Wednesday, June 29, 2011

काश! हमारे देश के नेता............

काश! हमारे देश के नेता गरीब होते,
वो दिन भर काम करने के बाद बीस रुपये कमा पाते,
उनके कम से कम एक बच्चे होते,
जिन्हें स्कूल भेजने का सपना होता,
वो कम से कम दिन में एक बार बाजार जाते,
बाजार जाकर, आटा, चावल, दाल और सब्जी लाते,
केवल आटा, चावल, दाल और सब्जी ही लाने में,
उनकी कमर टूट जाती,
तो फिर अखबारौं में हमें लगता हैं कि
आज जैसे विज्ञापन नहीं आते,
कि पाकिस्तान, नेपाल और बांगलादेश से भी कम रेट,
गैस सिलिंडरों के दाम भारत में हैं
मिट्टी तेल और डीजल के लिए आज भी अपनी सरकार सब्सिडी दे रही है,
कमाल ये भी हैं
कि भारत की जनता की कमाई अंकगणितीय ढंग से बढ़ती हैं
पर भारत के नेताओं की
कमाई ज्यामितीय प्रणाली सी बढ़ती हैं
एक नेता पांच साल में,
अपनी कमाई 200 से 1785 प्रतिशत तक बढ़ा लेता हैं,
पर हम आज तक ईमानदारी से,
दो जून रोटी भी ठीक से नहीं खा पाये,
ये कहते हैं कि अपने देश में लोकतंत्र हैं
पर ये लोकतंत्र सिर्फ,
इन्हीं के घरों में दिखता हैं,
इनकी बीवियां करोड़ों में नहाती हैं.
गरीबों की तो चिथड़ों में नजर आती हैं
पता नहीं बापू का लोकतंत्र कहां खो गया।
हम आज भी वहीं हैं,
नेता हमारा बहुत दूर निकल गया।
कोई ढूंढ कर ला दो,
मुझे वो गांधी,
जो लाठी लेकर चलता था,
चिथड़ों में दिखता था
अपना चेहरा उसमें नजर आता था,
हम खुश थे,
क्योंकि वो भी मेरे जैसा था,
पर आज तो अजब गजब हैं
जो नेता हैं,
खुद को गांधीवादी कहता हैं.
खूब टीप टॉप में रहता हैं
चम्मच कांटे से खाता हैं
पता नहीं क्या हैं य़े,
नेता का चक्कर की,
कुछ बनते ही,
बोलेरो से चलता हैं।
काश इस पर भी वे विज्ञापन लाते,
बताते कि उनके जीवन शैली का,
राज क्या हैं,
पर शायद ही ऐसा विज्ञापन दिखेगा,
ये नेता अपने ही लोगों को लहू पीयेगा,
झूठ बोलेगा,
अपने ही देशवासियों के धन से,
अपने परिवार को राजसुख देगा,
मरती रहे जनता अपनी बला से,
हम पैदा हुए हैं, राजभोगने को,
राज भोगेंगे।
दाम बढ़ायेंगे, महंगाई हमने थोड़ी बढाई
अमेरिकी ने कह दिया बढ़ा दी।
बाजार हमसे थोड़े ही नियंत्रित हैं,
इसका तो अंतर्राष्ट्रीय फंडा हैं,
केवल नामके हम मंत्री, प्रधानमंत्री हैं,
असली राजा तो विदेशों में बैठे हैं,
जिनके हम कठपुतली हैं।

Monday, June 20, 2011

बोलिये झोलझाल महराज की जय...........

(व्यंग्य)

धर्मप्रेमी सज्जनों,
आज बड़ा ही शुभ दिन है................ कि श्रीश्री मूर्खापीठाधीश्वर 420 जी महाराज स्वामी झोलझाल जी, हमारे बीच में हैं.........................। ऐसे तो झोलझाल जी महराज की कृपा हम सब पर सदा बनी रहती हैं, पर इधर कुछ दिनों से महराज जी रांची आकर, कुछ पल हमलोगों के बीच व्यतीत करना चाहते थे। इसलिए स्वामी झोलझाल जी सत्संग समिति ने निर्णय लिया, कि महराज जी को यहां बुलाकर, इस रांची नगरी को धन्य धन्य कर दिया जाय। चूंकि अब हम सभी पर झोलझाल जी महराज की कृपा बरस रही हैं। अब हम, झोलझाल जी की कृपापात्र शिष्या खटेश्वरी जी से निवेदन करेंगे कि अपना खटेश्वरी राग सुनायें और हम सब को अपने राग से अभिभूत करें.................. बोलिये खटेश्वरी माता की जय............
जय जय जय झोलझाल बाबा की, जय जय जय
जय जय जय झोलझाल बाबा की, जय जय जय
एक हाथ में कलम विराजे,
दूजे हाथ कैमरा साजे
सब के नाम डूबावे ये नटखट री. जय जय जय..................
सारे नेता गिरगिट जैसा नाचे
उद्योगपति छिपकली जैसा लागे
पत्रकार की शामत री, जय जय जय...................
घोटाला करत, भ्रष्ट सम लागत
चोर चुहार के भैया लागत
एक नंबर के दुष्टन जी, जय जय जय............
नेह लगाकर जो कोई बोले
झोलझाल जी के भजन जो गावै
उनकर जन्म सफल होरी, जय जय जय..........
देश विदेश में अरबों नर नारी
भ्रष्ट समाज के हैं रखवारी
स्विस बैंक के उपकारी, जय जय जय..............
प्रातः सायं जो नाम हैं लीन्हा
करोंड़ों अरबों रुपये पहुचीन्हा
डॉलर में वो खेलिन्हा, जय जय जय.............................
बोलिये प्रेम से मूर्खपीठाधीश्वर, झोलझाल महराज की जय
प्यारे धर्मप्रेमी सज्जनों, आपने बड़े ही प्रेम और शांतिपूर्वक से माता खटेश्वरी जी के मुखारविंद से ललित ललाम, श्री झोलझाल जी महराज के भजन सुनें, अब आप सभी से अनुरोध हैं कि स्वामी झोलझाल जी महराज के मुखारविन्द से प्रवचन सुने.................
सभी बोले....................
मूर्खों की जय जय, सदा रहे
मूर्खों की......................
अज्ञानी सदा अरे फले फूले
अज्ञानी......................
जो जो घोटाला करत रहेंगे
देश में उनकी जय जय करेंगे
करेंगे, उनका अभिषेक हम दिल से
मूर्खों की जय जय, सदा रहे
हे धर्मप्रेमी सज्जनों,
जरा आप सोंचों क्या आप सौ साल पहले थे, उत्तर होगा – नहीं
क्या सौ साल बाद जिंदा रहोगे, उत्तर होगा – नहीं
तो फिर देश की चिंता करने के लिए तुम ही बने हो, अरे मूर्खों, तुम अपना जीवन हमें यानी झोल झाल को समर्पित कर दों, सब ठीक हो जायेगा.................
और एक बार फिर बोलो
मूर्खों की जय जय सदा रहे
मूर्खों की.......................
अरे बंधुओं, सुनने में आया हैं कि दिल्ली में धमाल हो रहा हैं, कुछ लोग भ्रष्टों के खिलाफ, आमरण अनशन पर तुले है, ये तो मूर्ख और भ्रष्ट समाज पर हमला हैं। क्यां हमनें कभी किसी विद्वत और संभ्रांत, देशभक्त ईमानदार पर हमला किया, जो हम पर हो रहा हैं, कभी हमनें विद्वत और संभ्रात व्यक्तियों के खिलाफ आमरण अनशन किया। उत्तर होगा – नहीं तो फिर ये लोग हम मूर्खों और भ्रष्टों के खिलाफ क्यों आमरण अनशन कर, हमें धमकी देते रहते है। ये सरासर गलत हैं। अब हमनें सोचा हैं कि इनके खिलाफ हमलोग – मिलकर संसद में सदबुद्धिविनाशक यज्ञ करेंगे। हमें आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास हैं कि इस यज्ञ से देश की सारी जनता की सदबुद्धि नष्ट हो जायेगी और हमारे देश में एक सुंदर माहौल बनेगा, सभी घोटालायुक्त भारत बनाकर, देश का कल्याण करेंगे।
बोलिये झोलझाल महराज की जय
देखिये कितना सुंदर प्रवचन, हमारे स्वामी झोलझाल जी महराज ने दे दिया हैं, आशा ही नहीं, बल्कि आप सभी मिलकर स्वामी झोल झाल जी महराज के सपनों का भारत बनायेंगे। जिन्हें सदबुद्धिविनाशक यज्ञ में दिल खोलकर दान देना हैं वो कृपया बाबा झोलझाल के स्विस बैंक में खुले हुए खाते में अपनी राशि जमा करा दें ताकि बाबा और हम सब का सपना पूरा हो जाय। जो लोग सदबुद्धिविनाशक यज्ञ में शामिल होना चाहते है, वे अपना रजिस्ट्रेशन आज ही करा लें।
और अब सभी हृदय से बोले
स्वामी झोलझाल जी महराज की जय
फिलहाल बाबा झोलझाल जी, रांची प्रवास पर है, इसके बाद इनका भ्रमण सभी प्रदेशों में होगा। स्वामी झोलझाल जी सत्संग समिति के सदस्यों से विनम्र निवेदन हैं कि बाबा के कार्यक्रमों को अपने अपने प्रदेशों में सफल बनाने के लिए तन मन धन से जूट जाये, क्योंकि---


