शास्त्रों में एक बात आयी है – जिनको ईश्वर दुख देने को होते हैं – उनकी मति (ज्ञान) हर लेते है। शायद ये वाक्य सत्तारुढ़ कांग्रेस पर सत्य साबित होती है। दो साल पूर्व सत्ता में दोबारा आयी, इस सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं को लगता है – जनता ने उन्हें सदा के लिए सत्तारुढ़ होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया है और इसी मद (अहंकार) में चूर होकर, वो सब काम कर रही है, जिसे न तो धर्म इजाजत देता है और न ही सत्य (ईश्वर)। जबकि इस सरकार में शामिल सभी मंत्री ईश्वर की ही शपथ लेकर सत्ता का सुख भोग रहे है, पर इनके ज्ञान को देखिये कितनी निम्नस्तर की हो गयी कि इन्हें अभी तक पता ही नहीं चल पा रहा कि उन्हें आज की परिस्थितियों में क्या करना चाहिए।
फिलहाल ये एक संन्यासी से टकराने में अपना पुरुषार्थ समझ रहे है और सच पूछिये, तो उस संन्यासी से टकराने का खामियाजा उसे भुगतना भी पड़ रहा हैं पर उसे इसका अनुमान नहीं हो रहा, क्योंकि फिलहाल धृतराष्ट्रों की संख्या इस पार्टी में ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। मुझे एक बात समझ में नहीं आ रहा कि बाबा रामदेव ने भारतीयों के विदेशी काला धन को, भारत में लाने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात कहकर क्या गलत कह दिया, जो कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा। इससे तो बिहार में प्रचलित लोकोक्ति की याद आ रही है कि – चोर के दाढ़ी में तिनका। इसका मतलब हैं कि कांग्रेसियों के ही धन विदेशी खातों में जमा है, जिससे भयभीत कांग्रेसी नहीं चाहते कि वो काला धन, भारत में आये और यहां की जनता उन पर थू – थू करें।
हालांकि बाबा रामदेव के आंदोलन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान चालाकी भरा रहा हैं, जबकि उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं का बयान अमर्यादित और संस्कारहीन आचरण को जन्मदेनेवाला रहा है। दूसरी ओर दिल्ली के विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों ने तो हद कर दी है, वो तो फिलहाल इस दौड़ में शामिल हो गयी हैं कि कौन चैनल बाबा रामदेव को भ्रष्ट साबित करने में एक नंबर हैं ताकि कांग्रेसियों और सोनिया गांधी के द्वारा उपकृत हो सकें। मुझे तो इन चैनलों और ऐसे घटियास्तर के पत्रकारों की बुद्धि पर तरस आती है कि आखिर इनका आचरण इतना घटिया कैसे हो गया, पर चिंतन करने पर पता लगता है कि भला मुर्खों से विद्वता की अपेक्षा रखना भी, मुर्खता ही है।
जरा प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और राष्ट्रीय चैनलों का बाबा रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र और उनके आंदोलन को कुचलने के बाद के चरित्र को देखिये, पता लग जायेगा कि देशद्रोही कौन है। सबसे पहले रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र पर ध्यान दीजिये ---------
1. प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा कांग्रेस के सभी नेताओं का बयान, बाबा रामदेव के खिलाफ न होकर मर्यादित है, सभी चाहते हैं कि बाबा रामदेव आंदोलन पर न बैठे, उनके आमरऩ अनशन का आंदोलन किसी भी कीमत पर समाप्त हो, इधर राष्ट्रीय चैनल भी बाबा रामदेव को नायक के रुप में प्रदर्शित कर रहे हैं, सभी विदेशी काला धन को भारत में लाने की उनके आंदोलन को लेकर जय जयकार कर रहे हैं, परिचर्चा करा रहे हैं, सरकार को कटघरे में लाने का प्रयास कर रहे है. पर जैसे ही बात बनते बनते बिगड़ती है कांग्रेस अपना असली रुप अख्तियार करती है, कांग्रेस का साथ देने में राष्ट्रीय चैनल आगे आते हैं और फिर ये सत्तारुढ़ कांग्रेसियों के साथ सुर में सुर मिलाकर बाबा रामदेव के खिलाफ समाचार दिखाने का अभियान शुरु कर देती है, वो चैनल जिनकी हिम्मत नहीं थी बाबा रामदेव की आंखों में आंख डालकर बात करने की, वो उन्हें बाबा रामदेव से रामदेव और पता नहीं क्या क्या कह डालने में शेखी बघारते हैं।
