सचिन, सचिन.....
26 मई, आज पूरे देश में विश्व के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को समर्पित एक फिल्म रिलीज हुई है, फिल्म का नाम है – सचिन ए बिलियन ड्रीम्स।
हमारे विचार से हर परिवार को यह फिल्म अपने बच्चों के साथ देखने चाहिए, क्योंकि बहुत दिनों के बाद ऐसी फिल्मे देखने को मिलती है, जिससे बच्चों को एक नई दिशा मिलती है।
फिल्म में क्या है? और फिल्म में क्या नहीं है? वो हर चीजे हैं, जो आप सचिन के बारे में जानना चाहते है।
जरा देखिये, सचिन तेंदुलकर ने क्या कहा, अपने पिता के बारे में, सचिन का कहना है कि उनके पिता ने कहा था कि जो तुम बनना चाहते हो, बनो, पर उससे ज्यादा जरुरी है कि तुम एक अच्छे इंसान बनो।
सचिन तेंदुलकर के शब्दों में, जब वे फील्ड में राष्ट्र गान गा रहे होते है, तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है, गर्व महसूस होता है, रोंगटे खड़े हो जाते है, पर मैंने सिनेमा हाल में देखा कि जब फिल्म प्रारंभ होने के पूर्व राष्ट्र गान प्रारंभ हुआ तो कई लोग ऐसे भी थे, जो खड़े तक नहीं हुए, क्यों खड़े नहीं हुए?, मैं इस पचड़े में पड़ना नहीं चाहता, क्योंकि कुछ लोग जन्मजात लंठ होते है, उन्हें आप सुधार नहीं सकते।
देशभक्ति सीखना हो, तो सचिन तेंदुलकर से सीखिये...
इंसानियत सीखनी है, तो सचिन तेंदुलकर से सीखिये...
एक स्पोर्टसमैन कैसा होना चाहिए, तो उसका सबसे सुंदर उदाहरण है – सचिन तेंदुलकर।
खेल के प्रति ईमानदारी देखनी है, तो उसके सबसे सुंदर उदाहरण – सचिन तेंदुलकर।
देश में एकता और अखंडता के पर्याय है – सचिन तेंदुलकर।
पर अफसोस, यह फिल्म राज्य सरकार द्वारा करमुक्त नहीं हुई है। भाई करमुक्त करने का क्या पैमाना है? ये राज्य सरकार ही जाने।
पर मेरा मानना है कि राज्य सरकार को यह फिल्म बिना किसी हाय तौबा के करमुक्त कर देना चाहिए, ताकि लोग यह फिल्म आराम से देख सके, यहीं नहीं इस फिल्म को हर स्कूल व कॉलेज में दिखाया जाना चाहिए ताकि युवा समझ सकें कि देश उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।
एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सचिन अपनी ईमानदारी, खेल के प्रति निष्ठा, तथा देशभक्ति के कारण पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गये। वे भारत रत्न से सम्मानित हुए।
इस देश को कपिलदेव और धौनी के नेतृत्व में विश्व कप मिला। दोनो बेहतर इंसान है, पर इसमें कोई दो मत नहीं कि सचिन इन दोनों से भी बेहतर है।
सचिन तेंदुलकर को भारतीयों से बहुत प्यार मिला है, पर सच्चाई ये भी है कि कई बार इन्हें अपमान भी झेलने पड़े, उसके बावजूद एक अच्छे इंसान के रुप में सचिन ने जो प्रतिष्ठा पाई है, उसकी प्रशंसा करनी होगी।
बधाई, फिल्म निर्माताओं, फिल्म में शामिल कलाकारों आपने बहुत ही ईमानदारी से सचिन की छवि, भारतीय जनमानस में पेश की। मराठी और अंग्रेजी शब्दों का हिन्दी रुपान्तरण बहुत ही बेहतरीन ढंग से किया। सचिन की पाकिस्तान यात्रा और अब्दुल कादिर की बॉलिंग विश्लेषण खराब करना, आस्ट्रेलिया को बुलाकर खेलने की साहस करना और भारत को प्रतिष्ठित करना, उस वक्त जब भारत फार्म में नहीं था, ये फैसला सिर्फ सचिन ही ले सकते है, दूसरा कोई नहीं। पिता के निधन का समाचार सुनने के बाद भी विचलित न होते हुए देश के लिए, देश की ओर से क्रिकेट खेलने का फैसला लेना, सचमुच प्रशंसनीय ढंग से उसका फिल्मांकण कर, आप सब ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई। एक बार फिर आप सब को बधाई।
