संदर्भ --- बाबा रामदेव प्रकरण
सारा देश जानता हैं कि विदेशों में जो काला धन है, वो काला धन किस पार्टी का है और उस काला धन को संरक्षित करने में कौन सी सरकार ज्यादा दिमाग लगाती है। ऐसे में उस काला धन के खिलाफ जो भी आवाज उठायेगा, उसका हश्र क्या होगा। वो बाबा रामदेव के साथ जो आज आधी रात को कांग्रेसी सरकार ने किया, उससे सभी को सीख लेनी चाहिए। आप गुंडों और अपराधियों के घर के पास जाकर, कहो कि तुम गुंडे और अपराधी हो, ऐसे में वो गुंडा या अपराधी, गांधीवादी तो हैं नहीं कि आपको मिठाई खिलाकर अथवा फूल मालाओं से लादकर विदा करेगा, अरे वो तो वो कुटाई करेगा कि आप जिंदगी भर याद रखेंगे। वहीं कुटाई कांग्रंसियों और उसकी सरकार ने रामदेव के साथ कर दी, तो इसमें आश्चर्य कैसा, ये तो होना ही था, ये तो कांग्रेस का चरित्र ही है। जब भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठी, उस भ्रष्टाचार के खिलाफ उठनेवाली आवाज को कांग्रेंसियों ने बखूबी बंद किया। क्योंकि ये सशरीर भ्रष्टाचार रुपी नदीं में प्रतिदिन डुबकी लगाते हैं, नहीं तो जरा इनसे पूछो कि इनके पास जो ज्यामितीय प्रणाली से धन बढ़ते हैं, उसका राज क्या हैं।
कांग्रेसियों के घटियास्तर के चरित्र से देश को कितना नुकसान हो रहा हैं, उससे इन्हें क्या मतलब, ये तो देश भाड़ में जाय, खुद अरबों की संपत्ति इकट्ठा कर परम सुख पाते हुए, इस दुनिया से चल जाना चाहते हैं, ये कहकर की देश की आजादी हमारे लोगों ने लड़कर दिलायी हैं तो इसका फायदा, ब्याज सहित प्राप्त करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार हैं, जो इसका विरोध करेगा, वो झेलेगा।
बाबा रामदेव पर हमले कराना, बाबा रामदेव के आंदोलन व आमरण अनशन की धार को कुंद करने के लिए जनार्दन व्दिवेदी के प्रेस कांफ्रेस में एक सुनियोजित साजिश के तहत एक व्यक्ति द्वारा जनार्दन पर जूते फेंकने का नाटक करवाना, और इस घटना के लिए भाजपा और आरएसएस को दोषी ठहराना और इसके बाद रामदेव के चल रहे आमरण अनशन से देश और मीडिया का ध्यान बटवाना, इऩका बाये हाथ का खेल है। आजादी के बाद से लेकर, ये तो यहीं सब किये हैं। दिल्ली के मीडिया में, हैं किसी की हिम्मत जो कांग्रेसियों के इस चरित्र को नंगा करके दिखायें, जो उसके खिलाफ बोलेगा, कांग्रेसी साम दाम दंड भेद के द्वारा उसकी बोलती बंद करेंगे। यहीं कारण हैं कि इस देश में भ्रष्टाचार के नाम पर जितने भी आंदोलन हुए, उसका फलाफल य़े हैं कि मीडिया कांग्रेसी नेताओं के तलवे चाटने में ही ज्यादा रुचि दिखायी, उसका सुंदर उदाहरण लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन के बाद की इंदिरा की राजनीति है। मैं ये नहीं कहता कि देश के सभी मीडिया हाउस और पत्रकार कांग्रेसियों के हाथों के कठपुतलियां हैं, पर इतना जरुर कह सकता हूं कि ज्यादातर ऐसे ही हैं।
कांग्रेस में एक नेता है – दिग्विजय सिंह, उसे मध्यप्रदेश की जनता ने जब से मुख्यमंत्री पद से हटाया, वो पागल सा हो गया है। उसका पागलपन इसी से सिद्ध होता है कि वह लादेन के लिए, सम्मानजनक सूचक शब्द का प्रयोग करता हैं, और बाबा रामदेव को महाठग करार देता है। मुख्यमंत्री पद खोने के बाद, उसे आरएसएस और भाजपा के भूत दिन-रात, सुबह-शाम दिखाई पड़ते हैं, उसका वश चले तो ये भी कह दें कि ओसामा बिन लादेन को मारने में भाजपा और आरएसएस का ही हाथ हैं, वो कुछ भी कह सकता हैं और ऐसे पागलों को कभी कभी कांग्रेसी, उनका व्यक्तिगत बयान मानकर पिंड भी छुड़ा लेते हैं, पर जब सोनिया माता पर बन आती है, और सोनिया माता के पक्ष में जब इसका बयान कांग्रेसियों को लगता हैं कि सही है तो इसकी लंगोटी को पकड़ने के लिए, सभी कांग्रेसी राग यमन गाने लगते है। ये हैं कांग्रेसियों का चरित्र। