Thursday, September 29, 2016

थाली में छेद..........

क्या होता है थाली में छेद?
आम तौर पर अगर किसी व्यक्ति को आप कहे कि वो तो जिस थाली में खाता है, उसी थाली में छेद करता है, बस देखिये जिसके बारे में कहा गया, वह व्यक्ति ये वाक्य बोलनेवाले व्यक्ति का किस प्रकार मुंह नोच लेता है, अगर मुंह नोचने की ताकत नहीं तो फिर उससे वह वो बदला लेगा, जिससे ये वाक्य बोलनेवाले की नानी – दादी याद आ जायेगी।
आम तौर पर इस लोकोक्ति का प्रयोग सर्वाधिक हो रहा है, खासकर तब, जब किसी को नीचा दिखाने की जरुरत हो। सर्वाधिक इस लोकोक्ति का प्रयोग वे लोग करते है, जो अपना जमीर बेच चुके होते है, भले ही उसका कारण कुछ भी हो।
आजकल बहुत सारे पत्रकारों का समूह अपना जमीर बेचकर विभिन्न संस्थानों में कार्य कर रहा है और अपने संस्थान के मालिक अथवा संपादकों के इशारे पर वह कुकृत्य कर रहा है, जिसकी इजाजत उसका जमीर भी नहीं देता, पर दूसरों को उल्लू बनाने के लिए वह इस डायलॉग का प्रयोग खुब करता है कि वह जिस थाली में खाता है, उस थाली में छेद नहीं करता, यानी उसके कुकृत्यों से देश का भले ही नुकसान हो जाये, या यो कहें कि देश की थाली में भले ही छेद हो जाये, पर उस संस्थान या मालिक की थाली में छेद नहीं होना चाहिए, जिसने देश का नुकसान करने का बीड़ा उठा लिया है।
जरा देखिये, एक से एक नमूने है...
पटना में एक संवाददाता है, खूब नीतीश की परिक्रमा करता है, उसे नीतीश में खुदा नजर आता है, कभी – कभी उसके सपने में नीतीश तीर लेकर राम के रुप में भी आ जाते है, इसलिए नीतीश के खिलाफ वो सुनना ही नहीं चाहता और चूंकि अब लालू भी नीतीश के साथ हो गये तो वह लालू को हनुमान के रुप में हृदय में धारण किये है, ये अलग बात है कि इनके कुकृत्यों से बिहार का जो नुकसान होना है, वो हो ही रहा है, पर चूंकि वह जिस संस्थान में काम करता है उसका मालिक स्वयं नीतीश की पार्टी से विधायक बना हुआ है, इसलिए वह लालू और नीतीश के बारे में कुछ सुनना ही नहीं चाहता, पर मोदी के खिलाफ विषवमन करने की बात हो तो देखिये वह अपने मालिक को खुश करने के लिए हद से भी गुजर जाता है। अब ऐसे लोगों से क्या बात करनी।
कल ही की बात है उक्त सज्जन को एक व्यक्ति ने उसे आइना देखाने की कोशिश की, तो उसका जवाब था कि झारखंड सरकार के पैसे पर अपना काम चलाने वाले लोग अगर नैतिकता की दुहाई दें तो यह शर्म की बात है?
हमारा उत्तर - क्या झारखण्ड सरकार में काम करना और उस काम का पैसे लेना अनैतिक है?
हम बताते है कि अनैतिक क्या है? झारखण्ड सरकार के आगे विज्ञापन के लिए नाक रगड़ना और उस विज्ञापन के पैसे से अपना पेट चलाना और उसके बाद अपना जमीर गिरवी रख देना, यह अनैतिक है। जो आजकल सभी कर रहे है। हमारे पास एक नहीं कई उदाहरण है। बिहार में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे। उन्होंने ईटीवी पर ऐसा जादू डाला कि रात्रि के नौ बजे के समाचार में 18 मिनट नीतीश का ही समाचार येन केन प्रकारेन चलता रहा और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की खबर तेल लेने चली गयी। ये कुछ उदाहरण है और मैं फिर ताल ठोंक कर कहता हूं कि बिहार में कई चैनल या अखबार है, पत्रकार है, जो नीतीश और लालू के दरबारी है। और अब हम आपको बताते है कि अनैतिक क्या है?
क. जमीर बेचना अनैतिक है।
ख. जमीर बेचकर अपने मालिक और संस्थानों के लिए सिर्फ जीना और इसकी आड़ में देश को नुकसान पहुंचाना अनैतिक है।
ग. अपने गिरेबां में नहीं झांकना और दूसरों पर झूठा आरोप लगाना अनैतिक है।
घ. कोई भी व्यक्ति कहीं भी काम कर सकता है, चाहे वह सरकारी सेवा में रहे या निजी संस्थाओं में, ध्यान यह रहे कि वह कहीं भी काम कर रहा है, पर अपना जमीर तो नहीं बेच रहा। अगर जमीर बेच दिया, देश को नुकसान किया, एकतरफा सोच रखा तो अनैतिक है।
ङ. हां, हर बात में अपने मालिक की हां में हां मिलानेवाला, देश का सबसे बड़ा शत्रु और अनैतिक है, क्योंकि वह सही मायनों में देश की थाली में छेद कर रहा है, जिससे अंततः उसका भी नुकसान होता है, क्योंकि वह देश से अलग नहीं है।

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