और अब बाबा रामदेव के आंदोलन को कुचलने के बाद का चरित्र देखिये ------
जो कांग्रेसी और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री बाबा रामदेव के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलते थे। आग उगलने शुरु करते है। कांग्रेसी दिग्विजय सिंह को आगे करते है और ये दिग्विजय वहीं करता हैं जो सोनिया माता उसे पूर्व में सिखाये रहती है, वो सोनिया के चरणों में, सर्वस्व समर्पित कर, एक संन्यासी के खिलाफ विषवमन करता है और सभी चैनल दिग्विजय सिंह जैसे नेता को एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपने चैनल में प्रोजेक्ट कर, बाबा रामदेव के आंदोलन पर कीचड़ उछालते हैं।
2. जनार्दन और दिग्विजय सिंह जैसे नेता, इस आंदोलन को भाजपा और संघ द्वारा प्रायोजित करार देता है। दिग्विजय सिंह जैसे नेता तो नेपाल और भारत के साथ चल रही मित्रता को भी आग में झोंक देना चाहता है, वो बालकृष्ण को नेपाली कहकर, संबोधित कर डालता है, बेशर्मी की हद तो ये है कि इस आड़ में देशभक्ति गीतों पर झूमनेवाली सुषमा स्वराज के चरित्र पर भी अंगूली उठाता हैं, वो दिग्विजय जिसमें छेद ही छेद हैं, वो कहावत हैं न कि चलनी दूसे, सुप के जिन्हें बहत्तर छेद।
3. इधर कुछ दिनों के बाद अपना गृहमंत्री को पता नहीं कहां से दिव्य ज्ञान हो जाता है, लगे हाथों वह भी अपना हाथ साफ करने लगता है, वो कहता हैं कि बाबा रामदेव के आंदोलन में भाजपा और संघ का हाथ है, पर यहीं गृह मंत्री को पता नहीं, उस वक्त दिव्य ज्ञान कहा चला गया था, जब इसके मंत्री, आंदोलन को कुचलने के पहले, बाबा रामदेव के आगे पीछे दौड़ लगा रहे थे। ये गृहमंत्री इतना नीचे गिरता हैं कि अपना गिरेबां न देखकर, बाबा रामदेव को ही भला बुरा कहते हुए, सारी मिशनरियों का दुरुपयोग करते हुए, बाबा के खिलाफ, वो हर प्रकार के कुकर्म करता हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम हैं और विभिन्न राष्ट्रीय चैनल, इस गृहमंत्री के आगे पीछे ठुमके लगाते हुए, वो खबरें दिखाता हैं, जो इस गृहमंत्री और कांग्रेसियों को पसंद होता हैं। ये हैं सत्तारुढ कांग्रेसियों और राष्ट्रीय चैनलों के चरित्र।
पर इसके विपरीत एक सामान्य संन्यासी, जिसे लोग बाबा रामदेव, संत रामदेव और पता नहीं क्या क्या नामों से संबोधित करते हैं। (जिन्हें मैं संत नहीं, बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के अलग कुछ नहीं मानता) इस सतारुढ़ सरकार के नाक में ऐसा दम करता है – वो भी आमरण अनशन के माध्यम से कि इस सरकार की हालत सांप और छुछुंदर की तरह हो जाती है और लगे हाथों ये बयान प्रसारित करती हैं कि वो बाबा रामदेव के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलायेगी – बताईये ये कितना हास्यास्पद बयान है। एक सरकार, चुनी गयी सरकार, एक संन्यासी के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलाने की बात करें, तो उसे क्या कहेंगे। एक सामान्य निश्छल व्यक्ति से इसका जवाब पूछे तो ये ही कहेगा कि ये तो एक संन्यासी की शानदार जीत है, पर इस केन्द्र सरकार को कौन बताये कि उसने किस प्रकार अपना संचित सम्मान खो दिया है।
बाबा रामदेव पिछले आठ दिनों से आमरऩ अनशन पर है, केन्द्र सरकार को हिला कर रख दिया है, ये अलग बात हैं कि केन्द्र सरकार जिसको अपने सम्मान की चिंता नहीं, गलथेथरी बतिया रही हैं कि हम सही हैं, पर सच्चाई क्या हैं, सभी जानते हैं पर राष्ट्रीय चैनलों की गलथेथरी देखिये – वो बाबा रामदेव के अनशन पर ही सवाल उठा रही हैं कि बाबा ने ग्लूकोज ले लिया हैं तो भला अनशन कैसा। अनशन तो टूट गया। अरे बेशर्म पत्रकारों, तुम्हें पत्रकार किसने बना दिया, क्यूं कांग्रेसियों और सरकार के तलवे चाटने में समय जाया कर रहे हो, कम से कम, सच तो बोलों, नहीं तो जान लो, इन कांग्रेसियों और सरकार को तो आनेवाले समय में जनता सबक सिखायेंगी ही, तुम्हें भी तुम्हारी औकात बतायेगी। फिर तुम्हारे टीआरपी का क्या होगा, तुम जब जनता की नजर में गिरोगे तो क्या फिर उठ पाओगे, क्यों विनाशकाल की ओर आगे बढ़ रहे हो। क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी विपरीत बुद्धि तुम्हें विनाशकाल की ओर ले जा रही हैं।
