Sunday, June 12, 2011

संतों को नमन..........................


संतों को नमन, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए, सारे काम काज छोड़ कर, भ्रष्टाचार के खिलाफ, सड़कों पर उतर गये। जिन्होंने राक्षस रुपी कांग्रेस गठबंधन केन्द्र सरकार के नाक में दम कर दिया। जिन्होंने दिल्ली के राष्ट्रीय चैनलों के पत्रकारों पर चढ़ा कांग्रेसी मुखौटा उतारकर फेंक दिया। जिन्होंने कांग्रेसियों द्वारा चलाये जा रहे दमन अभियान की परवाह नहीं की और पूरे देश के जनमानस में भ्रष्टाचार और विदेशों में पड़ें कांग्रेसी नेताओं और यहां के अन्य देशद्रोहियों के काले धन के खिलाफ, सभी के हृदय में बीजारोपण कर दिया, आप माने या न मानें पर कालांतराल में, ये बीज एक दिन वृक्ष बनेगा और फिर ये भारतीय जनता इन भ्रष्ट कांग्रेसियों और देशद्रोहियों को सबक सीखाने के लिए सड़कों पर उतरेगी और जब ये सड़कों पर उतरेगी, तो स्वयं को चालाक समझनेवाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहां होंगे, उन्हें इस बात पर ज्यादा चिन्तन करना चाहिए। रही बात कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, जनार्दन द्विवेदी, सुबोधकांत सहाय और पी चिदम्बरम जैसे अंगूलियों में गिने जानेवाले घटियास्तर के नेताओं की तो ये उस वक्त कहां होंगे, उन्हें खुद पता नहीं चलेगा।
इधर एक और बिहार के नेता लालू प्रसाद कुछ ज्यादा ही बोलने लगे है, वो लालू जिसने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सपनों का सत्यानाश कर दिया। बाबा रामदेव के खिलाफ घटिया स्तर का बयान देने लगा, मजाक उड़ाने लगा। यानी जो खुद आज मजाक बना हुआ हैं, वो मजकिया लहजे, में अलबल बक रहा है, वो भी रामदेव के खिलाफ। ये वे लालू है – जो जयप्रकाश आंदोलन के समय कांग्रेस के खिलाफ बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने एक समय बिहार के 54 लोकसभा सीट से किसी भी कांग्रेसी को दिल्ली जाने नहीं दिया था, आज सोनिया माता का हृदय से प्रतिदिन सोनिया जप करते है, कि वो किसी भी प्रकार से उन्हें उपकृत कर दें। वो लालू जो अपनी पत्नी और बेटे-बेटियों के अलावा किसी की सोचते नहीं, वो लालू जिसने चारा घोटाले, अलकतरे घोटाले, वर्दी घोटाले, यानी बिहार को घोटालों का प्रदेश बना दिया, आज बहुत बोलने लगे हैं, वो भी तब जब बिहार की जनता इन्हें लगातार, उनकी औकात बता रही हैं, तब। वो कहावत हैं न, रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया। ये इसी कहावत के फिलहाल सटीक उदाहरण बनते जा रहे हैं। खैर, इनकी मर्जी ये भाड़ में जाये, इनसे हमें और बिहार की जनता को क्या मतलब, ये सोनिया माता का आंचल और राहुल का कुर्ता पकड़कर सत्ता की वैतरणी पार करते रहे।
आज एक अच्छी खबर हैं, कि संतों के आग्रह पर, बाबा रामदेव ने अपनी नौ दिन पुरानी अनशन तोड़ दी। ये अलग बात हैं कि उनके अनशन तोड़ने पर भी कांग्रेसी और कांग्रेस समर्थित पत्रकार ये पूछने से बाज नहीं आ रहे कि केन्द्र ने तो उनकी बात नहीं मानी, फिर भी बाबा रामदेव ने अनशन तोड़ दिया, आखिर इस अनशन का क्या मतलब, ये तो बाबा रामदेव का सत्याग्रह झूठ निकला। इस बारे में मेरा कहना स्पष्ट हैं कि मूर्खों और बेशर्मों से सत्य से संबंधित सवालों को पूछा जाना और उनके उत्तर उनके द्वारा पचा पाने का आग्रह रखना मुर्खता के सिवा दुसरा कुछ नहीं। इसलिए मूर्खों और बेशर्मों के द्वारा इस मुददे पर पूछे जा रहे सवालों को जवाब देने के पहले सोच लीजिये कि सवाल पूछनेवाला कांग्रेसी और कांग्रेस समर्थित पत्रकार, दोयम दर्जे का राक्षस है। क्योंकि रावण भी राक्षस था, पर वो भी मर्यादित व्यवहार करता था, पर ये ऐसा राक्षस है कि कब क्या कर देगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए ऐसे राक्षसों से हमें निरंतर लड़ते रहना हैं, क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभी जंग खत्म नहीं हुई। हमें इस लड़ाई को यहीं पर छोड़ना नहीं हैं, इसे तब तक जारी रखना हैं, जब तक विदेश में पड़े कांग्रेसियों और कांग्रेस समर्थित पत्रकारों, देशद्रोहियों के काले धन, अपने देश तक नहीं आ जाते। ये भी याद रखिये कि जब तक कांग्रेसी सत्ता में बने रहेंगे, ये काम पूरा नहीं होगा, इसलिए आनेवाले समय में जब भी चुनाव हो, इन सत्ता में बैठे देशद्रोहियों को हिन्द महासागर में फेंकने के लिए तैयार रहे। हो सकता हैं कि इस संघर्ष में ये कांग्रेसी आपको जान लेने की कोशिश करें, जैसा कि उसने बाबा रामदेव के साथ किया। आधी रात को उनके आंदोलन को कुचलने के लिए हजारों पुलिस के जवान लगा दिये। उनके आमरण अनशन को समाप्त कराने के लिए दिलचस्पी नहीं ली, ये सोचकर कि वो आमरण अनशन पर है, भूख से तड़प तड़प कर खुद ही मर जायेगा, और हमारे रास्ते का- कांटा भी निकल जायेगा, ऐसे में इस संन्यासी के आमरण अनशन को खत्म करने की क्या जरुरत….? सुना हैं, ये कांग्रेसी अब बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन का जवाब देने का मन बना रहे हैं, ये देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने की बात कर रहे हैं, यानी अब मच्छड़, पहलवान बनने की सोच रहा हैं। आईये इन मच्छड़ों की औकात बताये और देश में उठे भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्वार को, इस आंदोलन के दीप को कभी भी बुझने न दें।
जय हिन्द।

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