भाजपाइयों, पहले रघुवर को हटाओ फिर केजरीवाल से इस्तीफा मांगों...
सीएम रघुवर दास ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की...
इस साल 30 मार्च को दिल्ली के सभी अखबारों ने उस समाचार को प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से छापा हैं, जिसमें दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा बुधवार को आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दिये है, यह धनराशि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर प्रचार पर खर्च की गयी थी। जांच समिति की रिपोर्ट के बाद यह आदेश जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इन विज्ञापनों में आम आदमी पार्टी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गयी थी। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्य सचिव एम. एम. कुट्टी को आदेश दिया है कि वे इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करें और 30 दिनों के अंदर यह वसूली कर लें।
अखबार ने लिखा है कि दिल्ली सरकार विज्ञापन एजेंसियों को करीब 42 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर चुकी है। आदेशों के मुताबिक ये विज्ञापन तय मानकों के मुताबिक जारी नहीं किये गये थे। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने सचिव सूचना प्रचार निदेशालय को तत्काल नोटिस जारी करने के भी आदेश दिये है। ज्ञातव्य है कि विज्ञापनों के माध्यम से सीएम अरविन्द केजरीवाल के चेहरे का धड़ल्ले से प्रयोग किया गया था। जिसके खिलाफ दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने शिकायत दर्ज करायी थी, जिनमें अरविन्द केजरीवाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप था। इन शिकायतों में स्वयं के प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का भी आरोप शामिल था, साथ ही इन्हें सुप्रीम कोर्ट के 13 मई 2015 के आदेशों का उल्लंघन भी बताया गया था।
ज्ञातव्य है कि इस प्रकरण पर दिल्ली के महालेखाकार ने भी सवाल खड़े किये थे। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने करीब 24 करोड़ रुपये के ऐसे विज्ञापन जारी किये जो नियमानुसार जारी नहीं किये जाने चाहिए थे।
जरा ध्यान दें, क्या कहता है, सुप्रीम कोर्ट...
• नेताओं की तस्वीरें विज्ञापनों में किसी भी स्थिति में प्रयोग नहीं होंगी।
• सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजेआई के ही फोटो लगाये जा सकते हैं।
• मृत नेताओं की याद में उनकी तस्वीरों को इस्तेमाल किया जा सकता है।
इधर उप-राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने के आदेश पर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह खेद का विषय है कि जो व्यक्ति शुचिता की राजनीति का वादा करने सत्ता में आया था। वह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है। अरविन्द केजरीवाल की जगह कोई और होता, तो इस पद से अब तक इस्तीफा दे देता।
अब यहीं सवाल मनोज तिवारी और भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं से जो रांची से लेकर दिल्ली तक फैले है, ठीक इसी प्रकार की हरकत झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की है, आप इन्हें कब हटा रहे हो, हटाने की बात इसलिए हमने की है, चूंकि इनसे इस्तीफा तो विपक्षी मांगेंगे, हटाने का काम तो आप ही का है, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जैसा ही अपराध झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी की है।
क्या किया है झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने...
• अपना चेहरा चमकाने के लिए जमकर अब तक करोड़ों खर्च किये, अकेले 100 करोड़ से भी ज्यादा तो केवल मोमेंटम झारखण्ड में सिर्फ दो दिन के कार्यक्रम में फूंक दिये, जबकि सर्वोच्च न्यायालय का सख्त आदेश है कि नेताओं की तस्वीरें विज्ञापनों में किसी भी स्थिति में प्रयोग नहीं होंगी। सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजेआई के ही फोटो लगाये जा सकते हैं। मृत नेताओं की याद में उनकी तस्वीरों को इस्तेमाल किया जा सकता है, पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जमकर अपना चेहरा चमकाया। मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा बेहिसाब किये गये इस खर्चें को सीएम रघुवर दास से कैसे वसूला जायेगा?
