हर डाल पर रघुवर बैठा है, अंजामे झारखण्ड क्या होगा......
जी हां, हर जगह रघुवर दास बैठे है, गलियों में, दुकानों में, घरों में, होर्डिंगों में, पोस्टरों में, बैनरों में, एलइडी में, सड़कों पर, पेड़ों पर, यानी कौन ऐसी जगह है, जहां रघुवर दास यानी अपना शाहरूख खान नजर नहीं आ रहा। आप कहेंगे कि शाहरूख खान, जी हां आजकल अपने रघुवर दास, शाहरूख खान के नाम से खासे लोकप्रिय हो रहे है। इनका नया नाम शाहरूख खान लोगों ने इसलिए दिया है कि वे फिलहाल स्वयं को शाहरूख खान से कम नहीं समझ रहे। उन्होंने स्वयं को शाहरूख खान बनाने और दिखने के चक्कर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है, अगर पोस्टर-बैनर-होर्डिंग की बात करें तो प्रचार में अपने रघुवर दास यानी शाहरूख खान शीर्ष पर है, दूसरे नंबर पर महेन्द्र सिंह धौनी तथा तीसरे स्थान पर उड़ता हाथी और चौथे स्थान पर कोई नजर ही नहीं आता, इसलिए आगे की बात करनी ही बेमानी है। हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने, खुद को शाहरूख खान समझने के कारण, देश व राज्य के महान नेताओं व महान विभूतियों को मोमेंटम झारखण्ड कार्यक्रम में ठिकाने लगा दिया है।
जरा पूछिये रघुवर दास यानी शाहरूख खान से...
खुद का पासपोर्ट साइज का फोटो तो हर जगह लगवा दिया सत्ता की बदौलत, पर रांची की वह कौन सी जगह है, जहां इस शाहरूख खान ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कट आउट लगवाया या महात्मा गांधी का छोटा सा पोस्टर ही लगवाया। जिन्होंने झारखण्ड निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के फोटो कहां है? जरा पूछिये रघुवर दास यानी शाहरूख खान से कि इस राज्य के महान पुरोधा भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, विश्वनाथ शाहदेव, शेख भिखारी इस मोमेंटम झारखण्ड में कहां है? जरा पूछिये अखबारों में विज्ञापन निकालकर खुद के नाम के आगे श्री लगानेवाला और उदयोगपतियों को विज्ञापन में प्रमुखता से स्थान दिलानेवाले से, कि आखिर जिस सड़क को यह बार-बार बनवा रहा है, जिस सड़क को चमकाने में करोड़ों फूंक दिये, वहीं सड़क जो महात्मा गांधी मार्ग के नाम से जाना जाता है, वहीं पर स्थापित महात्मा गांधी की मूर्ति धूल-धूसरित क्यों है? वह जवाब नहीं दे पायेंगे, क्योंकि इसका जवाब अपने शाहरूख खान के पास नहीं है और नहीं कोई पूछेगा?
वह इसलिए नहीं पूछेगा कि सबको अपनी – अपनी बीबी और बच्चे प्यारे है, कल ही की तो बात है, सभी अपने बीवी के साथ वेलेन्टाइन डे मनाने में व्यस्त थे। जो अखबार नहीं आंदोलन है, वे तो रघुवर यानी अपने शाहरूख खान की स्तुति गा रहे है, ऐसे भी राज्य के सभी अखबार या बाहर के अखबार सभी अपने शाहरूख खान की स्तुति गा रहे है क्योंकि अपना शाहरूख खान सबके लिए व्यवस्था कर चुका है। दिल्ली से पत्रकारों की विशेष टीम अलग से बुलाई जा रही है और उन्हें वीवीआइपी ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था कर दी गयी है, ये पत्रकारों की टीम आज ही रांची पहुंच रही है, उधर रांची स्थित पत्रकारों को सामान्य ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था की गयी है, क्योंकि अपना शाहरूख खान जानता है कि रांची के पत्रकारों की क्या औकात है? ऐसे भी इसके लिए रांची के पत्रकार ही दोषी है, क्योंकि स्वयं को इन्होंने मजबूत बनाया ही नहीं और न इनके आका इन्हें मजबूत बनने देना चाहते है।
