देश के मूर्धन्य पत्रकारों और चैनलों का महापाप...
दिल्ली नगर निगम चुनाव को देश का चुनाव बना दिया...
ये आज के पत्रकार है, ये नगर निगम की चुनाव को देश का चुनाव बना देते है, लोगों की मजबूरियां है, उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए मजबूरी में दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम को देखने के मजबूर है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम का कोई असर, देश के दूसरे इलाकों में नहीं पड़ने जा रहा, पर देश के मूर्धन्य पत्रकार विभिन्न चैनलों पर स्वयं और देश की जनता के दिमाग का दही बनाने में लगे हुए है, इसमें उन्हें बहुत आनन्द भी आ रहा है।
आज किसी भी चैनल ने अपने मर्यादा का ख्याल नहीं रखा, चाहे वह कोई चैनल हो, सभी पागलों की तरह एमसीडी-एमसीडी का रट लगा रहे है, ठीक उसी प्रकार जैसे देश में लोकसभा के चुनाव परिणाम आ रहे होते हैं। देश की जनता को भी देखिये, वे कर ही क्या सकते हैं? मजबूरी में देखने को मजबूर है, वे झेल रहे है, इन चैनलों के महापाप को।
आखिर दिल्ली नगर निगम को इतना माइलेज ये चैनलवाले क्यों दे रहे है? इसके लिए भी कोई सर्वाधिक दोषी है तो वह है यहां के राजनीतिबाज। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिलचस्पी लेना, आप के अरविन्द केजरीवाल का तो जवाब ही नहीं, उन्हें लगता है कि भगवान ने फुर्सत में बनाया है, कांग्रेस तो एक तरह से खत्म ही हो गयी और भाजपा ने जिस प्रकार से कांग्रेसियों और अन्य दलों के घटियास्तर के नेताओं का आयात करना प्रारंभ किया है, यकीन मानिये कांग्रेस को तो यहां की जनता ने 60 साल झेला, इन्हें पांच साल भी झेल पायेगी, कहना मुश्किल है। कमाल की बात है कि भाजपा जिन पार्टियों अथवा नेताओं को गाली दे रही होती है, वहीं पार्टी अथवा उसके नेता के लोग जब भाजपा का दामन थाम लेते है, तो वह पवित्र हो जाता है, पता नहीं भाजपा के पास कौन से नदी का पवित्र जल है, जिससे सभी का पाप धूल जाता है। उदाहरण के लिए झारखण्ड के बाघमारा विधानसभा सीट से जीता ढुलू महतो और हाल ही में दिल्ली में लवली नामक नेता जो कल तक कांग्रेस का झंडा ढोता था और आज भाजपाई बन गया। ज्यादा दूर मत जाइये, दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी को देखिये जो कल तक अटल बिहारी वाजपेयी को गरियाता था, गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और आज भाजपा में जाकर, हर प्रकार के आनन्द को प्राप्त कर रहा है यानी पग-पग पर अपना जमीर बेचनेवाला, ऐसे नेता देश के भाग्य विधाता बन रहे और पत्रकारों का समूह ऐसे नेताओं के आधार पर समाचार की प्राथमिकता तय कर रहे है।
देश के हालात ऐसे है, कि पूछिये मत...
• हमारा पड़ोसी पाकिस्तान हमेशा हमें गरिया रहा है।
• चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर आंखे तरेर रहा है।
• नक्सली गुंडों का समूह हमारी आंतरिक व्यवस्था को चोट पहुंचा कर पूरे देश की आंतरिक व्यवस्था को बर्बाद कर, विदेशी ताकतों के हाथों को मजबूत कर रहा है।
• पूंजीपतियों का समूह केवल अपना लाभ देख रहा है और देश के आर्थिक हालात पर चोट पहुंचा रहा है।
• देश के संतों को उद्योगपति बनने का सनक सवार हो रहा है, और पत्रकारों का समूह ऐसे संतों की आरती उतार रहा है, उन पर पुस्तक लिख रहा है।
जरा सोचिये, ऐसे हालात में इस देश की हालात क्या होगी? गुंडे पत्रकार बनेंगे, गुंडे नेता बनेंगे तो यहीं होगा, हमें बेवजह के नगर – निगम चुनाव परिणाम जबर्दस्ती देखने होंगे। आज तो देश के सारे चैनल यहीं कर रहे, कोई इससे अलग नहीं दीख रहा। हम ऐसी व्यवस्था और ऐसे चैनलों और ऐसे पत्रकारों की कड़ी भर्त्सना करते है।
दिल्ली नगर निगम चुनाव को देश का चुनाव बना दिया...
