताओं को देना होता है, इस मुख्यमंत्री के व्यवहार ने उन कार्यकर्ताओं को कहीं का नहीं छोड़ा है, इनसे कहीं अच्छे मुख्यमंत्री के रुप में अर्जुन मुंडा थे, जिनका कार्यकर्ताओं पर ध्यान रहता था, पर ये तो किसी को सुनते ही नहीं, पता नहीं कौन कनफूंकवा इनकी कान फूंक देता है और उसी के फूंक पर ये दीवाने होकर वे काम कर रहे है, जिससे पार्टी जनता से दूर होती चली गयी।
ठीक यहीं बात चर्च रोड स्थित एक व्यवसायी और गोस्सनर कॉलेज में पढ़ाई कर रहे एक युवा छात्र ने कहीं कि मुख्यमंत्री रघुवर दास के लक्षण कुछ ठीक नहीं दीख रहे, अगली बार जब भी कभी विधानसभा के चुनाव होंगे, इस सरकार के जाने की पूरी गारंटी है, पर पुनः आने की संभावना दूर – दूर तक नहीं दीखती।
चुटिया में भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम बताती है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में वे मोदी जी के लिए काम करेंगे पर विधानसभा चुनाव में वे इस राज्य सरकार को हटाने के लिए जोर लगायेंगे, क्योंकि जनता को जवाब मुख्यमंत्री को नहीं देना होता है, कार्यकर्ताओं को देना होता है, इस मुख्यमंत्री के व्यवहार ने उन कार्यकर्ताओं को कहीं का नहीं छोड़ा है, इनसे कहीं अच्छे मुख्यमंत्री के रुप में अर्जुन मुंडा थे, जिनका कार्यकर्ताओं पर ध्यान रहता था, पर ये तो किसी को सुनते ही नहीं, पता नहीं कौन कनफूंकवा इनकी कान फूंक देता है और उसी के फूंक पर ये दीवाने होकर वे काम कर रहे है, जिससे पार्टी जनता से दूर होती चली गयी।
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