Monday, May 8, 2017

यहां तो सीएम और उनके उच्चाधिकारी टेंडर मैनेज कराते है, ये भ्रष्टाचार क्या रोकेंगे? – बाबू लाल मरांडी

बाबू लाल मरांडी यानी झारखण्ड के पहले मुख्यमंत्री, जिन्हें कभी झारखण्ड की राजनीति में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का वरद हस्त प्राप्त था। आज भी जो लोग राजनीति में शुचिता व शुद्धता की बात करते है, वे बाबू लाल मरांडी को पसंद करते है। हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान की झारखण्ड के मुख्यमंत्री पद के लिए बाबू लाल मरांडी ही उपयुक्त है, ये बात बताती है कि आज भी विपक्षी खेमे में बाबू लाल मरांडी का व्यक्तित्व और उनका जादू बरकरार है।
याद करिये बाबू लाल मरांडी के मुख्यमंत्रित्व काल में झारखण्ड का विकास का पहिया कितनी तीव्र गति से चल रहा था, शायद यहीं कारण था कि बाबू लाल मरांडी उस वक्त देश के सर्वश्रेष्ठ तीन मुख्यमंत्रियों में बहुत जल्द शामिल हो गये थे।
उन्ही के शासनकाल में...
1.  स्कूली लड़कियों को साइकिल देने की योजना लागू हुई थी।
2.  उन्हीं के समय में बीटीबीसी की पुस्तकों की जगह झारखण्ड में एनसीईआरटी की पुस्तकों ने स्थान ले लिया था। लक्ष्य था झारखण्ड के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर तक के पाठ्यक्रम से परिचय कराना।
3.  आधारभूत संरचनाओं को ठीक करने का काम, इन्हीं के शासनकाल में हुआ। जो सड़कें पूर्व में सिर्फ कागजों पर बन जाया करती थी, सहीं मायनों में सड़कों का रुप ले सकी थी, लोग कहने लगे थे कि हम झारखण्ड पहुंच गये है, वह भी तब जब लोग बिहार या ओड़िशा से सड़क मार्ग से झारखण्ड में प्रवेश करते थे, आज की क्या स्थिति है?  सभी को मालूम है।
4.  आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए होस्टल और खेलकूद में रुचि रखनेवाले छात्र-छात्राओं को विशेष व्यवस्था के साथ हॉस्टल खुलवाने का काम किया जाने लगा।
5.  लघु उद्योग जो दम तोड़ रहे थे, उन्हें भी ठीक किया जाने लगा।
6.  उग्रवाद कारण और निवारण विषयक संगोष्ठी कराकर, उग्रवाद के सफाये के लिए विशेष अभियान चलाने की कोशिश की गयी।
7.  आदिवासी इलाकों में विशेष ऋण देने, 90 प्रतिशत अनुदान पर बस उपलब्ध कराने की व्यवस्था करायी गयी ताकि आदिवासी समुदाय अपने पैरों पर खड़े हो सके।
8.  गांव – गांव में छोटे-छोटे पुल-पुलियों को ठीक किया जाने लगा।
9.  भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए निगरानी ब्यूरो को चुस्त-दुरुस्त किया गया। इन्हीं के समय में भ्रष्ट अधिकारियों के समूह में हड़कम्प मचा, कई जेल भेजे गये।
पर देखते  ही देखते बाबू लाल मरांडी की बढ़ती लोकप्रियता ने उस वक्त के नीतीश कुमार की पार्टी में रह रहे लाल चंद महतो, जलेश्वर महतो, बच्चा सिंह, रमेश सिंह मुंडा, मधु सिंह आदि मंत्रियों की नींद उड़ा दी। इन सभी ने ऐसा कुचक्र रचा, जिसके शिकार बाबू लाल मरांडी हो गये, हालांकि उस वक्त भी नीतीश कुमार और देश के उच्च स्तर के राजनीतिज्ञों ने बाबू लाल मरांडी का साथ नहीं छोड़ा। इन नेताओं का दबाव था कि बाबू लाल मरांडी अपने पद से इस्तीफा न दे, पर समय की परिस्थितियों को भांपते हुए बाबू लाल मरांडी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
जो लोग उन्हें जानते है, आज भी उन्हें सम्मान करते है, इधर वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सत्ता संभालने के बाद, जो कुछ ठोस निर्णय लिया था, उससे लगा था कि रघुवर दास, बाबू लाल मरांडी का रिकार्ड तोड़ देंगे, पर इधर कुछ छः सात महीनों से वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जो निर्णय लिया है, उससे वे राज्य की जनता ही नहीं, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के नजरों से भी गिर गये है। हाल ही में धनबाद में भाजपा विधायक ढुलू महतो के घर वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने गये मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा कार्यकर्ताओं से दूरियां बनाई, उससे भाजपा कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है, जिसे वहां के वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने अखबारों और सोशल साइट पर स्थान भी दिया।
अब से दो दिन पूर्व ही हमारी मुलाकात बाबू लाल मरांडी से हुई। उनसे राज्य के राजनीतिक हालात, जनता के हालात और विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। उन्होंने हमसे खुलकर हर उन बिन्दुओं पर अपना पक्ष रखा, जो बताता है कि राज्य के वर्तमान हालात ठीक नहीं है।
कृष्ण बिहारी मिश्र – राज्य की जनता रघुवर सरकार से बहुत ही नाराज है, अभी चुनाव हो जाये तो रघुवर सरकार की बुरी तरह हार तय है, आप की पार्टी इस वक्त क्या कर रही है? क्या वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए कुछ आपने प्लान बनायी?