जो जितना योगदान करेगा, वो उतना ही सुख पायेगा
हृदय में बाबा झोलझाल को धारण कर, देश में एक भ्रष्ट वातावरण को तैयार कर, अपना और अपने परिवार का जीवन सफल करें।

Thursday, June 16, 2011

नक्षत्रों की दृष्टिकोण में मानसून........


पूरे देश में मानसून की चर्चा हैं, वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार मानसून अच्छा रहेगा। भारतीय विद्वानों का समूह जो नक्षत्रों की भाषा समझता और जानता है, उसका भी मानना हैं कि इस बार नक्षत्र चमत्कार दिखायेंगे, पिछली बार इन नक्षत्रों ने भी दगा दिया था, पर इस बार ज्यादातर नक्षत्रों का समूह अच्छी वृष्टि की संकेत दे रहे हैं, आखिर ये नक्षत्र कब आयेंगे और इनका क्या लक्षण होगा। इस पर हमें विचार करना चाहिए। आज भले ही, आप मौसम विभाग के चक्कर काट लें और मौसम विभाग जिस प्रकार से आपको अपनी बात कह दें, आप उसे मानने को तैयार हो जायेंगे, ये कहकर कि, उसका वैज्ञानिक आधार हैं, पर आज से लेकर सैकड़ों साल पहले, ऐसी बात नहीं थी। किसानों और मानसून के बारें में जानने की इच्छा रखनेवाले लोगों का समूह, पंडितों और विद्वानों के पास पहुंचता था कि आखिर इस बार नक्षत्र क्या संकेत दे रहे हैं। पंडितों और विद्वानों का समूह इन नक्षत्रों की दशा और दिशा देखकर बता देता कि इस बार मानसून दगा देगा या अच्छी बारिश होगी, ये तो रही कल की बात पर, आज भी कमोवेश स्थिति यहीं हैं, जिन्हें थोड़ा बहुत भी नक्षत्रों की जानकारी है, वे पंडितों से पूछ ही देते हैं कि आखिर इस बार मानसून अथवा बारिश कैसी रहेगी। हमनें भी इन पंडितों से पूछने की कोशिश की है, उनका कहना हैं कि इस बार बारिश अच्छी होगी और उसके संकेत नक्षत्र दे चुके हैं। एक दो नक्षत्रों को छोड़, बाकी सारे नक्षत्र इस बार अच्छी वृष्टि के संकेत दे रहे है।
क. आद्रा -- 22 जून की रात 9.11 से प्रारंभ -- सुवृष्टि योग
ख. पुनर्वसु -- 6 जुलाई की रात 10.45 से प्रारंभ -- सामान्यवृष्टि योग
ग. पुष्य -- 20 जुलाई की रात 12.15 से प्रारंभ -- सुवृष्टि योग
घ. आश्लेषा –- 3 अगस्त की रात 12.53 से प्रारंभ -- सृवृष्टि योग
ङ. मघा – 17 अगस्त की रात 12.09 से प्रारंभ -- सामान्य वृष्टि
च. पूर्वाफाल्गुन - 31 अगस्त से की रात 9.30 से प्रारंभ -- सुवृष्टि योग
छ. उत्तराफाल्गुन - 14 सितम्बर को दिन में 3.59 से प्रारंभ – सुवृष्टि योग
ज. ह्स्त –- 28सितम्बर को प्रातः 7.15 से प्रारंभ –- स्वल्पवृष्टि योग
झ. चित्रा --- 11 अक्टूबर को रात्रि 7.38 से प्रारंभ –- स्वल्पवृष्टि योग

यानी हस्त जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में हथिया नक्षत्र कहते हैं, इस बार इस नक्षत्र में भारी बारिश या सामान्य बारिश की अपेक्षा कम बारिश होने की संभावना हैं, जबकि लोग बताते है कि हथिया की बारिश में तबाही हो जाया करती थी। इसी प्रकार उत्तरा नक्षत्र को कनवा नक्षत्र कहकर भी लोग संबोधित करते है। हमारे जनकवियों ने भी बारिश के बारे में खुलकर विचार दिया हैं और उनके विचार आज भी प्रासंगिक है......................... घाघा कवि को ले लीजिए, उन्होंने कहा हैं कि---
रेवती रवे मृगशिरा तपे,
कछु दिन आदरा जाये,
कहे घाघा जिन से,
श्वान भात न खाये.
यानी जिस कालखंड में रेवती रव गया और मृगशिरा नक्षत्र तप गया समझ लीजिये आदरा ऐसा झमझमाएगा और फसल इतनी अच्छी होगी कि कौआ भी अघा जायेगा। ये है हमारी संस्कृति और मानसून की सांकेतिक दृष्टिकोण और हमारे पूर्वजों की भाषा.

Monday, June 13, 2011

बहुत कठिन है, डगर पनघट की..................................

