Thursday, October 27, 2016

धर्मांतरण के नाम पर एआइपीएफ की चिरकूटई...........

झारखण्ड में मिशनरियों द्वारा अनैतिक तरीके से चलाये जा रहे धर्मांतरण के कट्टर समर्थक ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम ने राज्यपाल से मांग की है कि वे वंदना डाडेल मामले में हस्तक्षेप करते हुए राज्य सरकार पर दबाव डाले कि वह वंदना डाडेल के खिलाफ जो कारण बताओ नोटिस जारी की है, वह नोटिस को राज्य सरकार वापस ले लें। हम आपको बता दें कि ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम भाकपा माले की प्रतिलिपि है, जिसके ज्यादातर सदस्य भाकपा माले से जुड़े है, तथा जो शेष बचे है, उनमें से एक दो अन्य वामपंथी दलों से जुड़े है। इनका मूल मकसद हिंदू और आदिवासियों के उनके मूल धर्म को सबके समक्ष निकृष्ट बताना है। इनके ज्यादातर कार्यक्रम मिशनरियों से जुड़े संस्थानों में आयोजित होते है। इनके बाहर के सदस्य भी आते है, तो वे या तो वामपंथी कार्यालयों में ठहरते है अथवा मिशनरी संस्थाओं में ठहरते है और यहीं से धर्मांतरण के कार्यक्रमों को गति देते है।
कुछ सवाल ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम के लोगों से...
1. वंदना डाडेल से इतना प्रेम क्यों? वंदना डाडेल ने सोशल साइट्स पर अपनी बातें रखी, राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने उनसे सवाल पूछे। इसे राजनीतिक रंग देने की जरूरत भाकपा माले एंड कंपनी को जरूरत क्यों पड़ गयी?
2. वंदना डाडेल ने जो सोशल साइट्स पर मुद्दे उठाये कि आदिवासियों में सर्वाधिक गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी देखे गये है, ऐसे में वे स्वेच्छा से धर्म भी नहीं चुन सकते? मैं पूछता हूं भाकपा माले एंड कंपनी से कि क्या धर्मांतरण कर लेने से ये सारी समस्याएं दूर हो जाती है? क्या भारत के सारे लोग जो गरीब है, उन्हें धर्मांतरण कर ईसाई बन जाना चाहिए? गरीबी का धर्म से क्या संबंध? मैं पूछता हूं कि विदेशों में लोग जो गरीब नहीं है, हर प्रकार से परिपूर्ण है, वे हिन्दू क्यों बन रहे है?
3. मैं पूछता हूं कि किसी गरीब को रोटी दिखाकर, कपड़े दिखाकर, रोजगार का लोभ दिलाकर, उन्हें प्रलोभन देकर, उनकी गरीबी का मजाक उड़ाकर, उनका धर्मांतरण कराना गलत नहीं है क्या? वंदना डाडेल पर बयान देनेवाली भाकपा माले एंड कंपनी बताएं कि फादर कामिल बुल्के भारत के गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस से क्यों प्रभावित थे?
4. आजकल मैं देख रहा हूं कि भाकपा माले एंड कंपनी के लोग जिनको हिन्दूत्व की एबीसीडी मालूम नहीं, वे भी मनुवाद पर खुब लिख रहे है, जबकि सच्चाई ये है कि इन वामपंथियों के जमात को कई मस्जिदों में नमाज और कई मंदिरों में घंटे बजाते भी मैं देखा हूं और ये सब राज्य की जनता को उल्लू बनाने के लिए करते है, ये कहकर कि देखो कि मैं आपके साथ हूं, जबकि सच्चाई ये है कि ये वो हर हरकत करते है, जिससे समाज को टूटने का खतरा है।
5. सच्चाई ये है कि सारी दूनिया जानती है कि वामपंथी धर्म को अफीम मानते है, पर यहां के वामपंथी, धर्म को अपने-अपने हिसाब से तौलते है और उसकी रूपरेखा तय करते है।
6. हमारा मानना है कि धर्म – सत्य और शाश्वत है। किसी व्यक्ति विशेष द्वारा चलाया गया कोई भी मंतव्य, धर्म नहीं हो सकता। धर्म तो उस व्यक्ति विशेष के मंतव्य चलने-चलाने के पूर्व से ही मौजूद रहा है। आप उसको कोई नाम दें पर वह सत्य ही रहता है, उसके मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं ला सकता। फिर भी धर्म के नाम पर धर्मांतरण का खेल, झारखण्ड में कुछ ज्यादा ही चल रहा है, और इस खेल में जो सर्वाधिक नंगे है, वे कुछ ज्यादा ही डॉयलॉगबाजी कर रहे है और दूसरे को अनैतिक और असंवैधानिक बताते है। हमारे विचार से, राज्य व केन्द्र सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए और कहीं भी प्रलोभन और अनैतिक तरीके से धर्मांतरण का कार्य कोई भी कर रहा है, तो उसे कानून के शिकंजे में कसना चाहिए, क्योंकि हमारा संविधान भी अनैतिक तरीके से कराये गये धर्मांतरण को मान्यता नहीं देता।

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