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि देश में लोकतंत्र को गर खतरा है तो इन कांग्रेसियों से। इन्होंने देश का सत्यानाश करने का ठेका ले रखा है और इसके खिलाफ एक जोरदार आंदोलन की जरुरत है और वो आंदोलन एक दिन अवश्य होगा। कांग्रेसियों को हिन्द महासागर में फेंकने के लिए एक और लोकनायक को जन्मलेना होगा।
ऐसे मैं बता दूं कि रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरु किये गये आंदोलन अथवा विदेशों में पड़े भारतीयों के कालेधन को भारत लाने की मांग का मैं भी समर्थक हूं, पर उनके आंदोलन की कड़ी आलोचना करने में मैं पीछे नहीं हटता, क्योंकि वे खुद अपने को संत बताते हैं, योगगुरु बताते हैं पर शायद उन्हें पता नहीं कि संतों अथवा योगगुरु का काम, आंदोलन करना नहीं, बल्कि आंदोलन करवाना है। चाणक्य खुद लड़ा नहीं, बल्कि चंद्रगुप्त को पैदा कर वो काम करा लिया, जो वो चाहता था। महर्षि विश्वामित्र चाहते तो, खुद सुबाहु मारीच और ताड़का को मार सकते थे पर उन्होंने ऐसा किया नहीं, बल्कि उन्होंने दशरथ पुत्र राम और लक्ष्मण को इसका श्रेय दिया। पर रामदेव तो संत हैं नहीं कि उन्हें इसका भान हो अथवा कोई उऩ्हें बता दें कि ऐसा करें और वो मान ले। वो तो शत प्रतिशत उदयोगपति और राजनीतिज्ञ है, और जैसा कि एक उदयोगपति अपना उद्योग लगाने के लिए अथवा राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति चमकाने के लिए तेला – बेला करता हैं, वो भी कर रहे हैं, ऐसे भी इसमें गलती क्या हैं, सबको अपने अपने ढंग से जीने का अधिकार हैं, बाबा को सबको मूर्ख बनाने और अपना जय जयकार कराने में मजा आता हैं, और उनके अनुयायियों को भी मूर्ख बनने में परम आनन्द की प्राप्ति होती हैं तो गलत क्या हैं। खैर, हम इस पचड़ें में पड़ना भी नहीं चाहते।
पहले आंदोलन की बात ----------------
क्या ये सही नहीं कि बाबा रामदेव ने दिल्ली प्रशासन से झूठ बोला कि वो दिल्ली के रामलीला मैंदान में योग शिविर लगायेंगे और योग शिविर के नाम पर लगे हाथों सत्याग्रह और आमरण अनशन की धमकी दे डाली। क्या ये रामदेव के दोहरे चरित्र का भान नहीं कराता। जो संत अपने समर्थकों को दिल्ली में बुला लें और चुपके से दिल्ली की केन्द्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक कर अपने आंदोलन पर डील कर लें, फिर डील तोड़ने का नाटक करें और अपने समर्थकों को फिर आंदोलन के नाम पर भड़काने का काम करें, क्या ये एक संत का चरित्र हो सकता हैं और इस प्रकार के लोगों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन क्या मूर्तरुप ले सकते हैं। उत्तर होगा – कभी नहीं। आप ऐसा कर, भीड़ इक्ट्ठी कर सकते हैं, पर एक सफल आंदोलन नहीं कर सकते, क्योंकि आपके आंदोलन में ही खोट हैं। विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन पर चलाये गये बाबा रामदेव के इस आंदोलन से, बाबा रामदेव के असली चरित्र का भान शायद भारतवासियों को हो चुका हैं, और जो कुछ बचा हैं, वो धीरे – धीरे इनके द्वारा कालांतराल में जब कभी आंदोलन चलाया जायेगा, लोग पूरी तरह से जान लेंगे।
कुछ बातें कांग्रेसियों से ----------------