26 मई, आज पूरे देश में विश्व के महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को समर्पित एक फिल्म रिलीज हुई है, फिल्म का नाम है – सचिन ए बिलियन ड्रीम्स।
हमारे विचार से हर परिवार को यह फिल्म अपने बच्चों के साथ देखने चाहिए, क्योंकि बहुत दिनों के बाद ऐसी फिल्मे देखने को मिलती है, जिससे बच्चों को एक नई दिशा मिलती है।
फिल्म में क्या है? और फिल्म में क्या नहीं है? वो हर चीजे हैं, जो आप सचिन के बारे में जानना चाहते है।
जरा देखिये, सचिन तेंदुलकर ने क्या कहा, अपने पिता के बारे में, सचिन का कहना है कि उनके पिता ने कहा था कि जो तुम बनना चाहते हो, बनो, पर उससे ज्यादा जरुरी है कि तुम एक अच्छे इंसान बनो।
सचिन तेंदुलकर के शब्दों में, जब वे फील्ड में राष्ट्र गान गा रहे होते है, तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है, गर्व महसूस होता है, रोंगटे खड़े हो जाते है, पर मैंने सिनेमा हाल में देखा कि जब फिल्म प्रारंभ होने के पूर्व राष्ट्र गान प्रारंभ हुआ तो कई लोग ऐसे भी थे, जो खड़े तक नहीं हुए, क्यों खड़े नहीं हुए?, मैं इस पचड़े में पड़ना नहीं चाहता, क्योंकि कुछ लोग जन्मजात लंठ होते है, उन्हें आप सुधार नहीं सकते।
देशभक्ति सीखना हो, तो सचिन तेंदुलकर से सीखिये...
इंसानियत सीखनी है, तो सचिन तेंदुलकर से सीखिये...
एक स्पोर्टसमैन कैसा होना चाहिए, तो उसका सबसे सुंदर उदाहरण है – सचिन तेंदुलकर।
खेल के प्रति ईमानदारी देखनी है, तो उसके सबसे सुंदर उदाहरण – सचिन तेंदुलकर।
देश में एकता और अखंडता के पर्याय है – सचिन तेंदुलकर।
पर अफसोस, यह फिल्म राज्य सरकार द्वारा करमुक्त नहीं हुई है। भाई करमुक्त करने का क्या पैमाना है? ये राज्य सरकार ही जाने।
पर मेरा मानना है कि राज्य सरकार को यह फिल्म बिना किसी हाय तौबा के करमुक्त कर देना चाहिए, ताकि लोग यह फिल्म आराम से देख सके, यहीं नहीं इस फिल्म को हर स्कूल व कॉलेज में दिखाया जाना चाहिए ताकि युवा समझ सकें कि देश उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।
एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सचिन अपनी ईमानदारी, खेल के प्रति निष्ठा, तथा देशभक्ति के कारण पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गये। वे भारत रत्न से सम्मानित हुए।
इस देश को कपिलदेव और धौनी के नेतृत्व में विश्व कप मिला। दोनो बेहतर इंसान है, पर इसमें कोई दो मत नहीं कि सचिन इन दोनों से भी बेहतर है।
सचिन तेंदुलकर को भारतीयों से बहुत प्यार मिला है, पर सच्चाई ये भी है कि कई बार इन्हें अपमान भी झेलने पड़े, उसके बावजूद एक अच्छे इंसान के रुप में सचिन ने जो प्रतिष्ठा पाई है, उसकी प्रशंसा करनी होगी।
बधाई, फिल्म निर्माताओं, फिल्म में शामिल कलाकारों आपने बहुत ही ईमानदारी से सचिन की छवि, भारतीय जनमानस में पेश की। मराठी और अंग्रेजी शब्दों का हिन्दी रुपान्तरण बहुत ही बेहतरीन ढंग से किया। सचिन की पाकिस्तान यात्रा और अब्दुल कादिर की बॉलिंग विश्लेषण खराब करना, आस्ट्रेलिया को बुलाकर खेलने की साहस करना और भारत को प्रतिष्ठित करना, उस वक्त जब भारत फार्म में नहीं था, ये फैसला सिर्फ सचिन ही ले सकते है, दूसरा कोई नहीं। पिता के निधन का समाचार सुनने के बाद भी विचलित न होते हुए देश के लिए, देश की ओर से क्रिकेट खेलने का फैसला लेना, सचमुच प्रशंसनीय ढंग से उसका फिल्मांकण कर, आप सब ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई। एक बार फिर आप सब को बधाई।
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