• ब्रांडिंग करनेवाली कंपनियों को रांची बुलाया और उन पर जमकर करोड़ों खर्च किये, इनमें कई तो पूर्व में ब्लैक लिस्टेड कंपनियां भी है, जो आज नाम बदलकर यहां काम कर रही है, इन ब्रांडिंग कंपनियों ने जितने भी विज्ञापन निकाले, वो ज्यादातर गड़बड़ थे, ये आज भी गड़बड़ ही कर रहे है, अशुद्धियां इतनी है, कि पूछिये मत, फिर भी रघुवर सरकार, इन पर क्यों प्यार लूटा रही है, आप समझ सकते है, जबकि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास ही है।
• यहीं नहीं ऐसे विज्ञापन भी प्रचारित और प्रसारित किये गये, जिनका आज की तिथि में कोई उपयोग नहीं है, पर अपना चेहरा चमकाने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐसा किया। विज्ञापनों को भी मानक के अनुरुप नहीं रखा गया है।
लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि जिन मुद्दों को लेकर अरविन्द केजरीवाल की आज किरकिरी हुई, उसमें मुख्य भूमिका कांग्रेस पार्टी की रही, उसके अजय माकन ने इसकी लड़ाई लड़ी और उनकी जीत हुई पर झारखण्ड की प्रमुख विपक्षी पार्टियां सरकार के इस गलत निर्णयों के विरोध की जगह, उनके आगे ठुमरी गा रही है।
जो दिल्ली के भाजपा नेता अरविन्द केजरीवाल से इसी मुद्दे पर इस्तीफा मांग रहे है, आज यहीं के भाजपा नेता बगले झांक रहे हैं... इस पर किसी को जवाब भी नहीं सूझ रहा...
रही बात, यहां के महालेखाकार की, देखते है कि वे इस प्रकरण पर क्या रोल अदा करते है? पर इतना तय है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने में और अपना चेहरा चमकाने में झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास किसी भी प्रकार से अरविन्द केजरीवाल से उन्नीस नहीं, बल्कि बीस है...
#Narendramodi #Amitshah #RSS
सीएम रघुवर दास ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की...
इस साल 30 मार्च को दिल्ली के सभी अखबारों ने उस समाचार को प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से छापा हैं, जिसमें दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा बुधवार को आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दिये है, यह धनराशि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर प्रचार पर खर्च की गयी थी। जांच समिति की रिपोर्ट के बाद यह आदेश जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इन विज्ञापनों में आम आदमी पार्टी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गयी थी। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्य सचिव एम. एम. कुट्टी को आदेश दिया है कि वे इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करें और 30 दिनों के अंदर यह वसूली कर लें।
अखबार ने लिखा है कि दिल्ली सरकार विज्ञापन एजेंसियों को करीब 42 करोड़ रुपये की धनराशि जारी भी कर चुकी है। आदेशों के मुताबिक ये विज्ञापन तय मानकों के मुताबिक जारी नहीं किये गये थे। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने सचिव सूचना प्रचार निदेशालय को तत्काल नोटिस जारी करने के भी आदेश दिये है। ज्ञातव्य है कि विज्ञापनों के माध्यम से सीएम अरविन्द केजरीवाल के चेहरे का धड़ल्ले से प्रयोग किया गया था। जिसके खिलाफ दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने शिकायत दर्ज करायी थी, जिनमें अरविन्द केजरीवाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप था। इन शिकायतों में स्वयं के प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का भी आरोप शामिल था, साथ ही इन्हें सुप्रीम कोर्ट के 13 मई 2015 के आदेशों का उल्लंघन भी बताया गया था।
ज्ञातव्य है कि इस प्रकरण पर दिल्ली के महालेखाकार ने भी सवाल खड़े किये थे। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने करीब 24 करोड़ रुपये के ऐसे विज्ञापन जारी किये जो नियमानुसार जारी नहीं किये जाने चाहिए थे।
जरा ध्यान दें, क्या कहता है, सुप्रीम कोर्ट...