जब बाबा रामदेव का आंदोलन, गलत था। रामदेव और उनके समर्थक गैर कानूनी ढंग से आंदोलन स्थल पर आ डटे, तब उनसे किस आधार पर बात करने की केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने पहल की। क्या ये गलत नहीं था और जब सरकार ने बात कर ली, सारे बात बाबा रामदेव के मान लिये, तो चुपके से आधी रात को जब सारे के सारे सत्याग्रही सोये थे, तो किस पुरुषार्थ को आधार बनाकर, वहां लाठियां चला दी, आंसू गैस के गोले छोड़ दिये, ये तो केन्द्र सरकार को अपनी बात जनता के समक्ष रखनी ही चाहिए, पर कांग्रेसी सरकार ऐसा करेगी, हमें नहीं लगता। क्योंकि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान आत्माओं के सपनों का गला घोंटनेवाली इस निकम्मी और कायर सरकार से देश की ज्वलंत समस्याओं और विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन को, स्वदेश लाने की कल्पना करना बेमानी और मूर्खता है।
भले ही रामदेव में लाखों दुर्गुण हो, पर ईश्वर ने उससे इतना काम जरुर करा लिया हैं कि उसके द्वारा जनता को मैसेज जरुर गया हैं कि जनता जगे। खासकर विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन को लेकर। देश का पैसा, कांग्रेसियों और देश के करोड़ों भारतीयों के सपनों का गला घोटनेवाले कुछ चंद लोगों ने विदेशों में जमा कर रखा है। आज इसकी शुरुआत हुई हैं, ये आंदोलन और भड़केगा, हो सकता हैं कि कुछ वर्षों तक ये आंदोलन ढीला भी पड़ जाये, पर यकीन मानिये कि एक न एक दिन करोंड़ों भारतीयों का सपना पूरा होगा, और विदेशों में पड़ें चंद लोगों के काला धन भारत आयेगा और फिर इससे देश एक नये कीर्तिमान को गढ़ेगा, क्योंकि कोई भी घटना जब घटती हैं तो जब तक उसका परिणाम नहीं आ जाता, वह कालांतराल में विभिन्न रुप लेकर आपके सामने घटती रहती हैं, इसलिए विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन पर अब जनता ने करवट लिया हैं, इसका परिणाम जरुर निकलेगा।
बाबा रामदेव को भी चाहिए कि उनके पास जो अकूत संपति हैं, उस संपत्ति को भी देश के हवाले कर दें, ठीक वैसे ही जैसे कि कई संतों ने देशहित में अपने शरीर तक को त्याग दिया। गर रामदेव को उस संत का भान नहीं तो मैं बता देता हूं, उनका नाम था – दधीचि। वो इसलिये, कि आप खुद धन बनाने के चक्कर में विभिन्न स्थानों पर योगशिविर लगा रहे हो, और दूसरों से कह रहे हों कि विदेशी काला धन स्वदेश आये, ये दोहरा चरित्र है। ये भी चोरों के लक्षण है। क्योंकि कबीर की पंक्ति हैं-------------
साई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय,
मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय
पर पता नहीं आपको कितना धन चाहिए, कब आपकी धन कमाने की भूख मिटेगी, कब आप बड़बोले बनने से बचेंगे, हमें इसका कोई प्रत्य़क्ष प्रमाण नहीं दीखता और यहीं संत और असंत के विभेद का बहुत बड़ा कारण हैं।
पहले आप शत प्रतिशत संत बनिये, क्योंकि अभी आप संत नहीं, एक चालाक नागरिक हैं, जो बहुत ही चालाकी से, वो सब कुछ किये जा रहा, जिसका ज्ञान सामान्य जन को नहीं हैं, और जिस दिन ये सामान्य जन आपकी चालाकी को जान जायेगा, आप पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे, फिर आप दिल्ली में मजमा लगाने की कोशिश करेंगे भी तो लोग विश्वास नहीं करेंगे, जैसा कि आज देखने को मिला हैं। धन्यवाद।