जमशेदपुर लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। करीब हर छोटी – बड़ी पार्टियों ने अपनी ओर से उम्मीदवारी तय कर दी है। जिन बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं को टिकट मिलनी थी पर टिकट नहीं मिल पाया, उन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ शंखनाद भी कर दिया है, और एक तरह से ये कहकर ताल ठोक दिया कि अपनी पार्टी से न सहीं, दूसरे पार्टी का दामन थामकर वे चुनाव लड़ेंगे पर लड़ेंगे जरुर। जबकि कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अन्दर ही अन्दर टिकट न मिलने से नाराज है और अपने प्रत्य़ाशी की कब्र खोदने में लगे है। दूसरी ओर ऐसी भी पार्टियां हैं जो कल तक गठबंधन धर्म की दुहाई दे रही थी पर आज गठबंधन को ताक पर रख, एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवारी तय कर दी। हालांकि ये उपचुनाव आम तौर पर फ्रैंडली होगा, पर चुनाव संपन्न होने और परिणाम आने के बाद माहौल फ्रैंडली ही रहेगा, ये कहना मुश्किल है, क्योंकि जीत तो पचा ली जा सकती हैं, पर हार पचा पाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल ही होगा। आश्चर्य इस बात की है जो झामुमो गठबंधन धर्म का दुहाई दे रही थी और भाजपा से सहयोग की बात कर रही थी, सुधीर महतो के टिकट की घोषणा के साथ ही नये नये झंझावातों को झेल रही हैं। उन्हीं की पार्टी से कभी लोकसभा का रास्ता तय कर चुकी सुमन महतो, तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुकी हैं। आजसू जो झामुमो की ही देन है, उसने भी अपनी पार्टी से आस्तिक महतो को उतार दियाहै। इधर कांग्रेस से बन्ना गुप्ता की उम्मीदवारी तय हो जाने से प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू और उनका कुनबा पूरी तरह से गुस्से में है, ये अलग बात हैं कि वो खुलकर नहीं बोल रहा, पर इतना तो तय हैं कि यहां भी सब कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस को लग रहा था कि गठबंधन के नाते, झाविमो के लोग उसकी मदद करेंगे, तो यहां झाविमो ने अजय कुमार को उतारकर, कांग्रेस की एकतरह से कमर ही तोड़ दी हैं, ऐसे में फिलहाल भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जहां विद्रोह की गुंजाईश कम दिखाई पड़ रही है, पर यहां भी सब कुछ ठीकठाक हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। कई ऐसे लोग हैं जो इस दौड़ में थे, पर टिकट नहीं मिलने से नाराज भी चल रहे हैं। कुल मिलाकर देखे, तो सभी जगह कुछ न कुछ अनबन है, और इसका परिणाम सभी पार्टियों को भुगतना पड़ेंगा।साथ ही ये भी तय हैं कि जमशेदपुर लोकसभा का चुनाव आनेवाले झारखंड की राजनीति की दशा और दिशा भी तय करेगा क्योंकि जो चुनाव जीतेगा, उसके हौसले बुलंद रहेंगे, साथ ही वो झारखंड में मजबूत स्थिति में होगा और जो हारेगा, उसकी स्थिति बहुत ही कमजोर होती जायेगी, क्योंकि इसका प्रभाव इस रुप में पड़ेगा कि हारनेवाली पार्टियों में भगदड़ की स्थिति होगी, जबकि जीतनेवाले अपने कुनबे को स्थिर और मजबूत करने की स्थिति में होंगे। शायद राजनीति केजानकार, इसीलिए इस चुनाव को झारखंड की दशा और दिशा से जोड़ रहे हैं। खुशी इस बात की हैं कि सभी पार्टियों ने अपनी उम्मीदवार जमशेदपुर की जनता के समक्ष उतार दिये है, अब जमशेदपुर की जनता के सामने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के विकल्प है, अब जमशेदपुर की जनता की भी परीक्षा हैं कि वो इतने विकल्पों में से किसे चुनती हैं, क्योंकि अब वो ये भी नहीं कह सकती कि उनके पास विकल्प नहीं था, आज उनके पास विकल्पों की भरमार हैं। देखतेहैं कि किसके माथे जीत का सेहरा और किसके माथे हार का ठीकरा फूटता हैं, तब तक नजर बनाये रखिये कि जमशेदपुर की जनता किसे संसद में भेजने के लिए राजी होती हैं।

Sunday, June 12, 2011

संतों को नमन..........................


संतों को नमन, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए, सारे काम काज छोड़ कर, भ्रष्टाचार के खिलाफ, सड़कों पर उतर गये। जिन्होंने राक्षस रुपी कांग्रेस गठबंधन केन्द्र सरकार के नाक में दम कर दिया। जिन्होंने दिल्ली के राष्ट्रीय चैनलों के पत्रकारों पर चढ़ा कांग्रेसी मुखौटा उतारकर फेंक दिया। जिन्होंने कांग्रेसियों द्वारा चलाये जा रहे दमन अभियान की परवाह नहीं की और पूरे देश के जनमानस में भ्रष्टाचार और विदेशों में पड़ें कांग्रेसी नेताओं और यहां के अन्य देशद्रोहियों के काले धन के खिलाफ, सभी के हृदय में बीजारोपण कर दिया, आप माने या न मानें पर कालांतराल में, ये बीज एक दिन वृक्ष बनेगा और फिर ये भारतीय जनता इन भ्रष्ट कांग्रेसियों और देशद्रोहियों को सबक सीखाने के लिए सड़कों पर उतरेगी और जब ये सड़कों पर उतरेगी, तो स्वयं को चालाक समझनेवाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहां होंगे, उन्हें इस बात पर ज्यादा चिन्तन करना चाहिए। रही बात कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, जनार्दन द्विवेदी, सुबोधकांत सहाय और पी चिदम्बरम जैसे अंगूलियों में गिने जानेवाले घटियास्तर के नेताओं की तो ये उस वक्त कहां होंगे, उन्हें खुद पता नहीं चलेगा।
इधर एक और बिहार के नेता लालू प्रसाद कुछ ज्यादा ही बोलने लगे है, वो लालू जिसने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सपनों का सत्यानाश कर दिया। बाबा रामदेव के खिलाफ घटिया स्तर का बयान देने लगा, मजाक उड़ाने लगा। यानी जो खुद आज मजाक बना हुआ हैं, वो मजकिया लहजे, में अलबल बक रहा है, वो भी रामदेव के खिलाफ। ये वे लालू है – जो जयप्रकाश आंदोलन के समय कांग्रेस के खिलाफ बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने एक समय बिहार के 54 लोकसभा सीट से किसी भी कांग्रेसी को दिल्ली जाने नहीं दिया था, आज सोनिया माता का हृदय से प्रतिदिन सोनिया जप करते है, कि वो किसी भी प्रकार से उन्हें उपकृत कर दें। वो लालू जो अपनी पत्नी और बेटे-बेटियों के अलावा किसी की सोचते नहीं, वो लालू जिसने चारा घोटाले, अलकतरे घोटाले, वर्दी घोटाले, यानी बिहार को घोटालों का प्रदेश बना दिया, आज बहुत बोलने लगे हैं, वो भी तब जब बिहार की जनता इन्हें लगातार, उनकी औकात बता रही हैं, तब। वो कहावत हैं न, रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया। ये इसी कहावत के फिलहाल सटीक उदाहरण बनते जा रहे हैं। खैर, इनकी मर्जी ये भाड़ में जाये, इनसे हमें और बिहार की जनता को क्या मतलब, ये सोनिया माता का आंचल और राहुल का कुर्ता पकड़कर सत्ता की वैतरणी पार करते रहे।
आज एक अच्छी खबर हैं, कि संतों के आग्रह पर, बाबा रामदेव ने अपनी नौ दिन पुरानी अनशन तोड़ दी। ये अलग बात हैं कि उनके अनशन तोड़ने पर भी कांग्रेसी और कांग्रेस समर्थित पत्रकार ये पूछने से बाज नहीं आ रहे कि केन्द्र ने तो उनकी बात नहीं मानी, फिर भी बाबा रामदेव ने अनशन तोड़ दिया, आखिर इस अनशन का क्या मतलब, ये तो बाबा रामदेव का सत्याग्रह झूठ निकला। इस बारे में मेरा कहना स्पष्ट हैं कि मूर्खों और बेशर्मों से सत्य से संबंधित सवालों को पूछा जाना और उनके उत्तर उनके द्वारा पचा पाने का आग्रह रखना मुर्खता के सिवा दुसरा कुछ नहीं। इसलिए मूर्खों और बेशर्मों के द्वारा इस मुददे पर पूछे जा रहे सवालों को जवाब देने के पहले सोच लीजिये कि सवाल पूछनेवाला कांग्रेसी और कांग्रेस समर्थित पत्रकार, दोयम दर्जे का राक्षस है। क्योंकि रावण भी राक्षस था, पर वो भी मर्यादित व्यवहार करता था, पर ये ऐसा राक्षस है कि कब क्या कर देगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए ऐसे राक्षसों से हमें निरंतर लड़ते रहना हैं, क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभी जंग खत्म नहीं हुई। हमें इस लड़ाई को यहीं पर छोड़ना नहीं हैं, इसे तब तक जारी रखना हैं, जब तक विदेश में पड़े कांग्रेसियों और कांग्रेस समर्थित पत्रकारों, देशद्रोहियों के काले धन, अपने देश तक नहीं आ जाते। ये भी याद रखिये कि जब तक कांग्रेसी सत्ता में बने रहेंगे, ये काम पूरा नहीं होगा, इसलिए आनेवाले समय में जब भी चुनाव हो, इन सत्ता में बैठे देशद्रोहियों को हिन्द महासागर में फेंकने के लिए तैयार रहे। हो सकता हैं कि इस संघर्ष में ये कांग्रेसी आपको जान लेने की कोशिश करें, जैसा कि उसने बाबा रामदेव के साथ किया। आधी रात को उनके आंदोलन को कुचलने के लिए हजारों पुलिस के जवान लगा दिये। उनके आमरण अनशन को समाप्त कराने के लिए दिलचस्पी नहीं ली, ये सोचकर कि वो आमरण अनशन पर है, भूख से तड़प तड़प कर खुद ही मर जायेगा, और हमारे रास्ते का- कांटा भी निकल जायेगा, ऐसे में इस संन्यासी के आमरण अनशन को खत्म करने की क्या जरुरत….? सुना हैं, ये कांग्रेसी अब बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन का जवाब देने का मन बना रहे हैं, ये देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने की बात कर रहे हैं, यानी अब मच्छड़, पहलवान बनने की सोच रहा हैं। आईये इन मच्छड़ों की औकात बताये और देश में उठे भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्वार को, इस आंदोलन के दीप को कभी भी बुझने न दें।
जय हिन्द।