• नेताओं की तस्वीरें विज्ञापनों में किसी भी स्थिति में प्रयोग नहीं होंगी।
• सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजेआई के ही फोटो लगाये जा सकते हैं।
• मृत नेताओं की याद में उनकी तस्वीरों को इस्तेमाल किया जा सकता है।
इधर उप-राज्यपाल अनिल बैजल द्वारा आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने के आदेश पर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि यह खेद का विषय है कि जो व्यक्ति शुचिता की राजनीति का वादा करने सत्ता में आया था। वह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का दोषी पाया गया है। अरविन्द केजरीवाल की जगह कोई और होता, तो इस पद से अब तक इस्तीफा दे देता।
अब यहीं सवाल मनोज तिवारी और भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं से जो रांची से लेकर दिल्ली तक फैले है, ठीक इसी प्रकार की हरकत झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की है, आप इन्हें कब हटा रहे हो, हटाने की बात इसलिए हमने की है, चूंकि इनसे इस्तीफा तो विपक्षी मांगेंगे, हटाने का काम तो आप ही का है, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जैसा ही अपराध झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी की है।
क्या किया है झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने...
• अपना चेहरा चमकाने के लिए जमकर अब तक करोड़ों खर्च किये, अकेले 100 करोड़ से भी ज्यादा तो केवल मोमेंटम झारखण्ड में सिर्फ दो दिन के कार्यक्रम में फूंक दिये, जबकि सर्वोच्च न्यायालय का सख्त आदेश है कि नेताओं की तस्वीरें विज्ञापनों में किसी भी स्थिति में प्रयोग नहीं होंगी। सिर्फ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सीजेआई के ही फोटो लगाये जा सकते हैं। मृत नेताओं की याद में उनकी तस्वीरों को इस्तेमाल किया जा सकता है, पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जमकर अपना चेहरा चमकाया। मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा बेहिसाब किये गये इस खर्चें को सीएम रघुवर दास से कैसे वसूला जायेगा?
• ब्रांडिंग करनेवाली कंपनियों को रांची बुलाया और उन पर जमकर करोड़ों खर्च किये, इनमें कई तो पूर्व में ब्लैक लिस्टेड कंपनियां भी है, जो आज नाम बदलकर यहां काम कर रही है, इन ब्रांडिंग कंपनियों ने जितने भी विज्ञापन निकाले, वो ज्यादातर गड़बड़ थे, ये आज भी गड़बड़ ही कर रहे है, अशुद्धियां इतनी है, कि पूछिये मत, फिर भी रघुवर सरकार, इन पर क्यों प्यार लूटा रही है, आप समझ सकते है, जबकि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास ही है।
• यहीं नहीं ऐसे विज्ञापन भी प्रचारित और प्रसारित किये गये, जिनका आज की तिथि में कोई उपयोग नहीं है, पर अपना चेहरा चमकाने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऐसा किया। विज्ञापनों को भी मानक के अनुरुप नहीं रखा गया है।
लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि जिन मुद्दों को लेकर अरविन्द केजरीवाल की आज किरकिरी हुई, उसमें मुख्य भूमिका कांग्रेस पार्टी की रही, उसके अजय माकन ने इसकी लड़ाई लड़ी और उनकी जीत हुई पर झारखण्ड की प्रमुख विपक्षी पार्टियां सरकार के इस गलत निर्णयों के विरोध की जगह, उनके आगे ठुमरी गा रही है।
जो दिल्ली के भाजपा नेता अरविन्द केजरीवाल से इसी मुद्दे पर इस्तीफा मांग रहे है, आज यहीं के भाजपा नेता बगले झांक रहे हैं... इस पर किसी को जवाब भी नहीं सूझ रहा...
रही बात, यहां के महालेखाकार की, देखते है कि वे इस प्रकरण पर क्या रोल अदा करते है? पर इतना तय है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने में और अपना चेहरा चमकाने में झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास किसी भी प्रकार से अरविन्द केजरीवाल से उन्नीस नहीं, बल्कि बीस है...
#Narendramodi #Amitshah #RSS
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