सारा देश जानता हैं कि विदेशों में जो काला धन है, वो काला धन किस पार्टी का है और उस काला धन को संरक्षित करने में कौन सी सरकार ज्यादा दिमाग लगाती है। ऐसे में उस काला धन के खिलाफ जो भी आवाज उठायेगा, उसका हश्र क्या होगा। वो बाबा रामदेव के साथ जो आज आधी रात को कांग्रेसी सरकार ने किया, उससे सभी को सीख लेनी चाहिए। आप गुंडों और अपराधियों के घर के पास जाकर, कहो कि तुम गुंडे और अपराधी हो, ऐसे में वो गुंडा या अपराधी, गांधीवादी तो हैं नहीं कि आपको मिठाई खिलाकर अथवा फूल मालाओं से लादकर विदा करेगा, अरे वो तो वो कुटाई करेगा कि आप जिंदगी भर याद रखेंगे। वहीं कुटाई कांग्रंसियों और उसकी सरकार ने रामदेव के साथ कर दी, तो इसमें आश्चर्य कैसा, ये तो होना ही था, ये तो कांग्रेस का चरित्र ही है। जब भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठी, उस भ्रष्टाचार के खिलाफ उठनेवाली आवाज को कांग्रेंसियों ने बखूबी बंद किया। क्योंकि ये सशरीर भ्रष्टाचार रुपी नदीं में प्रतिदिन डुबकी लगाते हैं, नहीं तो जरा इनसे पूछो कि इनके पास जो ज्यामितीय प्रणाली से धन बढ़ते हैं, उसका राज क्या हैं।
कांग्रेसियों के घटियास्तर के चरित्र से देश को कितना नुकसान हो रहा हैं, उससे इन्हें क्या मतलब, ये तो देश भाड़ में जाय, खुद अरबों की संपत्ति इकट्ठा कर परम सुख पाते हुए, इस दुनिया से चल जाना चाहते हैं, ये कहकर की देश की आजादी हमारे लोगों ने लड़कर दिलायी हैं तो इसका फायदा, ब्याज सहित प्राप्त करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार हैं, जो इसका विरोध करेगा, वो झेलेगा।
बाबा रामदेव पर हमले कराना, बाबा रामदेव के आंदोलन व आमरण अनशन की धार को कुंद करने के लिए जनार्दन व्दिवेदी के प्रेस कांफ्रेस में एक सुनियोजित साजिश के तहत एक व्यक्ति द्वारा जनार्दन पर जूते फेंकने का नाटक करवाना, और इस घटना के लिए भाजपा और आरएसएस को दोषी ठहराना और इसके बाद रामदेव के चल रहे आमरण अनशन से देश और मीडिया का ध्यान बटवाना, इऩका बाये हाथ का खेल है। आजादी के बाद से लेकर, ये तो यहीं सब किये हैं। दिल्ली के मीडिया में, हैं किसी की हिम्मत जो कांग्रेसियों के इस चरित्र को नंगा करके दिखायें, जो उसके खिलाफ बोलेगा, कांग्रेसी साम दाम दंड भेद के द्वारा उसकी बोलती बंद करेंगे। यहीं कारण हैं कि इस देश में भ्रष्टाचार के नाम पर जितने भी आंदोलन हुए, उसका फलाफल य़े हैं कि मीडिया कांग्रेसी नेताओं के तलवे चाटने में ही ज्यादा रुचि दिखायी, उसका सुंदर उदाहरण लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन के बाद की इंदिरा की राजनीति है। मैं ये नहीं कहता कि देश के सभी मीडिया हाउस और पत्रकार कांग्रेसियों के हाथों के कठपुतलियां हैं, पर इतना जरुर कह सकता हूं कि ज्यादातर ऐसे ही हैं।
कांग्रेस में एक नेता है – दिग्विजय सिंह, उसे मध्यप्रदेश की जनता ने जब से मुख्यमंत्री पद से हटाया, वो पागल सा हो गया है। उसका पागलपन इसी से सिद्ध होता है कि वह लादेन के लिए, सम्मानजनक सूचक शब्द का प्रयोग करता हैं, और बाबा रामदेव को महाठग करार देता है। मुख्यमंत्री पद खोने के बाद, उसे आरएसएस और भाजपा के भूत दिन-रात, सुबह-शाम दिखाई पड़ते हैं, उसका वश चले तो ये भी कह दें कि ओसामा बिन लादेन को मारने में भाजपा और आरएसएस का ही हाथ हैं, वो कुछ भी कह सकता हैं और ऐसे पागलों को कभी कभी कांग्रेसी, उनका व्यक्तिगत बयान मानकर पिंड भी छुड़ा लेते हैं, पर जब सोनिया माता पर बन आती है, और सोनिया माता के पक्ष में जब इसका बयान कांग्रेसियों को लगता हैं कि सही है तो इसकी लंगोटी को पकड़ने के लिए, सभी कांग्रेसी राग यमन गाने लगते है। ये हैं कांग्रेसियों का चरित्र। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि देश में लोकतंत्र को गर खतरा है तो इन कांग्रेसियों से। इन्होंने देश का सत्यानाश करने का ठेका ले रखा है और इसके खिलाफ एक जोरदार आंदोलन की जरुरत है और वो आंदोलन एक दिन अवश्य होगा। कांग्रेसियों को हिन्द महासागर में फेंकने के लिए एक और लोकनायक को जन्मलेना होगा।