Saturday, June 11, 2011

विनाशकाले विपरीतबुद्धि

शास्त्रों में एक बात आयी है – जिनको ईश्वर दुख देने को होते हैं – उनकी मति (ज्ञान) हर लेते है। शायद ये वाक्य सत्तारुढ़ कांग्रेस पर सत्य साबित होती है। दो साल पूर्व सत्ता में दोबारा आयी, इस सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं को लगता है – जनता ने उन्हें सदा के लिए सत्तारुढ़ होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया है और इसी मद (अहंकार) में चूर होकर, वो सब काम कर रही है, जिसे न तो धर्म इजाजत देता है और न ही सत्य (ईश्वर)। जबकि इस सरकार में शामिल सभी मंत्री ईश्वर की ही शपथ लेकर सत्ता का सुख भोग रहे है, पर इनके ज्ञान को देखिये कितनी निम्नस्तर की हो गयी कि इन्हें अभी तक पता ही नहीं चल पा रहा कि उन्हें आज की परिस्थितियों में क्या करना चाहिए।
फिलहाल ये एक संन्यासी से टकराने में अपना पुरुषार्थ समझ रहे है और सच पूछिये, तो उस संन्यासी से टकराने का खामियाजा उसे भुगतना भी पड़ रहा हैं पर उसे इसका अनुमान नहीं हो रहा, क्योंकि फिलहाल धृतराष्ट्रों की संख्या इस पार्टी में ज्यादा दिखाई पड़ रहा है। मुझे एक बात समझ में नहीं आ रहा कि बाबा रामदेव ने भारतीयों के विदेशी काला धन को, भारत में लाने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात कहकर क्या गलत कह दिया, जो कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा। इससे तो बिहार में प्रचलित लोकोक्ति की याद आ रही है कि – चोर के दाढ़ी में तिनका। इसका मतलब हैं कि कांग्रेसियों के ही धन विदेशी खातों में जमा है, जिससे भयभीत कांग्रेसी नहीं चाहते कि वो काला धन, भारत में आये और यहां की जनता उन पर थू – थू करें।
हालांकि बाबा रामदेव के आंदोलन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान चालाकी भरा रहा हैं, जबकि उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और कांग्रेसी नेताओं का बयान अमर्यादित और संस्कारहीन आचरण को जन्मदेनेवाला रहा है। दूसरी ओर दिल्ली के विभिन्न राष्ट्रीय चैनलों ने तो हद कर दी है, वो तो फिलहाल इस दौड़ में शामिल हो गयी हैं कि कौन चैनल बाबा रामदेव को भ्रष्ट साबित करने में एक नंबर हैं ताकि कांग्रेसियों और सोनिया गांधी के द्वारा उपकृत हो सकें। मुझे तो इन चैनलों और ऐसे घटियास्तर के पत्रकारों की बुद्धि पर तरस आती है कि आखिर इनका आचरण इतना घटिया कैसे हो गया, पर चिंतन करने पर पता लगता है कि भला मुर्खों से विद्वता की अपेक्षा रखना भी, मुर्खता ही है।
जरा प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों और राष्ट्रीय चैनलों का बाबा रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र और उनके आंदोलन को कुचलने के बाद के चरित्र को देखिये, पता लग जायेगा कि देशद्रोही कौन है। सबसे पहले रामदेव के आंदोलन के पूर्व का चरित्र पर ध्यान दीजिये ---------
1. प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा कांग्रेस के सभी नेताओं का बयान, बाबा रामदेव के खिलाफ न होकर मर्यादित है, सभी चाहते हैं कि बाबा रामदेव आंदोलन पर न बैठे, उनके आमरऩ अनशन का आंदोलन किसी भी कीमत पर समाप्त हो, इधर राष्ट्रीय चैनल भी बाबा रामदेव को नायक के रुप में प्रदर्शित कर रहे हैं, सभी विदेशी काला धन को भारत में लाने की उनके आंदोलन को लेकर जय जयकार कर रहे हैं, परिचर्चा करा रहे हैं, सरकार को कटघरे में लाने का प्रयास कर रहे है. पर जैसे ही बात बनते बनते बिगड़ती है कांग्रेस अपना असली रुप अख्तियार करती है, कांग्रेस का साथ देने में राष्ट्रीय चैनल आगे आते हैं और फिर ये सत्तारुढ़ कांग्रेसियों के साथ सुर में सुर मिलाकर बाबा रामदेव के खिलाफ समाचार दिखाने का अभियान शुरु कर देती है, वो चैनल जिनकी हिम्मत नहीं थी बाबा रामदेव की आंखों में आंख डालकर बात करने की, वो उन्हें बाबा रामदेव से रामदेव और पता नहीं क्या क्या कह डालने में शेखी बघारते हैं।
और अब बाबा रामदेव के आंदोलन को कुचलने के बाद का चरित्र देखिये ------
जो कांग्रेसी और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री बाबा रामदेव के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलते थे। आग उगलने शुरु करते है। कांग्रेसी दिग्विजय सिंह को आगे करते है और ये दिग्विजय वहीं करता हैं जो सोनिया माता उसे पूर्व में सिखाये रहती है, वो सोनिया के चरणों में, सर्वस्व समर्पित कर, एक संन्यासी के खिलाफ विषवमन करता है और सभी चैनल दिग्विजय सिंह जैसे नेता को एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत अपने चैनल में प्रोजेक्ट कर, बाबा रामदेव के आंदोलन पर कीचड़ उछालते हैं।
2. जनार्दन और दिग्विजय सिंह जैसे नेता, इस आंदोलन को भाजपा और संघ द्वारा प्रायोजित करार देता है। दिग्विजय सिंह जैसे नेता तो नेपाल और भारत के साथ चल रही मित्रता को भी आग में झोंक देना चाहता है, वो बालकृष्ण को नेपाली कहकर, संबोधित कर डालता है, बेशर्मी की हद तो ये है कि इस आड़ में देशभक्ति गीतों पर झूमनेवाली सुषमा स्वराज के चरित्र पर भी अंगूली उठाता हैं, वो दिग्विजय जिसमें छेद ही छेद हैं, वो कहावत हैं न कि चलनी दूसे, सुप के जिन्हें बहत्तर छेद।
3. इधर कुछ दिनों के बाद अपना गृहमंत्री को पता नहीं कहां से दिव्य ज्ञान हो जाता है, लगे हाथों वह भी अपना हाथ साफ करने लगता है, वो कहता हैं कि बाबा रामदेव के आंदोलन में भाजपा और संघ का हाथ है, पर यहीं गृह मंत्री को पता नहीं, उस वक्त दिव्य ज्ञान कहा चला गया था, जब इसके मंत्री, आंदोलन को कुचलने के पहले, बाबा रामदेव के आगे पीछे दौड़ लगा रहे थे। ये गृहमंत्री इतना नीचे गिरता हैं कि अपना गिरेबां न देखकर, बाबा रामदेव को ही भला बुरा कहते हुए, सारी मिशनरियों का दुरुपयोग करते हुए, बाबा के खिलाफ, वो हर प्रकार के कुकर्म करता हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाय कम हैं और विभिन्न राष्ट्रीय चैनल, इस गृहमंत्री के आगे पीछे ठुमके लगाते हुए, वो खबरें दिखाता हैं, जो इस गृहमंत्री और कांग्रेसियों को पसंद होता हैं। ये हैं सत्तारुढ कांग्रेसियों और राष्ट्रीय चैनलों के चरित्र।
पर इसके विपरीत एक सामान्य संन्यासी, जिसे लोग बाबा रामदेव, संत रामदेव और पता नहीं क्या क्या नामों से संबोधित करते हैं। (जिन्हें मैं संत नहीं, बल्कि एक सामान्य व्यक्ति के अलग कुछ नहीं मानता) इस सतारुढ़ सरकार के नाक में ऐसा दम करता है – वो भी आमरण अनशन के माध्यम से कि इस सरकार की हालत सांप और छुछुंदर की तरह हो जाती है और लगे हाथों ये बयान प्रसारित करती हैं कि वो बाबा रामदेव के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलायेगी – बताईये ये कितना हास्यास्पद बयान है। एक सरकार, चुनी गयी सरकार, एक संन्यासी के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन चलाने की बात करें, तो उसे क्या कहेंगे। एक सामान्य निश्छल व्यक्ति से इसका जवाब पूछे तो ये ही कहेगा कि ये तो एक संन्यासी की शानदार जीत है, पर इस केन्द्र सरकार को कौन बताये कि उसने किस प्रकार अपना संचित सम्मान खो दिया है।
बाबा रामदेव पिछले आठ दिनों से आमरऩ अनशन पर है, केन्द्र सरकार को हिला कर रख दिया है, ये अलग बात हैं कि केन्द्र सरकार जिसको अपने सम्मान की चिंता नहीं, गलथेथरी बतिया रही हैं कि हम सही हैं, पर सच्चाई क्या हैं, सभी जानते हैं पर राष्ट्रीय चैनलों की गलथेथरी देखिये – वो बाबा रामदेव के अनशन पर ही सवाल उठा रही हैं कि बाबा ने ग्लूकोज ले लिया हैं तो भला अनशन कैसा। अनशन तो टूट गया। अरे बेशर्म पत्रकारों, तुम्हें पत्रकार किसने बना दिया, क्यूं कांग्रेसियों और सरकार के तलवे चाटने में समय जाया कर रहे हो, कम से कम, सच तो बोलों, नहीं तो जान लो, इन कांग्रेसियों और सरकार को तो आनेवाले समय में जनता सबक सिखायेंगी ही, तुम्हें भी तुम्हारी औकात बतायेगी। फिर तुम्हारे टीआरपी का क्या होगा, तुम जब जनता की नजर में गिरोगे तो क्या फिर उठ पाओगे, क्यों विनाशकाल की ओर आगे बढ़ रहे हो। क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी विपरीत बुद्धि तुम्हें विनाशकाल की ओर ले जा रही हैं।