ये आज के पत्रकार है, ये नगर निगम की चुनाव को देश का चुनाव बना देते है, लोगों की मजबूरियां है, उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए मजबूरी में दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम को देखने के मजबूर है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम का कोई असर, देश के दूसरे इलाकों में नहीं पड़ने जा रहा, पर देश के मूर्धन्य पत्रकार विभिन्न चैनलों पर स्वयं और देश की जनता के दिमाग का दही बनाने में लगे हुए है, इसमें उन्हें बहुत आनन्द भी आ रहा है।
आज किसी भी चैनल ने अपने मर्यादा का ख्याल नहीं रखा, चाहे वह कोई चैनल हो, सभी पागलों की तरह एमसीडी-एमसीडी का रट लगा रहे है, ठीक उसी प्रकार जैसे देश में लोकसभा के चुनाव परिणाम आ रहे होते हैं। देश की जनता को भी देखिये, वे कर ही क्या सकते हैं? मजबूरी में देखने को मजबूर है, वे झेल रहे है, इन चैनलों के महापाप को।
आखिर दिल्ली नगर निगम को इतना माइलेज ये चैनलवाले क्यों दे रहे है? इसके लिए भी कोई सर्वाधिक दोषी है तो वह है यहां के राजनीतिबाज। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिलचस्पी लेना, आप के अरविन्द केजरीवाल का तो जवाब ही नहीं, उन्हें लगता है कि भगवान ने फुर्सत में बनाया है, कांग्रेस तो एक तरह से खत्म ही हो गयी और भाजपा ने जिस प्रकार से कांग्रेसियों और अन्य दलों के घटियास्तर के नेताओं का आयात करना प्रारंभ किया है, यकीन मानिये कांग्रेस को तो यहां की जनता ने 60 साल झेला, इन्हें पांच साल भी झेल पायेगी, कहना मुश्किल है। कमाल की बात है कि भाजपा जिन पार्टियों अथवा नेताओं को गाली दे रही होती है, वहीं पार्टी अथवा उसके नेता के लोग जब भाजपा का दामन थाम लेते है, तो वह पवित्र हो जाता है, पता नहीं भाजपा के पास कौन से नदी का पवित्र जल है, जिससे सभी का पाप धूल जाता है। उदाहरण के लिए झारखण्ड के बाघमारा विधानसभा सीट से जीता ढुलू महतो और हाल ही में दिल्ली में लवली नामक नेता जो कल तक कांग्रेस का झंडा ढोता था और आज भाजपाई बन गया। ज्यादा दूर मत जाइये, दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी को देखिये जो कल तक अटल बिहारी वाजपेयी को गरियाता था, गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और आज भाजपा में जाकर, हर प्रकार के आनन्द को प्राप्त कर रहा है यानी पग-पग पर अपना जमीर बेचनेवाला, ऐसे नेता देश के भाग्य विधाता बन रहे और पत्रकारों का समूह ऐसे नेताओं के आधार पर समाचार की प्राथमिकता तय कर रहे है।
देश के हालात ऐसे है, कि पूछिये मत...
• हमारा पड़ोसी पाकिस्तान हमेशा हमें गरिया रहा है।
• चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर आंखे तरेर रहा है।
• नक्सली गुंडों का समूह हमारी आंतरिक व्यवस्था को चोट पहुंचा कर पूरे देश की आंतरिक व्यवस्था को बर्बाद कर, विदेशी ताकतों के हाथों को मजबूत कर रहा है।
• पूंजीपतियों का समूह केवल अपना लाभ देख रहा है और देश के आर्थिक हालात पर चोट पहुंचा रहा है।
• देश के संतों को उद्योगपति बनने का सनक सवार हो रहा है, और पत्रकारों का समूह ऐसे संतों की आरती उतार रहा है, उन पर पुस्तक लिख रहा है।
जरा सोचिये, ऐसे हालात में इस देश की हालात क्या होगी? गुंडे पत्रकार बनेंगे, गुंडे नेता बनेंगे तो यहीं होगा, हमें बेवजह के नगर – निगम चुनाव परिणाम जबर्दस्ती देखने होंगे। आज तो देश के सारे चैनल यहीं कर रहे, कोई इससे अलग नहीं दीख रहा। हम ऐसी व्यवस्था और ऐसे चैनलों और ऐसे पत्रकारों की कड़ी भर्त्सना करते है।
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