Thursday, March 2, 2017

आखिर प्रभातम पर मुख्यमंत्री रघुवर दास और कनफूंकवें............

आखिर प्रभातम पर मुख्यमंत्री रघुवर दास और कनफूंकवें............
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के रहने के बावजूद राज्य की रघुवर सरकार उर्फ शाहरुख खान की सरकार ने प्रभातम को अपनी ब्रांडिंग के लिए रखा है। ये वहीं प्रभातम है, जिसका पुराना नाम राष्ट्रीया था, जिसने पूर्व में एक नहीं, कई गलत विज्ञापन निकाले थे, जिसको लेकर रांची से लेकर दिल्ली तक हंगामा बरपा था और उस वक्त की तत्कालीन बाबू लाल मरांडी की सरकार ने इसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। दरअसल हुआ यह था कि इस कंपनी ने अपने विज्ञापनों में स्वर्णरेखा नदी को गोल्डलाइन और आदिम जन जाति के लिए बारबेरियन शब्द का प्रयोग किया था। यहीं नहीं इसके द्वारा की गयी गलतियों की संख्या बहुतायत थी, जिसे लेकर लोगों ने आपत्ति जतायी और राष्ट्रीया एडवर्टाइजिंग एजेंसी कंपनी ब्लैक लिस्टेड हो गयी। यहीं राष्ट्रीया कंपनी एक बार फिर प्रभातम के नाम से झारखण्ड में रघुवर सरकार की ब्रांडिंग कर रही है, जो गलतियां पर गलतियां करती जा रही है, पर इसको ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय, इसे जोरदार ढंग से प्रतिष्ठित किया जा रहा है। आश्चर्य इस बात की है एड फैक्टर जिसे मोमेंटम झारखण्ड के लिए सरकार ने ब्रांडिंग करने के लिए बुलाया था, उसने भी गलतियों के रिकार्ड बना डाले हैं, पर राज्य सरकार इन्हें दंडित करने के बजाय, ब्लैक लिस्टेड करने के बजाय इसे करोड़ों रुपये देकर मालामाल कर रही है, और ये सब किसके इशारे पर हो रहा है, समझते रहिये। इस गोरखधंधे में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक और कनफूंकवों की बहुत बड़ी भूमिका है।
जरा देखिये...
एड फैक्टर और प्रभातम की कारगुजारी...
1. यह राज्यपाल की स्पेलिंग भी ठीक से नहीं लिख पाता।
2. यह राज्यपाल के नाम भी गलत लिखता है।
3. यह राज्यपाल के नाम के आगे माननीया शब्द का भी प्रयोग नहीं करता।
4. यह अमर कुमार मंत्री को अमर कुमारी बना देता है।
5. यह भोक्ता को भोगता बना देता है।
6. यह झारखण्ड के मानचित्र को बंगाल की खाड़ी में फेंक देता है।
7. आज भी इनकी बनाई गयी विज्ञापनों में ढेर सारी अशुद्धियां है।
पर मजाल है कि इन कंपनियों को हमारी राज्य सरकार ब्लैक लिस्टेड कर दे। कमाल यह भी है कि इस प्रकरण पर राजभवन कार्यालय भी चुप है। अपने मंत्री को पुरूष से स्त्री बना देनेवाले मामले पर पर्यटन विभाग भी मौन साध रखा है। झारखण्ड के मानचित्र को बंगाल की खाड़ी में दिखानेवाले मामले पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का निदेशक चुप है और विज्ञापन की डिजाइनिंग करने का काम एड फैक्टर और रिलीज करने का काम प्रभातम को दे रखा है, जिसका कमीशन कौन खा रहा है, समझते रहिये... ...अंततः नुकसान किसका हो रहा है, राज्य का, क्योंकि रघुवर दास उर्फ शाहरुख खान आयेंगे और जायेंगे पर राज्य तो वहीं रहेगा। आश्चर्य इस बात की है कि इस पूरे प्रकरण पर संपूर्ण विपक्ष ने भी चुप्पी साध रखी है।
कमाल है एक समय था जब अमित खरे, सचिव, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने राज्य सरकार की सहमति से इन्हीं सभी कारणों को लेकर, राष्ट्रीया एडवर्टाइजिंग एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया पर वहीं राष्ट्रीया कंपनी, अपना प्रभातम नाम रखकर उसी प्रकार की हरकत कर रही है, पर इस सरकार ने इसे अब तक ब्लैक लिस्टेड नहीं किया, बल्कि उसका मनोबल बढ़ा रही है।
कमाल है कि विज्ञापन रिलीज करने के बाद राशि भुगतान के समय 15 प्रतिशत कटौती करने का अधिकार सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को है, पर उस कटौती को भी रोक दिया गया है, जिसका सारा पैसा ये कंपनियां आपस में बंदरबांट कर रही है। जिसका कमीशन कौन ले रहा है, आप समझते रहिये। याद करिये इन्हीं सभी गड़बड़ियों को रोकने के लिए, विज्ञापन को रिलीज करने के क्रम में, राशि भुगतान के समय, 15 प्रतिशत राशि कटौती प्राप्त करने के लिए ताकि विभाग के अन्य कार्य सुचारू ढंग से चल सकें, संवाद नामक संगठन बनाने का फैसला, एक साल पूर्व कैबिनेट से पास कराकर लिया गया। चार माह पूर्व ढांचा भी तैयार हो गया, पर यह संवाद आज तक अपने रूप में नहीं आ सका। आखिर इस पर कुंडली किसने मारी? क्यों इसे रोका जा रहा है, समझते रहिये। सच्चाई यह है कि जैसे ही यह अपने रूप में आयेगा, कमीशनखोरों की कमीशन बंद हो जायेगी।
सवाल एक बार फिर से...
रघुवर सरकार जवाब दें...
1. आखिर जो कंपनी ब्लैक लिस्टेड थी, वह फिर अपना नाम बदलकर यहां सेवा दे रही है, और फिर वहीं गलती दुहरा रही है, आप उसे पुनः ब्लैक लिस्टेड क्यों नहीं कर रहे?
2. आपने ही कैबिनेट में फैसला लिया, संवाद के गठन का, इसका गठन कब होगा?
3. जो एड फैक्टर और प्रभातम गड़बड़ियां कर रहे है, उन गड़बड़ियों को रोकने के लिए तथा उन्हें दंडित करने के लिए आपने क्या प्लान बनाया है?
4. आखिर राज्यपाल को अपमान करने का अधिकार तथा झारखण्ड के मानचित्र को बंगाल की खाड़ी तक पहुंचाने का अधिकार इन कंपनियों को किसने दिया?
जनता जानना चाहती है...

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