अर्जुन मुंडा सरकार ने आज सौ दिन पूरे कर लिये। सचमुच बधाई स्वीकार करें, अर्जुन मुंडा जी, क्योंकि आपने सौ दिन पूरे कर लिये, पर क्या आप बता सकते हैं, कि आपने इन सौ दिनों में कौन ऐसा काम कर लिये। जिससे आम जनता के मन में ये विश्वास जगें कि ये सरकार सचमुच में उनके लिए कुछ काम कर रही हैं अथवा आप पर विश्वास कर सकें कि आपके छत्र छाया में उनका जीवन आनन्दित बीतेगा। आप से जब पत्रकार पूछते हैं कि मुंडा जी, इन सौ दिनों में आप अपनी पांच उपलब्धियां बतायें, तो आपका बयान आता हैं कि आप काम करने में विश्वास करते हैं न कि उपलब्धियां गिनाने में। गर आप काम करने में विश्वास रखते हैं तो लगे हाथों अपने काम करने का विश्वास भी तो हमें दिलाये। जिस विश्वास की आप बात करते हैं, वो तो कहीं दिखता नहीं। हमें तो लगता हैं कि आपकी उपलब्धियां न के बराबर हैं, क्योंकि न तो आपके पास झारखंड को आगे बढ़ाने का प्लान हैं और न ही विजन। बस चलते जा रहे हैं, कहां चलना हैं, क्यों चलना हैं, किसलिए चलना हैं, झारखंड को कहां ले जाना हैं, इसका भान न तो आपको हैं और न हीं यहां की जनता को हो पाया हैं कि आप उन्हें अथवा झारखंड को कहां ले जाना चाहते हैं। आपके सौ दिनों के शासनकाल में जो घटनाएं घटी हैं, वो बताता हैं कि सरकार के काम करने के तरीके और लक्षण ठीक नहीं हैं।
जरा गौर फरमाईये -----------------------------------------------
• आप ही के पार्टी के सिमडेगा विधानसभा अंतर्गत पिथरा पंचायत अध्यक्ष मदन साहू गरीबी से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं, पर उसकी सूध लेनेवाला कोई नहीं होता हैं, न तो आपकी सरकार और न ही आप।
• जमशेदपुर जो आपका संसदीय इलाका हैं, वहां की महिला रेवती के साथ एक गुंडा दुष्कर्म करता हैं, फिर उसे जिंदा जलाने का प्रयास करता हैं, कई दिनों तक वो युवती इलाज कराते हुए दम तोड़ देती हैं, उसकी सुध न तो आपकी पुलिस लेती हैं और न ही आप उसे न्याय दिलाने में दिलचस्पी रखते हैं।
• आपही के इलाके की दीपिका के साथ कुछ मनचले छेड़खानी करते हैं, वो आत्महत्या कर लेती हैं, पर दीपिका को मरणोपरांत भी आप न्याय नहीं दिला पाते।
• आपही की राज्य की रुकमिणी के साथ केन्या में यौन शोषण होता हैं, यौन शोषण करनेवाला व्यक्ति गुजरात में बैठा हैं, गर आप चाहते तो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात कर, उस व्यक्ति को सलाखों के पीछे ढकेल सकते थे, पर आपने अभी तक नरेन्द्र मोदी से बातचीत तक नहीं की, जबकि नरेन्द्र मोदी आप ही के पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
• आप जिस राज्य के मुख्यमंत्री हैं, आपका पड़ोसी राज्य हैं बिहार, जिसके कोख से निकला हैं – झारखंड। वहां एक दिन में सरकार बन जाती हैं, ठीक दो दिनों में विधानसभा का सत्र आहूत हो जाता हैं, सरकार ऐसे ऐसे निर्णय लेती हैं कि बिहारवासियों का सर गर्व से उठ जा रहा हैं, लेकिन आप और आपकी सरकार क्या कर रही हैं, आपको एक महीने लग जाते हैं, सरकार गठन करने में और बहाना ढूंढते हैं कि पितृपक्ष चल रहा है। वहां विधानसभा सत्र चल रहा हैं, और आप शीतकालीन सत्र तक नहीं बुला पाते, और इसके लिए भी आपने अच्छा बहाना ढूंढा, ये कह कर कि राज्य में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। आप हर गलत काम को, छिपाने के लिए बहाने बनाते हैं और आपका पड़ोसी राज्य हर अच्छे काम को करने के लिए, अनेक प्रकार के बहाने ढूंढ रहा हैं। हैं न कमाल की बात, पर आपको इससे क्या मतलब।
• बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिल्ली जाने में मन नहीं लगता, पर आपको दिल्ली – रांची, रांची – दिल्ली करने में बहुत मन लगता हैं अब तक आठ बार आप दिल्ली की परिक्रमा लगा चुके हैं।
• यहां आप सरकार चला रहे हैं, मंत्री लोग सरकार चला रहे हैं या राज्य के प्रशासनिक अधिकारी, सरकार चला रहे हैं, लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा हैं, सीएनटी एक्ट पर भूमि सुधार एवं राजस्व सचिव के द्वारा, सभी उपायुक्तों को भेजा गया पत्र तो फिलहाल ये ही बता रहा हैं और हमें लगता हैं कि डोमेसाईल आंदोलन के बाद, कहीं ये मामला राज्य का बंटाधार न कर दें, यानी वो कहावत याद हैं न काम धाम कुछ नहीं, गिलास तोड़ा आठ आना।
• एक तरफ बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए लोकपाल विधेयक को मंजूरी दे रही हैं, अपने विधायकों और मंत्रियों से जल्द अपने संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने को आदेश दे दी हैं। एमएलए फंड पर रोक लगा दी हैं और आप इन सबसे अलग कुछ करने, कुछ निर्णय लेने के बजाय, सीधा कहते हैं कि जो बिहार करें, वो ही हम क्यूं करें। जबकि सर्वाधिक एमएलए फंड इसी प्रांत में हैं और इससे यहां की आम जनता का कितना भला होता हैं और विधायक और उनके परिवार तथा अधिकारी कैसे मालामाल होते हैं, वो किसी से छूपा हैं क्या।
• क्या आपको मालूम नहीं कि जिस बाबा रामदेव को आप की सरकार ने राज्य अतिथि घोषित किया हैं, वो ही झारखंड प्रवास के दौरान, यहीं की सड़कों के बारे में जो टिप्पणी की हैं, वो शर्मनाक हैं।
• भ्रष्टाचार चरम पर है, जो एसपी कोयलांचल के कोलमाफियाओं को नाक में दम कर रखी थी, जिसे धनबाद में ही रखने के लिए, धनबादवासी आंदोलनरत हैं, आप मौके की तलाश में थे उनका स्थानांतरण करने का, और जैसे ही धीरेन्द्र प्रकरण आया, आपने कोलमाफियाओं की मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी और उन्हें स्थानांतरण करने का फैसला ले लिया, वह भी तब जब राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू था। आखिर ऐसा कर आप क्या संदेश देना चाहते हैं।
• क्या आप बता सकते हैं कि आपकी प्लानिंग क्या हैं, विजन क्या हैं, आपके प्लानिंग और विजन को पूरा करने के लिए, कौन कौन लोग प्रयत्नशील हैं और अब तक उन्होंने इन सौ दिनों में कैसा काम किया हैं।
• इन सौ दिनों में तो हमने देखा कि आप ही के मुख्य सचिव, खुलकर स्वीकारते हैं कि राज्य में सिस्टम फेल हैं, बीडीओ – सीओ आफिस नहीं जाते हैं, इसलिए नक्सलिज्म बढ़ रहा हैं। ऐसे में आम जनता आपसे क्या उम्मीद लगायें।
• स्थिति तो ऐसी हैं कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों को आपकी सरकार के द्वारा विभिन्न आरोप लगाकर, दंडित किया गया, फिर उन्हें शीघ्र ही महिमामंडित कर, सेवा कार्य में लगा भी दिया गया। आखिर ये दोहरे मापदंड क्यों, इस प्रकार की हरकतें, क्या साबित करती हैं।