बाबू लाल मरांडी – इन्हीं हालातों को देखते हुए, हमने अपनी पार्टी को मजबूत करने का काम शुरु किया है, चूंकि झारखण्ड की स्थिति एक समान नहीं है, अलग – अलग क्षेत्रों में अलग – अलग लोगों की बाहुल्यता है, उनकी परंपराएं – संस्कृतियां अलग – अलग है, कहीं कोई और पार्टी मजबूत है तो कहीं और, ऐसे में समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर एकरुपता लाने की हम कोशिश कर रहे है। हम एक ऐसा एजेंडा तैयार कर रहे है, जिसमें एक समानता हो। इस कार्य में सफलता मिल रही है। सभी पार्टियां इस बात को स्वीकार कर रही है कि भाजपा को शिकस्त देने के लिए एकता आवश्यक है, वोटो का बिखराव न हो, इस पर ज्यादा ध्यान है।
कृष्ण बिहारी मिश्र – राष्ट्रपति चुनाव में किसे समर्थन करेंगे?
बाबू लाल मरांडी – निःसंदेह हम सत्तारुढ़ दल के प्रत्याशी का विरोध करेंगे और विपक्षी दलों के प्रत्याशी का समर्थन करेंगे।
कृष्ण बिहारी मिश्र – रघुवर सरकार को आप कहां-कहां गलत देख रहे है?
बाबू लाल मरांडी – आप स्वयं बताए कि ये सही कहा है?  राज्य में कानून-व्यवस्था नहीं है। गुंडागर्दी चरम पर है। जमशेदपुर में मुख्यमंत्री के परिवार का आंतक है, स्वयं भाजपा के लोग, कार्यकर्ता आंतकित है, उनसे दूर होने लगे है। भ्रष्टाचार चरम पर है, कोई ऐसा विभाग नहीं, जहां बिना घूस के काम हो जाये। हमें याद है कि जब मैं मुख्यमंत्री था तब मैने कहा था कि जब हमें जानकारी मिलती है कि कहीं भ्रष्टाचार हो रहा है तो हमें नींद नहीं आती, जिसे लोग ने बहुत बड़ा मुद्दा बनाया था, पर आज की क्या स्थिति है? यहां तो मुख्यमंत्री के लोग टेंडर मैनेज कराते है।  मुख्यमंत्री और उच्चाधिकारियों का दल इसमें संलिप्त रहता है। पैसे मिले और उधर टेंडर मनमुताबिक लोगों को मिला। ये क्या हो रहा है?  झारखण्ड में। ये कैसा विकास है कि कई साल पहले रांची में एक अस्पताल बन कर तैयार है और वह काम नहीं कर रहा है, कैसी सरकार है यहां,  जो अपने जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा उपलब्ध नहीं करा रही, स्किल डेवलेपमेंट के नाम पर इन सब ने लूट मचा रखी है। सिंचाई का बुरा हाल है, डोभा के नाम पर पैसे की खुली लूट हुई, जनता को क्या मिला?  सरकार बताये कि कहां डोभा है और उस डोभे में कितना पानी है?
कृष्ण बिहारी मिश्र – कहा जाता है कि आपकी पार्टी को प्रदीप यादव ने डूबा दिया, जो भी विधायक पार्टी छोड़े, उन्होंने प्रदीप यादव की निरंकुशता पर अपना ध्यान आकृष्ट कराया?