ऐसे मैं बता दूं कि रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरु किये गये आंदोलन अथवा विदेशों में पड़े भारतीयों के कालेधन को भारत लाने की मांग का मैं भी समर्थक हूं, पर उनके आंदोलन की कड़ी आलोचना करने में मैं पीछे नहीं हटता, क्योंकि वे खुद अपने को संत बताते हैं, योगगुरु बताते हैं पर शायद उन्हें पता नहीं कि संतों अथवा योगगुरु का काम, आंदोलन करना नहीं, बल्कि आंदोलन करवाना है। चाणक्य खुद लड़ा नहीं, बल्कि चंद्रगुप्त को पैदा कर वो काम करा लिया, जो वो चाहता था। महर्षि विश्वामित्र चाहते तो, खुद सुबाहु मारीच और ताड़का को मार सकते थे पर उन्होंने ऐसा किया नहीं, बल्कि उन्होंने दशरथ पुत्र राम और लक्ष्मण को इसका श्रेय दिया। पर रामदेव तो संत हैं नहीं कि उन्हें इसका भान हो अथवा कोई उऩ्हें बता दें कि ऐसा करें और वो मान ले। वो तो शत प्रतिशत उदयोगपति और राजनीतिज्ञ है, और जैसा कि एक उदयोगपति अपना उद्योग लगाने के लिए अथवा राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति चमकाने के लिए तेला – बेला करता हैं, वो भी कर रहे हैं, ऐसे भी इसमें गलती क्या हैं, सबको अपने अपने ढंग से जीने का अधिकार हैं, बाबा को सबको मूर्ख बनाने और अपना जय जयकार कराने में मजा आता हैं, और उनके अनुयायियों को भी मूर्ख बनने में परम आनन्द की प्राप्ति होती हैं तो गलत क्या हैं। खैर, हम इस पचड़ें में पड़ना भी नहीं चाहते।
पहले आंदोलन की बात ----------------
क्या ये सही नहीं कि बाबा रामदेव ने दिल्ली प्रशासन से झूठ बोला कि वो दिल्ली के रामलीला मैंदान में योग शिविर लगायेंगे और योग शिविर के नाम पर लगे हाथों सत्याग्रह और आमरण अनशन की धमकी दे डाली। क्या ये रामदेव के दोहरे चरित्र का भान नहीं कराता। जो संत अपने समर्थकों को दिल्ली में बुला लें और चुपके से दिल्ली की केन्द्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक कर अपने आंदोलन पर डील कर लें, फिर डील तोड़ने का नाटक करें और अपने समर्थकों को फिर आंदोलन के नाम पर भड़काने का काम करें, क्या ये एक संत का चरित्र हो सकता हैं और इस प्रकार के लोगों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन क्या मूर्तरुप ले सकते हैं। उत्तर होगा – कभी नहीं। आप ऐसा कर, भीड़ इक्ट्ठी कर सकते हैं, पर एक सफल आंदोलन नहीं कर सकते, क्योंकि आपके आंदोलन में ही खोट हैं। विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन पर चलाये गये बाबा रामदेव के इस आंदोलन से, बाबा रामदेव के असली चरित्र का भान शायद भारतवासियों को हो चुका हैं, और जो कुछ बचा हैं, वो धीरे – धीरे इनके द्वारा कालांतराल में जब कभी आंदोलन चलाया जायेगा, लोग पूरी तरह से जान लेंगे।
कुछ बातें कांग्रेसियों से ----------------
जब बाबा रामदेव का आंदोलन, गलत था। रामदेव और उनके समर्थक गैर कानूनी ढंग से आंदोलन स्थल पर आ डटे, तब उनसे किस आधार पर बात करने की केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने पहल की। क्या ये गलत नहीं था और जब सरकार ने बात कर ली, सारे बात बाबा रामदेव के मान लिये, तो चुपके से आधी रात को जब सारे के सारे सत्याग्रही सोये थे, तो किस पुरुषार्थ को आधार बनाकर, वहां लाठियां चला दी, आंसू गैस के गोले छोड़ दिये, ये तो केन्द्र सरकार को अपनी बात जनता के समक्ष रखनी ही चाहिए, पर कांग्रेसी सरकार ऐसा करेगी, हमें नहीं लगता। क्योंकि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान आत्माओं के सपनों का गला घोंटनेवाली इस निकम्मी और कायर सरकार से देश की ज्वलंत समस्याओं और विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन को, स्वदेश लाने की कल्पना करना बेमानी और मूर्खता है।
