ये तो होना ही था, मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयान ने बवाल कर दिया है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कई नेता ही नहीं, बल्कि भाजपा को सहयोग कर रही आजसू पार्टी ने भी मुख्यमंत्री रघुवर दास के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने नेता विरोधी दल को डकैत व लूटेरा बताया था, तथा शिबू सोरेन पर कड़ी टिप्पणी की थी।
झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने ठीक ही कहा है कि अगर बाप बुड्ढा हो जाय तो क्या उसे गड्ढे में फेंक देना चाहिए, मुख्यमंत्री रघुवर दास जवाब दें।
झामुमो के ही वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने भाजपा के नेताओं और विधायकों से पूछा है कि वे कब तक ऐसे मुख्यमंत्री रघुवर दास को ढोते रहेंगे, जो कभी अपने मतलब के लिए स्वयं को शिबू सोरेन का असली बेटा बताता है, कभी उनके पांव छूता है और कभी उन्हें उखाड़ फेंकने की बात कहता है।
झामुमो नेताओं ने यह भी कहा है कि अगर विधानसभा में सीएम ने इस वक्तव्य को लेकर माफी नहीं मांगी तो वे 27 को सदन चलने नहीं देंगे। इधर आजसू के प्रवक्ता देवशरण भगत ने तो मुख्यमंत्री रघुवर दास से ही पूछ डाला कि अगर हेमंत लूटेरे हैं तो सरकार उन पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?
पूरे मामले पर सरकार की घिग्घी बंध गई है, भाजपा नेताओं को न बोलते बन रहा है और न ही सरकार में शामिल लोग ही कुछ बोल पा रहे है, सचमुच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी ही भाषा से पार्टी और सरकार दोनों को असमंजस में डाल दिया है, आगे – आगे देखिये क्या होता है? हमें नहीं लगता कि झामुमो इस मुद्दे को फिलहाल छोड़ना चाहेगा, वह भी तब, जब लिट्टीपाड़ा उप चुनाव में जनता ने ताल ठोक कर झामुमो प्रत्याशी साइमन मरांडी के सिर पर जीत का सेहरा बांधा है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, हो गया बंटाधार, भाजपा और सरकार का। आप विकास का राग अलापते रहिये, आपने तो कार्यकर्ताओं को भी कहीं का नहीं छोड़ा, वे फिलहाल रक्षात्मक मोड में चले गये है, आक्रामक होंगे तो उन्हें ही दिक्कत होगी, क्योंकि रहना है उन्हें, उन्हीं के साथ, जिनके बारे में आप कुछ ज्यादा ही उतावले होकर बयान दे रहे हैं...
झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने ठीक ही कहा है कि अगर बाप बुड्ढा हो जाय तो क्या उसे गड्ढे में फेंक देना चाहिए, मुख्यमंत्री रघुवर दास जवाब दें।
झामुमो के ही वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने भाजपा के नेताओं और विधायकों से पूछा है कि वे कब तक ऐसे मुख्यमंत्री रघुवर दास को ढोते रहेंगे, जो कभी अपने मतलब के लिए स्वयं को शिबू सोरेन का असली बेटा बताता है, कभी उनके पांव छूता है और कभी उन्हें उखाड़ फेंकने की बात कहता है।
झामुमो नेताओं ने यह भी कहा है कि अगर विधानसभा में सीएम ने इस वक्तव्य को लेकर माफी नहीं मांगी तो वे 27 को सदन चलने नहीं देंगे। इधर आजसू के प्रवक्ता देवशरण भगत ने तो मुख्यमंत्री रघुवर दास से ही पूछ डाला कि अगर हेमंत लूटेरे हैं तो सरकार उन पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?
पूरे मामले पर सरकार की घिग्घी बंध गई है, भाजपा नेताओं को न बोलते बन रहा है और न ही सरकार में शामिल लोग ही कुछ बोल पा रहे है, सचमुच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी ही भाषा से पार्टी और सरकार दोनों को असमंजस में डाल दिया है, आगे – आगे देखिये क्या होता है? हमें नहीं लगता कि झामुमो इस मुद्दे को फिलहाल छोड़ना चाहेगा, वह भी तब, जब लिट्टीपाड़ा उप चुनाव में जनता ने ताल ठोक कर झामुमो प्रत्याशी साइमन मरांडी के सिर पर जीत का सेहरा बांधा है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, हो गया बंटाधार, भाजपा और सरकार का। आप विकास का राग अलापते रहिये, आपने तो कार्यकर्ताओं को भी कहीं का नहीं छोड़ा, वे फिलहाल रक्षात्मक मोड में चले गये है, आक्रामक होंगे तो उन्हें ही दिक्कत होगी, क्योंकि रहना है उन्हें, उन्हीं के साथ, जिनके बारे में आप कुछ ज्यादा ही उतावले होकर बयान दे रहे हैं...
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