बाबू लाल मरांडी – ये सफेद झूठ है, जिन्हें जाना है, वे जायेंगे, उन्हें कुछ न कुछ बोलना है, बोलेंगे।
सच्चाई यह है कि भाजपा और भाजपा के लोगों को बाबू लाल मरांडी और उनका दल हमेशा आंखों में खटकता है। वे जानते है कि भाजपा का कोई नुकसान करेगा तो वह है बाबू लाल मरांडी, क्योंकि झारखण्ड में जितनी पार्टियां है, उनके वोट बैंक अलग है, वो भाजपा को प्रभावित नहीं करती, चूंकि हमारी पार्टी जितना मजबूत होगी, उतना ही भाजपा को नुकसान होगा, ये बाते भाजपा के लोग जानते है, इसलिए वे बाबू लाल मरांडी को नुकसान पहुंचाने का कार्य करते है. हाल ही में झाविमो विधायकों को लालच दिखाकर उन्हें तोड़ना और भाजपा में शामिल कराना उसी की एक कड़ी है और मैं इन सबसे न तो घबराता हूं और टूटता हूं, अपना काम करता हूं, जनता सब देख रही है, परिणाम आयेगा।
कृष्ण बिहारी मिश्र – सरकार विकास के लिए लैंड बैंक बनायी है, कहती है कि उनके पास जमीन की कोई कमी नहीं है?
बाबू लाल मरांडी – अगर उनके पास जमीन है तो फिर आदिवासियों के जमीन पर उनकी नजर क्यों गड़ी है?  वे उन जगहों पर अपनी नजर क्यों नहीं गड़ाते, जहां जनसंख्या नहीं है, कौन उन्हें रोक रहा है? सच्चाई यह है कि लैंड बैंक के नाम पर भी सरकार लोगों को धूल झोंक रहीं है, क्योंकि जो लैंड के नाम पर सर्वे हुए है, वे बहुत पहले हुए है, और आज की जो स्थिति है, वह दूसरी है, शायद रघुवर दास और उनके उच्चाधिकारियों को मालूम नहीं।
कृष्ण बिहारी मिश्र – आप जब सत्ता में थे तो ग्रेटर रांची की बात करते थे पर आज सरकार स्मार्ट सिटी की बात कर रही है तो आप उसका विरोध क्यों कर रहे है?
बाबू लाल मरांडी – ग्रेटर रांची और स्मार्ट रांची में आकाश – जमीन का अंतर है। मेरे ग्रेटर रांची में रांची की जनता और झारखण्ड की जनता के बीच अनुकूलता और उसकी उपयोगिता पर बल दिया गया है। हमारे ग्रेटर रांची में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य आधारभूत संरचनाओं का समावेश है, वह भी जरुरतों को मुताबिक, जबकि स्मार्ट सिटी में ये बातें नहीं दिखती, ये उनलोगों के लिए बनायी जा रही है जो आर्थिक रुप से समृद्ध है, जिन्हें झारखण्ड की समझ नहीं है, इसका विरोध व्यापक स्तर पर होना चाहिए, अभी स्थिति है कि हमारे पास पीने को पानी नहीं है और चल रहे है स्मार्ट सिटी बनाने, ये क्या दिमागी फित्तूर है, हमें समझ में नहीं आ रहा, आज तो रांची के लोगों की जरुरतों को पूरा नहीं कर पा रही सरकार, स्मार्ट सिटी में बसनेवालों का क्या हाल होगा?
कृष्ण बिहारी मिश्र – राज्य सरकार स्थानीय नीति, सीएनटी-एसपीटी नीति लाई है, क्या आपकी सरकार आयेगी तो इसे बदलेंगे?
बाबू लाल मरांडी – निः संदेह बदलेंगे.  हम अपने झारखण्डियों के सपनों के अनुरुप कार्य करेंगे, न कि किसी पूंजीपतियों-उद्योगपतियों के मनोबल बढ़ाने और राज्य की जनता को गर्त में धकलेनेवाले नीतियों पर राज्य की जनता को ले चलेंगे।
कृष्ण बिहारी मिश्र – गोड्डा प्रकरण पर क्या कहेंगे?
बाबू लाल मरांडी – हमारा दृष्टिकोण साफ है, अगर कोई बेईमानी पर उतर जाये तो हम आंदोलन करेंगे।
कृष्ण बिहारी मिश्र – आपके दल से टिकट लेकर जीते लोग, दल बदल लिए, ढाई साल सरकार के होने चले, आखिर आपको न्याय कब मिलेगा?  जब सरकार अपने कार्यकाल पूरे पांच वर्ष पूरा कर लेगी तब?
बाबू लाल मरांडी – जब कोई बेईमानी पर उतर जाये, जब कोई संविधान को मानने से इनकार कर दें, जब अनुसूची 10 में स्पष्ट है कि कोई निर्दलीय भी अगर दल बदल करता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है, तो हम क्या कर सकते है?  हम कह सकते है कि झारखण्ड विधानसभा के विधानसभाध्यक्ष ने मर्यादा तोड़ी है, उन्होंने संविधान के प्रति निष्ठा न रखकर, अपने दल के प्रति निष्ठा रखी, जो सहीं नहीं है। ये तो उन्हें खुद आत्ममंथन करना चाहिए, क्योंकि स्पीकर का पद किसी दल का नहीं होता, वह तो संवैधानिक है।

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