Tuesday, June 7, 2011

इन पत्रकारों और उन कांग्रेसियों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए...........................


इन पत्रकारों और उन कांग्रेसियों को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए, जो देशभक्ति गीत पर नृत्य कर रही सुषमा स्वराज के चरित्र पर अंगूली उठाती है। कई चैनलों किस किस की बात करुं, वो सुषमा स्वराज के नृत्य पर ठुमके का प्रयोग कर रही है। कांग्रेसियों का चरित्र ही क्या हैं, वो तो मैं जानता हूं, वो तो अपनी मां – बहनों की कितनी इज्जत करते हैं, वो हम सब जानते हैं, इसलिए वो सुषमा स्वराज के बारे में, जनार्दन और दिग्विजय जैसे घटिया स्तर के नेता क्या बोलेंगे, हमें पता हैं। पर जरा इन पत्रकारों को देखिये – ये सुषमा स्वराज पर पिल पड़ें हैं, लगे उन्हें चरित्र का पाठ पढ़ाने। जैसे लगता हैं कि सुषमा स्वराज ने बहुत बड़ा पाप कर दिया हो, अरे मूर्खों तुम्हें क्या पता कि
ये देश हैं वीर जवानों का,
अलबेलों का मस्तानों का,
इस देश का यारों क्या कहना,
ये देश हैं, दुनिया का गहना........ पर इठलाने का क्या आनन्द है।
अरे कांग्रेसियों के तलवे चाटनेवालें पत्रकारों - देशद्रोहियों तुम्हें तो वंदे मातरम गाने से चिढ़ है, तुम क्या जानों की देशभक्ति गीतों पर थिरकने का क्या मतलब होता है। तुम्हें तो देशभक्ति गीतों पर थिरकना और शीला की जवानी जैसे गीतों पर डांस करना दोनों एक जैसा लगता हैं, ये तुम्हारे मानसिक दिवालियापन का घोतक है।
इधर दिल्ली के पत्रकारों की मर्दानगी देखिये, बड़े बड़े चैनलों के पत्रकार, उस व्यक्ति पर हाथ साफ करने लगे थे, जिसने प्रेस कांफ्रेस के दौरान, कांग्रेस द्वारा प्रायोजित संवाददाता सम्मेलन में, जनार्दन को जूते दिखाये थे। अरे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सारा हिन्दुस्तान कांग्रेसियों को जूते दिखाने को बेताब है। तुम दिल्ली में बैठे, कांग्रेस का तलवा चाटनेवाले पत्रकारों क्या जानो। जिस प्रकार से तुम पत्रकारों ने उस व्यक्ति पर हाथ छोड़ा, क्या तुमने कानून को हाथ में नहीं लिया। क्या तुम पत्रकारों को कानून हाथ में लेने की छूट है, अरे दिग्विजय और जनार्दन के सुर में सुर मिलानेवाले पत्रकारों, तुम्हें लज्जा नहीं आती, अरे कांग्रेस तो आज हैं, चली जायेगी, जिस देश का अन्न खाते हो, उसके प्रति तो ईमानदार बनो, पर तुम बनोगे कैसे, तुमने तो कांग्रेस और विदेशी ताकतों के पैसे से अपना तन – मन सब बेच रखा हैं, तुम क्या जानो कि देशभक्ति क्या चीज है। तुम जो कर रहे हो, करते रहो, देश की करोड़ों जनता देख रही हैं कि दिल्ली के पत्रकारों ने कैसे अपना जमीर कांग्रेसियों और विदेशी ताकतों के हाथों गिरवी रखा हैं, एक दिन करोंड़ो भारतीय जगेंगे और तुम जैसे तथाकथित लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से बदला लेंगे। वो दिन दूर नहीं, फिलहाल कांग्रेसियों के तलवे चाटते रहो, और विदेशी ताकतों के आगे सर झूकाकर गुलामीगिरी करते रहो।

ऐसी हरकतें सिर्फ कांग्रेसी ही कर सकते हैं............

