Thursday, March 30, 2017

इसलिए वह जाहिल है, हिन्दू है.........

वह होली मनाता है...
वह दीपावली मनाता है...
वह रक्षाबंधन पर्व मनाता है...
वह दुर्गापूजा, रामनवमी, जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि का पर्व मनाता है...
वह भारत में स्थित तीर्थस्थानों का परिभ्रमण करता है...
वह गौ को पूजता है...
वह नदियों को पूजता है...
वह पहाड़ों को पूजता है...
वह पेड़ों को पूजता है...
इसलिए वह जाहिल है, हिन्दू है...
भारत में रह रहे ऐसे बहुसंख्यक हिन्दु समुदाय को – बीबीसी, एनडीटीवी, प्रभात खबर, वामपंथी बुद्धिजीवियों और वामपंथी पत्रकारों, साथ ही यहां धर्मांतरण का खेल कर रही ईसाई मिशनरियों का दल जाहिल और मूर्ख समझता है, इसलिए हिन्दू विरोधी आलेखों एवं समाचार प्रसारण ही इनका मुख्य केन्द्र बिन्दु बनता जा रहा है। ये लोग अन्य धर्मों में व्याप्त अँधविश्वास एवं रुढ़िवाद को अपने यहां चर्चा का केन्द्र बिन्दू नहीं बनाते। उसका मुख्य कारण है -  भारतीयों और हिन्दूओं को पूरे विश्व के सामने आले दर्जें का मूर्ख और जाहिल बताना... ...साथ ही वे ये भी जानते है कि अगर वे हिन्दूओं को छोड़कर अन्य धर्मों के खिलाफ कुछ लिखेंगे या चलायेंगे तो उनकी दुकान बंद होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी, चूंकि हिन्दू सहिष्णु होते है और हिन्दूओं के अंदर ही एक वर्ग ऐसा भी होता है, जो गाली देने से लेकर स्वयं गाली सुनने में भी आनन्द की प्राप्ति करता है, ये चैनल और अखबारवालों ने ऐसे लोगों के संरक्षण में अपना काम करना शुरु कर दिया है।
इन दिनों जब से भाजपा का देश में प्रादुर्भाव हुआ और विभिन्न राज्यों में भाजपा एक सशक्त दल के रुप में उभरी, तब से लेकर आज तक इनके पेट में दर्द इस प्रकार बढ़ा है कि पागलों की तरह ये अकबका रहे है, नाना प्रकार की झूठी-अतार्किक कार्टूनों-समाचारों-फिल्मों का निर्माण कर एक दूसरे के यहां छापने- दिखाने का दौर इनके यहां चल पड़ा है। आजकल तो ये इतने गुस्से में है कि वे भारतीय मतदाताओं को भी उलटा-सीधा बोल रहे है, उन्हें सांप्रदायिक बता रहे है...
भारतीय मतदाताओं को सांप्रदायिकता की तराजू में तौलनेवाले, पैसा और पद को ही एकमात्र अपना जीवन का अंग समझनेवाले इन मूर्खों का दल फिलहाल भारत के सम्मान के साथ खेल रहा है। ये लोग परिचर्चा का विषय कुछ अलग भी रखेंगे, फिर भी ये ले-देकर हिन्दू-भाजपा पर ही आ खड़ें होंगे। जिससे भारतीय जनता में इनके खिलाफ नाराजगी का बोध साफ दिखाई पड़ रहा है, शायद यहीं कारण है कि इनकी घटियास्तर की मनोवृत्ति से आजिज होकर भारत के मतदाता भी जोर-शोर से भाजपा के पक्ष में खड़े हो रहे हैं...
स्थिति ऐसी है कि अब तो जनता भी इनके खिलाफ लोहा ले रही है, पर बेशर्मों को शर्म नहीं। याद करिये नवरात्र का समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमरीका दौरा। एक पत्रकार राजदीप सरदेसाई, अमेरिका में कैसे भारतीयों के खिलाफ अनाप-शनाप बक रहा था, जिससे गुस्से में आकर वहां के अमेरिकन भारतीय मूल के नागरिकों ने मिलकर उसे उसी समय छट्ठी रात का दूध याद दिला दिया। पत्रकारिता का मतलब या आपके पास अवैध ढंग से पैसे आ गये तो इसका मतलब ये नहीं कि आप भारतीयों को गाली दें, आप उन्हें नीच दिखाये, आप नैतिक मूल्यों को जीवन में प्रतिष्ठित करनेवाले भारत के गर्भ से निकली महाकाव्यों-ग्रंथों को गालियों से सीचें। एक बात जान लीजिये, ऐसे भी अब पहलेवाली बात नहीं रही, कि आप जो बोलेंगे और जनता आपके साथ हो लेगी, जनता आप सब को जवाब दे रही है, पर आप सुधरने का नाम नही ले रहे, वो कहते है न कि रस्सी जल गया पर बल नहीं गया...
आप अपना काम करते रहिये, भारतीयों का दल अपनी गति से चलेगा, भारत अपनी गति से चलेगा... क्योंकि भारतीय जानते है कि उन्हें करना क्या है? आपके विधवा प्रलाप का कोई असर इन भारतीयों पर पड़ने नहीं जा रहा...  अब आप स्वयं आकलन करिये कि जाहिल कौन है? जिन्हें आप जाहिल बता रहे है वे या स्वयं आप, समझे बीबीसी, एनडीटीवी, प्रभात खबर, वामपंथी बुद्धिजीवियों और वामपंथी पत्रकारों, साथ ही यहां धर्मांतरण का खेल कर रही ईसाई मिशनरियों...

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