फिलहाल ये एक संन्यासी से टकराने में अपना पुरुषार्थ समझ रहे है और सच पूछिये, तो उस संन्यासी से टकराने का खामियाजा उसे भुगतना भी पड़ रहा हैं पर उसे इसका अनुमान नहीं हो रहा, क्योंकि फिलहाल धृतराष्ट्रों की संख्या इस पार्टी में ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। मुझे एक बात समझ में नहीं आ रहा कि बाबा रामदेव ने भारतीयों के विदेशी काला धन को, भारत में लाने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात कहकर क्या गलत कह दिया, जो कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा। इससे तो बिहार में प्रचलित लोकोक्ति की याद आ रही है कि – चोर के दाढ़ी में तिनका। इसका मतलब हैं कि कांग्रेसियों के ही धन विदेशी खातों में जमा है, जिससे भयभीत कांग्रेसी नहीं चाहते कि वो काला धन, भारत में आये और यहां की जनता उन पर थू – थू करें।
हालांकि बाबा रामदेव के आंदोलन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान चालाकी भरा रहा हैं, जबकि उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं का बयान अमर्यादित और संस्कारहीन आचरण को जन्मदेनेवाला रहा है। दूसरी ओर दिल्ली के विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों ने तो हद कर दी है, वो तो फिलहाल इस दौड़ में शामिल हो गयी हैं कि कौन चैनल बाबा रामदेव को भ्रष्ट साबित करने में एक नंबर हैं ताकि कांग्रेसियों और सोनिया गांधी के द्वारा उपकृत हो सकें। मुझे तो इन चैनलों और ऐसे घटियास्तर के पत्रकारों की बुद्धि पर तरस आती है कि आखिर इनका आचरण इतना घटिया कैसे हो गया, पर चिंतन करने पर पता लगता है कि भला मुर्खों से विद्वता की अपेक्षा रखना भी, मुर्खता ही है।
जरा प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और राष्ट्रीय चैनलों का बाबा रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र और उनके आंदोलन को कुचलने के बाद के चरित्र को देखिये, पता लग जायेगा कि देशद्रोही कौन है। सबसे पहले रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र पर ध्यान दीजिये ---------
1. प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा कांग्रेस के सभी नेताओं का बयान, बाबा रामदेव के खिलाफ न होकर मर्यादित है, सभी चाहते हैं कि बाबा रामदेव आंदोलन पर न बैठे, उनके आमरऩ अनशन का आंदोलन किसी भी कीमत पर समाप्त हो, इधर राष्ट्रीय चैनल भी बाबा रामदेव को नायक के रुप में प्रदर्शित कर रहे हैं, सभी विदेशी काला धन को भारत में लाने की उनके आंदोलन को लेकर जय जयकार कर रहे हैं, परिचर्चा करा रहे हैं, सरकार को कटघरे में लाने का प्रयास कर रहे है. पर जैसे ही बात बनते बनते बिगड़ती है कांग्रेस अपना असली रुप अख्तियार करती है, कांग्रेस का साथ देने में राष्ट्रीय चैनल आगे आते हैं और फिर ये सत्तारुढ़ कांग्रेसियों के साथ सुर में सुर मिलाकर बाबा रामदेव के खिलाफ समाचार दिखाने का अभियान शुरु कर देती है, वो चैनल जिनकी हिम्मत नहीं थी बाबा रामदेव की आंखों में आंख डालकर बात करने की, वो उन्हें बाबा रामदेव से रामदेव और पता नहीं क्या क्या कह डालने में शेखी बघारते हैं।
और अब बाबा रामदेव के आंदोलन को कुचलने के बाद का चरित्र देखिये ------