संदर्भ --- बाबा रामदेव प्रकरण
सारा देश जानता हैं कि विदेशों में जो काला धन है, वो काला धन किस पार्टी का है और उस काला धन को संरक्षित करने में कौन सी सरकार ज्यादा दिमाग लगाती है। ऐसे में उस काला धन के खिलाफ जो भी आवाज उठायेगा, उसका हश्र क्या होगा। वो बाबा रामदेव के साथ जो आज आधी रात को कांग्रेसी सरकार ने किया, उससे सभी को सीख लेनी चाहिए। आप गुंडों और अपराधियों के घर के पास जाकर, कहो कि तुम गुंडे और अपराधी हो, ऐसे में वो गुंडा या अपराधी, गांधीवादी तो हैं नहीं कि आपको मिठाई खिलाकर अथवा फूल मालाओं से लादकर विदा करेगा, अरे वो तो वो कुटाई करेगा कि आप जिंदगी भर याद रखेंगे। वहीं कुटाई कांग्रंसियों और उसकी सरकार ने रामदेव के साथ कर दी, तो इसमें आश्चर्य कैसा, ये तो होना ही था, ये तो कांग्रेस का चरित्र ही है। जब भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठी, उस भ्रष्टाचार के खिलाफ उठनेवाली आवाज को कांग्रेंसियों ने बखूबी बंद किया। क्योंकि ये सशरीर भ्रष्टाचार रुपी नदीं में प्रतिदिन डुबकी लगाते हैं, नहीं तो जरा इनसे पूछो कि इनके पास जो ज्यामितीय प्रणाली से धन बढ़ते हैं, उसका राज क्या हैं।
कांग्रेसियों के घटियास्तर के चरित्र से देश को कितना नुकसान हो रहा हैं, उससे इन्हें क्या मतलब, ये तो देश भाड़ में जाय, खुद अरबों की संपत्ति इकट्ठा कर परम सुख पाते हुए, इस दुनिया से चल जाना चाहते हैं, ये कहकर की देश की आजादी हमारे लोगों ने लड़कर दिलायी हैं तो इसका फायदा, ब्याज सहित प्राप्त करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार हैं, जो इसका विरोध करेगा, वो झेलेगा।
बाबा रामदेव पर हमले कराना, बाबा रामदेव के आंदोलन व आमरण अनशन की धार को कुंद करने के लिए जनार्दन व्दिवेदी के प्रेस कांफ्रेस में एक सुनियोजित साजिश के तहत एक व्यक्ति द्वारा जनार्दन पर जूते फेंकने का नाटक करवाना, और इस घटना के लिए भाजपा और आरएसएस को दोषी ठहराना और इसके बाद रामदेव के चल रहे आमरण अनशन से देश और मीडिया का ध्यान बटवाना, इऩका बाये हाथ का खेल है। आजादी के बाद से लेकर, ये तो यहीं सब किये हैं। दिल्ली के मीडिया में, हैं किसी की हिम्मत जो कांग्रेसियों के इस चरित्र को नंगा करके दिखायें, जो उसके खिलाफ बोलेगा, कांग्रेसी साम दाम दंड भेद के द्वारा उसकी बोलती बंद करेंगे। यहीं कारण हैं कि इस देश में भ्रष्टाचार के नाम पर जितने भी आंदोलन हुए, उसका फलाफल य़े हैं कि मीडिया कांग्रेसी नेताओं के तलवे चाटने में ही ज्यादा रुचि दिखायी, उसका सुंदर उदाहरण लोकनायक जयप्रकाश आंदोलन के बाद की इंदिरा की राजनीति है। मैं ये नहीं कहता कि देश के सभी मीडिया हाउस और पत्रकार कांग्रेसियों के हाथों के कठपुतलियां हैं, पर इतना जरुर कह सकता हूं कि ज्यादातर ऐसे ही हैं।
कांग्रेस में एक नेता है – दिग्विजय सिंह, उसे मध्यप्रदेश की जनता ने जब से मुख्यमंत्री पद से हटाया, वो पागल सा हो गया है। उसका पागलपन इसी से सिद्ध होता है कि वह लादेन के लिए, सम्मानजनक सूचक शब्द का प्रयोग करता हैं, और बाबा रामदेव को महाठग करार देता है। मुख्यमंत्री पद खोने के बाद, उसे आरएसएस और भाजपा के भूत दिन-रात, सुबह-शाम दिखाई पड़ते हैं, उसका वश चले तो ये भी कह दें कि ओसामा बिन लादेन को मारने में भाजपा और आरएसएस का ही हाथ हैं, वो कुछ भी कह सकता हैं और ऐसे पागलों को कभी कभी कांग्रेसी, उनका व्यक्तिगत बयान मानकर पिंड भी छुड़ा लेते हैं, पर जब सोनिया माता पर बन आती है, और सोनिया माता के पक्ष में जब इसका बयान कांग्रेसियों को लगता हैं कि सही है तो इसकी लंगोटी को पकड़ने के लिए, सभी कांग्रेसी राग यमन गाने लगते है। ये हैं कांग्रेसियों का चरित्र। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि देश में लोकतंत्र को गर खतरा है तो इन कांग्रेसियों से। इन्होंने देश का सत्यानाश करने का ठेका ले रखा है और इसके खिलाफ एक जोरदार आंदोलन की जरुरत है और वो आंदोलन एक दिन अवश्य होगा। कांग्रेसियों को हिन्द महासागर में फेंकने के लिए एक और लोकनायक को जन्मलेना होगा।
ऐसे मैं बता दूं कि रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरु किये गये आंदोलन अथवा विदेशों में पड़े भारतीयों के कालेधन को भारत लाने की मांग का मैं भी समर्थक हूं, पर उनके आंदोलन की कड़ी आलोचना करने में मैं पीछे नहीं हटता, क्योंकि वे खुद अपने को संत बताते हैं, योगगुरु बताते हैं पर शायद उन्हें पता नहीं कि संतों अथवा योगगुरु का काम, आंदोलन करना नहीं, बल्कि आंदोलन करवाना है। चाणक्य खुद लड़ा नहीं, बल्कि चंद्रगुप्त को पैदा कर वो काम करा लिया, जो वो चाहता था। महर्षि विश्वामित्र चाहते तो, खुद सुबाहु मारीच और ताड़का को मार सकते थे पर उन्होंने ऐसा किया नहीं, बल्कि उन्होंने दशरथ पुत्र राम और लक्ष्मण को इसका श्रेय दिया। पर रामदेव तो संत हैं नहीं कि उन्हें इसका भान हो अथवा कोई उऩ्हें बता दें कि ऐसा करें और वो मान ले। वो तो शत प्रतिशत उदयोगपति और राजनीतिज्ञ है, और जैसा कि एक उदयोगपति अपना उद्योग लगाने के लिए अथवा राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति चमकाने के लिए तेला – बेला करता हैं, वो भी कर रहे हैं, ऐसे भी इसमें गलती क्या हैं, सबको अपने अपने ढंग से जीने का अधिकार हैं, बाबा को सबको मूर्ख बनाने और अपना जय जयकार कराने में मजा आता हैं, और उनके अनुयायियों को भी मूर्ख बनने में परम आनन्द की प्राप्ति होती हैं तो गलत क्या हैं। खैर, हम इस पचड़ें में पड़ना भी नहीं चाहते।
पहले आंदोलन की बात ----------------
क्या ये सही नहीं कि बाबा रामदेव ने दिल्ली प्रशासन से झूठ बोला कि वो दिल्ली के रामलीला मैंदान में योग शिविर लगायेंगे और योग शिविर के नाम पर लगे हाथों सत्याग्रह और आमरण अनशन की धमकी दे डाली। क्या ये रामदेव के दोहरे चरित्र का भान नहीं कराता। जो संत अपने समर्थकों को दिल्ली में बुला लें और चुपके से दिल्ली की केन्द्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक कर अपने आंदोलन पर डील कर लें, फिर डील तोड़ने का नाटक करें और अपने समर्थकों को फिर आंदोलन के नाम पर भड़काने का काम करें, क्या ये एक संत का चरित्र हो सकता हैं और इस प्रकार के लोगों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन क्या मूर्तरुप ले सकते हैं। उत्तर होगा – कभी नहीं। आप ऐसा कर, भीड़ इक्ट्ठी कर सकते हैं, पर एक सफल आंदोलन नहीं कर सकते, क्योंकि आपके आंदोलन में ही खोट हैं। विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन पर चलाये गये बाबा रामदेव के इस आंदोलन से, बाबा रामदेव के असली चरित्र का भान शायद भारतवासियों को हो चुका हैं, और जो कुछ बचा हैं, वो धीरे – धीरे इनके द्वारा कालांतराल में जब कभी आंदोलन चलाया जायेगा, लोग पूरी तरह से जान लेंगे।
कुछ बातें कांग्रेसियों से ----------------
जब बाबा रामदेव का आंदोलन, गलत था। रामदेव और उनके समर्थक गैर कानूनी ढंग से आंदोलन स्थल पर आ डटे, तब उनसे किस आधार पर बात करने की केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने पहल की। क्या ये गलत नहीं था और जब सरकार ने बात कर ली, सारे बात बाबा रामदेव के मान लिये, तो चुपके से आधी रात को जब सारे के सारे सत्याग्रही सोये थे, तो किस पुरुषार्थ को आधार बनाकर, वहां लाठियां चला दी, आंसू गैस के गोले छोड़ दिये, ये तो केन्द्र सरकार को अपनी बात जनता के समक्ष रखनी ही चाहिए, पर कांग्रेसी सरकार ऐसा करेगी, हमें नहीं लगता। क्योंकि महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान आत्माओं के सपनों का गला घोंटनेवाली इस निकम्मी और कायर सरकार से देश की ज्वलंत समस्याओं और विदेश में पड़े भारतीयों के काले धन को, स्वदेश लाने की कल्पना करना बेमानी और मूर्खता है।
भले ही रामदेव में लाखों दुर्गुण हो, पर ईश्वर ने उससे इतना काम जरुर करा लिया हैं कि उसके द्वारा जनता को मैसेज जरुर गया हैं कि जनता जगे। खासकर विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन को लेकर। देश का पैसा, कांग्रेसियों और देश के करोड़ों भारतीयों के सपनों का गला घोटनेवाले कुछ चंद लोगों ने विदेशों में जमा कर रखा है। आज इसकी शुरुआत हुई हैं, ये आंदोलन और भड़केगा, हो सकता हैं कि कुछ वर्षों तक ये आंदोलन ढीला भी पड़ जाये, पर यकीन मानिये कि एक न एक दिन करोंड़ों भारतीयों का सपना पूरा होगा, और विदेशों में पड़ें चंद लोगों के काला धन भारत आयेगा और फिर इससे देश एक नये कीर्तिमान को गढ़ेगा, क्योंकि कोई भी घटना जब घटती हैं तो जब तक उसका परिणाम नहीं आ जाता, वह कालांतराल में विभिन्न रुप लेकर आपके सामने घटती रहती हैं, इसलिए विदेशों में पड़े भारतीयों के काले धन पर अब जनता ने करवट लिया हैं, इसका परिणाम जरुर निकलेगा।
बाबा रामदेव को भी चाहिए कि उनके पास जो अकूत संपति हैं, उस संपत्ति को भी देश के हवाले कर दें, ठीक वैसे ही जैसे कि कई संतों ने देशहित में अपने शरीर तक को त्याग दिया। गर रामदेव को उस संत का भान नहीं तो मैं बता देता हूं, उनका नाम था – दधीचि। वो इसलिये, कि आप खुद धन बनाने के चक्कर में विभिन्न स्थानों पर योगशिविर लगा रहे हो, और दूसरों से कह रहे हों कि विदेशी काला धन स्वदेश आये, ये दोहरा चरित्र है। ये भी चोरों के लक्षण है। क्योंकि कबीर की पंक्ति हैं-------------
साई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय,
मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय

पर पता नहीं आपको कितना धन चाहिए, कब आपकी धन कमाने की भूख मिटेगी, कब आप बड़बोले बनने से बचेंगे, हमें इसका कोई प्रत्य़क्ष प्रमाण नहीं दीखता और यहीं संत और असंत के विभेद का बहुत बड़ा कारण हैं।
पहले आप शत प्रतिशत संत बनिये, क्योंकि अभी आप संत नहीं, एक चालाक नागरिक हैं, जो बहुत ही चालाकी से, वो सब कुछ किये जा रहा, जिसका ज्ञान सामान्य जन को नहीं हैं, और जिस दिन ये सामान्य जन आपकी चालाकी को जान जायेगा, आप पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे, फिर आप दिल्ली में मजमा लगाने की कोशिश करेंगे भी तो लोग विश्वास नहीं करेंगे, जैसा कि आज देखने को मिला हैं। धन्यवाद।

Thursday, June 2, 2011

चला रामदेव हीरो बनने..........

पने देश में एक रामदेव है, जिन्हें कई लोग बाबा रामदेव, योगगुरु रामदेव, संत रामदेव और पता नहीं क्या क्या, विभिन्न नामों से पुकारते है। ये स्वयं को क्रांतिदूत कहलाने में भी फक्र महसूस करते है। इन दिनों इनकी खूब चर्चा है और वो चर्चा है – विदेश में जमा भारतीय काले धन को, देश में लाने के नाम पर आंदोलन करने और आगामी 4 जून से देशव्यापी भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन करने के ऐलान के कारण। इस ऐलान से सुना हैं कि देश की लोकतांत्रिक केन्द्र सरकार के मुखिया भी हिल गये है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें पत्र लिखकर, उनसे आमरण अनशन न करने की अपील की है। रामदेव ने भी, प्रधानमंत्री के इस मार्मिक अपील से वशीभूत होकर, प्रधानमंत्री पद को लोकपाल से मुक्त करने की बात कहीं है।
हम आपको बता दें कि देश में आज तक ऐसा कोई संत नहीं हुआ। जिसने बाबा रामदेव की तरह, प्लानिंग के तहत, ऐसा काम किया हो, जिसे पूरे संत समाज का सर झूक जाये। एक नहीं, अनेक संत, कितने का नाम लूं। गुरुनानक, रविदास, नामदेव, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, अगर नाम जूड़वाने लगे तो दस पेज, ऐसे संतों के नाम लिखवाने में खर्च हो जायेंगे, पर इतना मान लीजिये कि किसी योगी ने, इस प्रकार से भारत के विभिन्न शहरों में जाकर योग के नाम पर दुकानें नहीं खोली और न चलायी, जो इन्होंने किया है और इन दुकानों से इनकी चांदी भी हो रही है। एक तो रांची में ही संत योगानन्द जी का आश्रम है जो बताता हैं कि संत और संत की गरिमा क्या होती है।
आजकल सारे इलेक्ट्रानिक मीडिया और अखबारों में इनका महिमामंडन हो रहा हैं, जाहिर हैं कि इनके महिमामंडन होने से पूरे देश के लोगों की नजरें इन पर आ टिकी है। ( उन इलेक्ट्रानिक मीडिया और अखबारों के द्वारा महिमामंडन हो रहा हैं जो पिछले कई वर्षों से आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित साईबाबा के खिलाफ खूब विषवमन करते थे, अनाप शनाप दिखाया करते थे, पर जैसे ही उनका स्वर्गवास हो गया, उनका यशोगान करना शुरु कर दिया, और लगे हाथों अपनी गलतियां सुधारने लगे, साई बाबा से संबंधित सकारात्मक खबरों को दिखाने लगे। यहीं नहीं ये वे इळेक्ट्रानिक मीडिया, उनकी जय – जयकार कर रहे हैं, जो पैसे लेकर कभी – कभी दो नंबर के संतों को, विज्ञापन के रुप में प्रोजेक्ट कर, उन्हें महान संतों की श्रेणी में लाने का कुत्सित प्रयास करते हैं) खैर, शेर की खाल में जब भेड़िये होंगे तो समाज और देश का क्या होगा, जगजाहिर है।
फिलहाल केन्द्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है और इस सरकार के मुखिया, यूपीए गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा उपकृत और मनोनीत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह है, ये वे ही करते है जो उन्हें कहा जाता है। इसलिए बेचारे के बारे में मैं क्या बोलूं......। फिलहाल इन्हें किसी ने कह दिया होगा कि रामदेव के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से सरकार की सेहत पर असर पड़ेगा, उन्होंने रामदेव के आगे अपनी झोली फैला दी। बेचारे रामदेव कहां चुप रहनेवाले थे, संत हैं और संत तो कुछ न कुछ देते हैं, कह दिया कि प्रधानमंत्री सम्मानित और गरिमा वाला पद हैं, इसलिए इस पद को लोकपाल से मुक्त रखना चाहिए, पर ये भी कह दिया कि वे आमरण अनशन के निर्णय पर अडिग हैं।
ये निर्णय का ऐलान करना उऩ्हें जरुरी भी था क्योंकि सारी मीडिया, वो प्रिंट हो या इलेक्ट्रानिक सभी बिना विज्ञापन के उनकी जयजयकार करने, उन्हें महानायक बनाने पर तुली हो तो क्यों न इसका पूरा पूरा लाभ उठा लिया जाय, क्योंकि ये ही वो मीडिया हैं, जिसने बिना किसी विज्ञापन के अन्ना हजारे को हीरो बना दिया था और सरकार झूक गयी थी तो वो तो रामदेव है। इस देश में कई भ्रष्टाचार में लिप्त और सरकार को करोड़ों का चूना लगानेवाले उदयोगपति और राजनीतिज्ञ उनके चेले हैं, जिनकी कृपा से उन्होंने खुद इतना धन इकट्ठा कर लिया हैं कि उतनी संपत्ति देश में शायद ही, किसी तथाकथित संत के पास होगी।