इधर राज्य की प्रमुख विपक्षी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने मोमेंटम झारखण्ड से स्वयं को दूर कर लिया है, अन्य दलों की भी यहीं स्थिति है, क्योंकि कोई नहीं चाहता कि वह जनता से दूर रहे, क्योंकि फिलहाल आनेवाल चुनाव में राज्य की जनता का खौफ उनके नेताओं के चेहरे पर साफ दिख रहा है। इधर राजद नेता गौतम सागर राणा तो मोमेंटम झारखण्ड पर ही सवाल उठा देते है, वे पूछते है कि पहले रघुवर ये बताये कि क्या राज्य में पुनर्वास आयोग का गठन हुआ है? क्या जिन जमीनों को उन्होंने लैंड बैंक में दिखाया है, उन गैरमजरूआ जमीन पर जो बरसो से लोग रह रहे है, वे इनके कहने पर वहां से चले जायेंगे, उनकी व्यवस्था सरकार ने क्या किया है? आपने जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया और चल दिये मोमेंटम झारखण्ड कराने और अपना चेहरा चमकाने। पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी तो साफ कहते है कि जो यहां पूर्व में निवेश हुआ, और उस निवेश से जो लोगों को अनुभव प्राप्त हुए है, वे यहां के लोगों के अनुकूल नहीं है, इसलिए मोमेंटम झारखण्ड जैसे आयोजन का यहां कोई औचित्य नहीं।
दूसरी ओर आज अखबारों में एक समाचार पढ़ने को मिला, कि धनबाद के डिप्टी कलेक्टर मनीष कुमार और सिमडेगा के डिप्टी कलेक्टर सत्यम कुमार जो शराब पिये हुए थे, जो मोमेंटम झारखण्ड के लाइजनिंग अफसर है, ठेकेदार से ही उलझ पड़े, यानी जिस राज्य में ऐसे – ऐसे अधिकारी जो विशेष अवसरों पर, जिन्हें विशेष दायित्व मिले है, और वे शराब पीकर उलझते है, जिन्हें पकड़कर कोतवाली थाने लाया जाता है, जो पीआर बाउंड भरने पर थाने से छोड़े जाते है, ये बताने के लिए काफी है कि ये मोमेंटम झारखण्ड अथवा ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट इस राज्य में कितना सफल होगा? ऐसे भी जब अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास यानी अपने शाहरूख खान ही दारू बेचने और बेचवाने के लिए तैयार है तो इन अधिकारियों के लिए तो पीना और जीना आम बात हो ही गयी है...
बदलता झारखण्ड
विकास की ओर उन्मुख झारखण्ड
जी हां, हर जगह रघुवर दास बैठे है, गलियों में, दुकानों में, घरों में, होर्डिंगों में, पोस्टरों में, बैनरों में, एलइडी में, सड़कों पर, पेड़ों पर, यानी कौन ऐसी जगह है, जहां रघुवर दास यानी अपना शाहरूख खान नजर नहीं आ रहा। आप कहेंगे कि शाहरूख खान, जी हां आजकल अपने रघुवर दास, शाहरूख खान के नाम से खासे लोकप्रिय हो रहे है। इनका नया नाम शाहरूख खान लोगों ने इसलिए दिया है कि वे फिलहाल स्वयं को शाहरूख खान से कम नहीं समझ रहे। उन्होंने स्वयं को शाहरूख खान बनाने और दिखने के चक्कर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है, अगर पोस्टर-बैनर-होर्डिंग की बात करें तो प्रचार में अपने रघुवर दास यानी शाहरूख खान शीर्ष पर है, दूसरे नंबर पर महेन्द्र सिंह धौनी तथा तीसरे स्थान पर उड़ता हाथी और चौथे स्थान पर कोई नजर ही नहीं आता, इसलिए आगे की बात करनी ही बेमानी है। हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने, खुद को शाहरूख खान समझने के कारण, देश व राज्य के महान नेताओं व महान विभूतियों को मोमेंटम झारखण्ड कार्यक्रम में ठिकाने लगा दिया है।
जरा पूछिये रघुवर दास यानी शाहरूख खान से...
खुद का पासपोर्ट साइज का फोटो तो हर जगह लगवा दिया सत्ता की बदौलत, पर रांची की वह कौन सी जगह है, जहां इस शाहरूख खान ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कट आउट लगवाया या महात्मा गांधी का छोटा सा पोस्टर ही लगवाया। जिन्होंने झारखण्ड निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के फोटो कहां है? जरा पूछिये रघुवर दास यानी शाहरूख खान से कि इस राज्य के महान पुरोधा भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, विश्वनाथ शाहदेव, शेख भिखारी इस मोमेंटम झारखण्ड में कहां है? जरा पूछिये अखबारों में विज्ञापन निकालकर खुद के नाम के आगे श्री लगानेवाला और उदयोगपतियों को विज्ञापन में प्रमुखता से स्थान दिलानेवाले से, कि आखिर जिस सड़क को यह बार-बार बनवा रहा है, जिस सड़क को चमकाने में करोड़ों फूंक दिये, वहीं सड़क जो महात्मा गांधी मार्ग के नाम से जाना जाता है, वहीं पर स्थापित महात्मा गांधी की मूर्ति धूल-धूसरित क्यों है? वह जवाब नहीं दे पायेंगे, क्योंकि इसका जवाब अपने शाहरूख खान के पास नहीं है और नहीं कोई पूछेगा?
