मेरा रांची से 28 सालों का रिश्ता है। इस दौरान रांची में, मैंने बहुत कुछ देखा और महसूस किया। सर्वाधिक अचरज में डाला - रांची के लोगों का हनुमान प्रेम। ये हनुमान प्रेम ही हैं कि रांची में यत्र-तत्र-सर्वत्र हनुमान ही हनुमान दीखते है। कोई ऐसा इलाका नहीं, जहां हनुमान विद्यमान न हो। ऐसे कहा भी गया हैं कि हनुमान, इस कलियुग के एकमात्र जीवित देवता हैं, जो सरल, सहज व सहृदय हैं, भक्तों की जल्द सुनते हैं और हर प्रकार के कष्टों से मुक्त कर देते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि रांचीवासियों को संकटमुक्त करने के उद्देश्य से, रांचीवासियों ने इन्हें यत्र-तत्र-सर्वत्र स्थापित कर दिया हैं और लगे हाथों हनुमानजी ने भी, रांचीवासियों की सुरक्षा का भार संभाल लिया हैं। आखिर कहां- कहां हनुमानजी हैं, सबसे पहले हम इसकी चर्चा करते हैं।
प्रारंभ रांची जंक्शन से - गर आप झारखंड अथवा रांची के बाहर के निवासी हैं तो आप सबसे पहले रांची जंक्शन आये। आप देखेंगे कि स्टेशन से बाहर निकलते ही उत्तर की ओर, संकटमोचन हनुमान मंदिर दीखेगा, जिसे टेम्पूचालकों, रिक्शाचालकों और स्थानीय लोगों ने स्थापित किया हैं। रांची जंक्शन के सौंदर्यीकरण के दौरान इस मंदिर को स्थानांतरित करने का प्रयास करने की कोशिश की गयी, फिर क्या था, लोग उबल पड़े। खूब भजन-कीर्तन होने लगी। विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जूड़े लोग आ खड़े हुए और सौंदर्यीकरण का काम ठप पड़ गया। अंततः फैसला हुआ कि हनुमान मंदिर को छूए बिना सौंदर्यीकरण का कार्य शुरु हो, और हनुमान जी तब से लेकर आज तक गदा पकड़े और संजीवनी उठाये जमे हुए हैं। रांची जंक्शन के दक्षिण ओर गर आप जाये तो इसके दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में भी हनुमान जी दीखेंगे। ये हनुमान इस प्रकार से आपको मिलेंगे, जैसे लगता हैं कि हनुमान जी, पूरे रांची जंक्शन की सुरक्षा में लग गये हो। रांची जंक्शन से जैसे आप ओभरब्रिज की ओर चलेंगे तो पटेल चौक पर भी हनुमान मंदिर दीखेगा। शायद यहां के हनुमान जी लोहरदगा-रांची रेलवे लाइन, सरकारी बस स्टैंड और इसके आसपास स्थिति विभिन्न लग्जरी होटलों की सुरक्षा में लग गये हो, यहीं नहीं इसी चौक से शुरु होती हैं रांची-पटना मुख्यमार्ग तो इसकी भी सुरक्षा, हनुमान जी ही किया करते हैं। इससे थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो मिलेगा ओभरब्रिज और ठीक इसके नीचे आपको हनुमान मंदिर मिलेगा, जहां हनुमान जी आपको करताल बजाते मिलेंगे। शायद ये हनुमान जी करताल बजाते हुए, ये कह रहे हो कि रांची में रामजी की कृपा से सब कुछ ठीक-ठाक हैं और यहीं से पश्चिम की ओर बढ़ेंगे तो कडरु ओभरब्रिज मिेलेगा, उसके नीचे भी हनुमानजी मिलेंगे, यहीं नहीं यहीं से थोड़ा दूर हटकर, अरगोड़ा रेलवे स्टेशन जानेवाली मार्ग पर भी हनुमान जी हाथ में गदा हिलाते हुए मिल जायेंगे। दूसरी ओर सुजाता चौक अथवा लाला लाजपत राय चौक पर भी हनुमान जी की मंदिर आपको देखने को मिलेंगी। अलबर्ट एक्का चौक की ओर गर आप बढ़े विभिन्न प्रमुख बैंकों, गुरुद्वारों और होटलों के ठीक पास एक मल्लाह टोली हैं, जहा आपको हनुमानजी वीरासन में बैठें मिलेंगे और ठीक इसके आगे मिलेंगे डेली मार्केट के पास हनुमान जी, अपने पांवों से अहिरावण को दबाये, अपने कंधों पर राम और लक्ष्मण को उठाये। इस मंदिर को भव्यता प्रदान करने के लिए भक्तों की बड़ी टोली लगी हैं, निरंतर यहां कुछ न कुछ निर्माण चलता रहता हैं।
हनुमान जी का सिक्का यहां कैसे चलता हैं, उसका परिदृश्य देखिये। जब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में भी हनुमान मंदिर का निर्माण करा दिया। अब जब राज्य के मुख्यमंत्री, हनुमान के शरण में हो, तो आप समझ सकते हैं कि यहां हनुमान जी कैसे राजकाज में दखल देते हुए सुरक्षा का भार उठाये हुए हैं। मुख्यमंत्री आवास हो या राजभवन या स्पीकर आवास या पुलिस आवास, इन सभी आवासों से निकलनेवाले महानुभावों की सुरक्षा का भार भी हनुमान जी ने उठा रखा हैं। वे इसके लिए रातू रोड चौक पर उपस्थित होकर, सभी को सुगमता और सुरक्षा प्रदान करते हैं। कहा भी गया हैं कि जो हनुमान की शरण में गया, उसके सारे ग्रह-गोचर ठीक, क्योंकि हनुमान हैं ही ऐसे।
गोस्वामी तुलसीदास को जब कष्ट हुआ तो वे हनुमानजी की शरण में ही गये और लिख डाली - हनुमान चालीसा। ये हनुमान चालीसा इतनी लोकप्रिय हो गयी, कि पूरे देश में बिना सूचना एवं प्रौद्योगिकी के ही घर - घर पहुंच गयी। धन्य हैं हनुमान जी..................
कहा भी जाता हैं....................
संकट कटैं मिटै सब पीड़ा,
जो सुमिरै हनुमत बल-बीरा
जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहुं गुरदेव की नाईँ
जो सत बार पाठ कर कोई
छुटिहिं बंदि महासुख होई
जब हनुमान चालीसा पढ़ने से महासुख हो सकता हैं तो भला हनुमानजी के दर्शन करने से क्या होता होगा, समझा जा सकता हैं, इसलिए, रांचीवासी फिलहाल हनुमान की शरण में हैं और हनुमानजी सभी का कल्याण करने के लिए, सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूरे रांची के मुह्ल्लों, चौक-चौराहों में विद्यमान हैं। हमें लगता हैं कि इतने हनुमानजी तो किसी तीर्थस्थल पर भी नहीं होंगे, जितने हमारे रांची में। अब तो हमारी हनुमानजी से यहीं प्रार्थना हैं कि जैसे, उन्होंने सभी के सुरक्षा का भार उठा रखा हैं, थोडा़ हमारे उपर भी कृपा बनाये रखे...............