Wednesday, October 5, 2016

लो शुरू हो गया अपनी ढपली अपना राग..............

अरविंद केजरीवाल, अरुण शौरी, दिग्विजय सिंह के बाद संजय निरुपम और पता नहीं और कौन – कौन से लोग आयेंगे। इन सभी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि वे सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी करें। इन्होंने प्रत्यक्ष रुप से ये भी कह डाला कि इस प्रकार के स्ट्राइक पूर्व में भी होते रहे पर किसी ने इस प्रकार से मीडिया के समक्ष इन बातों को नहीं उठाया, पर भाजपा की मोदी सरकार ने पालिटिकल माइलेज के लिए ऐसा किया। हमें पूरा विश्वास था कि कुछ दिनों के बाद इस प्रकार के बयान सुनने को मिलेंगे, इसकी संभावनाएं हमें पहले से थी, क्योंकि विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां देशद्रोहियों की एक परंपरा रही है। उन परंपराओं की ओर जायेंगे तो देखेंगे कि इसकी बहुत बड़ी लिस्ट है, पर मैं ज्यादा तो नहीं, पर कुछ महान देशद्रोहियों का नाम यहां जरुर रखना चाहेंगे। मो. गोरी के समय जयचंद, ब्रिटिश हुकुमत के समय जब महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ रही थी, तो सिंधिया परिवार ने लक्ष्मीबाई को मदद न कर, अंग्रेजों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसका वर्णन तो सुप्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने भी किया – यह कहकर कि अंग्रेजों के मित्र सिंधिंया ने छोड़ी रजधानी थी, खुब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी व देश की युवाओं के धड़कन भगत सिंह को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में सुप्रसिद्ध पत्रकार खुशवंत सिंह के पिता शोभा सिंह का बहुत बड़ा हाथ था। इसलिए जब हाफिज सईद जैसे आतंकियों को सईद जी कहकर संबोधित करनेवाला वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह जब ये कहता है कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसी चीज कुछ हुई ही नहीं तो हमें यह आश्चर्य नहीं होता और रही बात संजय निरुपम की तो फिलहाल शिव सेना से कैरियर शुरु करनेवाला अभी सेकुलर राजनीति का प्याज खा रहा है, अरविंद केजरीवाल तो दुनिया के एकमात्र ईमानदार नेता है, इसलिए उनकी ईमानदारी तो इसी में है कि वे प्रधानमंत्री के साथ – साथ भारतीय सेना पर भी अंगूली उठा दें। अरुण शौरी के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो वो बैंटिग की है कि उनका वश चले तो वे जयचंद को भी मात दे दें। ये तो रहा भारतीय पक्ष अब देखते है पाकिस्तान के क्या हाल है... पाकिस्तान भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर इतना घबराया हुआ है कि पाकिस्तानी सेना पिछले दिनों पत्रकारों का एक दल बार्डर के समीप ले गया। उसके इस हरकत पर फ्रांसीसी न्यूज एजेंसी एएफपी ने पाकिस्तान के इस हरकत को एक दुर्लभ कदम करार दिया। पाकिस्तानी मीडिया डॉन और द न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक वहां सर्जिकल स्ट्राइक के कोई निशान नहीं मिले पर एएफपी ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल असीम बाजवा का बयान छापा कि जिसमे बाजवा ने कहा कि उनका इलाका मीडिया के लिए खुला है, आप देख सकते है कि यहां शांति है, यहां कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई, हालांकि एएफपी ने यह भी लिखा बाजवा के दावों की पुष्टि करना संभव नहीं था कि भारतीय सेना ने उन क्षेत्रों में सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की। इधर आतंकी दाउद इब्राहिम का समधी जावेद मियांदाद अपने स्वभावानुरुप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गालियों से नवाजा है। पाकिस्तान के पूर्व वायुसेना प्रमुख रह चुके एयर मार्शल असगर खान ने कहा है कि पाकिस्तान को भारत से कभी कोई खतरा नहीं रहा, सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ने ही भारत पर ज्यादा हमले किये। इसी बीच भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इतनी विकट परिस्थितियों में भी मानवीय मूल्यों को तरजीह देकर दोनों देशों में सुर्खियां बटोर ली है, जब उन्होने पाकिस्तानी यूथ डेलिगेशन के साथ मित्रवत् व्यवहार किया। हुआ यह कि एक अक्टूबर को पीस फोरम आगाज दोस्ती की कन्वेनर आलिया हरीर ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपनी सुरक्षा को लेकर बात की। सुषमा ने आलिया को सुरक्षित वापसी को लेकर भरोसा दिलाया। सुषमा स्वराज ने इस टीम को हृदय को छू लेनेवाली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बेटियों के लिए कोई सरहद नहीं होती। बेटियों का ताल्लुक सबसे होता है।
इसी बीच यूनाइटेड नेशन में रूस के राजदूत और अक्टूबर महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है। उन्होंने यूनाइटेड नेशन जैसी वैश्विक संस्था में कश्मीर मसले और भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का मुद्दा उठानेवाले पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर झिड़की लगायी है और कह दिया कि यह सुरक्षा परिषद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावों पर चर्चा नहीं करने जा रहा। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत विताली चर्किन ने तो मीडिया के द्वारा पूछे गये सवाल पर भी नो कमेंट्स कहकर निकल गये। कुल मिलाकर पूरे विश्व स्तर पर भारत को मिल रही साख और भारतीय सेना को मिल रहे साथ पर अब भारत के कुछ जयचंदों की फौज अंगूलियां उठानी शुरु कर दी है, वह भी क्षुद्रस्वार्थ के लिए। यही भारत की सही इमेज है, जो कभी भी खत्म नहीं हो सकती।
(यह आर्टिकल रांची से प्रकाशित समाचार पत्र आजाद सिपाही में आज के अंक में संपादकीय पृष्ठ 11 पर प्रकाशित है।)

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