हमारे विचार से संत का शाब्दिक अर्थ हैं --- स+अन्त यानि जो समस्याओं का अंत करें, वो संत। जो समस्याओँ को बढ़ा दे। वो संत कैसे हो सकता हैं। भ्रष्टाचार और देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में सत्याग्रह और आमरण अनशन का विशेष महत्व था। अंग्रेजी सरकार, इससे झूकती थी, क्योंकि एक बहुत बड़ा चरित्रवानों का समूह इन आंदोलन के पीछे रहता था, पर आज की जो स्थिति हैं, उसे देखकर हमें हंसी आती है। हमनें बाल्यकाल से लेकर अभी तक कई पुस्तकें पढ़ी हैं, सभी में सत्याग्रह और आमरण अनशन का जिक्र है, गांधी का सत्याग्रह तो अनुरकरणीय है। गांधी ने कह दिया कि फलां तारीख से वे सत्याग्रह पर है और सत्याग्रह शुरु। न किसी पंडाल की जरुरत और न किसी से उनके साथ रहने का आग्रह और न ये ढिंढोरा पिटवाने की जरुरत कि वे आंदोलन पर जा रहे हैं, पर जरा आज देखिये क्या हो रहा है ----------
रामदेव के इस तथाकथित आंदोलन पर नजर डालिये। एक अखबार ने लिखा हैं कि
दिल्ली के रामलीला मैदान में ढाई लाख वर्ग फुट का पंडाल बन रहा हैं, उस पंडाल में मच्छड़ न रहे, इसके लिए फोगिंग मशीन लगायी गयी है। एक लाख आरओ वाटर का इंतजाम किया गया हैं। 1000 शौचालय बनाये जा रहे है। 40 बेड का वातानूकूल आईसीयू, 3000 वर्ग फुट का चार मंच बनाया जा रहा है। इनकी सुरक्षा में 500 दिल्ली पुलिस के जवान लगाये जा रहे हैं। पांच बड़े एलसीडी स्क्रीन लगेंगे। यानी पूरे आंदोलन को हाईटेक करने की कोशिश की जा रही है। यानी भ्रष्टाचार रोकने के लिए, कालेधन को देश लाने के लिए, ये सब किया जा रहा है, वो भी कोई रामदेव के द्वारा।
जब मैं ईटीवी में था। तब धनबाद में मुझे ईटीवी में सेवा देने का मौका मिला। उस दरम्यान, ये रामदेव, धनबाद आये थे। और वहां के चनचनी कालोनी में एक बहुत बड़े धनाढ्य के घर में उनका प्रवास हुआ था। बड़े – बड़े उद्योगपतियों जो पांच लाख रुपये दे सकते थे, आराम से मिलते, उनके आश्रम को पैसे देने के लिए जीजान से जूटते वो भी उनके साथ खूब गप्पे लड़ाते, आनन्दित होते। एक दिन प्रेस काँफ्रेस हुआ था, उसी चनचनी कालोनी में, उसी धनाढ्य के घर में, मैं भी गया था, देखा कि सारे पत्रकार, उनके साथ फोटो खिचाने के लिए बेताब थे, जैसे कि गर उनके साथ फोटों नहीं खिचाया तो जीवन ही बर्बाद हो जायेगा, ऐसी स्थिति थी। पर मैं इन सबसे अलग रहता हूं क्योंकि पता नहीं क्यूं। घर के हालात या माता पिता द्वारा दिया गया संस्कार अथवा वो श्लोक जो बार बार मेरे कान में गूंजते हैं – अधमा धनं इच्छन्ति, धनं मानं च मध्यमा, उत्तमा मानं इच्छन्ति, मानो हि महता धनम्।। रामदेव मुझे प्रभावित नहीं कर सकें। क्योंकि मैंने कई संतों के बारें में पढ़ा हैं, जिन्होंने धन के पीछे, यश के पीछे भागा नहीं, वे तो निरंतर, मानव निर्माण में लगे रहते हैं, क्योंकि मानव निर्माण हो गया तो फिर समाज और देश बनने बनाने में कितना समय लगेगा। पर यहां तो एक संत द्वारा एक ऐसे पेड़ बोने की कोशिश की जा रही हैं, जिससे सदाचार फैले, पर उस सदाचार वृक्ष को रोपने में जड़ में पानी न देकर, उसके शिखाओं पर पानी देने की कोशिश हो रही हैं और इस कोशिश में सभी प्रयास कर रहे हैं। कोई गांव-शहर में जाकर मानव निर्माण का कार्य, संस्कार व चरित्र निर्माण का कार्य नहीं कर रहा। सभी पतली गली से राजनीतिक सफर तैयार करने में लगे हैं, एक देख रहा हैं कि जब योग के झांसे से पूरा देश उसके साथ हो गया और भ्रष्टाचार के नारे सें पूरी दिल्ली हिल गयी तो फिर प्रधानमंत्री का पद कितना दूर हैं। दूसरा देख रहा हैं कि बंदूक की गोली से सत्ता हथियाने में अब ज्यादा दूर हैं कहां, कई बुद्दिजीवी प्रत्यक्ष और परोक्ष ढंग से उन्हें समर्थन दे ही रहे हैं तो फिर दिक्कत कहां हैं, इस नाहक कमजोर केन्द्र सरकार को उखाड़ फेंकने में कहां दिक्कत हैं, मौका मिलते ही, उखाड़ फेंकेंगे और भारत के गर्दन को जब चाहे, जब तोड़ मरोड़ देंगे और चीन के हाथों सौंप देंगे। दिक्कत कहां हैं।
कमाल है, जिस सरकार को जनता चुनती है, वो सरकार का मुखिया, एक योग के नाम पर झांसा देनेवाले के आगे झूकता हैं, चार – चार मंत्रियों को दिल्ली एयरपोर्ट भेज देता हैं, जैसे कि किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष, उससे मिलने आ रहा हो। उस प्रधानमंत्री से देश के विकास और सम्मान की आशा की जा सकती हैं। इस देश में लोकतंत्र हैं या तथाकथितयोगतंत्र। हमें तो लगता हैं कि इस देश की कोई मर्यादा ही नहीं और न ही कोई गरिमा है। सभी अपने अपने ढंग से इस देश का सत्यानाश करने में लगे है। भ्रष्टाचार क्या कोई बकरी का बच्चा है, दौड़ा और पकड़ लिया, क्या रामदेव में हैं ताकत कि वे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा दें। अगर नहीं तो इस प्रकार का नाटक क्यो, इससे किसका फायदा होगा और किसका नुकसान। ये तो योग के नाम पर झांसा देनेवाले रामदेव को तब पता चलेगा जब वे मृत्युशैय्या पर पड़ें होंगे, क्योंकि वे सब को धोखा दे सकते हैं, अपनी आत्मा को नहीं।
ऐसे भी इस देश का कौन ऐसा चरित्रवान व्यक्ति होगा, जो विदेशों में पड़े अपने देश के काले धन को लाना नहीं चाहेगा, कौन ऐसा चरित्रवान व्यक्ति होगा जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत नहीं चाहेगा, पर इस देश में चरित्रवानों की संख्या कितनी हैं, इनकी संख्या तो देश में विलुप्त होते सिंह की तरह हो गयी हैं, जरुरत हैं, इन चरित्रवानों की संख्या में वृद्धि कराने की, जैसे ही इनकी संख्या बढ़ेगी, भ्रष्टाचार रुपी दावानल खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा, फिर किसी तथाकथित रामदेव को, दिल्ली के रामलीला मैदान में करोड़ों खर्च कर, इस प्रकार की झूठी आंदोलन करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।