जो कांग्रेसी और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री बाबा रामदेव के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलते थे। आग उगलने शुरु करते है। कांग्रेसी दिग्विजय सिंह को आगे करते है और ये दिग्विजय वहीं करता हैं जो सोनिया माता उसे पूर्व में सिखाये रहती है, वो सोनिया के चरणों में, सर्वस्व समर्पित कर, एक संन्यासी के खिलाफ विषवमन करता है और सभी चैनल दिग्विजय सिंह जैसे नेता को एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपने चैनल में प्रोजेक्ट कर, बाबा रामदेव के आंदोलन पर कीचड़ उछालते हैं।
2. जनार्दन और दिग्विजय सिंह जैसे नेता, इस आंदोलन को भाजपा और संघ द्वारा प्रायोजित करार देता है। दिग्विजय सिंह जैसे नेता तो नेपाल और भारत के साथ चल रही मित्रता को भी आग में झोंक देना चाहता है, वो बालकृष्ण को नेपाली कहकर, संबोधित कर डालता है, बेशर्मी की हद तो ये है कि इस आड़ में देशभक्ति गीतों पर झूमनेवाली सुषमा स्वराज के चरित्र पर भी अंगूली उठाता हैं, वो दिग्विजय जिसमें छेद ही छेद हैं, वो कहावत हैं न कि चलनी दूसे, सुप के जिन्हें बहत्तर छेद।
3. इधर कुछ दिनों के बाद अपना गृहमंत्री को पता नहीं कहां से दिव्य ज्ञान हो जाता है, लगे हाथों वह भी अपना हाथ साफ करने लगता है, वो कहता हैं कि बाबा रामदेव के आंदोलन में भाजपा और संघ का हाथ है, पर यहीं गृह मंत्री को पता नहीं, उस वक्त दिव्य ज्ञान कहा चला गया था, जब इसके मंत्री, आंदोलन को कुचलने के पहले, बाबा रामदेव के आगे पीछे दौड़ लगा रहे थे। ये गृहमंत्री इतना नीचे गिरता हैं कि अपना गिरेबां न देखकर, बाबा रामदेव को ही भला बुरा कहते हुए, सारी मिशनरियों का दुरुपयोग करते हुए, बाबा के खिलाफ, वो हर प्रकार के कुकर्म करता हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम हैं और विभिन्न राष्ट्रीय चैनल, इस गृहमंत्री के आगे पीछे ठुमके लगाते हुए, वो खबरें दिखाता हैं, जो इस गृहमंत्री और कांग्रेसियों को पसंद होता हैं। ये हैं सत्तारुढ कांग्रेसियों और राष्ट्रीय चैनलों के चरित्र।
पर इसके विपरीत एक सामान्य संन्यासी, जिसे लोग बाबा रामदेव, संत रामदेव और पता नहीं क्या क्या नामों से संबोधित करते हैं। (जिन्हें मैं संत नहीं, बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के अलग कुछ नहीं मानता) इस सतारुढ़ सरकार के नाक में ऐसा दम करता है – वो भी आमरण अनशन के माध्यम से कि इस सरकार की हालत सांप और छुछुंदर की तरह हो जाती है और लगे हाथों ये बयान प्रसारित करती हैं कि वो बाबा रामदेव के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलायेगी – बताईये ये कितना हास्यास्पद बयान है। एक सरकार, चुनी गयी सरकार, एक संन्यासी के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलाने की बात करें, तो उसे क्या कहेंगे। एक सामान्य निश्छल व्यक्ति से इसका जवाब पूछे तो ये ही कहेगा कि ये तो एक संन्यासी की शानदार जीत है, पर इस केन्द्र सरकार को कौन बताये कि उसने किस प्रकार अपना संचित सम्मान खो दिया है।
बाबा रामदेव पिछले आठ दिनों से आमरऩ अनशन पर है, केन्द्र सरकार को हिला कर रख दिया है, ये अलग बात हैं कि केन्द्र सरकार जिसको अपने सम्मान की चिंता नहीं, गलथेथरी बतिया रही हैं कि हम सही हैं, पर सच्चाई क्या हैं, सभी जानते हैं पर राष्ट्रीय चैनलों की गलथेथरी देखिये – वो बाबा रामदेव के अनशन पर ही सवाल उठा रही हैं कि बाबा ने ग्लूकोज ले लिया हैं तो भला अनशन कैसा। अनशन तो टूट गया। अरे बेशर्म पत्रकारों, तुम्हें पत्रकार किसने बना दिया, क्यूं कांग्रेसियों और सरकार के तलवे चाटने में समय जाया कर रहे हो, कम से कम, सच तो बोलों, नहीं तो जान लो, इन कांग्रेसियों और सरकार को तो आनेवाले समय में जनता सबक सिखायेंगी ही, तुम्हें भी तुम्हारी औकात बतायेगी। फिर तुम्हारे टीआरपी का क्या होगा, तुम जब जनता की नजर में गिरोगे तो क्या फिर उठ पाओगे, क्यों विनाशकाल की ओर आगे बढ़ रहे हो। क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी विपरीत बुद्धि तुम्हें विनाशकाल की ओर ले जा रही हैं।
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