Saturday, September 10, 2016

पूरा बिहार पगलाया हुआ है, शहाबुद्दीन को लेकर...............

पूरा बिहार पगलाया हुआ है,शहाबुद्दीन को लेकर...
बेचारा नीतीश लालू का चरणामृत ग्रहण करने के बाद बिहार में अखंड शासन का सुखभोग रहा है...
मैं कहता हूं कि शहाबुद्दीन जेल से छूट गया तो क्या हो गया...
इसमें पगलाने की जरुरत ही क्या है...
इतिहास के पन्ने पलटो...
आजादी के पूर्व में कोई भी एक ऐसा अंग्रेज का नाम बताओ, जिसे सजा मिली हो, यहां तक की जनरल डायर जिसने अमृतसर के जालियावालां बाग में गोलियां चलाई, सैकड़ों निहत्थों को मौत के घाट उतार दिया, क्या उसे भी अंग्रेजों ने सजा दी?
और
आजादी के बाद, एक भी ऐसे नेता का नाम बताओ, चाहे वो कोई भी पार्टी से आता हो, उसे किसी भी अदालत ने सजा दी, दिमाग लगाओ, अरे सारे नेता कुछ दिन के लिए जेल जाते है, फिर जमानत पर निकल आते है और सुप्रीम कोर्ट तक जाते - जाते किसी न किसी बहाने दोषमुक्त हो जाते है,
अरे भाई
आपको ये बात क्यों नहीं समझ आती कि हर नेता जेल जाने के समय, ये डायलॉग जरुर बोलता है कि भाई हमें न्यायालय पर और देश के कानून पर पूरा भरोसा है...
इस भरोसे का मतलब नहीं समझते यार...
तुम एक दिन देखना कि चारा खा जानेवाला नेता लालू यादव भी एक न एक दिन अदालत से जरुर बरी हो जायेगा...
नीतीश बुर्बक थोड़े ही हैं, वो देश की न्यायिक व्यवस्था को, यहां की जनता के दिमाग को जानता है...
इसीलिए चारा घोटाले और अन्य घोटाले में बार-बार लालू को कटघरे में खड़ा करने के बावजूद अंत में नीतीश, लालू का चरणामृत ग्रहण कर सो गया...
और सोने के पूर्व, चरणामृत पीते-पीते क्या श्लोक बोला -
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।
अब ये नीतीश उत्तम प्रकृति का है, या अधम प्रकृति का...
समझते रहिये...

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