वह इसलिए नहीं पूछेगा कि सबको अपनी – अपनी बीबी और बच्चे प्यारे है, कल ही की तो बात है, सभी अपने बीवी के साथ वेलेन्टाइन डे मनाने में व्यस्त थे। जो अखबार नहीं आंदोलन है, वे तो रघुवर यानी अपने शाहरूख खान की स्तुति गा रहे है, ऐसे भी राज्य के सभी अखबार या बाहर के अखबार सभी अपने शाहरूख खान की स्तुति गा रहे है क्योंकि अपना शाहरूख खान सबके लिए व्यवस्था कर चुका है। दिल्ली से पत्रकारों की विशेष टीम अलग से बुलाई जा रही है और उन्हें वीवीआइपी ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था कर दी गयी है, ये पत्रकारों की टीम आज ही रांची पहुंच रही है, उधर रांची स्थित पत्रकारों को सामान्य ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था की गयी है, क्योंकि अपना शाहरूख खान जानता है कि रांची के पत्रकारों की क्या औकात है? ऐसे भी इसके लिए रांची के पत्रकार ही दोषी है, क्योंकि स्वयं को इन्होंने मजबूत बनाया ही नहीं और न इनके आका इन्हें मजबूत बनने देना चाहते है।
इधर राज्य की प्रमुख विपक्षी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने मोमेंटम झारखण्ड से स्वयं को दूर कर लिया है, अन्य दलों की भी यहीं स्थिति है, क्योंकि कोई नहीं चाहता कि वह जनता से दूर रहे, क्योंकि फिलहाल आनेवाल चुनाव में राज्य की जनता का खौफ उनके नेताओं के चेहरे पर साफ दिख रहा है। इधर राजद नेता गौतम सागर राणा तो मोमेंटम झारखण्ड पर ही सवाल उठा देते है, वे पूछते है कि पहले रघुवर ये बताये कि क्या राज्य में पुनर्वास आयोग का गठन हुआ है? क्या जिन जमीनों को उन्होंने लैंड बैंक में दिखाया है, उन गैरमजरूआ जमीन पर जो बरसो से लोग रह रहे है, वे इनके कहने पर वहां से चले जायेंगे, उनकी व्यवस्था सरकार ने क्या किया है? आपने जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया और चल दिये मोमेंटम झारखण्ड कराने और अपना चेहरा चमकाने। पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी तो साफ कहते है कि जो यहां पूर्व में निवेश हुआ, और उस निवेश से जो लोगों को अनुभव प्राप्त हुए है, वे यहां के लोगों के अनुकूल नहीं है, इसलिए मोमेंटम झारखण्ड जैसे आयोजन का यहां कोई औचित्य नहीं।
दूसरी ओर आज अखबारों में एक समाचार पढ़ने को मिला, कि धनबाद के डिप्टी कलेक्टर मनीष कुमार और सिमडेगा के डिप्टी कलेक्टर सत्यम कुमार जो शराब पिये हुए थे, जो मोमेंटम झारखण्ड के लाइजनिंग अफसर है, ठेकेदार से ही उलझ पड़े, यानी जिस राज्य में ऐसे – ऐसे अधिकारी जो विशेष अवसरों पर, जिन्हें विशेष दायित्व मिले है, और वे शराब पीकर उलझते है, जिन्हें पकड़कर कोतवाली थाने लाया जाता है, जो पीआर बाउंड भरने पर थाने से छोड़े जाते है, ये बताने के लिए काफी है कि ये मोमेंटम झारखण्ड अथवा ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट इस राज्य में कितना सफल होगा? ऐसे भी जब अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास यानी अपने शाहरूख खान ही दारू बेचने और बेचवाने के लिए तैयार है तो इन अधिकारियों के लिए तो पीना और जीना आम बात हो ही गयी है...
बदलता झारखण्ड
विकास की ओर उन्मुख झारखण्ड
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