Monday, March 27, 2017

नकलची राजा सुबल दास की कथा................

बहुत दिनों की बात है, भारत देश में एक भूखण्ड नामक राज्य था। जहां सुबल दास नामक नकलची राजा का शासन चलता था। उसके आस-पास उसे बुद्धिदेनेवाले कनफूंकवों की खुब चलती थी।
कनफूंकवे जानते थे, कि सुबल दास को बुद्धि नहीं है, इसलिए वे उसे ऐसी-ऐसी बुद्धि दिया करते, जिससे उसका सम्मान राज्य की जनता की नजरों में दो कौड़ी से अधिक नहीं थी। भूखण्ड राज्य की प्रजा भी जानती थी कि उसका राजा बेवकूफ व नकलची है, इसलिए उसे वह ज्यादा भाव नहीं देती।
एक दिन नकलची सुबल दास को उनके कनफूंकवों ने बताया कि आप राज्य में योजना बनाओ अभियान की शुरुआत करिये, इससे आपको पब्लिसिटी भी मिल जायेगी, राज्य की जनता का भला भी हो जायेगा और आपकी सर्वत्र जय-जय हो जायेगी। राजा सुबल दास ने ऐसा ही किया, देखते ही देखते उसकी जय-जय होने लगी। इसी बीच कनफूंकवों ने देखा कि सुबल दास उसके ग्रिप में आ गया है, तो कनफूंकवों ने कहा कि महाराज जी, बहुत दूर एक राज्य है, जिसका नाम गुर्रात है, वहां भाइब्रेंट गुर्रात हुआ, जिससे वहां निवेश की ऐसी धारा निकली, कि गुर्रात राज्य बहुत आगे निकल गया, फिर क्या था – राजा सुबल ने ऐलान कराया कि वह भी अपने भूखण्ड प्रदेश में इसी से मिलता-जूलता एक मोमेंटम भूखण्ड करायेगा। इसे कराने के लिए पैसे की कोई चिन्ता नहीं रहेगी, पैसा पानी की तरह वह बहायेगा, अपना चेहरा चमकायेगा।
इधर दूसरे राज्यों में रह रहे कई चेहरा चमकाने वाले ब्रांडिंग कंपनियों को पता चला कि भूखण्ड राज्य के राजा सुबल को अपना चेहरा चमकाने की बीमारी लग गयी, तो वे भी अपने लाव-लश्कर के साथ आ जूटे और जमकर भूखण्ड राज्य का दोहन किया और अंत में अच्छी-खासी राशि लेकर वे अपने प्रदेश को लौट गये।
इसी बीच अपने प्रदेश लौटे, इन कंपनियों को लगा कि सुबल राजा से और पैसे लिये जा सकते है, तो उन्होंने फिर बिल बनाया और कहा कि महाराज आपके भोजन पर करोड़ों खर्च हो गये, उसे भी दिया जाय। सुबल राजा ने कहा – आदेश का पालन हो, और इन सबको मुंहमांगी रकम दी जाये। राजा सुबल दास के आदेश से ये काम भी पूरा हो गया।
दो साल बीतने के बाद पड़ोस के एक प्रदेश में आम चुनाव हुए, वहां भारी मतों से एक सुनाथ नामक संत का शासन आया। सुनाथ ने लड़कियों के सम्मान की रक्षा के लिए एंटी सोमियो नामक अभियान चलाया और कहा जाता है कि सुनाथ जहां से आता था, वहां कई कस्बों और मुहल्लों के नाम भी उसने बदल दिये थे, जिसके कारण उसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। कनफूंकवों ने भूखण्ड राज्य के राजा सुबल दास को बताया कि वह भी सुनाथ की तरह ऐसे ही निर्णय ले लें। फिर क्या था – सुबल राजा ने अपने सिपाहियों को बुलाया और कहा कि उसके राज्य में भी एंटी सोमियो नामक अभियान चलाया जाये और सगर हुटारी शहर को खुशी नगर घोषित किया जाय।
फिर क्या था – राजा सुबल दास के आदेश पर यह भी काम हो गया। सुबल दास के चाहनेवाले अखबारों और चैनलों में सुबल की चर्चाएं होने लगी, फिर भी जो सुनाथ को लोकप्रियता मिल रही थी, वह लोकप्रियता सुबल दास को नहीं मिल रही थी। हार-पछता कर सुबल दास क्या करें?, नकल का कौन सा, ऐसा ब्रह्मास्त्र चलाएं, इस पर चर्चा करने के लिए उसने पुनः अपने आस-पास के मूर्खों-कनफूंकवों को वह अपने विशेष कक्ष में बुलाया, क्योंकि उसके राज्य में सिट्टीपाड़ा नामक जगह पर उपचुनाव होनेवाला था, जिसमें उसके विरोधियों ने सुबल दास को औकात बताने के लिए हर प्रकार का प्रबंध कर दिया था। इधर उप चुनाव में उसके लोग जीते, इसके लिए सुबल दास को कनफूंकवों ने बताया कि वह अपने राज्य में अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान दें तथा बहुसंख्यकों पर ध्यान देना बंद करें, जैसे कैबिनेट से अल्पसंख्यक नगर को बसाने का प्रबंध किया जाये, उनके लिए एक विशेष हाउस बनाया जाये। राजा सुबल दास ने ऐसा ही किया, पर भला अल्पसंख्यक सुबल दास को अपना राजा मान लें, ऐसा संभव ही न था। बेचारा सुबल दास, इसी उधेड़-बुन में घुलता जा रहा था।
इधर भूखण्ड राज्य के राजा सुबल दास के विरोधियों का खेमा, खुश था कि सुबल दास के कनफूंकवों की वजह से उन सबकी लोकप्रियता बढ़ रही थी। बिना किसी विरोध या आंदोलन के ही भूखण्ड राज्य की जनता सुबल दास को सबक सिखाने के लिए मन बनाने का संकल्प ले रही थी। जैसे ही सुबल दास को इस बात की जानकारी मिली तो उसने अपने पार्टी के मुख्यालय में अपने मंत्रियों का दरबार लगवाना प्रारंभ करवाया, और ये दरबार लगवाने का भी फायदा सुबल दास को नहीं मिला। सुबल दास के इन हरकतों से राज्य की जनता उसे नकलची, तो कभी उछलने-कूदने वाले फिल्म स्टार का तमगा दे दी, साथ ही आनेवाले तीन साल का इंतजार करने का मन भी बनाली, जैसे ही तीन साल बीता, भूखण्ड राज्य के राजा की सदा के लिए विदाई हो गयी। जिस कारण, वह राजा फिर कभी भूखण्ड राज्य में दिखाई नहीं पड़ा और उसके साथ रहनेवाले कनफूंकवों को भी जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
शिक्षा – क. कनफूंकवों और मूर्खों से हमेशा दूरी बनाये रखनी चाहिए।
ख. नकल, नकल होता है, इसलिए जनता की आवश्यकता के अनुरुप राजा को फैसला लेना चाहिए।
ग. राजा की जो आरती उतारते है, वे राजा को गर्त में धकेल देते है, हमेशा जो सही राह बतायें, चाहे वह कटु क्यों न हो, राजा को उसकी सलाह माननी चाहिए।

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