कौन है पंकज पाठक?
जानिये पंकज पाठक को। पंकज पाठक को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया है। उस पर आरोप है कि उसने अडानी पावर लिमिटेड के गोपनीय दस्तावेज बेचे है। किसको बेचे है, किसलिये बेचे है, अब तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है। आज के विभिन्न अखबारों को देखने से पता चलता है कि वह रह – रह कर अपना बयान बदल रहा है। हिन्दुस्तान अखबार के अनुसार, उसके बयान है कि अगर वह मुंह खोलेगा तो कई बड़े लोग फंसेंगे। कौन लोग फंसेंगे जाहिर है, जिसका वह नाम लेगा, पर वह जिसका नाम लेगा, वे फंस ही जायेंगे, इस बात में दम नहीं है, क्योंकि जिन्हें उसके नाम लेने से फंसने का डर है, वे जरूर अब तक अपनी सुरक्षा के बड़े-बड़े बांध बना लिये होंगे। फिर भी हमारा पंकज से आग्रह होगा कि वह सत्य के साथ रहे और सत्य का अनुसरण करते हुए, अपनी बात बिना किसी भय के कानून के समक्ष रखे, क्योंकि सत्य में ही सिर्फ ताकत होती है। सत्य ही उसे बचायेगा, बाकी असत्य की क्या भूमिका होती है, वह सब को पता है।
पंकज को मैं अच्छी तरह जानता हूं, अनेक बार उससे मिला हूं। फेसबुक पर भी बाते होती रही है, कई बार फोन पर बात किया हूं। जब वह प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश का पीए हुआ करता था, तब तो ज्यादा ही बाते हुआ करती थी। उसके आलेख बराबर प्रभात खबर के संपादकीय पृष्ठ पर दीख जाया करते थे। एक दो आलेख तो दैनिक जागरण में भी उसके छपे है, वे भी राष्ट्रीय स्तर पर। फेसबुक पर उसके धारदार पोस्ट तो प्रभात खबर में काम करनेवाले संपादकों से लेकर नीचे के कर्मचारियों तक को कमेंट्स करने पर मजबूर कर देते थे, चाहे वे विजय पाठक हो या अभी दूसरे जगहों पर कार्य कर रहे स्वयं प्रकाश, इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि उस बच्चे में प्रतिभा है और प्रतिभा के बल पर कई वर्षों तक उसने प्रभात खबर को अपनी सेवा दी।
आखिर प्रभात खबर में शीर्ष पर रहनेवाला पंकज अडानी पावर लिमिटेड में जाते ही अपराध कैसे कर बैठा? ये सवाल रहस्यमय बना हुआ है और इस रहस्य को सुलझाना झारखण्ड पुलिस के लिए बहुत ही जरूरी है, ऐसे तो ये सवाल से पर्दा उसी समय उठ गया, जब पंकज ने यह बयान दिया कि “मुंह खोलूंगा तो फंसेंगे कई बड़े लोग”। भाई पंकज, मुंह खोल ही दो, किसके लिए धर्मसंकट में फंसे हो। उपनिषद कहता है – धर्मों रक्षति रक्षितः।
हां, एक बात के लिए प्रभात खबर को जरुर दाद दूंगा कि उसने तुम्हारी फोटो अभी तक अपने अखबार में इस प्रकरण में नहीं छापी, शायद वह इस बात को आज भी आत्मसात किये हुए है कि तुम वहां कभी काम किये थे, चलो प्रभात खबर ने इतना तो अपना धर्म निभाया, नहीं तो वो कितना धर्म निभाता है, मैं जानता हूं। हमें तो लगता है कि कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है, जिससे पर्दा उठना चाहिए और ये पर्दा तुम्हीं उठाओगे। ईश्वर सदैव तुम्हारे साथ है, सत्य का साथ कभी मत छोड़ना।
जानिये पंकज पाठक को। पंकज पाठक को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया है। उस पर आरोप है कि उसने अडानी पावर लिमिटेड के गोपनीय दस्तावेज बेचे है। किसको बेचे है, किसलिये बेचे है, अब तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है। आज के विभिन्न अखबारों को देखने से पता चलता है कि वह रह – रह कर अपना बयान बदल रहा है। हिन्दुस्तान अखबार के अनुसार, उसके बयान है कि अगर वह मुंह खोलेगा तो कई बड़े लोग फंसेंगे। कौन लोग फंसेंगे जाहिर है, जिसका वह नाम लेगा, पर वह जिसका नाम लेगा, वे फंस ही जायेंगे, इस बात में दम नहीं है, क्योंकि जिन्हें उसके नाम लेने से फंसने का डर है, वे जरूर अब तक अपनी सुरक्षा के बड़े-बड़े बांध बना लिये होंगे। फिर भी हमारा पंकज से आग्रह होगा कि वह सत्य के साथ रहे और सत्य का अनुसरण करते हुए, अपनी बात बिना किसी भय के कानून के समक्ष रखे, क्योंकि सत्य में ही सिर्फ ताकत होती है। सत्य ही उसे बचायेगा, बाकी असत्य की क्या भूमिका होती है, वह सब को पता है।
पंकज को मैं अच्छी तरह जानता हूं, अनेक बार उससे मिला हूं। फेसबुक पर भी बाते होती रही है, कई बार फोन पर बात किया हूं। जब वह प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश का पीए हुआ करता था, तब तो ज्यादा ही बाते हुआ करती थी। उसके आलेख बराबर प्रभात खबर के संपादकीय पृष्ठ पर दीख जाया करते थे। एक दो आलेख तो दैनिक जागरण में भी उसके छपे है, वे भी राष्ट्रीय स्तर पर। फेसबुक पर उसके धारदार पोस्ट तो प्रभात खबर में काम करनेवाले संपादकों से लेकर नीचे के कर्मचारियों तक को कमेंट्स करने पर मजबूर कर देते थे, चाहे वे विजय पाठक हो या अभी दूसरे जगहों पर कार्य कर रहे स्वयं प्रकाश, इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि उस बच्चे में प्रतिभा है और प्रतिभा के बल पर कई वर्षों तक उसने प्रभात खबर को अपनी सेवा दी।
आखिर प्रभात खबर में शीर्ष पर रहनेवाला पंकज अडानी पावर लिमिटेड में जाते ही अपराध कैसे कर बैठा? ये सवाल रहस्यमय बना हुआ है और इस रहस्य को सुलझाना झारखण्ड पुलिस के लिए बहुत ही जरूरी है, ऐसे तो ये सवाल से पर्दा उसी समय उठ गया, जब पंकज ने यह बयान दिया कि “मुंह खोलूंगा तो फंसेंगे कई बड़े लोग”। भाई पंकज, मुंह खोल ही दो, किसके लिए धर्मसंकट में फंसे हो। उपनिषद कहता है – धर्मों रक्षति रक्षितः।
हां, एक बात के लिए प्रभात खबर को जरुर दाद दूंगा कि उसने तुम्हारी फोटो अभी तक अपने अखबार में इस प्रकरण में नहीं छापी, शायद वह इस बात को आज भी आत्मसात किये हुए है कि तुम वहां कभी काम किये थे, चलो प्रभात खबर ने इतना तो अपना धर्म निभाया, नहीं तो वो कितना धर्म निभाता है, मैं जानता हूं। हमें तो लगता है कि कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है, जिससे पर्दा उठना चाहिए और ये पर्दा तुम्हीं उठाओगे। ईश्वर सदैव तुम्हारे साथ है, सत्य का साथ कभी मत छोड़ना।
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