हम 100 प्रतिशत आश्वस्त है कि कल रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव ने जरुर प्रभात खबर के किसी पत्रकार या वहां कार्यरत किसी खास व्यक्ति के दुखती रग पर हाथ रख दिया होगा, उसकी बात नहीं मानी होगी, जिसको लेकर प्रभात खबर ने अपना पृष्ठ संख्या 2, रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव के खिलाफ रंग दिया।
मामला क्या है? इसे जानिये...
रांची एसडीओ ने कल सुबह करीब पौने 6 बजे यातायात जांच अभियान प्रारंभ किया, जिसमें करीब 150 से ज्यादा लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़े गये। प्रभात खबर के अनुसार और पकड़े गये लोगों के अनुसार इतनी सुबह यातायात जांच अभियान नहीं चलाना चाहिए। अरे भाई तो तुम्ही बताओ, कब चलाना चाहिए? और कैसे चलाना चाहिए? क्या रांची एसडीओ को यातायात नियम तोड़नेवालों से पूछकर यातायात जांच अभियान चलाना चाहिए कि आप कब घर से निकल रहे है? कब यातायात नियम तोड़ रहे होंगे? ताकि हम आपके इस नियम तोड़ने के क्रम में आपका बाधक नहीं बने।
प्रभात खबर ये बताये कि जो उसने “पीड़ा एक आम आदमी की” के नाम से जो कुछ भी लिखा है। उस आम आदमी का नाम क्यों नहीं लिखा? जबकि वह पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री और झारखण्ड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकृष्ट करा रहा है। इसका मतलब क्या है? इतनी मूर्ख तो रांची की जनता नहीं।
क्या प्रभात खबर इन सवालों का जवाब दे सकता है?
• क्या दुर्घटना समय देखकर होती है?
• क्या वाहन चालकों को यातायात नियमों को तोड़ने के लिए एक खास समय प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराना चाहिए?
• गलत करनेवालों को तो गलत का परिणाम तो स्वयं ही भुगतना होगा, इसके लिए कोई विशेष सहायता देने का प्रावधान कानून में उल्लिखित है क्या?
ढाई घंटे के बाद जुर्माने की रसीद काटी गयी तो इसके लिए भी दोषी वे लोग है, जो यातायात नियमों का उल्लंघन करते है, ऐसी घटना गर होने लगे तो फिर कोई यातायात नियमों को तोड़ने के पूर्व दस बार सोचेगा कि इसके परिणाम क्या हो सकते है, कम से कम रांची एसडीओ ने किसी के साथ गलत तो नहीं किया। यहां पर ऐसे कोई भी अच्छा काम करिये, यहां तो बदनाम करनेवाले लोगों को एक मौका चाहिए, जैसा मौका प्रभात खबर को आज मिल गया।
बधाई, रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव को, जिन्होंने अपने विवेकपूर्ण कार्यों से स्थिति पर नियंत्रण किया और लोगों को एक संदेश भी दिया कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है, उनके परिवारों के लिए...
मामला क्या है? इसे जानिये...
रांची एसडीओ ने कल सुबह करीब पौने 6 बजे यातायात जांच अभियान प्रारंभ किया, जिसमें करीब 150 से ज्यादा लोग यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़े गये। प्रभात खबर के अनुसार और पकड़े गये लोगों के अनुसार इतनी सुबह यातायात जांच अभियान नहीं चलाना चाहिए। अरे भाई तो तुम्ही बताओ, कब चलाना चाहिए? और कैसे चलाना चाहिए? क्या रांची एसडीओ को यातायात नियम तोड़नेवालों से पूछकर यातायात जांच अभियान चलाना चाहिए कि आप कब घर से निकल रहे है? कब यातायात नियम तोड़ रहे होंगे? ताकि हम आपके इस नियम तोड़ने के क्रम में आपका बाधक नहीं बने।
प्रभात खबर ये बताये कि जो उसने “पीड़ा एक आम आदमी की” के नाम से जो कुछ भी लिखा है। उस आम आदमी का नाम क्यों नहीं लिखा? जबकि वह पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री और झारखण्ड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान आकृष्ट करा रहा है। इसका मतलब क्या है? इतनी मूर्ख तो रांची की जनता नहीं।
क्या प्रभात खबर इन सवालों का जवाब दे सकता है?
• क्या दुर्घटना समय देखकर होती है?
• क्या वाहन चालकों को यातायात नियमों को तोड़ने के लिए एक खास समय प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराना चाहिए?
• गलत करनेवालों को तो गलत का परिणाम तो स्वयं ही भुगतना होगा, इसके लिए कोई विशेष सहायता देने का प्रावधान कानून में उल्लिखित है क्या?
ढाई घंटे के बाद जुर्माने की रसीद काटी गयी तो इसके लिए भी दोषी वे लोग है, जो यातायात नियमों का उल्लंघन करते है, ऐसी घटना गर होने लगे तो फिर कोई यातायात नियमों को तोड़ने के पूर्व दस बार सोचेगा कि इसके परिणाम क्या हो सकते है, कम से कम रांची एसडीओ ने किसी के साथ गलत तो नहीं किया। यहां पर ऐसे कोई भी अच्छा काम करिये, यहां तो बदनाम करनेवाले लोगों को एक मौका चाहिए, जैसा मौका प्रभात खबर को आज मिल गया।
बधाई, रांची के एसडीओ भोर सिंह यादव को, जिन्होंने अपने विवेकपूर्ण कार्यों से स्थिति पर नियंत्रण किया और लोगों को एक संदेश भी दिया कि उनका जीवन कितना महत्वपूर्ण है, उनके परिवारों के लिए...
No comments:
Post a Comment