भले ही रामदेव में लाखों दुर्गुण हो, पर ईश्वर ने उससे इतना काम जरुर करा लिया हैं कि उसके द्वारा जनता को मैसेज जरुर गया हैं कि जनता जगे। खासकर विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन को लेकर। देश का पैसा, कांग्रेसियों और देश के करोड़ों भारतीयों के सपनों का गला घोटनेवाले कुछ चंद लोगों ने विदेशों में जमा कर रखा है। आज इसकी शुरुआत हुई हैं, ये आंदोलन और भड़केगा, हो सकता हैं कि कुछ वर्षों तक ये आंदोलन ढीला भी पड़ जाये, पर यकीन मानिये कि एक न एक दिन करोंड़ों भारतीयों का सपना पूरा होगा, और विदेशों में पड़ें चंद लोगों के काला धन भारत आयेगा और फिर इससे देश एक नये कीर्तिमान को गढ़ेगा, क्योंकि कोई भी घटना जब घटती हैं तो जब तक उसका परिणाम नहीं आ जाता, वह कालांतराल में विभिन्न रुप लेकर आपके सामने घटती रहती हैं, इसलिए विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन पर अब जनता ने करवट लिया हैं, इसका परिणाम जरुर निकलेगा।
बाबा रामदेव को भी चाहिए कि उनके पास जो अकूत संपति हैं, उस संपत्ति को भी देश के हवाले कर दें, ठीक वैसे ही जैसे कि कई संतों ने देशहित में अपने शरीर तक को त्याग दिया। गर रामदेव को उस संत का भान नहीं तो मैं बता देता हूं, उनका नाम था – दधीचि। वो इसलिये, कि आप खुद धन बनाने के चक्कर में विभिन्न स्थानों पर योगशिविर लगा रहे हो, और दूसरों से कह रहे हों कि विदेशी काला धन स्वदेश आये, ये दोहरा चरित्र है। ये भी चोरों के लक्षण है। क्योंकि कबीर की पंक्ति हैं-------------
साई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय,
मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय
पर पता नहीं आपको कितना धन चाहिए, कब आपकी धन कमाने की भूख मिटेगी, कब आप बड़बोले बनने से बचेंगे, हमें इसका कोई प्रत्य़क्ष प्रमाण नहीं दीखता और यहीं संत और असंत के विभेद का बहुत बड़ा कारण हैं।
पहले आप शत प्रतिशत संत बनिये, क्योंकि अभी आप संत नहीं, एक चालाक नागरिक हैं, जो बहुत ही चालाकी से, वो सब कुछ किये जा रहा, जिसका ज्ञान सामान्य जन को नहीं हैं, और जिस दिन ये सामान्य जन आपकी चालाकी को जान जायेगा, आप पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे, फिर आप दिल्ली में मजमा लगाने की कोशिश करेंगे भी तो लोग विश्वास नहीं करेंगे, जैसा कि आज देखने को मिला हैं। धन्यवाद।
कांग्रेस ने बाबा को पंडाल से नहीं, अगली बार के लिए खुद को सत्ता से बाहर फेंक दिया है! बच्चों और औरतों को पीटकर कांग्रेस ने बता दिया है कि वो अंग्रेज़ों की दी भाषा ही नहीं, उनके दिए संस्कार भी नहीं भूली है! आम आदमी पर आंसू गैस के गोले छोड़ने से पहले एक बार यही सोच लेना था कि क्या इस देश में आम आदमी को रूलाने के लिए, अब आंसू गैस की ज़रूरत है? काले धन को 'राष्ट्रीय सम्पत्ति' घोषित करने का पता नहीं मगर अफज़ल गुरू और कसाब को 'राष्ट्रीय दामाद' घोषित करने की मांग उठे, तो कांग्रेस अभी तैयार हो जाए!
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