हमारे पास एक नहीं अनेक अकाट्य प्रमाण हैं, पर कितने प्रमाण लिखूं। इतने से गर सरकार की आंखे खूल जाती हैं और सरकार कुछ जनता के हित में ठोस निर्णय लेते हुए, प्लान बना कर, अपने विजन को साकार करती हैं, तो झारखंड का बड़ा ही भला होगा, पर हमें ऐसा दीखता नहीं, क्योंकि झारखंड बर्बादी के कगार पर हैं, और बर्बादी के कगार पर पहुंचाने के बाद, इस सरकार और अन्य नेताओं को अपने बचाव के लिए एक सुंदर, उदाहरण भी मौजूद हैं, वो ये कि यहां की जनता, स्थिर सरकार ही नहीं देती, स्पष्ट जनादेश ही नहीं देती तो ऐसे में झारखंड कैसे आगे बढ़े। जो लोग इस प्रकार का तर्क देते हैं, उनसे हमारा एक ही सवाल हैं कि वे बतायें कि देश में एनडीए और उसके बाद चल रहा यूपीए का शासन क्या एक ही पार्टी का हैं, गर नहीं तो फिर इस प्रदेश का बुरा हाल क्यूं। कृपया झूठ बोलने से ये नेता बाज आये और अपने गिरेबां में झांक कर देंखे। अपनी गलतियों का ठीकरा यहां की भोली भाली जनता पर न फोड़ें, अपनी गलतियों को स्वीकार करना, बहुत बड़ा पुरुषार्थ हैं, इन नेताओं और आज की सरकार को ये बात नहीं भूलना चाहिए।
जरा गौर फरमाईये -----------------------------------------------
• आप ही के पार्टी के सिमडेगा विधानसभा अंतर्गत पिथरा पंचायत अध्यक्ष मदन साहू गरीबी से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं, पर उसकी सूध लेनेवाला कोई नहीं होता हैं, न तो आपकी सरकार और न ही आप।
• जमशेदपुर जो आपका संसदीय इलाका हैं, वहां की महिला रेवती के साथ एक गुंडा दुष्कर्म करता हैं, फिर उसे जिंदा जलाने का प्रयास करता हैं, कई दिनों तक वो युवती इलाज कराते हुए दम तोड़ देती हैं, उसकी सुध न तो आपकी पुलिस लेती हैं और न ही आप उसे न्याय दिलाने में दिलचस्पी रखते हैं।
• आपही के इलाके की दीपिका के साथ कुछ मनचले छेड़खानी करते हैं, वो आत्महत्या कर लेती हैं, पर दीपिका को मरणोपरांत भी आप न्याय नहीं दिला पाते।
• आपही की राज्य की रुकमिणी के साथ केन्या में यौन शोषण होता हैं, यौन शोषण करनेवाला व्यक्ति गुजरात में बैठा हैं, गर आप चाहते तो मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात कर, उस व्यक्ति को सलाखों के पीछे ढकेल सकते थे, पर आपने अभी तक नरेन्द्र मोदी से बातचीत तक नहीं की, जबकि नरेन्द्र मोदी आप ही के पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
• आप जिस राज्य के मुख्यमंत्री हैं, आपका पड़ोसी राज्य हैं बिहार, जिसके कोख से निकला हैं – झारखंड। वहां एक दिन में सरकार बन जाती हैं, ठीक दो दिनों में विधानसभा का सत्र आहूत हो जाता हैं, सरकार ऐसे ऐसे निर्णय लेती हैं कि बिहारवासियों का सर गर्व से उठ जा रहा हैं, लेकिन आप और आपकी सरकार क्या कर रही हैं, आपको एक महीने लग जाते हैं, सरकार गठन करने में और बहाना ढूंढते हैं कि पितृपक्ष चल रहा है। वहां विधानसभा सत्र चल रहा हैं, और आप शीतकालीन सत्र तक नहीं बुला पाते, और इसके लिए भी आपने अच्छा बहाना ढूंढा, ये कह कर कि राज्य में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। आप हर गलत काम को, छिपाने के लिए बहाने बनाते हैं और आपका पड़ोसी राज्य हर अच्छे काम को करने के लिए, अनेक प्रकार के बहाने ढूंढ रहा हैं। हैं न कमाल की बात, पर आपको इससे क्या मतलब।
• बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिल्ली जाने में मन नहीं लगता, पर आपको दिल्ली – रांची, रांची – दिल्ली करने में बहुत मन लगता हैं अब तक आठ बार आप दिल्ली की परिक्रमा लगा चुके हैं।
• यहां आप सरकार चला रहे हैं, मंत्री लोग सरकार चला रहे हैं या राज्य के प्रशासनिक अधिकारी, सरकार चला रहे हैं, लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा हैं, सीएनटी एक्ट पर भूमि सुधार एवं राजस्व सचिव के द्वारा, सभी उपायुक्तों को भेजा गया पत्र तो फिलहाल ये ही बता रहा हैं और हमें लगता हैं कि डोमेसाईल आंदोलन के बाद, कहीं ये मामला राज्य का बंटाधार न कर दें, यानी वो कहावत याद हैं न काम धाम कुछ नहीं, गिलास तोड़ा आठ आना।
• एक तरफ बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए लोकपाल विधेयक को मंजूरी दे रही हैं, अपने विधायकों और मंत्रियों से जल्द अपने संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने को आदेश दे दी हैं। एमएलए फंड पर रोक लगा दी हैं और आप इन सबसे अलग कुछ करने, कुछ निर्णय लेने के बजाय, सीधा कहते हैं कि जो बिहार करें, वो ही हम क्यूं करें। जबकि सर्वाधिक एमएलए फंड इसी प्रांत में हैं और इससे यहां की आम जनता का कितना भला होता हैं और विधायक और उनके परिवार तथा अधिकारी कैसे मालामाल होते हैं, वो किसी से छूपा हैं क्या।
• क्या आपको मालूम नहीं कि जिस बाबा रामदेव को आप की सरकार ने राज्य अतिथि घोषित किया हैं, वो ही झारखंड प्रवास के दौरान, यहीं की सड़कों के बारे में जो टिप्पणी की हैं, वो शर्मनाक हैं।
• भ्रष्टाचार चरम पर है, जो एसपी कोयलांचल के कोलमाफियाओं को नाक में दम कर रखी थी, जिसे धनबाद में ही रखने के लिए, धनबादवासी आंदोलनरत हैं, आप मौके की तलाश में थे उनका स्थानांतरण करने का, और जैसे ही धीरेन्द्र प्रकरण आया, आपने कोलमाफियाओं की मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी और उन्हें स्थानांतरण करने का फैसला ले लिया, वह भी तब जब राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू था। आखिर ऐसा कर आप क्या संदेश देना चाहते हैं।
• क्या आप बता सकते हैं कि आपकी प्लानिंग क्या हैं, विजन क्या हैं, आपके प्लानिंग और विजन को पूरा करने के लिए, कौन कौन लोग प्रयत्नशील हैं और अब तक उन्होंने इन सौ दिनों में कैसा काम किया हैं।
• इन सौ दिनों में तो हमने देखा कि आप ही के मुख्य सचिव, खुलकर स्वीकारते हैं कि राज्य में सिस्टम फेल हैं, बीडीओ – सीओ आफिस नहीं जाते हैं, इसलिए नक्सलिज्म बढ़ रहा हैं। ऐसे में आम जनता आपसे क्या उम्मीद लगायें।
• स्थिति तो ऐसी हैं कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों को आपकी सरकार के द्वारा विभिन्न आरोप लगाकर, दंडित किया गया, फिर उन्हें शीघ्र ही महिमामंडित कर, सेवा कार्य में लगा भी दिया गया। आखिर ये दोहरे मापदंड क्यों, इस प्रकार की हरकतें, क्या साबित करती हैं।
हमारे पास एक नहीं अनेक अकाट्य प्रमाण हैं, पर कितने प्रमाण लिखूं। इतने से गर सरकार की आंखे खूल जाती हैं और सरकार कुछ जनता के हित में ठोस निर्णय लेते हुए, प्लान बना कर, अपने विजन को साकार करती हैं, तो झारखंड का बड़ा ही भला होगा, पर हमें ऐसा दीखता नहीं, क्योंकि झारखंड बर्बादी के कगार पर हैं, और बर्बादी के कगार पर पहुंचाने के बाद, इस सरकार और अन्य नेताओं को अपने बचाव के लिए एक सुंदर, उदाहरण भी मौजूद हैं, वो ये कि यहां की जनता, स्थिर सरकार ही नहीं देती, स्पष्ट जनादेश ही नहीं देती तो ऐसे में झारखंड कैसे आगे बढ़े। जो लोग इस प्रकार का तर्क देते हैं, उनसे हमारा एक ही सवाल हैं कि वे बतायें कि देश में एनडीए और उसके बाद चल रहा यूपीए का शासन क्या एक ही पार्टी का हैं, गर नहीं तो फिर इस प्रदेश का बुरा हाल क्यूं। कृपया झूठ बोलने से ये नेता बाज आये और अपने गिरेबां में झांक कर देंखे। अपनी गलतियों का ठीकरा यहां की भोली भाली जनता पर न फोड़ें, अपनी गलतियों को स्वीकार करना, बहुत बड़ा पुरुषार्थ हैं, इन नेताओं और आज की सरकार को ये बात नहीं भूलना चाहिए।